मंगलवार, 26 अप्रैल 2011

'मधुमेह रोग के लिए जागरूकता'


मधुमेह रोग आज सबसे व्यापक रोग के रूप में उभर कर सामने आ रहा है। शायद ही कोई होगा जो ‘डायबिटिज’, ‘मधुमेह’, ‘शुगर’ की बीमारी से अपरिचित हो। ऐसा भी नहीं कि यह बीमारी प्राचीन युग में नही थी !मधुमेह के मरीज को बार-बार प्यास लगतीहै। मुंह का स्वाद मीठा रहने लगता है। ज्यादा और बार-बार भोजन करने पर भी वजन घटने लगता है। नेत्र ज्योति पर असर पड़ता हैऔर त्वचा रूखी तथा खुरदरी हो जाती है। मूत्र के स्थान पर चींटियां एकत्र होने लगती हैं। पैरों की उंगलियों में जख्म होजाते हैं, जो जल्दी नहीं भरते हैं तथा हाथ-पैर सुन्न पड़ने लगते हैं। यौन शक्ति में भी कमी आ जाती है। किसी व्यक्ति को मधुमेह है या नहीं, यह खून में शर्करा की मात्रा से पता लगाया जा सकता है। भोजन करने के लगभग दो घंटे बाद व्यक्ति का ब्लड शुगर 110 से 140 और खाली पेट 80 से 110 के बीच होना चाहिए

आइये वर्तमान इतिहास में झाँक कर देखें कि इस बीमारी के बारे में लोगों की जानकारी और धारणायें क्या थीं। इस हेतु हम इतिहास को तीन खण्डों में बाँट कर चलते हैं-
1. प्राचीन युग (600 ए.डी. तक)
इस बीमारी का लिखित प्रमाण 1550 ई.पू. का मिलता है। मिस्र में ‘पापइरस कागज’ पर इस बीमारी का उल्लेख मिलता है, जिसे जार्ज इबर्स ने खोजा था, अतः इस दस्तावेज को ‘इबर्स पपाइरस’ भी कहते हैं। दूसरा प्राचीन प्रमाण ‘कैपाडोसिया के एरीटीयस द्वारा दूसरी सदी का मिलता है। एरीटीयस ने सर्वप्रथम ‘डायाबिटिज’ शब्द का प्रयोग किया, जिसका ग्रीक भाषा में अर्थ होता है ‘साइफन’। उनका कहना था कि इस बीमारी में शरीर एक साइफन का काम करता है और पानी, भोजन, कुछ भी शरीर में नहीं टिकता ओर पेशाब के रास्ते से निकल जाता है, बहुत अधिक प्यास लगती है और शरीर का मांस पिघल कर पेशाब के रास्ते बाहर निकल जाता है। 400-500 ई.पू. के काल में भारतीय चिकित्सक चरक एवं सुश्रुत ने भी इस बीमारी का जिक्र अपने ग्रन्थों में किया है। संभवतः उन्होंने सर्वप्रथम इस तथ्य को पहचाना कि इस बीमारी में मूत्र मीठा हो जाता है। उन्होंने इसे ‘मधुमेह’ (शहद की वर्षा) नाम दिया। उन्होंने देखा कि इस रोग से पीड़ित व्यक्ति के मूत्र पर चीटियाँ एकत्रित होने लगती हैं।
नया अन्न, गुड़, चिकनाई युक्त भोजन, दुग्ध पदार्थों का अत्यधिक सेवन, घरेलू जानवरों का मांस भक्षण, मदिरा सेवन एवं विलासपूर्ण जीवन शैली इस रोग के जनक होते हैं। अल्पाहार, शारीरिक श्रम, शिकार करके मांस भक्षण करना आदि उपाय बताये गये हैं। आप कहेंगे कि यह बातें आज भी उतनी ही सत्य है। फर्क इतना है तब पैनक्रियाज एवं इंसुलिन की जानकारी नहीं थी। एरीटीयस एवं गेलन समझते थे विकार गुर्दों में आ जाता है, और यह विचार करीब 1500 वर्षों तक कायम रहा।

2. मध्य-युगीन काल (600-1500 ए.डी.)
