आज हिन्दी-दिवस
का दिन स्वभाषा-स्वाभिमानियों के लिये गौरव का दिन है। इस दिन हिन्दी को वह अधिकार प्रदान किया गया जिसकी वह अधिकारिणी थी,और है । आज हिन्दी-दिवस के अवसर पर सर्वप्रथम आप सभी हिन्दी राष्ट्रभाषी विद्वतजन को अनेकानेक हार्दिक शुभकामनायें और हमारी अपनी मातृभाषा हिन्दी का सादर अभिनन्दन ||
हिंदी दिवस के अवसर पर एक भावपूर्ण कविता प्रस्तुत है---"आज हम सब हिंदी दिवस तो मना रहे हैं......
लेकिन ज़रा सोचें किस बात पर इतरा रहें हैं ?
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा तो है, हिंदी सरल-सरस भी है,
वैज्ञानिक और तर्क संगत भी है।
फिर भी. . . अपने ही देश में
अपने ही लोगों के द्वारा उपेक्षित और त्यक्त है......
आप ज़रा सोचकर देखिए कि हम में से कितने लोग,
हिंदी को अपनी मानते हैं ?
कितने लोग सही हिंदी जानते हैं ?
अधिकतर तो. . .विदेशी भाषा का ही लोहा मानते हैं ।
अपनी भाषा को उन्नति का मूल मानते हैं ?
कितने लोग राष्ट्रभाषा हिंदी को पहचानते हैं ?
भाषा तो कोई भी बुरी नहीं, किंतु हम अपनी हिन्दी भाषा से
इतना परहेज़ क्यों मानते हैं?
अपने ही देश में अपनी भाषा हिन्दी की इतनी
उपेक्षा क्यों हो रही है ?
हमारी अस्मिता कहाँ सो रही है ?
व्यावसायिकता और लालच की हद हो रही है ।
इस देश में कोई तो फ्रेंच सीखता है और कोई जापानी,
लेकिन ज़रा सोचें किस बात पर इतरा रहें हैं ?
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा तो है, हिंदी सरल-सरस भी है,
वैज्ञानिक और तर्क संगत भी है।
फिर भी. . . अपने ही देश में
अपने ही लोगों के द्वारा उपेक्षित और त्यक्त है......
आप ज़रा सोचकर देखिए कि हम में से कितने लोग,
हिंदी को अपनी मानते हैं ?
कितने लोग सही हिंदी जानते हैं ?
अधिकतर तो. . .विदेशी भाषा का ही लोहा मानते हैं ।
अपनी भाषा को उन्नति का मूल मानते हैं ?
कितने लोग राष्ट्रभाषा हिंदी को पहचानते हैं ?
भाषा तो कोई भी बुरी नहीं, किंतु हम अपनी हिन्दी भाषा से
इतना परहेज़ क्यों मानते हैं?
अपने ही देश में अपनी भाषा हिन्दी की इतनी
उपेक्षा क्यों हो रही है ?
हमारी अस्मिता कहाँ सो रही है ?
व्यावसायिकता और लालच की हद हो रही है ।
इस देश में कोई तो फ्रेंच सीखता है और कोई जापानी,
किंतु हिंदी भाषा बिल्कुल अनजानी समझी जाती,
विदेशी भाषाएँ सम्मान पा रही हैं और
अपनी भाषा हिन्दी ठुकराई जा रही है ।
मेरे भारत के सपूतों ज़रा तो जागो ।
अपनी भाषा हिन्दी की ओर से यों आँखें ना बंद करो ।
विदेशी भाषाएँ आपके ज़रूर काम आएगी ।
किंतु अपनी भाषा हिन्दी तो ममता लुटाएगी।
इसमें अक्षय कोष है, प्यार से उठाओ,
इसकी ज्ञान राशि से जीवन महकाओ ।
आज यदि कुछ राष्ट्रभावना है तो राष्ट्रभाषा हिन्दी को अपनाओ ।"
विदेशी भाषाएँ सम्मान पा रही हैं और
अपनी भाषा हिन्दी ठुकराई जा रही है ।
मेरे भारत के सपूतों ज़रा तो जागो ।
अपनी भाषा हिन्दी की ओर से यों आँखें ना बंद करो ।
विदेशी भाषाएँ आपके ज़रूर काम आएगी ।
किंतु अपनी भाषा हिन्दी तो ममता लुटाएगी।
इसमें अक्षय कोष है, प्यार से उठाओ,
इसकी ज्ञान राशि से जीवन महकाओ ।
आज यदि कुछ राष्ट्रभावना है तो राष्ट्रभाषा हिन्दी को अपनाओ ।"
(साभार)
'जय हिन्द,जय हिन्दी'
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