शनिवार, 11 जून 2011

"दोस्ती का रिश्ता"



हमारी दोस्ती एक जीवन भर, कभी वर्तमान धागा है !आप ऐसे किसी भी व्यक्ति के दोस्त बन सकते हैं, जिस पर आप विश्वास कर सकें ! दोस्ती के रिश्ते में कुछ खास उम्मीदें नहीं होती हैं। दोस्तों के साथ देने के बावजूद हम उन पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते और उनको ग्रांटेड लेने लगते हैं। एक दोस्ती के लिए जरूरी है कि एक उदार होना चाहिए ,एक अन्य गुणवत्ता एक दोस्ती के लिए जरूरी है कि यह नि: शुल्क है. यह एक स्वतंत्र दान या किसी अन्य के लिए एक व्यक्ति की पेशकश मैत्री है कभी सुना या क्या आपने कभी देखा है, पिता, पुत्र, माँ बेटी, पति पत्नी, बॉस-मातहत, भाई एक मित्र के रूप में ? हाँ, हो सकता है लेकिन कितनी बार और वास्तविक कैसे ? इसलिए, मैं कहता हूँ, दोस्ती पसंदका एक रिश्ता है !!

"रूठें कैसे नहीं बचे अब,
मान मनोव्वल के रिश्ते,
अलगे-से चुपचाप चल रहे,
ये पल दो पल के रिश्ते !!"
एक दोस्ती अकेलापन या अवसाद या यहाँ तक कि ऊब के लिए एक इलाज हो सकता है ! लेकिन यह सिर्फ़ इन समस्याओं का एक इलाज के लिए होने से अधिक होना चाहिए, इनका गुण है कि एक ठोस और आदर्श दोस्ती के लिए नेतृत्व ? 

"सच्चे मन से अपना दोस्त""ना ज़मीन, ना सितारे, ना चाँद, ना रात चाहिए,
दिल मे मेरे, बसने वाला किसी दोस्त का प्यार चाहिए,
ना दुआ, ना खुदा, ना हाथों मे कोई तलवार चाहिए,
मुसीबत मे किसी एक प्यारे साथी का हाथों मे हाथ चाहिए,
कहूँ ना मै कुछ, समझ जाए वो सब कुछ,
दिल मे उस के, अपने लिए ऐसे जज़्बात चाहिए,
उस दोस्त के चोट लगने पर हम भी दो आँसू बहाने का हक़ रखें,
और हमारे उन आँसुओं को पोंछने वाला उसी का रूमाल चाहिए,
मैं तो तैयार हूँ हर तूफान को तैर कर पार करने के लिए,
बस साहिल पर इन्तज़ार करता हुआ एक सच्चा दिलदार चाहिए,
उलझ सी जाती है ज़िन्दगी की किश्ती दुनिया की बीच मँझदार मे,
इस भँवर से पार उतारने के लिए किसी के नाम की पतवार चाहिए,
अकेले कोई भी सफर काटना मुश्किल हो जाता है,
मुझे भी इस लम्बे रास्ते पर एक अदद हमसफर चाहिए,
यूँ तो 'मित्र' का तमग़ा अपने नाम के साथ लगा कर घूमता हूँ,
पर कोई, जो कहे सच्चे मन से अपना दोस्त, ऐसा एक दोस्त चाहिए !"