इस काल में मुख्य रूप से रोग के लक्षणों का और विस्तार से वर्णन मिलता है। चीन के चेन-चुआन (सातवीं सदी) और अरबी चिकित्सक एवीसेना (960-1037 ए.डी.) ने गैंग्रीन एवं यौनिक दुर्बलता का जिक्र जटिलताओं के रूप में किया है।

3. आधुनिक काल (1500-2010 ए.डी.)
इस काल में रोग के जानने के लिए तमाम प्रयास शुरू हुए। थामस विलिस (1674-75 ए.डी.) ने पुनः मूत्र के मीठेपन को उजागर किया। किन्तु इस मिठास का कारण शर्करा को न मान कर किसी और तत्व को माना। करीब सौ साल बाद 1776 में मैथ्यू डॉबसन ने मधुमेह रोगी के मूत्र को आँच पर वाष्पित कर भूरे चीनी जैसा तत्व अलग किया। उन्होंने यह भी पाया कि रक्त सीरम भी मीठा हो जाता है। इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कलेन (1710-90) ने डायबिटिज में ‘मेलाइटस’ शब्द को जोड़ा। ‘मेल’ का अर्थ ग्रीक भाषा में शहद होता है। इस प्रकार एरीटीयस द्वारा दिये गये शब्द ‘डायबिटिज’ (साइफेन) एवं कलेन द्वारा दिये गये शब्द ‘मेलाइटस’ के संगम से, दो हजार वर्षों से अधिक काल के बाद इस बीमारी का वर्तमान नाम ‘डायबिटिज मेलाइटस’ वजूद में आया। 1850-1950 तक का काल काफी महत्वपूर्ण काल माना जाता है। इस काल में लोगों को वैज्ञानिक सोच में व्यापक बदलाव आया और रोग के मूल कारण को जानने के तीव्र प्रयास हुए। यह दौर ‘प्रयोगिक-विज्ञान का दौर था। तथ्यों एवं परिकल्पनाओं को प्रयोगशालाओं में प्रमाणित करके उसे सत्यापित करने के प्रयास शुरू हुए। 1879 में पॉल लैंगर हेन्स ने सर्वप्रथम अपने शोधपत्र में पैनक्रियाज ग्रन्थि के कुछ विशेष प्रकार की कोशिकाओं का जिक्र किया जो छोटे-मोटे द्वीप-समूहों में बिखरे रहते हैं। वॉन मेरिंग एवं मिनकोविस्की ने सन् 1889 में दो कुत्तों का पैनक्रियाज ग्रन्थि शल्य क्रिया द्वारा निकाल दिया। अगले ही दिन उन्होंने पाया कि कुत्तों में मधुमेह के लक्षण (बहुमूत्र) उत्पन्न हो गये और उनके मूत्र परीक्षण में शर्करा पाया गया। इस प्रकार वह यह साबित करने में सफल हुए कि मधुमेह का सम्बन्ध गुर्दों से न होकर पैनक्रियाज ग्रन्थि से है। उन्होने देखा कि यदि पैनक्रियाज ग्रन्थि का टुकड़ा स्थापित कर दिया जाये तो जब तक यह टुकड़ा जीवित रहता है, मधुमेह के लक्षण गायब हो जाते हैं। आगे चल कर लैग्यूसे ने यह विचार दिया कि पैनक्रियाज ग्रन्थि में लैंगरहेन्स द्वारा वर्णित कोशिकायें किसी ऐसे तत्व का स्राव करती हैं जो रक्त में शर्करा को नियंत्रित करता