मंगलवार, 30 अगस्त 2011

'अन्ना हज़ारे द्वारा किये गए जनहित-अनशन'


गांधीवादी कार्यकर्ता अन्ना हज़ारे ने करीब पंद्रह वर्ष पहले भी भ्रष्टाचार के आरोपी मंत्रियों के खिलाफ बारह दिन का अनशन किया था | वह पांच बार १० दिन या उससे अधिक अवधि तक अनशन कर चुके हैं | गांधीवादी अन्ना हज़ारे वर्ष १९८० से अनशन कर रहे हैं, वह आज खत्म हुए अनशन सहित अब तक कुल सोलह बार अनशन कर चुके हैं, उनके अधिकतर अनशन भ्रष्टाचार के खिलाफ ही रहे हैं |
पहला अनशन:- गांधीवादी कार्यकर्ता अन्ना हज़ारे ने अपना पहला अनशन वर्ष १९८० में अहमदनगर में किया था | उन्होंने श्रीसंत निकोलबाराई विद्यालय की स्थापना की थी लेकिन जिला परिषद ने इसे मान्यता देने से इनकार कर दिया | इसके विरोध मेंहज़ारे ने एक दिन का अनशन किया और प्रशासन ने उनके स्कूल को मान्यता दे दी |
दूसरा अनशन:- गांधीवादी कार्यकर्ता अन्ना का दूसरा अनशन जून,१९८३ में महज दो दिन का रहा. उन्होंने यह अनशन अपने गांव रालेगण सिद्धी के यादवबाबा मंदिर में किया | हज़ारे ने गांव की योजनाओं के प्रति प्रशासन के भेदभाव के विरोध में यहअनशन किया |
तीसरा अनशन:- अन्ना हज़ारे ने तीसरा अनशन फरवरी,१९८९ में किसानों की सब्सिडी के मुद्दे पर किया | हज़ारे खेती में नए प्रयोग के लिए किसानों की सिंचाई सुविधाओं में सब्सिडी चाहते थे, लेकिन जब राज्य सरकार नहीं मानी तो उन्होंने अनशन किया | अन्ना का यह पांच दिन चला |
चौथा अनशन:- नवंबर,१९८९ में ही अन्ना हज़ारे ने अपना चौथा अनशन अपने गांव के उसी मंदिर में किया | इस बार उनकी मांग किसानों के लिये बिजली आपूर्ति को लेकर थी | उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री को पत्र लिखा लेकिन प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर नौ दिन अनशन किया, आखिरकार राज्य सरकार ने उनके गांव के लिए चार करोड़ रुपए मंजूर कर दिए |
पाँचवा अनशन:- मई,१९९४ में अन्ना हज़ारे ने आलंदी स्थित संत ज्ञानेर समाधि के समक्ष छह दिन अनशन किया | यह भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर था | अन्ना ने वन और पर्यावरण विभाग के १७ अधिकारियों के खिलाफ गड़बड़ियों के आरोपों की जांच और कार्रवाई की मांग को लेकर था | इस मुद्दे पर अन्ना ने उन्हें मिला पद्मश्री पुरस्कार लौटा दिया, बाद में सरकार ने हज़ारे को अनशन तोड़ने के लिये मनाया |
छठवाँ अनशन:- नवंबर,१९९६ में अन्ना ने भ्रष्टाचार के आरोपी महाराष्ट्र के मंत्रियों के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए अनशन शुरू कर दिया जो लोकपाल के मुद्दे पर आज खत्म हुए अनशन की ही तरह १२ दिन चला | अन्ना हज़ारे ने महाराष्ट्र की तत्कालीन भाजपा-शिवसेना सरकार में भ्रष्टाचार होने के कुल २५३ मामलों का खुलासा होने का दावा किया था | हज़ारे ने रालेगण सिद्धी में बारह दिन अनशन किया और अपनी मां के अनुरोध पर उसे तोड़ा. बाद में सरकार ने समितियों का गठन कर मामले की जांच कराई |
सातवाँ अनशन:- मई,१९९७ में अपने ही ट्रस्ट के खिलाफ लगे आरोपों की जांच को लेकर अन्ना हज़ारे ने अपने गांव में अनशन किया जो १० दिन चला | राज्य के एक मंत्री ने हज़ारे के हिंद स्वराज ट्रस्ट पर २२ करोड़ रुपए की अनियमितता के आरोप लगाए थे | इसकी जांच में पाया गया कि ट्रस्ट को सरकार से ६० लाख मिले जिसमें से १५ लाख ट्रस्ट ने सरकार को लौटा दिए |
आठवाँ अनशन:- अगस्त,१९९९ में भी अन्ना हज़ारे ने १० दिन का अनशन किया | यह अनशन ‘भ्रष्ट’ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने के विरोध में था | अन्ना ने संत ज्ञानेश्वर की समाधि के समक्ष अनशन शुरू किया | लेकिन उद्योगपति अभय फिरौदिया और विजय कुवलेकर के अनुरोध पर उन्होंने अनशन तोड़ दिया |
नवाँ अनशन:- अगस्त,२००३ में अन्ना हज़ारे ने मुंबई के आजाद मैदान पर नौ दिन अनशन किया | यह अनशन भी मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच की मांग को लेकर था | अन्ना हज़ारे के निशाने पर राकांपा के चार तत्कालीन मंत्री थे | सरकार ने पी बी सावंत आयोग का गठन किया, इसके बाद ही अन्ना ने अनशन तोड़ा |
दसवाँ अनशन:- फरवरी,२००४ में हज़ारे ने सूचना का अधिकार कानून के प्रभावी कार्यान्वयन की मांग को लेकर अपने गांव रालेगण सिद्धी में नौ दिन अनशन किया |
ग्यारहवाँ अनशन:- दिसम्बर,२००५ में अन्ना हज़ारे ने फिर अपने गांव में १० दिन अनशन किया |  इस बार उनकी मांग सावंत आयोग की रिपोर्ट में दोषी पाए गए लोगों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर थी |
बारहवाँ अनशन:- अगस्त,२००६ में अन्ना हज़ारे ने सरकारी अधिकारियों की फाइल नोटिंग को आरटीआई के दायरे से बाहर करने के लिये कानून में प्रस्तावित संशोधन के खिलाफ ११ दिन अनशन किया, सरकार द्वारा फैसला निरस्त कर देने पर सहमत होने के बाद ही अन्ना ने अनशन तोड़ा |
तेरहवाँ अनशन:- अन्ना हज़ारे ने उनकी हत्या करने की कथित तौर पर साजिश रचने वाले कांग्रेस नेता पद्मसिंह पाटिल के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर अक्तूबर,२००९  में नौ दिन अनशन किया, सरकार के कार्रवाई के आश्वासन के बाद उन्होंने अनशन तोड़ा |
चौदहवाँ अनशन:- इसी तरह अन्ना हज़ारे ने मार्च,२०१० में सहकारिता घोटाले की जांच की मांग को लेकर पांच दिन अनशन किया |
पंद्रहवाँ अनशन:- इसके बाद अप्रैल,२०११ में उन्होंने महाराष्ट्र से बाहर निकलकर दिल्ली में लोकपाल विधेयक के मुद्दे पर पांच दिन का अनशन किया, सरकार ने उनकी मांगें मानते हुए संयुक्त मसौदा समिति का गठन किया |
सोलहवाँ अनशन:- बहरहाल, हज़ारे का १६ अगस्त से २८ अगस्त,२०११ तक चला उपवास उनका सबसे सफल अनशन है क्योंकि यह महाराष्ट्र के बाहर हुआ और इसे अभूतपूर्व जनसमर्थन मिला |रामलीला मैदान में 12 दिनों से अनशन कर रहे अन्ना हज़ारे ने नारियल पानी और शहद के साथ अनशन तोड़ दिया है | उन्हें दो छोटी बच्चियों सिमरन और इकरा ने नारियल पानी पिलाया और शहद खिलाया. इन बच्चियों में से एक मुस्लिम और एक दलित परिवार की हैं |
अन्ना ने कहा, ''संसद से बड़ी जनसंसद है | संसद को ये फ़ैसला जनसंसद के दबाव में लेना पडा है | इस आंदोलन ने ये विश्वास बना दिया है कि हम भ्रष्टाचार मुक्त देश बना सकेंगे, सत्ता का विकेंद्रीकरण करना होगा तभी सही ताकत आ सकेगी लोगों के हाथों में,जनलोकपाल को लेकर तीन मुद्दों पर हुई जीत लोगों की जीत है | लोगों ने जो प्रयास 13 दिन से किया ये उसी का फल मिला है देश को, ये मीडिया की भी जीत है’’
'जय हिंद,जय हिन्दी'

शनिवार, 20 अगस्त 2011

'आज का इतिहास,चतुर्थ-भाग'