अब आप इंटरनेट एक्सपर्ट हो गये हो ! आपका प्रोफाइल ओर्कूट, फसेबूक, रेडिफ … सब साइट पर है | आप के बहुत दोस्त हैं और आप बहुत पॉपुलर हैं क्योंकि आप दिन में पचास सौ स्क्रॅप मेसेज करते हैं ! इंटरनेट पे बहुत दोस्त मिलेगे - लेकिन आप ध्यान से रहिए और सोच-विचार करके दोस्त बनाएँ, किसी से भी दोस्ती बनाएँ तो उस को एक बार ज़रूर मिलें, सिर्फ़ इंटरनेट की दोस्ती पर  भरोसा ना करें ! इंटरनेट पर ऐसा खतरा होता है कुछ दरिंदो से जो आपकी फोटो का ग़लत इस्तामाल करेंगे या आपको बेहूदे और अश्लील सन्देश भेजेंगे और  वो आपका ई-मेल अकाउंट हॅक करके आपके दोस्तों को भी आपके नाम से बेहूदे और अश्लील सन्देश भेज सकते हैं |
"आज यादों ने आज फिर मेरा दामन भिगो दिया,
मेरे दिल का कुसूर था मगर आँखों ने रो दिया !
मुझको नसीब था कभी सोहबत का सिलसिला,
अब शायद मेरा नसीब कि उसको भी खो दिया !
दोस्त की निगाह की कभी बारिश जो हो गई,
दोस्त के मन में जमी जो मैल थी उसको भी धो दिया !
सुकून की तलाश में कभी ज़न्नत में जब गया,
दोस्त की बेरुखी ने दिल को एक और नासूर  दिया !
जीवन के सागर में साथी है तो फिर बेगैरत क्यों हो गए,
दोस्तों की बेरुखी ने मुझको दिल का नासूर ही दिया !
दोस्तों की दोस्ती ने मुझे दो गज का कफ़न में विदा किया !
दोस्ती पर मुझको सुकून है पर जग ने क्यों रो दिया !!"
दोस्ती से पवित्र रिश्ता और कोई नहीं है लेकिन वास्तविक और आदर्श दोस्त मिलता कहाँ है ? आइये फिर हम यह विचार करें कि अपने जीवन में 'दोस्ती' करें किस से----
(१.) अपने जीवन में 'दोस्ती' करें, अपने माता-पिता से क्योंकि दुनिया में उनसे बढ़कर कोई शुभचिंतक नहीं ।
(२.) अपने जीवन में 'दोस्ती' करें, अपने गुरु से ताकि उनका मार्गदर्शन आपको भटकने ना दें ।
(३.) 
अपने जीवन में 'दोस्ती' करें,ईश्वर से ताकि संकट की घड़ी में वह हमारे काम आए ।
(४.) 
अपने जीवन में 'दोस्ती' करें, पुस्तकों से ताकि शब्द-संसार में वृद्धि होती रहे ।
(५.)
अपने जीवन में 'दोस्ती' करें, कलम से ताकि सुन्दर वाक्यों का सृजन होता रहे ।
(६.) 
अपने जीवन में 'दोस्ती' करें, अपने हुनर से ताकि आप आत्मनिर्भर बन सकें ।
(७.) 
अपने जीवन में 'दोस्ती' करें, फूलों से ताकि जीवन-बगिया महकती रहे ।
(८.) 
अपने जीवन में 'दोस्ती' करें, पक्षियों से ताकि जिन्दगी चहकती रहे ।
(९.) 
अपने जीवन में 'दोस्ती' करें, अपने आप से ताकि जीवन में कोई विश्वासघात नहीं कर सके ।
(१०.) 
अपने जीवन में 'दोस्ती' करें, रंगों से ताकि आपकी दुनिया रंगीन हो जाए ।

"अब कह दो कि नहीं चाहिए तुम्हे हमारा दोस्ती का विचार,
अब दे दो मुझे मेरे हिस्से की जमीन और मेरा आसमान,
अब हम जहाँ दो रोटियां उपजा कर सो जायेंगे आसमान ओढ़ कर,
अब बच्चों की किलकारियों के साथ नींद बहुत अच्छी आती है ||
अब हमारी हर रात कुछ ऐसे चली गयी जैसे परायी हो,
अब मुसीबतों का सूरज ऐसे चढ़ रहा ऊपर जैसे महंगाई हो |
ऐसे हमारी बेआबरू में निकला न करो घर से अपने ऐ दोस्त,
हमारी वज़ह से न जाने कहाँ किस मोड़ पर दिल की रुसवाई हो ||"

6 टिप्‍पणियां:

  1. हमारे परमप्रिय और परमादरणीय गुरुदेव,
    आपकी ओर से 'अभिव्यक्तियाँ बोलती हैं' (http://drmanojjpr.blogspot.कॉम)नामक ब्लौग का विभिन्न विषयों पर अनेक आलेखों से भरपूर अत्यंत उपयोगी तोहफा पाकर मन खुशी से झूम उठा। आपने हमें जो उपयोगी जानकारी और मार्गनिर्देशन दिया है, उसके लिए कोटि-कोटि धन्यवाद। इस संकल्प को दृढ करने हेतु आपका प्रयास निश्चय ही सराहनीय है। मन की गहराइयों को छू लिया है क्योंकि जीवन में हम सतही तौर पर विषय क्षेत्र को देखते हैं, लेकिन वे अनछुए पहलू जिन्हें हम भूल जाते हैं, उन्हें 'अभिव्यक्तियाँ बोलती हैं' ने हमें याद दिलाया है। 'अभिव्यक्तियाँ बोलती हैं' हमारे लिए सर्वोत्कृष्ट उपहार है। इसकी सभी रचनाएं जानकारीपूर्ण हैं। 'अभिव्यक्तियाँ बोलती हैं'(http://drmanojjpr.blogspot.com/) अपने आप में पूरी इनसाइक्लोपीडिया है। 'अभिव्यक्तियाँ बोलती हैं'(http://drmanojjpr.blogspot.com/) नामक आपका ब्लौग हमारे जीवन को सकारात्मक सोच से सतरंगी बनाने की प्रेरणा दे गया। थोडा सचेत प्रयास, थोडी सकारात्मक सोच, थोडी रणनीति के जरिए हम अपनी खूबियों और खामियों को पहचान कर, जीवन में सही संतुलन कायम कर सकते हैं। हमें सफलता का यह मंत्र सिखाने की कोशिश जरूर कामयाब होगी ।
    हम चाहे बात कितनी भी बड़ी बड़ी कर ले, लेकिन सच्चाई तो हम सभी जानते हैं, हमारा जीवन-मार्ग का रास्ता स्वयं ही सदगुरुदेव बनाते जाते हैं , बे पहले भी अंगुली पकडे थे अब भी हैं और कल भी रहेंगे, अंतर केवल इतना है क़ि जिसकी देखने की आँखे हैं वो देख लेता है और जिनकी नहीं हैं वे अब भी कुतर्कों के भंवर में उलझे हुए हैं......
    हम सभी शिष्य अपने गुरुदेव डॉ.मनोज चतुर्वेदीजी के श्री चरणों में समर्पित हो चुके हैं |

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  2. आपका लेखन और लेखन शैली दोनों आकर्षक हैं, साथ ही विषयवस्तु भी उपयोगी है |
    "जीवन के सागर में साथी है तो फिर बेगैरत क्यों हो गए,
    दोस्तों की बेरुखी ने मुझको दिल का नासूर ही दिया !
    दोस्तों की दोस्ती ने मुझे दो गज का कफ़न में विदा किया !
    दोस्ती पर मुझको सुकून है पर जग ने क्यों रो दिया !!"

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  3. आप ऐसे किसी भी व्यक्ति के दोस्त बन सकते हैं, जिस पर आप विश्वास कर सकें !
    दोस्ती के रिश्ते में कुछ खास उम्मीदें नहीं होती हैं।

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  4. आपने मेरी रचना की चार पंक्तियाँ लेकर उनका प्रयोग यहाँ ( रूठें कैसे ...) किया और इसके रचनाकार का नाम तक देना उचित नहीं समझा ? उल्टे लिखा कि 'इसलिए मैं कहता हूँ' । दूसरों की पंक्तियाँ उठाते समय लेखक का नाम उठाना भूल जाने की आदत को क्या कहते हैं यह तो जानते ही होंगे आप।

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  5. अकेले कोई भी सफर काटना मुश्किल हो जाता है,
    मुझे भी इस लम्बे रास्ते पर एक अदद हमसफर चाहिए,
    यूँ तो 'मित्र' का तमग़ा अपने नाम के साथ लगा कर घूमता हूँ,
    पर कोई, जो कहे सच्चे मन से अपना दोस्त, ऐसा एक दोस्त चाहिए !"
    सच्चा दोस्त वायरल होते जा रहे हैं
    बेटी बन गई बहू

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  6. आपके बताये मित्र हमेशा सात निभाते हैं पर इन्सानी रिशा्ता फिर भी चाहिये।

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