है। बाद में जीन-डी0 मेयर ने इस तत्व का नाम ‘इंसुलिन’ रखा। इस इन्सुलिन नामक तत्व को पैनक्रियाज से अलग करने के प्रयास में कई वैज्ञानिक समूह लगे हुए थे। अन्ततः कनाडा के हड्डी रोग विशेषज्ञ फ्रेडरिक बैटिंग, टोरंटो विश्वविद्यालय के क्रिया-विज्ञान के प्रोफेसर जे0 जे0 आर मैकलियाड, मेडिकल छात्र चाल्र्स बेस्ट एवं बॉयोकेमिस्ट जेम्स कॉलिप ने 1921 में इसमें सफलता पाई। पैनक्रियाज ग्रन्थि द्वारा निकाले गये इस पहले निचोड़ को 11 जनवरी 1922 को लीयोनार्ड थाम्पसन नामक रोगी को दिया गया। इसके बाद इन्सुलिन को शुद्ध और परिष्कृत करने का दौर चला और आज हमें जिनेटिक इन्जीनियरिंग द्वारा ‘मानव इन्सुलिन’ उपलब्ध है। एक बार इन्सुलिन की जानकारी होने के पश्चात्, शरीर द्वारा इसके निर्माण, नियंत्रण, कार्यविधि, आदि पर तमाम शोधकार्य शुरू हुए और आज भी जारी है। इन शोधों के फलस्वरूप पैनक्रियाज ग्रन्थि पर कार्य कर इंसुलिन का स्राव कराने वाली दवायें, इंसुलिन रिसेप्टर एवं उन पर कार्य करने वाली दवाओं का अविष्कार किया गया। इन दवाओं के पहले इलाज का एकमात्र रास्ता भोजन में व्यापक फेरबदल एवं शारीरिक श्रम था और इनके निष्प्रभावी होने पर धीरे-धीरे घुल कर मरने के सिवा और कोई दूसरा रास्ता नहीं होता था। अब यदि जीवन शैली परिवर्तन एवं भोजन परिवर्तन के बाद मधुमेह नियंत्रण में नहीं आता है तो हमारे पास तमाम दवायें हैं और जब वह भी निष्प्रभावी हो जाती हैं तो रामबाण के रूप में हमारे पास इंसुलिन होता है जो कभी विफल नहीं होता। इस प्रकार हम देखते हैं कि करीब पिछले साढ़े तीन हजार साल से मनुष्य ने इस बीमारी पर विजय पाने के लिये कितने प्रयास किये हैं।
मधुमेह के परीक्षण
परीक्षण के निम्नलिखित प्रकार के और अधिक:
रात भर उपवास के बाद
• परीक्षण रक्त शर्करा () 100-125 मिलीग्राम के बीच रक्त शर्करा उपवास / एल (5.6-6.9 mmol / एल) prediabetes माना जाता है !
• मौखिक शर्करा सहिष्णुता टेस्ट: रक्त रातोंरात, जिसके बाद रोगी पेय एक ग्लूकोज समाधान युक्त, रक्त परीक्षण दो घंटे के बाद उपवास के बाद तैयार की है ! 140 मिलीग्राम से नीचे रक्त शर्करा / डेली (8.7 / एल) सामान्य रूप में देखा जाता है mmol,
रक्त ग्लूकोज का स्तर 140-199 / (एल 8.7-11 mmol / एल) prediabetes की निशानी या तथाकथित मिलीग्राम है "
बिगड़ा ग्लूकोज सहनशीलता (IGT). रक्त ग्लूकोज स्तर 200 मिग्रा / डेली (1.11 mmol / एल) या उच्च मधुमेह है.