(अगस्त माह की १६ से ३१ अगस्त तक विभिन्न तिथियों का ऐतिहासिक महत्त्व)
'१६ अगस्त का ऐतिहासिक महत्व'
१६ अगस्त कैलंडर(२०११) ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २२८वॉ (लीप वर्ष मे २२९वॉ) दिन है। साल मे अभी और १३७ दिन बाकी है।
१६ अगस्त का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं---
(१) सन् १९६०- वर्षों की अशांति के बाद साइप्रस द्वीप स्वतंत्र हुआ। यहॉ इस समय लोकतांत्रिक व्यवस्था है। यह तुर्की के दक्षिण में भूमध्य सागर में स्थित है।  सन् १८७८ ईसवी तक यह द्वीप उसमानी शासन के क़ब्ज़े में था किंतु इसी वर्ष उसमानी शासन ने पेरिस कॉन्फ़्रेंस में यह द्वीप ब्रिटेन के हवाले कर दिया और सन् १९२५ में साइप्रस औपचारिक रुप से ब्रिटेन का उपनिवेश बन गया। इसके बाद से साइप्रस में रहने वाले युनानियों ने जिनकी संख्या ८० प्रतिशत थी इस क्षेत्र को यूनान से जोड़ने की मांग की और फिर साइप्रस में राजनैतिक तनाव बढ़ गया जिसके चलते द्वीप की संविधान परिषद भंग हो गयी। दूसरी ओर तुर्की ने साइप्रस के अल्पसंख्यक तुर्कों के अधिकार का समर्थन आरंभ कर दिया जिससे स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गयी। अंतत: उसक़ोफ़ मारकरयूस ने जो बाद में इस द्वीप के राष्ट्रपति भी बने इस मामले को संयुक्त राष्ट्र में पहुँचाया। और  सन् १९६० में यह देश स्वतंत्र हुआ। किंतु स्वतंत्रता मिलने के बाद भी इस क्षेत्र का संकट समाप्त नहीं हुआ और  सन् १९७४ में तुर्की ने इस द्वीप पर आक्रमण करके इसके उत्तरी भाग पर अधिकार कर लिया इस प्रकार यह द्वीप व्यवहारिक रुप से दो भागों में बॅट गया।
(२) सन् १८०७- स्वेडन के भूगर्भवेत्ता लुई आक्सीज़ का जन्म हुआ। लुई आक्सीज़ के शोधकार्यों को बहुत महत्व प्राप्त है। ६६ वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ।
(३) सन् १९२१- योगोस्लाविया के नरेश पीटर प्रथम का निधन हुआ। जिसके पश्चात उनके पुत्र एलेग्ज़न्डर प्रथम ने उनका स्थाना संभाला।
(४) सन् १९७२- मोरक्को के नरेश हसन द्वितीय इस देश की वायु सेना के आक्रमण के बावजूद सुरक्षित बच निकलने में सफल हुए। मोरक्को वायु सेना के लड़ाका विमान ने उस विमान पर आक्रमण किया था जिससे नरेश, रबात जा रहे थे।
(५) सन् १९९०- इराक़ के राष्ट्रपति सददाम हुसैन ने फार्स खाड़ी के क्षेत्र में सैनिकों का जमावड़ा कर रहे अमरीकी राष्ट्रपति जार्ज बुश सीनियर को धमकी दी कि उनके सैनिक इस क्षेत्र से कफन में वापस जाएंगे।
(६) सन् २०१०- नई दिल्ली में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों के लिए एआर रहमान के रचे थीम गीत को स्वीकृति मिली।
(७) सन् २०११- अन्ना हजारे ने कहा कि वे इस लोकपाल बिल को हरगिज बर्दाश्त नहीं करेंगे और 16 अगस्त से जंतर मंतर पर अनशन करने बैठे |

१६ अगस्त को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों के जन्मदिन हैं:-(१) सन् १८३१- वीरागंना रामगढ़ की रानी अवन्तीबाई लोधी का जन्म १६ अगस्त,सन् १८३१ को ग्राम मनखेड़ी जिला सिवनी में हुआ था। रानी अवन्तीबाई लोधी ने अपने अधिकारों और आजादी के लिए तलवार उठाई थी। मध्यप्रदेश में रामगढ़ की रानी अवन्तीबाई ने सन् १८५७ के संग्राम के दौरान अंग्रेजों का प्रतिकार किया और घिर जाने पर आत्मसमर्पण करने की बजाय स्वयं को खत्म कर लिया।
(२) सन् १९७०- सैफ़ अली ख़ान
(३) सन् १९७०- मनीषा कोइराला

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'१७ अगस्त का ऐतिहासिक महत्व'१७ अगस्त कैलंडर(२०११) ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २२९वॉ (लीप वर्ष मे २३०वॉ) दिन है। साल मे अभी और १३६ दिन बाकी है।१७ अगस्त का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं---
(१) सन् १७४३- स्वीडन और रूस ने शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए | 
(२) सन् १८५८- अमेरिकी प्रांत हवाई में पहला बैंक खुला
(३) सन् १८६९- पहली अंतरराष्ट्रीय नौकायन प्रतियोगिता लंदन की टेम्स नदी पर आयोजित हुई
(४) सन् १९०९- महान क्रांतिकारी मदन लाल ढींगर को फांसी पर चढ़ा दिया गया।
(५) सन् १९१४- लिथुआनिया ने जर्मनी के आगे आत्म समर्पण किया
(६) सन् १९१७- इटली ने जर्मनी और तुर्की के खिलाफ युद्ध की घोषणा की
(७) सन् १९४५- इंडोनेशिया में हॉलैंड के साम्राज्य के विरुद्ध संघर्ष आरंभ हुआ। यह संघर्ष अहमद सोकार्नो के नेतृत्व में ४ वर्षों तक जारी रहा। इसके पश्चात संयुक्त राष्ट्र संघ के आदेश पर हॉलैंड ने इन्डोनेशिया व हॉलेंड संघ के नाम से एक सरकार बनायी। सन् १९५६ में इंडोनेशिया गणराज्य ने उक्त संघ को भंग करके अपनी स्वाधीनता की घोषण की। और अहमद सोकर्नो का इंडोनेशिया का पहला राष्ट्रपति चुना गया।
(८)सन् १९४७- भारत की  आजादी के बाद पहली ब्रिटिश सैन्य टुकडी स्वदेश रवाना |(९) सन् १९६०- पश्चिमी अफ्रीक़ा महाद्वीप के देश गेबन को स्वतंत्रता मिली।१५वीं शताब्दी के अंत में पुर्तग़ालियों ने पहली बार गैबन के क्षेत्र पर क़दम रखा। किंतु इसफी विशेष प्रकार की भौगोलिक स्थिति के कारण १९वीं शताब्दी तक इस क्षेत्र की सही अर्थ में खोज न हो सकी। फ़्रांसीसी १९वीं शताब्दी के मध्य में इस क्षेत्र पर उतरे और बर्लिन कॉन्फ़्रेंस में इस क्षंत्र पर अपना नियंत्रण मजबूत कर लिया। परन्तु सन् १९६० में गैबन ने अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की और यहॉ प्रजातांत्रिक व्यवस्था लागू हुइ।२६७ हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाला यह देश कांगो कैमरुन गिनी ओर केंद्रीका अफ़्रीक़ा देशों के पड़ोस में स्थित है।
(१०) सन् १९८७ ईसवी को हिटलर के सहयोगी रोडल्फ हेस ने ब्रिटेन की जेल में आत्महत्या कर ली। वे सन् १८९४ ईसवी में जन्में थे। और वे नाज़ी दल के संस्थापकों तथा हिटलर सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों में थे। सन्१९३३ ईसवी से उन्होंने हिटलर के सहायक के रूप में कार्य किया। जर्मनी की पराजय के बाद नोरनबर्ग में युद्ध अपराध न्यायालय में रोडल्फ हेस पर मुक़ददमा चला गया और फिर उन्हें आजीवन कारावास का दंड दे दिया गया। उन्होंने सन् १९८७  ईसवी को जेल में अपने हाथ से अपने जीवन का अंत कर लिया।
(११) सन् १९८८ ईसवी को पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति ज़ियाउल हक़ और पाकिस्तान में अमरीकी राजदूत आरनोल्ड रैफ़ेल एक विमान दुर्घटना में मारे गये। उनका विमान उड़ान भरने के बाद दुर्घटना ग्रस्त हो गया था।
(१२) सन् १९९९ ईसवी को तुर्की के इजमीर शहर में बहुत ही भयानक भूकम्प आया। इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7 दशमलव ४ मापी गयी इसमें १७ हज़ार से भी अधिक लोग मारे गये |
१७ अगस्त को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों के जन्मदिन हैं:-
सन् १९२२- अगस्टीन्हो नीटो, अंगोलाई राजनीतिज्ञ (निधन- सन् 1979)
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'१८ अगस्त का ऐतिहासिक महत्व'१८ अगस्त कैलंडर(२०११) ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २३०वॉ (लीप वर्ष मे २३१वॉ) दिन है। साल मे अभी और १३५ दिन बाकी है।१८ अगस्त का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं---
(१) सन् ६५३- फिलिस्तीन के अजनादीन नामक क्षेत्र में मुसलमानों और रोमियों के बीच युद्ध हुआ। इस युद्ध में रोमियों की संख्या मुसलमानों से कई गुना अधिक थी किंतु मुसलमान अपने दृढ़ संकल्प और ईमान के कारण विजयी हुए। अजनादीन के युद्ध में भारी पराजय के बाद रोम की सेना दमिश्क़ तक पीछे हट गयी। और इस प्रकार एक बड़ा क्षेत्र रोम के हाथ से निकल गया।
(२) सन् १८००- लॉर्ड वेलेजली ने कलकत्ता में फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना हुयी |
(३) सन् १९००- भारत की प्रख्यात राजनीतिज्ञ व स्वतंत्रता सेनानी तथा अपने समय की अत्यंत क्रान्तिकारी व सक्रिय महिला भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी पंडित का जन्म हुआ। वे मॉस्को वाशिंगटन तथा मेक्सिको में भारत की राजदूत रहीं तथा सन् १९५३  में उन्हें संयुक्त राष्ट्र की महासाभा अध्यक्ष बनाया गया।
(४) सन् १९२४- फ्रांस ने जर्मनी से अपनी सेनाएँ वापस बुलानी शुरु की।
(५) सन् १९४५- ताइवान के ताइहोकू हवाई अड्डा पर सुभाषचन्द्र बोस का विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिसमें उनकी मृत्यु हो गई।
(६) सन् १९४९- हंगरी में संविधान लागू हुआ।
(७) सन् १९५१- पश्चिम बंगाल के खडगपुर में भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान खुला।
(८) सन् १९५४- जेम्स विल्किन्स ऐसे पहले काले व्यक्ति थे जिन्होंने अमरीका में मंत्रीमंडलीय बैठक में भाग लिया। वे इस बैठक में श्रम मंत्री और उप मंत्री के सहायक के रुप में उपस्थित हुए श्रम मंत्री और उप मंत्री के देश से बाहर होने के कारण उन्हें यह अवसर मिला।
(९) सन् १९६४ - दक्षिणी अफ़्रीक़ा को ओलम्पिक खेलों में भाग लेने से रोक दिया गया। यह प्रतिबंध दक्षिणी अफ़्रीक़ा की सरकार की नीतियों के चलते लगा था।
(१०) सन् १९७३- अमेरिका के बोस्टन मे पहले एफ एम रेडियों स्टेशन के निर्माण को मंजूरी
(११) सन् १९९३- अमरीका ने सूडान को बताया कि उसका नाम आतंकवाद के समर्थक देशों की अमरीकी सूची में शामिल कर दिया गया।
(१२) सन् १९९८- अमरीका में पहली बार हृदय के ऑप्रेशन को डंटरनेट पर दिखाया गया। यह ऑप्रेशन डॉक्टर राबर्ट लाज़ारा ने किया था।
(१३) सन् २०१०- टीवीएस इलेक्ट्रॉनिक्स ने 'टीवीएस गोल्ड भारत' नामक अपने नए कुंजी पटल में टैब के ठीक ऊपर रुपए के चिन्ह को शामिल किया।

