शुक्रवार, 29 अप्रैल 2011

"ज्योतिष का विवाह में महत्व"

दो प्रश्न लोगों द्वारा सबसे ज्यादा पूछे जाने वाले प्रश्न हैं ...........

दो ज्योतिषी एक ही कुंडली पर अलग अलग व्याख्या देते हैं
ज्योतिषियों की सलाह से कराया गया विवाह भी क्यों असफल हो जाता है।

यह दो प्रश्न लोगों द्वारा सबसे ज्यादा पूछे जाने वाले प्रश्न हैं जिन पर कौतूहलता बनी रहती है।
पहले सवाल का जवाब देना आसान है, ऐसा नहीं है कि कुंडलियों को मिलाने का कोई निश्चित प्रारूप है। प्रत्येक ज्योतिषी का अपना प्रारूप, प्राथमिकताएं, निजी धारणा, पसन्द नापसन्द है जो उनके निर्णय को प्रभावित करती है। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि अलग अलग ज्योतिषियों की राय अलग अलग क्यों होती है।
दरअसल एकसमान प्रारूप की आवश्यकता का समय आ गया है। उन सभी प्रक्रियाओं में जिनमें विज्ञान लागू होता है इस तरह के प्रारूप बनाए गए हैं जिनमें सख्त दिशानिर्देश भी दिए गए हैं।

दूसरा प्रश्न ज्यादा कठिन है। ज्योतिष के द्वारा विवाह के जोड़े बनाए जाने में तीन कारक शामिल हैं- पहला उपभोक्ता, दूसरा ज्योतिषी और तीसरा ज्योतिष। कुछ दशक पहले तक माता-पिता अपने बच्चों को एक ही जाति और समान सामाजिक स्तर वाले परिवार में शादी करने पर जोर देते थे। उनकी प्राथमिकता मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ होने के साथ अच्छी आदतें भी होता था।
लड़के के माता-पिता वधू से खुशहाली लाने के साथ उसके द्वारा घर-परिवार का आदर सम्मान, देखभाल, और पति के प्रति वफादारी की उम्मीद करते थे। वहीं वधू के माता-पिता उससे उनकी पुत्री को अच्छा और सुरक्षित जीवन देने के साथ परिवार का सहयोग करने की आशा करते थे। अत: इन्हीं आशाओं को ध्यान में रखकर ज्योतिष के नियम बनाए गए।

हालांकि आज स्थिति बदल गई है। जहां जाति को आज भी ध्यान में रखा जाता है, वहीं हर प्रक्रिया के पीछे पैसा प्राथमिकता बन गया है, शादी विवाह को भी इससे हटकर नहीं देखा जा सकता। आज लड़की के माता-पिता सोचते हैं कि उनका होने वाला दामाद अमेरिका में काम करता हो और उसकी तनख्वाह डॉलर में हो। अक्सर परिवार के लोग बच्चों के सामाजिक स्तर, और उनके लक्ष्य को ध्यान में रखकर भी विवाह करवा देते हैं। उन्हें लगता है कि इससे उनके जीवन में साम्य बना रहेगा।

कई बार ऐसा भी होता है कि लोग ज्योतिषी को कुंडली दिखाकर और सभी जानकारियां देकर यह कहते हैं कि वे इस रिश्ते के लिए तैयार हैं और वे उनकी हामी के बिना भी विवाह कर सकते हैं। यदि ज्योतिषी इसके लिए न भी करता है तो भी वे बार बार उनके समक्ष तब तक यह प्रस्ताव रखते हैं जब तक कि वो तैयार न हो जाए। आजकल एक ज्योतिषी के लिए सबसे अच्छा करार वो है जिसमें उसे अच्छी रकम मिले।

कुछ ज्योतिषी मानते हैं कि किसी विशेष जोड़ी को न कहने से उनके माता पिता को बहुत दुख पहुंचेगा जो यह चाहते हैं कि उनके पुत्र या पुत्री का विवाह उसी व्यक्ति से हो।

इन ज्योतिषियों के लिए किन्हीं दो कुंडलियों में केवल 50 फीसदी ही साम्य होता है।

एक ज्योतिषी का कहना है कि आजकल कुंडलियों में 30 फीसदी का मिलान काफी होता है। कुछ वर्ष पहले तक यह मिलान यदि 70 फीसदी भी होता था तो इसे बुरा कहा जाता था।

आज की स्वतंत्र नारी, शादी के लिए अपने साथी से सुरक्षा के साथ साथ आर्थिक समर्थन भी चाहती है। इसी प्रकार लड़के भी कमाने वाली लड़की से विवाह करना चाहते हैं। इस वजह से उनमें मानसिक स्तर और अपने अहम को लेकर टकराव हो सकता है। इसके अलावा रहन सहन के तरीके, उद्देश्य, जीवन का लक्ष्य, बच्चों और परिवार के लिए नजरिया भी तकरार का कारण बन सकता है। जिससे आगे चलकर विवाह टूट भी जाता है।

इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए मैंने एक ऐसी प्रणाली को विकसित करने की कोशिश की है जिसके तहत पूरे क्षेत्र की तुलना पांच पंखुड़ियों में करनी होगी। पहला पेटल मंगल की स्थिति के साथ तुलनात्मक है। यह ज्योतिष में बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि मंगल लड़ाई, झगड़ा, अलगाव वाला ग्रह है।

दूसरी पंखुड़ी चन्द्र राशि के तुलनात्मक है। चन्द्रमा वह ग्रह है जोकि दिमाग, मानसिक स्थिति, प्रोत्साहन, भय और डर, रचनात्मकता, स्मरण और महसूस करने से संबंधित होता है। अत: इनमें कुछ साम्य होना चाहिए जिससे विवाह सफल हो सके।
इस पंखुड़ी में तीन इकाईयां हैं, रासि, रसि और वस्य। तीसरी पंखुड़ी नक्षत्र पर आधारित है। राशिचक्र को 12 राशियों और 27 नक्षत्रों में बांटा गया है। चन्द्रमा की स्थिति यह दर्शाती है कि किस नक्षत्र का है। नक्षत्र व्यक्ति के भौतिक, मानसिक और आत्मिक कारकों पर निर्भर करते हैं। इस पंखुड़ी में आठ कारक हैं, वेधा, दीना, स्त्री, दीर्घ, महेन्द्र, योनि, रज्जु, नाड़ी और गण।

चौथी पंखुड़ी कर्म को दर्शाती है। और पांचवी ग्रहों के बीच साम्य को।

इन सभी पंखुड़ियों के कारकों का गहन अध्ययन करना चाहिए। यह आधुनिक ज्योतिषी का कर्तव्य है कि इस बात कि व्याख्या दे कि हर विवाह के अभिसारी और अपसारी क्षेत्र होते हैं। केवल वह ही यह बता सकता है कि कुंडली में अपसारी क्षेत्र की तुलना में अभिसारी क्षेत्र कितना है। एक बार विचलन का क्षेत्र बता देने पर यह बात उस जोड़े पर निर्भर करती है कि वे विवाह करते हैं या नहीं। इसमें ज्योतिषी निर्णय नहीं लेता है बल्कि वे स्वयं निर्णय लेते हैं। वेदिक ज्योतिष आधुनिक विवाह संस्कार के लिए सही और गलत का अंतर बताते हैं, लेकिन यह नहीं बताते हैं कि आप किससे विवाह करें ।
 

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