मधुमेह में ज्‍योतिषीय प्रभाव:
उपचारों का विकास तो इसपर विश्‍वास होने या इस क्षेत्र में बहुत अधिक अनुसंधान करने के बाद ही हो सकता है। अभी तो परंपरागत ज्ञानों की तरह ही ज्‍योतिष के द्वारा किए जाने वाले उपचारो को बहुत मान्‍यता नहीं दी जा सकती , पर ग्रहों के प्रभाव के तरीके को जानकर अपना बचाव कर पाने में हमें बहुत सहायता मिल सकती है।

सुविधाभोगी जीवनशैली:
आधुनिक सुविधाभोगी जीवनशैली ने जिन अनेक बीमारियों को जन्म दिया है, उनमें मधुमेह भी एक है। मधुमेह के मरीजों की संख्या जिस तेजी के साथ बढ़ती जा रही है, उससे इस बीमारी के महामारी का रूप लेने का खतरा पैदा हो गया है। अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह महासंघ (आईडीएफ) द्वारा इस साल प्रकाशित मधुमेह एटलस के अनुसार भारत में 2009 में अनुमानित पांच करोड़ व्यक्ति मधुमेह केमरीज थे और 2025 तक इस बीमारी के शिकार लोगों की संख्या बढ़कर सात करोड़ हो जाने का अनुमान है। इस तरह विश्व में मधुमेह का मरीज हर पांचवां व्यक्ति भारतीय होगा। मधुमेह एटलस के अनुसार विश्व में 2030 तक मधुमेह के मरीजों की संख्या भारत के अलावाचीन और अमेरिका में सबसे ज्यादा होगी। अमेरिकी मधुमेह संघ के इस साल जारी आंकडों के मुताबिक अमेरिका में दो करोड़ साठ लाख बच्चे और वयस्क मधुमेह के मरीज हैं, जो वहां की आबादी का 7.8 प्रतिशत है। अमेरिका में अनुमानित एक करोड़ 79 लाख लोगों मेंमधुमेह का पता लगा है जबकि चार में से एक व्यक्ति, 57 लाख, लोगों को पता ही नहीं था कि उन्हें मधुमेह है। भारत में मधुमेह के रोगियों की संख्या में तेजी से हो रही बढ़ोत्तरी को देखते हुए समय रहते इस पर काबू पाने की जरूरत है। इसमें किसी भी तरहकी ढिलाई से यह बीमारी महामारी का रूप ले सकती है। शारीरिक श्रम से बचने, विलासिता का जीवन जीने, अधिक कैलोरी वाला भोजन करने, पूरी नींद नहीं लेने, तनाव में रहने और व्यायाम नहीं करने के कारण यह बीमारी निरन्तर लोगों को अपनी चपेट में लेती जारही है। यदि माता-पिता में से किसी को मधुमेह है तो यह रोग उनके बच्चों में अवश्य आता है।
मधुमेह से मरीज के शरीर में कई तरह की समस्याएँ हो सकती हैं। इस खतरनाक बीमारी का सबसे पहला हमला आँखों, गुर्दों और नसों और हृदय पर पड़ता है। शुरु में मरीजों को इसके हमले का पता नहीं चलता लेकिन जब इन महत्वपूर्ण अंगों पर असर होने लगता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। मधुमेह के कारण इन अंगों की जो क्षति हो चुकी है उसकी भरपाई दुनिया की कोई दवा नहीं कर सकती लेकिन जितना बच सका है उसे संभाल लेने में ही मरीज की भलाई है ।
योग एक बेहद कारगर उपाय--
योग इस बीमारी से बचने का एक बेहद कारगर उपाय हो सकता है। योग को अपनाने से जीवन शैली, आचार, विचार, व्यवहार, स्वभाव आदि सब कुछ बदलने लगता है, जिससे शरीरमें सकारात्मक परिवर्तन होने लगते हैं। मत्स्येन्द्रासन, मयूरासन, पश्चिमोत्तान आसन, भुजंगासन, कपाल भाति, अग्निसारऔर प्राणायाम इंसुलिन उत्पन्न करने वाली पैन्क्रियाज ग्रंथि पर सीधा असर डालते हैं। जिससे इस ग्रंथि से पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन उत्पन्न होने लगता है और मधुमेह में लाभ मिलता है।
आहार में परिवर्तन--
मधुमेह से छुटकारा पाने के लिए आहार में परिवर्तन करना बेहद जरूरी है। रोगी को मेथी, लौकी, करेला, तोरी, शलगम, प्याज, टमाटर तथा बथुआ, पालक, बंद गोभी आदि पत्तेदार सब्जियां खानी चाहिए। दो भाग गेहूं, एक भाग चना और एक भाग सोयाबीन मिले आटे की रोटी खाना मरीज के लिए लाभकर रहता है। सलाद और करेले के रस का सेवन भी इस रोग में फायदेमंद होता है। मधुमेह के मरीज को आयुर्वेदिक दवाओं में गुडमार बूटी, वसंत कुसुमाकर के रस तथा चंद्रप्रभा वटी का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा जामुन की गुठली का चूर्ण, कच्ची हल्दी, ग्वार की फली, आंवला, अंकुरित दालें और काले चने भी ले सकते हैं।