१८ अगस्त को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों के जन्मदिन हैं:-

सन् १९८०- प्रीति झंगियानी


१८ अगस्त को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों का निधन हुआ:-
सन् १२२७ -- चंगेज़ ख़ान
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'१९ अगस्त का ऐतिहासिक महत्व'१९ अगस्त कैलंडर(२०११) ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २३१वॉ (लीप वर्ष मे २३२वॉ) दिन है। साल मे अभी और १३४ दिन बाकी है।१९ अगस्त का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं---

(१)सन् १८९५- जापान के साथ युद्ध में पराजय के पश्चात चीन ने शीमोस्की समझौते के अनुसार ताइवान नामक द्वीप जापान के हवाले कर दिया। परंतु द्वितीय विश्व युद्ध में जापान की पराजय के बाद ताइवान पुन: चीन के नियंत्रण में दे दिया गया। इसी काल में चीन में माओज़े तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्टों तथा चियांकाय चिक की सरकारी सेना के बीच गृह युद्ध आरंभ हुआ। जिसमें कम्युनिस्ट विजयी रहे और चियांकाय चेक ने अमरीका के समर्थन से ताइवान में स्वतंत्र सरकार बनाई।

(२)सन् १९१९- अफगानिस्तान ने खुद को ब्रिटेन से आजाद घोषित किया(३)सन् १९४४- भारत से जापान की अंतिम सैन्य टुकडी को खदेडा गया
(४)सन् १९४६- अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन का जन्मफ
(५)सन् १९५५- अमेरिका ने साइकिल पर आयात शुल्को 50 फीदसी बढाया |
(६)सन् १९६०- कत अमरीमा के टोही विमान के चालक फ़्रैन्सिस गैरी पावर्स को रूस में दस वर्ष के कारावास की सजा सुनाई गयी। वे रूस की सीमा के भीतर अपने टोही विमान के साथ घुस आए थे उनके विमान को रूसी सैनिकों ने नीचे गिरा लिया था।
(७)सन् १९६४- संचार उपग्रह सिनकॉम 3 प्रक्षेपित किया गया।
(८)सन् १९६६- तुर्की में भूकंप की वजह से तकरीबन २,४०० लोग मरे
(९)सन् १९७३- फ्रांस ने परमाणु परीक्षण किया
(१०)सन् १९७४ ईसवी को साइप्रस में अमरीका के राजदूत रोजर डेविस को मार डाला गया। निकोशिय में अमरीका की गलत नीतियों पर प्रदर्शनों के दौरान उनकी हत्या कर दी गयी।
(११)सन् १९७७- सोवियत रूस ने परमाणु परीक्षण किया | 
(१२)सन् १९९१- गेनाडी यानायेफ़ के नेतृत्व में भूतपूर्व सोवियत संघ की सेना के कुछ उच्चाधिकारियों ने इस देश के अंतिम राष्ट्रपति मीखाइल गोर्बाचोफ़ के विरूद्ध विद्रोह कर दियां यह सैनिक अधिकारी गोर्बाचोफ़ के सुधार कार्यक्रम की समाप्ति और सोवियत संघ के विघटना को रोकना चाहते थे। इस विद्रोह के समय गोर्बाचोफ़ करीमे प्रायद्वीप में छुटिटयां मना रहे थे। उस समय रूसी फ़ेडरेशन के अध्यक्ष तथा पश्चिम के समर्थन प्राप्त बोरिस यल्तसीन ने जनता और सरकार में प्रभावी लोगों तथा माध्यमों की सहायता से विद्रोह को विफल बना दिया।
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'२० अगस्त का ऐतिहासिक महत्व'२० अगस्त कैलंडर(२०११) ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २३२वॉ (लीप वर्ष मे २३३वॉ) दिन है। साल मे अभी और १३३ दिन बाकी है।२० अगस्त का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं---

(१)सन् १९२१- मोप्ला् विद्रोह केरल के मालाबार क्षेत्र् में शुरू हुआ
(२)सन् १९५३- फ्रांसीसी सेनाओं ने मोरक्को के सुल्तान सीदी मोहम्मद बिन यूसुफ को गददी से हटाया
(३)सन् १९७७- अमेरिका के वोयागेर दो अंतरिक्षयान को प्रक्षेपित किया गया
(४)सन् १९७९- प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दिया
(५)सन् १९९१- इस्टोनिया गणराज्यी की संसद ने सोवियत संघ से अपनी पूर्ण स्वतंत्रता की घोषणा की।
(६)सन् १९९५- पुरूषोत्तम एक्सप्रेस और कालिंदी एक्सप्रेस के आमने सामने की टक्कर में ३५० लोगों की मौत हो गई।
(७)सन् २००८- भारतीय शास्त्रीय संगीत की प्रसिद्ध कलाकार अरुणा साई राम को अमेरिका में विशिष्ट सम्मान से नवाजा गया।
(८)सन् २००८- रसायन व उर्वरक मंत्री राम विलास पासवान ने खाद उद्योग को चालू वित्त वर्ष में 22,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी देने की घोषणा की।
20 अगस्त को जन्मे प्रसिद्द व्यक्ति:-
(१)सन् १६१५-  कर्माबाई, प्रसिद्ध भक्तशिरोमणि, जीवणजी डूडी के घर राजस्थान के नागोर जिले के कालवा गांव में पैदा हुई थी, यह जिले का एक प्राचीन एवं ऐतिहासिक स्थल है। यह गांव कालूजी डूडी जाट के नाम पर बसाया गया था। (निधन- सन् 1634)
(२)सन् अगस्त १९१७- त्रिलोचन शास्त्री (हिन्दी की प्रगतिशील कविता के अंतिम कड़ी) का जन्म उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के कठधरा चिरानी पट्टी में  हुआ {निधन- ९ दिसम्बर,सन् २००७}
(३)सन् १९४४- भारत के ९ वे प्रधान मंत्री राजीव गांधी का जन्म {निधन- २१ मई , सन् १९९१}
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'२१ अगस्त का ऐतिहासिक महत्व'२१ अगस्त कैलंडर(२०११) ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २३३वॉ (लीप वर्ष मे २३४वॉ) दिन है। साल मे अभी और १३२ दिन बाकी है।२१ अगस्त का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं---
(१)सन् १९४४- अमरीका की राजधानी वाशिंगटन निकट अमरीका ब्रिटेन और रुस के प्रतिनिधियों की एक बैठक हुई जिसमें संयुक्त राष्ट्र संघ के गठन पर विचार विमर्श किया गया।
(२)सन् १९४५- ब्रिटेन के प्रख्यात विद्वान व पूर्वी मामलों के विशेषज्ञ रिनोल्ड निकल्सन का ७७ वर्ष की आयु में निधन हुआ। उनका जन्म सन् १८६८ ईसवी में हुआ था। सन् १९०३ में उन्होंने लंदन के केम्ब्रिज विश्वविद्यालय में भाषा के अध्यापक के रुप में कार्य आरंभ किया। निकल्सन ने ईरानी साहित्य के बारे में व्यापक अध्ययन किया था। और वे स्वंय को ईरान के प्रख्यात कवि मौलाना जलालुददीन रुमी का अनुयायी कहते थे। निकल्सन ने रुमी के प्रख्यात काव्य लेख मसनवी क बारे में २५ वर्ष तक अध्ययन किया। उन्होंने सबसे पहले मसनवी का अंग्रेज़ी अनुवाद किया।
(३)सन् १९५९- ईरान तुर्की पाकिस्तान व ब्रिटेन की सम्मिलिति से सिन्टो नामक संगठन की स्थापना हुई। तुर्की की राजधानी अंकारा गठित होने वाला संगठन बग़दाद संधि के स्थान पर अस्तित्व में आया था। यद्यपि अमरीका सिन्टो का औपचारिक सदस्य नहीं था और उसने पर्यवेक्षक के रुप में इसकी बैठकों में भाग लिया परंतु व्यवहारिक रुप से इस संगठन के समस्त निर्णयों में उसकी प्रभावशाली भूमि रही। सिन्टो संधि वास्तव में पूर्व सोवियत संघ के विरुद्ध पश्चिम की सामरिक व्यवस्था की केंद्रीय कड़ी थी। यह पश्चिम की नैटो तथा पूर्व की सीटो संधियों को आपस में जोड़ती थी।
(४)सन् १९६९ ईसवी को मुसलमानों के पहले क़िबले मस्जिदुल अक़सा में ज़ायोनियों ने आग लगा दी। जिससे इस ऐतिहासिक स्थल को भारी क्षति हुई।
(५)सन् १९७२- भारत में वन्यऔ जीव संरक्षण अधिनियम पारित
(६)सन् १९८२- स्विटजरलैंड के राजा सोभूजा द्वितीय का 83 वर्ष की आयु में निधन
(७)सन् १९८३- फिलीपीन्सा के विपक्षी नेता बेनिग्नोत अक्की3नो की हत्या
(८)सन् १९८८- भारत नेपाल सीमा पर आये तीव्र भूकंप से एक हजार लोगों की मौत
(९)सन् १९९१- लातविया ने सोवियत संघ से स्वतंत्रता की घोषणा की
(१०)सन् २००६- प्रसिद्व शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ान का नब्बे वर्ष की आयु में निधन |
२१ अगस्त को जन्मे प्रसिद्द व्यक्ति:-
(१)सन् १९२२- मेल फिशर, अमेरिकी खजाना खोजक और मेल फिशर समुद्री विरासत संग्रहालय के संस्थापक (निधन-सन् १९९८)
(2)सन् १९७८ - भूमिका चावला - भारतीय अभिनेत्री
२१ अगस्त को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों का निधन हुआ:-
(१)सन् १९३१- पंडित विष्णु दिगंबर का निधन
(२)सन् १९८७- डॉ.(श्रीमती) प्रेम चतुर्वेदी, शिक्षाविद-बितबिस, पिलानी (जन्म- १५ मई,सन् १९३५)
(३) सन् २००६: शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ान (जन्म: २१ मार्च, सन् १९१६) को वाराणसी में
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'२२ अगस्त का ऐतिहासिक महत्व'२२ अगस्त कैलंडर(२०११) ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २३४वॉ (लीप वर्ष मे २३५वॉ) दिन है। साल मे अभी और १३१ दिन बाकी है।२२ अगस्त का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं---

(१)सन् १३२०- नसीरूद्दीन खुसरू को गाजी मलिक ने हराया |

(२)सन् १६२७- फ़्रांस के कैथोलिक और प्रोटस्टेन्ट ईसाइयों के बीच अंतिम युद्ध हुआ। यह युद्ध ब्रिटेन द्वारा फ्रांस के प्रोटेस्टेन्ट इसाइयों को भड़काए जाने से छिड़ा। कैथौलिक इसाइयों ने फ़्रांस की सरकारी सेना की सहायता से प्रोटिस्टेंट इसाइयों पर आक्रमण किया। फ़्रांस के शासक रेशलीव कैथोलिक इसाइयों की ओर से आगे थे। और उनके आदेश पर लारुशिल स्थित प्रोटिस्टेन्ट इसाइयों के केंद्रों पर आक्रमण हुआ। और एक वर्ष तक युद्ध जारी रहने के बाद अंतत: प्रोटेस्टेंन्ट को पराजय हुई। 
(३)सन् १६९८- रुस डेनमार्क और पोलैंड के बीच त्रिकोणीय संघि हुई। जो स्वीडन के विरोध में थी। इन तीनों देशों के शासक, स्वीडन के युवा नरेश चार्लस बारहवें को पराजित करके इस देश पर अधिकार करना चाह रहे थे। इसी उददेश्य से दो वर्ष अप्रैल सन् १७०० इसवी को त्रिकोणीय संधि के सदस्य तीनों देशों ने स्वेडन पर आक्रमण किया किंतु चार्लस की सेना ने अतिक्रमणकारियों का बड़ी वीरता से सामना किया और उन्हे पराजय का मज़ा चखाया। चार्लस ने इसके बाद डेनमार्क से संधि कर ली और फिर सन् १७०४ ईसवी में पोलैंड पर आकर्मण करके उसक उसे अपने नियंत्रण में कर लिया। उसके बाद चार्लस ने रुप भी आक्रमण किया किंतु इसमें उन्हें असफलता का सामना हुआ।
(४)सन् १८१८- भारत के प्रथम गवर्नर जनरल वॉरेन हेस्टिंग का निधन
(५)सन् १८५१- ऑस्ट्रेलिया में सोने के क्षेत्रों की खोज हुई।
(६)सन् १९०४- चीनी नेता डेंग जियाओ पिंग का जन्म
(७)सन् १९२१- राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने विदेशी वस्त्रों की होली जलाई
(८)सन् १९२२- जनरल माइकल कोलिन्स की पश्चिम कॉर्क में हत्या कर दी गई।
(९)सन् १९६९- अमेरिका में समुद्री तूफान आने से 255 लोगों की मौत
(१०)सन् १९७९- राष्ट्ररपति नीलम संजीव रेड्डी ने लोकसभा भंग की
(११)सन् १९४४- अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और चीन के प्रति‍निधियों ने संयुक्त राराष्ट्र के गठन की योजनाओं को लेकर मुलाकात की |
२२ अगस्त को जन्मे प्रसिद्द व्यक्ति:-
(१)सन् १९२४- हरिशंकर परसाई
(२)सन् १९६४- मैट्स विलेंडर
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'२३ अगस्त का ऐतिहासिक महत्व'२३ अगस्त कैलंडर(२०११) ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २३५वॉ (लीप वर्ष मे २३६वॉ) दिन है। साल मे अभी और १३० दिन बाकी है।२३ अगस्त का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं---
(१) सन् १८६६- प्राग का ऐतिहासिक समझौता हुआ। इस समझौते पर प्रॉग और आँस्ट्रिया ने हस्ताक्षर किये। जिसके अंतर्गम जर्मनी संघ जिसकी अध्यक्षता आँस्ट्रिया के पास भंग कर दिया गया और आँस्ट्रिया कुछ भाग जर्मनी के अधिकार में चला गया। 
(२) सन् १९२२- स्पेन के खिलाफ मोरक्को में विद्रोह।
(३) सन् १९२२- तुर्की ने एफ्योन में ग्रीक ताकतों के खिलाफ बड़े पैमाने पर हमले आरंभ किये ।
(४) सन् १९३९- नाज़ी जर्मनी और सोवियत संघ के मध्य अतिक्रमण न करने का एक समझौता हुआ। उस समय जर्मनी में हिटलर और सोवियत संघ में स्टालिन सत्तासीन थे। इस समझौते के अधार पर दोनों देशों ने तीन वर्ष तक एक दूसरे पर आक्रमण न करने का वचन दिया था। किंतु वर्ष सन् १९४१ में सोवियत संघ पर जर्मनी के बक्रमण के साथ ही यह समझौता समाप्त हो गया।

(५) सन् १९४२- स्टलिन्ग्रेड युद्ध की सबसे भयावह लड़ाई सोवियत यंघ और जर्मनी के मध्य हुई। एक ही दिन में दोनों ओर से ४० हज़ार सैनिक मारे गये। युद्ध इस लिए भी अत्यंत भयानक हो गया था क्योंकि हिटलर ने स्टालिनग्रेड नगर पर किसी भी स्थिति में अधिकार करने का आदेश दिया था।
(६) सन् १९४७-युनान के राष्ट्रपति दिमित्रियो मैक्सिमोज ने त्यागपत्र दे दिया।
(७) सन् २००८- झारखण्ड के मुख्यमंत्री मधुकोड़ा ने अपने पद से इस्तीफा दिया।
(८) सन् २००८- उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश महिला आयोग में १६ सदस्यों को नामित किया।
२३ अगस्त को जन्मे प्रसिद्द व्यक्ति:-
(१) सन् १९१८- महाराष्ट्र के सिंधदुर्ग जिले के खांडवल गांव में जन्मे महान रचनाकार जाने माने मराठी कवि गोविंद विनायक  'विंदा ' करंदीकर,उन्हें  39वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजा गया था। वह मराठी कविता जगत के आधुनिक कवियों में सबसे ज्यादा प्रयोगधर्मी और व्यापक दृष्टिकोण रखते थे।  (निधन- 14 मार्च,सन् २०१०)
(२) सन् १९२२- जॉर्ज केल, बेसबॉल खिलाड़ी (निधन-सन् २००९)
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'२४ अगस्त का ऐतिहासिक महत्व'२४ अगस्त कैलंडर(२०११) ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २३६वॉ (लीप वर्ष मे २३७वॉ) दिन है। साल मे अभी और १२९ दिन बाकी है।२४ अगस्त का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं---
(१) सन् १६००- इस्ट इंडिया कंपनी का पहला जहाज, हेक्टर, सूरत के तट पर पहुंचा |
(२) सन् १६९०- कलकत्ता शहर का स्थापना दिवस।
(३) सन् १८२१- मैक्सिको स्पेन के अधिकार से स्वतंत्र हुआ। मेक्सिको पॉच हज़ार वर्ष पुराना इतिहास रखता है यह प्राचीन सम्यताओं और संस्कृतियों का केंद्र रहा है।सन् १५१८ ईसवी में स्पेन के लोग मैक्सिको में घुसे और इस देश में आंतरिक मतभेद का लाभ उठाते हुए अपना अधिकार जमा लिया तथा बहुत से स्थानीय लोगों को मार डाला। वस्तुत: मैक्सिको अमरीका में स्पेन के प्रवेश का द्वार सिद्ध हुआ। लागभग तीन शताब्दियों तक मैक्सिको पर स्पेन का अधिकार रहा १९वीं शताब्दी में स्पेन की शक्ति में कमी आने के साथ ही मैक्सिको की जनता का विद्रोह आरंभ हो गया और अंतत: सन् १८२१ ईसवी में आज के दिन यह देश स्वतंत्र हो गया।
(४) सन् १८५९- फ़्रांस के प्रसिद्ध वैज्ञानिक पीयर कयूरी का जन्म हुआ। उन्होंने अपनी विख्यात अविष्कारक पत्नी मैडम क्यूरी की सहायता से रेडियम की खोज की।
(५) सन् १९२५- समाजसुधारक रामकृष्ण गोपाल भंडारकर का निधन हो गया।
(६) सन् १९२९- फ़िलिस्तीन के बैतुल मुक़ददस नगर नुदबा में नुदबा दीवार आंदोलन आरंभ हुआ। यह दीवार बैतुल मुक़ददस नगर के पश्चिमी भाग में है और मुसलमानों के निकट पवित्र स्थल है। फ़िलिस्तीनियों ने जायोनी शासन के अतिग्रहण के विरुद्ध यहीं से आंदोलन आरंभ किया जो पूरे फ़िलिस्तीन में फैल गया। किंतु ब्रिटेन की भरपूर सहायता से जायोनी शासन ने सैनिक कार्रवाई करके क्रान्तिकारियों का दमन आरंभ कर दिया। और एक सप्ताह बाद यह आंदोलन अस्थायी रुप से शांत हो गया।
(७) सन् १९६९- वराह वेंकट गिरी भारत के चौथे राष्ट्रपति बने
(८) सन् १९७४- फखरूदीन अली अहमद भारत के पांचवें राष्ट्रपति बने
(९) सन् १९९१- यूक्रेन ने पूर्व सोवियत संघ से स्वतंत्रता की घोषणा की। रुस ने सत्तरहवीं शताब्दी के मध्य में पोलैंड के अधिकार वाले युक्रेन देश पर अपना नियंत्रण स्थापित करना आरंभ किया था। किंतु रुस में कम्युनिस्ट क्रान्ति के पश्चात यूक्रेन सोवियत संघ का सदस्य देश बना और सन् १९९१ में इस संघ से स्वतंत्र हो गया।
(१०) सन् २००३- नरेंद्र मोदी जी ने २४ अगस्त २००३ को महान स्वतंत्रता सेनानी श्री श्याम जी कृष्ण वर्मा का अस्थिकलश जेनेवा से लाये | श्याम जी की इच्छा थी कि उनके कलश को स्वतंत्र भारत में ही प्रवाहित किया जाये और यह सौभाग्य मोदी जी को प्राप्त हुआ | 
(११) सन् २००८- पेइचिंग ओलपिक का समापन इसमें चीन ५१ स्वर्ण पदकों के साथ शीर्ष पर रहा |