जामुन एक पारंपरिक औषधि:
मधुमेह के उपचार में जामुन एक पारंपरिक औषधि है। यदि कहा जाए कि जामुन मधुमेह के रोगी का ही फल है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी, क्योंकि इसकी गुठली, छाल, रस और गूदा सभी मधुमेह में अत्‍यंत लाभकारी हैं। मौसम के अनुरूप जामुन का सेवन करना चाहिए। जामुन की गुठली भी बहुत फायदेमंद होती है। इसके बीजों में जाम्बोलिन नामक तत्व पाया जाता है, जो स्टार्च को शर्करा में बदलने से रोकता है। गुठली का बारीक चूर्ण बनाकर रख लेना चाहिए। दिन में दो-तीन बार तीन ग्राम चूर्ण का पानी के साथ सेवन करने से मूत्र में शर्करा की मात्रा कम होती है।
करेले से ना डरें:
प्राचीन काल से करेले मधुमेह के इलाज में रामबाण माना जाता रहा है। इसके कड़वे रस के सेवन से रक्‍त में शर्करा की मात्रा कम होती है। मधुमेह के रोगी को प्रतिदिन करेले के रस का सेवन करने की सलाह दी जाती है। इससे आश्चर्यजनक लाभ प्राप्‍त होता है। नवीन शोधों के अनुसार उबले करेले का पानी मधुमेह को शीघ्र और स्थाई रूप से खत्‍म करने की क्षमता रखता है।
मेथी भी है इलाज :
मधुमेह के उपचार के लिए मेथी के दानों का प्रयोग भी किया जाता है। अब तो बाजार में दवा कंपनियों की बनाई मेथी भी उपलब्‍ध है। मधुमेह का पुराना से पुराना रोग भी मेथी के सेवन से दुरुस्‍त हो जाता है। प्रतिदिन प्रात:काल खाली पेट दो-तीन चम्‍मच मेथी के चूर्ण को पानी के साथ निगल लेना चाहिए।
मधुमेह को रोकने में मददगार काजू:
मधुमेह से पीडित हैं, लेकिन काजू नहीं खाते हैं तो बेहतर होगा की आज से ही खाना शुरू कर दें क्योंकि एक नए अध्ययन में खुलासा हुआ है कि काजू मधुमेह को रोकने में फायदेमंद होता है। चिकित्सा क्षेत्र के मशहूर जर्नल "मोलेक्यूलर न्यूट्रीशन एण्ड फूड रिसर्च" के मुताबिक मोंट्रियल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया कि काजू खाने से शरीर में इंसुलिन की मात्रा बढ़ती है। शोधकर्ता पियरे एस. हाडाड ने कहा, काजू खाने से शरीर की मांसपेशीय कोशिकाएं शुगर को अवशोषित कर लेती हैं। इसके अलावा सक्रिय यौगिक पाएं जाते हैं, जो मधुमेह को रोकने में मददगार होते हैं ।
टमाटर बहुत उपयोगी:
मधुमेह के रोगियों के लिए भी टमाटर बहुत उपयोगी होता है। यह पेशाब में चीनी के प्रतिशत पर नियंत्रण पाने के लिए प्रभावशाली होता है। साथ ही कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम होने के कारण इसे एक उत्तम भोजन माना जाता है।
मधुमेह के प्रकार:
यहां यह बताना उपयुक्त होगा कि मधुमेह की बीमारी दो तरह की होती है, टाइप-वन और टाइप-टू ।टाइप-वन मधुमेह में पैन्क्रियाज ग्रंथि इंसुलिन उत्पन्न नहीं कर पाती। टाइप-टू मधुमेह में पैन्क्रियाज ग्रंथि अल्प मात्रा में इंसुलिन उत्पन्न करती है। पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बनने के कारण ही टाइप-टू मधुमेह हो जाती है, जिसके अधिकतर लोग मरीज बन जाते हैं। मधुमेह मोटे व्यक्तियों को अधिक होता है, जो अधिकतर बैठे रहते हैं और हर समय कुछ न कुछ खाते रहते हैं। मिठाई अधिक खाने तथा चाकलेट, कोक और पेस्ट्री ज्यादा खाने और पीने से भी यह बीमारी हो जाती है। दिन में ज्यादा सोना और रात में बार-बार मैथुन करना भी मधुमेह को आमंत्रित करता है ।
मधुमेह की जटिलता:
मधुमेह की जटिलताओं लंबे समय तक चुपचाप और धीरे धीरे होते हैं लंबी बीमारी के रूप में, और रक्त शर्करा को नियंत्रित ध्यान से जटिलताओं के लिए अपने जोखिम में वृद्धि होगी. मधुमेह की जटिलताओं विकलांगता या मौत भी हो सकती है.