२४ अगस्त को जन्मे प्रसिद्द व्यक्ति:-
(१) सन् १८५९- फ़्रांस के प्रसिद्ध वैज्ञानिक पीयर कयूरी का जन्म हुआ।
(२) सन् १९२२- रीने लेवेस्की, क्यूबा के तेइसवें प्रीमियर (निधन-सन् १९८७)
(३) सन् १९२२- हावर्ड ज़िन, अमेरिकी सामाजिक कार्यकर्ता और इतिहासकार (ए पीपुल्स हिस्ट्री ऑफ युनाइटेड स्टेट्स)
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'२५ अगस्त का ऐतिहासिक महत्व'२५ अगस्त कैलंडर(२०११) ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २३७वॉ (लीप वर्ष मे २३८वॉ) दिन है। साल मे अभी और १२८ दिन बाकी है।२५ अगस्त का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं---
(१)सन् १०९५- ईसाइयों और मुसलमानों के बीच सलीबी युद्ध का क्रम आरंभ हुआ। ईसाइयों ने चिदित रुप से बैतुल मुक़ददस और वस्तुत: समस्त अस्लामी क्षेत्रों पर अधिकार करने के उददेश्य से पुरब की ओर बढ़ना आरंभ किया। गिरजाघर से संबंधित लोग इस युद्ध में अपने कॉधों और वस्त्र पर रेड क्रॉस का चिन्ह बनाये हुऐ थे जिससे यह युद्ध सलीब अर्थात क्रूसेड के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
(२)सन् १३५१- सुल्ता्न फिरोजशाह तुगलक तृतीय की ताजपोशीसन् १८२५ - यूरोगुवे देश ब्राज़ील से स्वतंत्र हुआ। अत: २५ अगस्त को इस देश का राष्ट्रीय दिवस घोषित किया गया। इस देश की खेज स्पेन के खोजकर्ताओं ने की। और वर्ष सन् १५१६ से यह देश पुर्तग़ाल और स्पेन के नियंत्रण में रहा। सन् १८१० से सन् १८१४ को बीच स्थानीय जनता के रक्तरंजित विद्रोह के बाद इस देश के आंशिक स्वाधीनता प्राप्त हुई वर्ष सन् १८२० ईसवी में ब्राज़ील ने इस देश पर अधिकार कर लिया। और इसे अपना एक राज्य घोषित कर दिया। किंतु ५ वर्ष के बाद लौटिन अमेरिका के स्वतंत्रता आंदोलनों के दौरान युरोगुवे भी स्वतंत्र हो गया। ब्राज़ील और अर्जेन्टाइना इसके पड़ोसी देश हैं।
(३)सन् १८८८- काशकार आंदोलन के जनक और पाकिस्तातन के निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले विद्वान अल्लामा मशरिकी का जन्म
(४)सन् १९६३- सोवियत संघ के नेता जोसेफ स्टातलिन के सोलह विरोधियों को फांसी पर चढ़ा दिया गया।
(५)सन् १९४० - लिथुआनिया, लातविया और एस्तोथनिया सोवियत संघ में शामिल हुए।
(६)सन् १९७५- भारत पोलो विश्व विजेता बना
(७)सन् १९६३- अल्लानमा मशरिका का निधन।
(८)सन् १९७७ - सर एडमंड हिलेरी का सागर से हिमालय अभियान हल्दिया बंदरगाह से शुरू
(९)सन् १९८८- ईरान और इराक के बीच आ साल युद्ध के बाद सीधी बातचीत का दौर शुरू
(१०)सन् १९९१- पूर्वी योरोप का बेलारुस देश पूर्व सोवियत संघ से स्वतंत्र हुआ। बेलारुस १४वीं शताब्दी ईसवी से लेथवानिया और सन् १५६९ ईसवी से पोलैंड के नियंत्रण में रहा। १८वीं शताब्दी में पोलैंड के विभाजन के बाद बेलारुस सोवियत संघ के अधिकार में चला गया। और प्रथम विश्व युद्ध के बाद बेलारुस पोलैंछ और रुस के बीच बॅट गया । किंतु द्वितीय विश्व युद्ध में सोवियत संघ की विजय के बाद पूरा बेलारुस सोवियत संघ का भाग बन गया। सोवियत यंघ में राजनैतिक सुधार आने के बाद इस संघ के दूसरे गणराज्यों की भॉति बेलारुस में भी जनता की स्वतंत्रता की लड़ाई तेज़ हो गयी और अंतत: यह देश स्वतंत्र हो गया।
(११)सन् २००३- मुंबइ के गेटवे आफ इंडिया और मुंबी देवी मंदिर के पास हुए कार बम विस्फोट में ५० से ज्यादा लोगों की मौत हो गई तथा १५० से अधिक घायल हो गए ।
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'२६ अगस्त का ऐतिहासिक महत्व'
२६ अगस्त ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २३८वॉ (लीप वर्ष मे २३९वॉ) दिन है। साल मे अभी और १२७ दिन बाकी है ।
२६ अगस्त का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं---
(१)सन् १३०३- अलाउद़दीन खिलजी ने चितौडरगढ पर कब्जा किया |(२)सन् १३४६- विश्व में पहली बार, युद्ध में तोप का प्रयोग किया गया। यह विध्वंसक हथियार ब्रिटेन की सेना ने फ़्रांस की सेना के विरुद्ध प्रयोग किया। जिसके कारण फ़्रांस की सेना को संख्या में अधिक होने और विजय से निकट होने के बावजूद भारी पराजय का सामना हुआ। 
(३)सन् १७४३- फ़्रांस के प्रसिद्ध रसायन शास्त्री ऐन्टोनी लेवाएज़ियर का जन्म हुआ। उन्हें आधुनिक रसायन शास्त्र का जनक कहा जाता है। उन्होंने ऑक्सीजन की खोज की।
(४)सन् १८८५- फ़्रांस के प्रख्यात लेखक रोमिन ज़ैब का जन्म हुआ।
(५)सन् १८९६- उस्मानी सेना ने आरमीनियों का जनसंहार किया। पॉच दिनों तक चले इस जनसंहार में हज़ारों लोग मारे गये।
(६)सन् १९१० - नोबेल शांति पुरस्काजर से सम्मांनित मदर टेरेसा का युगोस्ला विया में जन्म
(७)सन् १९१४ - बंगाल के क्रांतिकारियों ने कलकत्ता में ब्रिटिस बेडे पर हमला कर ५० माउजर और ४६ हजार राउंड गोलियां लूटी
(८)सन् १९२० - अमरीका में महिलाओं को मताधिकार मिला(९)सन् १९३७-ब्रिटेन को इस शर्त पर आंशिक स्वाधीनता प्रदान करने पर सहमति व्यक्त की कि स्वेज़ नहर पर उसके सम्पूर्ण अधिकार को स्वीकार किया जाए।
(१०)सन् १९४०- द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन के युद्धक विमानों ने जर्मनी की राजधानी बर्लिन पर पहली बार बमबारी की । इससे एक दिन पूर्व जर्मनी के युद्धक विमानों ने लंदन पर बमबारी की थी।
(११)सन् १९७७ - जर्मनी के शहर म्यूनिख में २०वें ओलंपिक खेलों की शुरूआत
(१२)सन् १९८२ - नासा ने टेलीसेट-एफ का प्रक्षेपण किया
(१३)सन् १९९९ - माइकल जानसन ने ४०० मीटर दौड में विश्व-रिकार्ड बनाया
(१४)सन् २००२ - दक्षिण अफ्रीका के शहर जोहानसबर्ग में पृथ्वी सम्मेलन सन् २००२ की शुरूआत हुई।
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'२७ अगस्त का ऐतिहासिक महत्व'
२७ अगस्त ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २३९वॉ (लीप वर्ष मे २४०वॉ) दिन है। साल मे अभी और १२६ दिन बाकी है ।
२७ अगस्त का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं---
(१)सन् ३२६- रोम सम्राज्य के नव स्थापित नगर कुसतुनतुनिया को इस सम्राज्य के पूर्वी क्षेत्र की राजधानी चुना गया। यह नगर तत्कालीन शासक कैनसटैन्टीन के आदेश पर बनाया गया इस लिए इसका नाम भी कैन्सटैन्टीन पूल पड़ा। किंतु बाद में बदलकर कुसतुनतुनिया हो गया। वर्ष सन् १४५३ ईसवी में यह नगर उसमानी शासक सुलतान मोहम्मद के अधिकार में चला गया और उसका नाम अस्तांबूल रख दिया गया। इस्तामबूल इस समय तुर्की का भारी जनसंख्या वाला महत्वपूर्ण नगर है। 
(२)सन् १६०४ - अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में आदि गुरू ग्रंथ साहिब की प्रतिष्ठारपना की गई।
(३)सन् १८७० - भारत के पहले मजदूर संगठन के रूप में श्रमजीवी संघ की स्थाअपना की गई।
(४)सन् १९१०-मदर टेरेसा का जन्म हुआ। निर्धनों की सहायता के लिए उन्हें अंतर्राष्ट्रीय ख्याति और सम्मान मिला। भारत के गरीबों और दुखियों की सेवा के लिए उन्हे वर्ष सन् १९७९ में नोबेल पुरुस्कार से सम्मानित किया गया। सितम्बर सन् १९९७ ईसवी को भारत के कोलकाता नगर में हृदय की गति रुक जाने से मदर द्रेसा का निधन हुआ। उस समय उनकी आयु ८७ वर्ष थी।
(५)सन् १९३९ - जेट इंधन वाले विश्व के पहले विमान ने जर्मनी से पहली उडान भरी।।
(६)सन् १९७६ - भारतीय सेना की प्रथम महिला जनरल मेजर जनरल जी अली राम मिलिट्री नर्सिंग सेवा की निदेशक नियुक्त हुई।
(७)सन् १९९० - वॉशिंगटन स्थित इराकी दूतावास के 55 में से 36 कर्मचारियों को अमरीका ने निष्का सित कर दिया।
(८)सन् १९९१- योरोप के पूरब में स्थित मॉल्डोवा देश ने स्वतंत्रता प्राप्त की। यह देश विभिन्न समय में विभिन्न जातियों और देशों के नियंत्रण में रहा। इन्में यूक्रेन उसमानी शासन रुस और रोमानिया का नाम लिया जा सकता है। रुस में वर्ष सन् १९१७ में आने वाली क्रान्ति के बाद मालडोवा रोमानिया से जुड़ गया। और द्वितीय विश्व युद्ध के अंतिम समय में जर्मनी और रोमानिया के अपने अतिग्रहित क्षेत्रों से पीछे हटने के बाद मालडोवा सोवियत संघ का एक सदस्य गणराज्य बन गया।
(९)सन् १९९९- सोनाली बनर्जी भारत की प्रथम महिला मैरिन इंजनियर बनीं।
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'२८ अगस्त का ऐतिहासिक महत्व'
२८ अगस्त ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २४०वॉ (लीप वर्ष मे २४१वॉ) दिन है। साल मे अभी और १२५ दिन बाकी है ।
२८ अगस्त का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं---
(१)सन् १७४९- युहान वुल्फगैंग गोएटे नामक जर्मनी के लेखक और कवि का जन्म हुआ। वे अपनी मात्रृभूमि फ्रैंकफर्ट में संगीत चित्रकारी और विभिन्न भाषाएं सीखने में सफल हुए। गाएटे जिन्हे जर्मन साहित्य के प्रचारकों में गिना जाता है किसी विशेष साहित्य तक सीमित नहीं थे। उनको फार्सी साहित विभिन्न साहित्यों में भी रुचि थी।(सन् १८३२ ईसवी में गोएटे का निधन)

(२)सन् १८२८-लियोन टोल्सटोए नामक रुसी लेखक और साहित्यकार का जन्म हुआ। पहले तो वे क़फ़क़ाज़ की सेना मे भर्ती हो गये और उसी दौरान बचपन नामक अपनी पहली पुस्तक की रचना की। कुछ समय बाद वे सेना से निकल गये और अपना सारा समय अध्ययन में व्यतीत करने लगे। (सन् १९१० ईसवी में उनका निधन)
(३)सन् १९०४- कलकत्ता से बैरकपुर तक प्रथम कार रैली का आयोजन

(४)सन् १९९२- श्रीलंका के मुथैया मुरलीधरन ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने टेस्टल कॅरिअर की शुरूआत की |

(५)सन् १९१४- प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी और ब्रिटेन के युद्धपोतों के मध्य भीषण लड़ाई हुई इस युद्ध में जर्मनी के चार युद्धपोत तबाह हुए और 1 हज़ार सैनिक मारे गये। जबकि ब्रिटेन की ओर से मरने वाले सैनिकों की संख्या मात्र ३३ थी। 
(६)सन् १९१६- जर्मनी ने रोमानिया के विरुद्ध युद्ध की घोषणा की और इटली ने जर्मनी के विरुद्ध युद्ध की घोषणा की, और इटली ने जर्मनी के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी

(७)सन् १९२२- विश्व में पहली बार रेडियो पर १० मिनट के लिए विज्ञान का कार्यक्रम प्रसारित किया गया। यह प्रसारण न्यूयार्क से हुआ था।
(८)सन् १९२२- जापान साइबेरिया से अपने सैनिकों को वापस बुलाने पर सहमत हुआ।
(९)सन् १९२४- जॉर्जिया में सोवियत संघ के खिलाफ हुआ विद्रोह असफल रहा। इसमें हजारों लोगों की मौत हुई।
(१०)सन् १९५६- इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेीलिया को हराकर एशेज पर कब्जा जमाया
(११)सन् १९७२- साधारण बीमा कारोबार राष्ट्री यकरण बिल पारित किया गया
(१२)सन् १९८६- भाग्यणश्री साठे शतरंज में ग्रैंडमास्टकर बनने वाली प्रथम महिला बनी
(१३)सन् १९८४- सोवियत संघ ने भूमिगत परमाणु परीक्षण किया
(१४)सन् १९९०- इराक़ ने कुवैत पर आक्रमण करके उसे अपना १९वॉ राज्य घोषित कर दिया।

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'२९ अगस्त का ऐतिहासिक महत्व'
२९ अगस्त ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २४१वॉ (लीप वर्ष मे २४२वॉ) दिन है। साल मे अभी और १२४ दिन बाकी है ।
२९ अगस्त का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं---
(१)सन् १९१५- गोटटलयेब डेमलर द्वारा बनायी गयी पहली मोटर साइकल का पंजीकरण किया गया।
(२)सन् १९४२- पाकिस्तान के गेंदबाज परवेज सज्जाद का जन्म |
(३)सन् १९४९- सोवियत संघ ने अपने पहले परमाणु बम का गुप्त परीक्षण किया। इस प्रकार परमाणु हथियारों के मैदान में अमरीका के साथ एक अन्य देश ने प्रवेश किया और दोनों देशों के मध्य शक्ति संतुलन स्थापित हुआ। इसके बाद अमरीका और रुस के मध्य शीत युद्ध आरंभ हुआ जो सोवियत संघ के विघटन तक जारी रहा।
(४)सन् १९८७- बुल्गातरिय की स्टेडका कोस्टांडिनोवा ने महिलाओं की उंची कूद में विश्व रिकार्ड बनाया |
(५)सन् १९९१- डेन ओब्रिवन ने डेकाथलोन में ८८१२ अंकों के साथ विश्व रिकार्ड बनाया |
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'३० अगस्त का ऐतिहासिक महत्व'
३० अगस्त ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २४२वॉ (लीप वर्ष मे २४३वॉ) दिन है। साल मे अभी और १२३ दिन बाकी है ।
३० अगस्त का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं---
(१)सन् १९०- जर्मनी के अविष्कारक निकोला केन्टे ने पेन्सिल का अविष्कार किया। उन्होंने सरकार से लिखने के लिए ग्रेफ़िट नामक एक प्रकार के नर्म पत्थरीले कोयले का प्रयोग किया और हाथ को गंदा होने से बचाने के लिए ग्रेफ़िट को दो लकड़ियों में दबा लिया। इस प्रकार से पेन्सिल बनायी गयी।
(२)सन् १८४२- एंग्लो चीन युद्ध समाप्त हुआ |
(३)सन् १८७१- न्यूज़ीलैंड में ब्रिटेन के भौतिकशास्त्री आरेंट रादरफ़ोर्ड का जन्म हुआ। उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की। अल्फ़ा गामा और बीटा नामक किरणों की खोज करने के कारण उन्हें सन् १९०८ में नोबल पुरुस्कार से सम्मानित किया गया।
(४)सन् १९२३- उत्तर-पूर्वी टर्क और केको के उष्णकटीबंधीए आँधी के साथ तूफान का मौसम शुरू हुआ।
(५)सन् १९४७- भारतीय संविधान का प्रारूप तैयार करने के लिए डॉ. भीम राव अंबेडकर के नेतृत्व में एक प्रारूप समिति का गठन किया गया |
(६)सन् १९८७- फ़िलिस्तीनी कार्टूनिस्ट नाजी अली शहीद हुए। ज़ायोनी शासन की गुप्तचर सेवा मोसाड के तत्वों ने फ़िलिस्तीन के प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट नाजी अली पर लंदन में जानलेवा आक्रमण किया और ३८ दिनों तक मूर्छित रहने के बाद आज के दिन उनकी मौत हो गयी।
(७)सन् १९९१- आज़रबाइजान गणराज्य ने पूर्व सोवियत संघ से अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की तीसरी शताब्दी ईसवी के आरंभ से यह क्षेत्र ईरान के सासानी शासकों के नियंत्रण में आ गया और उसके बाद बहुत समय तक ईरान का भाग रहा।
(८)सन् २००३- समाजवादी पार्टी के नेता मुलायमसिंह यादव तीसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने |
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'३१ अगस्त का ऐतिहासिक महत्व'
३१ अगस्त ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २४३वॉ (लीप वर्ष मे २४४वॉ) दिन है। साल मे अभी और १२२ दिन बाकी है ।
३१ अगस्त का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं---
(१)सन् १९१९- अमेरिकन कम्युनिस्ट पार्टी का गठन हुआ |
(२)सन् १९४७- हंगरी में सत्ता कम्युनिस्टों के हाथ में आ गई।
(३)सन् १९५७- पूर्वी एशिया में मलेशिया को ब्रिटिश साम्राज्य से स्वाधीनता मिली । १७वीं शताब्दी में इस देश पर हॉलैंड ने अधिकार किया सन् १८२४ ईसवी में हॉलैंड और ब्रिटेन के मध्य एक समझौते के बाद मलेशिया ब्रिटेन को और इंडोनेशिया हॉलैंड को मिला। मलेशिया का क्षेत्रफल ३३० हज़ार वर्ग किलोमीटर है थाईलैंड और इंडोनेशिया इसके पड़ोसी देश हैं। 
(४)सन् १९७८- इस्लामी जगत के प्रख्यात नेता इमाम मूसा सद्र अल्जीरिया से लीबिया जाते समय रहस्मय रूप से लापता हो गये। वे फ़िलिस्तीनियों के स्वतंत्रता संघर्ष के कड़े समर्थक थे उन्होंने लेबनान में शीया समुदाय के मुसलमानों की राजनैतिक पहचान बनाने में बड़ा योगदान दिया। उनके बारे में अभी तक कोई सूचना नहीं मिल पायी है।
(५)सन् १९९१-उज़्बकिस्तान को सोवियत संध से स्वाधीनता प्राप्त हुई। सन् १८७६ में रूस ने इसपर अधिकार किया था। ९वीं शताब्दी ईसवी में यह देश मुसलमानों के अधिकार में था किंतु १८वीं शताब्दी ईसवी के अंतिम वर्षों से इस देश में रूस का प्रभाव बढ़ा ।
(६)सन् २०१०-इराक़ में सन् २००३ से जारी अमेरिकी सैनिक हस्तक्षेप आधिकारिक रूप से समाप्त किया गया।

इतिहास की संपूर्णता असाध्य सी है, फिर भी यदि हमारा अनुभव और ज्ञान प्रचुर हो, ऐतिहासिक सामग्री की जाँच-पड़ताल को हमारी कला तर्कप्रतिष्ठत हो तथा कल्पना संयत और विकसित हो तो अतीत का हमारा चित्र अधिक मानवीय और प्रामाणिक हो सकता है। सारांश यह है कि इतिहास की रचना में पर्याप्त सामग्री, वैज्ञानिक ढंग से उसकी जाँच, उससे प्राप्त ज्ञान का महत्व समझने के विवेक के साथ ही साथ ऐतिहासक कल्पना की शक्ति तथा सजीव चित्रण की क्षमता की आवश्यकता है । स्मरण रखना चाहिए कि इतिहास न तो साधारण परिभाषा के अनुसार विज्ञान है और न केवल काल्पनिक दर्शन अथवा साहित्यिक रचना है । इन सबके यथोचित संमिश्रण से इतिहास का स्वरूप रचा जाता है ।यदि आपको भी अगस्त माह की १६ से ३१ तक विभिन्न तिथियों का ऐतिहासिक महत्त्व इसी प्रकार ऐतिहासिक महत्व के सन्दर्भ में कुछ ज्ञात हो तो आप भी हमारा ज्ञानवर्द्धन अवश्य करें....
'जय हिन्द,जय हिन्दी'

शुक्रवार, 19 अगस्त 2011

आज के सामाजिक परिवेश में वृद्ध आश्रम व्यवस्था उचित है ?



पक्ष में विचार:--
परमात्मा की परम कृपा से माता-पिता दुनिया की सबसे बड़ी नेमतों में से एक हैं, बहुत खुशनसीब हैं वह जिनकों यह दोनों अथवा इनमें से किसी एक का भी सानिध्य प्राप्त है। हमारे माता-पिता हमारी सामाजिक व्यवस्था के स्तंभ हैं, पर अफ़सोस आज यह स्तंभ गिरते जा रहे हैं ।

वह उस समय हमारी हर ज़रूरत का ध्यान रखते हैं, जबकि हमें इसकी सबसे ज्यादा ज़रूरत होती है, लेकिन जब उनको उसी स्नेह की आवश्यकता होती है तो हमारे हाथ पीछे हट जाते हैं। कहावत है कि दो माता-पिता मिलकर दस बच्चों को भी पाल सकते हैं, लेकिन दस बच्चे मिलकर भी दो माता-पिता को नहीं पाल सकते।
अफ़सोस आज दिन-प्रतिदिन वृद्ध आश्रमों की संख्या बढती जा रही है, उनमें भी अधिकतर वही लोग होतें हैं जिनके बेटे-बेटियां जिंदा और अच्छी-खासी माली हालत में होते हैं। अक्सर उम्र के इस पड़ाव पर पहुँच कर घर के बुज़ुर्ग अपने आप को अलग-थलग महसूस करने लगते हैं। संवेदनहीनता के इस दौर में अपने ही इनकी भावनाओं को समझने में नाकाम होने लगते हैं। मुझे आज भी याद है किस तरह मेरे नाना-नानी का रुआब घर पर था, उनकी हर बात को पूर्णत: महत्त्व मिलता था, लेकिन इस तरह का माहौल आज के दौर में विरले ही देखने को मिलता है। आज बुजुर्गों की बातों को अनुभव भरी सलाह नहीं बल्कि दकियानूसी समझा जाता है। उनकी सलाहों पर उनके साथ सलाह-मशविरे की जगह सिरे से ही नकार दिया जाता है। आज के माहौल और दिन-प्रतिदिन गिरती मानवीय संवेदना को देखकर लगता है कि हमारे वतन में भी वोह दिन दूर नहीं जब बुजुर्गों की सुध लेने वाला कोई नहीं होगा! जबकि हर एक धर्म में बुजुर्गों से मुहब्बत और उनका ध्यान रखने की शिक्षाएं हैं, लेकिन बड़े-बड़े धार्मिक व्यक्ति भी इस ओर अक्सर बेरुखें ही हैं। क्योंकि उन्होंने धर्म को आत्मसात नहीं किया बल्कि केवल दिखावे के लिए ही उसका प्रयोग किया। संस्कार और धार्मिक बातें चाहे लोगो को उपदेश लगे या किसी की समझ में ना आएं, लेकिन हमें हमेशा उनको दूसरों तक पहुँचाने की कोशिश कानी चाहिए । क्योंकि अगर इसी तरह धर्म की चर्चा करते रहें  तो कम से कम हम तो अवश्य ही उनपर अमल करने वाले बन जाएगें । वर्तमान समय में वृद्ध वर्ग की परिस्थितियों के कुछ नमूने दृष्टव्य  हैं.....

भारत की औद्योगिक राजधानी मुंबई में रहने वाली 92 साल की लक्ष्मीबाई का आरोप है कि उनके पोते और दामाद ने उनकी पिटाई की है. वो बताती हैं, "मेरे पोते और दामाद मुझे बुरी तरह मारते जा रहे थे. कहते जा रहे थे, हम तुम्हें मार देंगे | मेरी उम्र हो चुकी है और मैं अपना बचाव नहीं कर पा रही थी. मेरे शरीर पर कई जगह से खून निकल रहा था, इसके बाद उन्होंने मुझे किसी गठरी की तरह कार में फेंका और मेरी बेटी के घर लाकर पटक दिया."
जब तीस साल पहले जब हेल्पएज इंडिया ने वृद्ध आश्रम तैयार किए थे तो लोगों ने कहा था कि ये तो पश्चिमी तरीका है, लेकिन आज हर कोई मान रहा है ये पश्चिमी तरीका नहीं, ये हक़ीकत है |
लेकिन लक्ष्मी के पोते विनय पालेजा इन आरोपों से इनकार करते हैं | उनका कहना है, "मैंने तो अपनी दादी को हाथ तक नहीं लगाया. उन्होंने खुद अपने आप को घायल कर लिया है | मुझे नहीं मालूम कि वो हम लोगों के ख़िलाफ़ इस तरह के आरोप क्यों लगा रही हैं |" अपनी बेटी के घर इलाज करा रहीं लक्ष्मीबाई का कहना है कि उनके पास अब कुछ नहीं बचा है | इस बुज़ुर्ग महिला के पास जो थोड़ी बहुत ज़मीन और सोना था वो उन्होंने अपने और अपने बेटे के इलाज के लिए बेच दिया, लेकिन उनके परिवार ने उनके इलाज के लिए एक पैसा ख़र्च नहीं किया | ये मामला अब अदालत में जाएगा, लेकिन कानून की धीमी गति देखकर लगता नहीं कि इंसाफ़ पाने तक लक्ष्मीबाई ज़िंदा रह पाएँ |प्रतिदिन वृद्ध आश्रमों की संख्या बढने का कारण टूटते संयुक्त परिवार हैं | भारत में पिछले कुछ सालों में बुज़ुर्गों को मारने-पीटने और घर से निकाल देने के मामले काफ़ी तेज़ी से बढ़े हैं | अगले 25 सालों में भारत में 10 करोड़ से ज़्यादा बुज़ुर्ग होंगे | भारत जिसकी संस्कृति ये है कि बच्चे अपने बुज़ुर्गों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेते हैं. जहाँ संयुक्त परिवार में एक साथ तीन पीढ़ियाँ एक छत के नीचे हंसी-खुशी अपना जीवन यापन करती हैं | ये संयुक्त परिवार बुज़ुर्गों के लिए उनके आख़िरी वक्त में एक बड़ा सहारा हुआ करते थे, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं | ज़्यादा से ज़्यादा बच्चे अब अपनी ज़िंदगी को बेहतर बनाने के लिए अपने पैतृक घरों को छोड़ रहे हैं | समाजशास्त्रियों का मानना है कि नौजवानों में आधुनिक तौर-तरीके से जीने की ललक और व्यक्तिगत ज़िंदगी गुज़ारने की सोच की वजह से बुज़ुर्ग इस तरह से जीने के लिए मजबूर हैं | कई मामलों में तो उन्हें बुरी-बुरी गालियाँ तक सुननी पड़ती हैं | वृद्धों के साथ हो रहे सौतेले बर्ताव को देखते हुए भारत सरकार ने पिछले दिनों एक नया विधेयक भी तैयार किया था | इस विधेयक में स्पष्ट कहा गया है कि हम संयुक्त परिवार का ढांचा दोबारा नहीं विकसित कर सकते, लिहाज़ा हमें और वृद्ध आश्रम बनाने होंगे | सरकार ने बुज़ुर्गों और माता-पिता के कल्याण के लिए तैयार किए इस विधेयक के मुताबिक ऐसे बच्चों को तीन महीने की सज़ा भी हो सकती है जो अपने माता-पिता की देखरेख से इनकार करते हैं | इस क़ानून के मुताबिक अदालत अगर आदेश देती है तो बच्चों को अपने बुज़ुर्गों के लिए भत्ता भी देना होगा | भारत में बुज़ुर्गों की मदद के लिए काम करने वाली स्वयं सेवी संस्था हेल्पएज इंडिया की शोध बताती है कि अपने परिवार के साथ रह रहे क़रीब 40 प्रतिशत बुज़ुर्गों को मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना झेलनी पड़ती है | लेकिन छह में से सिर्फ़ एक मामला ही सामने आ पाता है | दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ नागरिक सेल के केवल सिंह मानते हैं कि बुज़ुर्ग माता-पिता के लिए अपने बच्चों के ख़िलाफ़ ही शिकायत करना काफ़ी मुश्किल होता है | केवल सिंह कहते हैं, "जब इस तरह के बुज़ुर्ग अपने बच्चों के ख़िलाफ़ आपराधिक मामला दर्ज कराने का फ़ैसला कर लेते हैं तो उनका रिश्ता अपने परिवार से पूरी तरह टूट जाता है" उनका कहना था, "इस तरह के मामलों में हमेशा क़ानून और जज़्बात के बीच द्वंद्व चलता रहता है" कुछ इसी तरह का मामला दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु के इरोड शहर में भी पेश आया | यहाँ 75 साल की एक वृद्ध महिला शहर के बाहरी हिस्से में पड़ी पाई गई थी | लोगों का आरोप था कि उनके नाती और दामाद ने उन्हें वहाँ लाकर डाल दिया था. कुछ दिनों के बाद इस वृद्धा की मौत हो गई थी | लेकिन उनकी बेटी तुलसी का कहना था, "मेरी माँ कई वर्षों से मेरे साथ रह रही थी लेकिन एक रात वो अचानक बड़बड़ाने लगी और पूरी रात बोलती ही रहीं | हमने उन्हें मना भी किया लेकिन वो नहीं मानीं और अचानक घर छोड़कर चली गईं" ग़रीबी और रोज़गार की तलाश में बच्चों के बाहर जाने की वजह से बुज़ुर्गों को इस तरह का बर्ताव झेलना पड़ रहा है, सरकार ने सख्त कानून भी बनाया है लेकिन हल दिखाई नहीं देता | भारत में सात करोड़ से ज़्यादा आबादी बुज़ुर्गों की है. अगले 25 वर्षों में ये 10 करोड़ तक पहुँच जाएगी | सरकार ने भी देश भर में 600 वृद्ध आश्रम तैयार कराने को मंज़ूरी दे दी है | हेल्पएज इंडिया के मैथ्यू चेरियन का मानना है कि क़ानून बनाने से ये समस्या हल नहीं होने वाली है | उनका कहना है,'' आप परिवारों को टूटने से नहीं रोक सकते. हम संयुक्त परिवार का ढांचा दोबारा नहीं विकसित कर सकते, लिहाज़ा हमें और वृद्धआश्रम बनाने होंगे, तीस साल पहले जब हेल्पएज इंडिया ने वृद्ध आश्रम तैयार किए थे तो लोगों ने कहा ये तो पश्चिमी तरीका है, लेकिन आज हर कोई मान रहा है ये पश्चिमी तरीका नहीं, ये हक़ीकत है |"
अत: मेरा यही मानना है कि आज के सामाजिक परिवेश में वृद्ध आश्रम व्यवस्था उचित है |

विपक्ष में विचार--

हमारे समाज में वृद्धों को सम्मान का पात्र बताया गया है, लेकिन शास्त्रों में भी इस अवस्था का चित्रण है और वह अत्यंत दयनीय है । उसे सुनकर भी वृद्धों की घबराहट बढ़ जाती है । एक वर्णन देखिए:- वैराग्य शतक में भर्तृहरि लिखते हैं, ' शरीर पर झुर्रियां पड़ गई हैं । चलने- फिरने की सामर्थ्य समाप्त हो गई है। दाँत टूट गए हैं, दृष्टि नष्ट हो गई है । पत्नी भी सेवा नहीं करती । पुत्र भी शत्रु जैसा व्यवहार करता है । '
क्या यह वर्णन सही है ? अधिकांश का उत्तर होगा , हाँ ! पर ऐसा है नहीं है । यदि ऐसा है तो उसके अन्य कारण हैं । यह सच है कि वर्तमान में अधिकांश वृद्ध दुखी हैं और तनावग्रस्त हैं । जिन वृद्धों के पुत्र उनकी भावनाओं का सम्मान नहीं करते, वे जमाने को कोसते हुए दुखी हैं और जो वृद्ध पुत्रों के ताने सुनकर उनके साथ रहने को मजबूर हैं, वे भी दुखी हैं । अपने परिवार के लिए खून-पसीना बहाकर, पेट काटकर, झूठे-सच्चे धंधे कर जिन्होंने कल्पना की थी कि वृद्धावस्था में उनका परिवार उनकी सेवा करेगा, वे निराश हैं । यह सेवा मिल नहीं रही, लेकिन उन्हें स्मरण रखना चाहिए कि बेटों को पालना उनका कर्तव्य था । वह कोई उद्योग-धंधों में किया गया निवेश नहीं था । भगवान कृष्ण ने इसीलिए कर्म पर अधिकार बताया है, फल पर नहीं ।
ऋषि- मुनियों ने इस परिस्थिति को समझा था । इसलिए वानप्रस्थ में वृद्धों के आश्रम में रहने की व्यवस्था बनाई, जिसमें वृद्ध जन , परिवार के मायामोह से दूर निकलें और वृहद समाज के कल्याण में सक्रिय हों । जो वृद्ध आज की स्थिति को जान-समझकर, किसी अलग स्तर पर सक्रिय हैं- वे बिल्कुल तनावग्रस्त या दुखी नहीं हैं । किंतु जो धन, मकान, जायदाद और परिवार के मोह में फंसे हुए हैं, उनका दुखी होना स्वाभाविक है । जो वृद्ध सामाजिक या राजनीतिक कार्यों में लगे हैं, उन्हें शिकायत करने का समय ही नहीं है ।
दुनिया में अनेक राजनेता हैं, जो वृद्ध हैं । यदि आप सोचें कि नेताओं को मिलने वाली सुविधाएं और सम्मान उन्हें प्रसन्न रखते हैं, तो ऐसे भी अनेक उदाहरण हैं, जो राजनेता नहीं है, लेकिन बुढ़ापे में भी अपना जीवन अत्यंत उत्साह से जी रहे हैं । प्रसिद्ध ज्योतिषी कीरो ने अस्सी वर्ष की उम्र में फ्रेंच सीखना आरंभ किया । लोगों ने 
कीरो से पूछा, ' इस उम्र में इसका क्या लाभ ?' कीरो ने हंसकर जवाब दिया, ' माया-मोह , ईर्ष्या-द्वेष सीखने से तो फ्रेंच सीखना ही अच्छा है । महात्मा गाँधी व संत विनोबा अंतिम समय तक संस्कृत और उर्दू पढ़ते रहे। सिसरो ने 63 वर्ष की उम्र में अपना एक ग्रंथ पूरा किया और कहा, अब लग रहा है कि अपने पीछे दुनिया के लिए कुछ छोड़ रहा हूँ । अतिवृद्धावस्‍था को झेल रहे लोगों का जीवन हमारे सामने एक भयावह सच उपस्थित करता है, जिसे देखकर हम कांप से जाते हैं । हमारे बुजुर्गों की 50 से 70 वर्ष की उम्र तक के वर्ग के अनुभवों द्वारा अपने से बडों की सीख के महत्‍वपूर्ण होने से इंकार नहीं किया जा सकता। इसलिए इस उम्र के लोगों के अनुभव से लाभ उठाते हुए उनकी हर बात में से कुछ न कुछ सीखने की प्रवृत्ति व्‍यक्ति को विकसित करनी चाहिए । पर जब हम स्‍वयं 50 वर्ष के हो जाते हैं, तो बडों के समान हमारे विचारों का भी पूरा महत्‍व हो जाता है , हां 60 वर्ष की उम्र तक के व्‍यक्ति से उन्‍हें कुछ सीख अवश्‍य लेनी चाहिए। पर 60 वर्ष की उम्र के बाद धर्म , न्‍याय आदि गुणों की प्रधानता उनमें दिख सकती है , पर सांसारिक मामलों की सलाह लेने लायक वे नहीं होते हैं।पर जब उम्र बढती हुई 70 वर्ष के करीब या पार कर जाती है , तो व्‍यक्ति के स्‍वास्‍थ्‍य के साथ ही साथ उसकी मानसिकता बहुत अधिक बदल जाती है। इन अतिवृद्धों के शारीरिक या मानसिक कमजोरियों के बोझ को न उठाना हमारी कायरता ही मानी जाएगी। आखिर बचपन में उन्‍होने हमें उससे भी अधिक लाचार स्थिति में संभाला है। ऐसे बुजुर्गों को उनके किसी रूचि के कार्य में उलझाए रखना अति उत्‍तम होता है। पर यदि वे कुछ करने से भी लाचार हो , तो उनका ध्‍यान रखना हमारा कर्तब्‍य है। यदि वे दिन भर सलाह देने का काम करते हों , जिनकी आज कोई आवश्‍यकता नहीं , तो बेहतर होगा कि हम एक कान से उनकी बात सुने और दूसरे ही कान से निकाल दें , पर किसी प्रकार की बहस कर उनका मन दुखाना उचित नहीं है , बस उनकी आवश्‍यकता की पूर्ति करते रहें , वे खुश रहेंगे !!वैदिक काल में सौ वर्ष की आयु को अच्छी आयु समझा जाता था । इसीलिए सौ वर्ष की आयु की कामना व्यक्त की गयी है, वह भी पूर्ण कायिक तथा मानसिक स्वास्थ्य के साथ । वैदिक काल से ही मनुष्य जीवन में यह इच्छा व्यक्त की गयी है कि हमें पूर्ण स्वास्थ्य के साथ सौ वर्ष का जीवन मिले, और यदि हो सके तो सक्षम एवं सक्रिय इंद्रियों के साथ जीवन उसके आगे भी चलता रहे ।
ऋग्वेद में भी उपर्युक्त आाशय वाली ऋचा का उल्लेख कर रहा हूं ।
भद्रं कर्णेभिः शृणुयाम देवा भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः ।
स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवांसस्तनूभिर्व्यशेम देवहितं यदायुः ॥
(ऋग्वेद मंडल 1, सूक्त 89,
उपर्युक्त ऋचा का भावार्थ:-- हे देववृंद, हम अपने कानों से कल्याणमय वचन सुनें । जो याज्ञिक अनुष्ठानों के योग्य हैं (यजत्राः) ऐसे हे देवो, हम अपनी आंखों से मंगलमय घटित होते देखें । नीरोग इंद्रियों एवं स्वस्थ देह के माध्यम से आपकी स्तुति करते हुए (तुष्टुवांसः) हम प्रजापति ब्रह्मा द्वारा हमारे हितार्थ (देवहितं) सौ वर्ष अथवा उससे भी अधिक जो आयु नियत कर रखी है उसे प्राप्त करें (व्यशेम) । तात्पर्य है कि हमारे शरीर के सभी अंग और इंद्रियां स्वस्थ एवं क्रियाशील बने रहें और हम सौ या उससे अधिक लंबी आयु पावें ।

वृद्धावस्था कोई अपराध नहीं है । अपितु झुर्रियों से भरे चेहरे और हाथों में भी एक आकर्षक सौंदर्य होता है । आशीर्वाद का उठा हाथ ही युवकों के लिए पर्याप्त है । आगे की पीढ़ी अपना कर्तव्य करती है या नहीं, इसकी चिंता आप क्यों करते हैं । हर व्यक्ति अपने कर्म आप ही भुगतता है । अतएव मेरा यही मानना है कि आज के सामाजिक परिवेश में वृद्ध आश्रम व्यवस्था उचित नहीं है |