• हार्ट: दिल की बीमारी मधुमेह और धमनी घनास्त्रता तीव्र हार्ट अटैक, दिल विफलता, स्ट्रोक और भरा हुआ फैटी जमा की वजह से धमनियों सहित हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है.
• तंत्रिका क्षति (न्युरोपटी): उच्च रक्त में शर्करा की सूक्ष्म रक्त वाहिकाओं तंत्रिका खिला, विशेष रूप से पैरों में रक्त वाहिकाओं नुकसान कर सकता है. इस जटिलता सुई सनसनी, सुन्नता या पैर की उंगलियों, उंगलियों में जल दर्द कई महीनों के बाद, धीरे - धीरे पैर में फैल सकता है, हाथ कारण बनता है. अगर अनुपचारित, अंगों को खो दिया लगेगा. तंत्रिका पेट को नुकसान मतली पैदा कर सकता है, उल्टी, दस्त या कब्ज. पुरुषों में नपुंसकता हो सकती है. (गुर्दे nephropathy)
•: गुर्दे "संवहनी (गुच्छा glomerulus) है, जो रक्त में फिल्टर बेकार के लाखों होते हैं. जब गंभीर गुर्दे क्षतिग्रस्त डायलिसिस या कृत्रिम गुर्दे की बजाय की जरूरत होगी.
• नेत्र: क्षति मधुमेह रेटिना (रेटिनोपैथी?) क्योंकि मधुमेह रेटिनोपैथी, जो अंधापन करने के लिए नेतृत्व कर सकते हैं रक्त वाहिकाओं को नष्ट कर सकते हैं.
• पैर क्षति: पैर या पैर में घुमाव रक्त के प्रवाह के अभाव में तंत्रिकाओं को नुकसान कई जटिलताएं पैदा होती है. अनुपचारित, इन कटौती उथले गंभीर पैर की उंगलियों को हटाने के नेतृत्व में संक्रमण हो सकता है, पैर या दोनों पैरों.
• त्वचा और मुंह: मधुमेह त्वचा संवेदनशील बना देता है, बैक्टीरिया या कवक द्वारा खमीर संक्रमण के लिए अतिसंवेदनशील, आसानी से संक्रमित मसूड़ों और दांत हानि.
• हड्डियों और जोड़ों: मधुमेह पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस गठिया हड्डी की तरह होता है.

मधुमेह से पीडित के लिए 2000 कैलोरी का सबसे अच्छा भोजन का चार्ट-
शाकाहारी/मांसाहारी सुबह के समय नींबू-पानी या चाय बिना चीनी के नींबू-पानी या चाय बिना चीनी के
सुबह का नाश्ता 1 गिलास बिना मलाई का दूध 1 गिलास बिना मलाई का दूध 2 टुकड़े ब्रेड-50 ग्राम 2 टुकड़े ब्रेड-50 ग्राम 3 ग्राम मक्खन 3 ग्राम मक्खन किसी फल का टुकड़ा 1 अंडा और फल का एक टुकड़ा

दोपहर से पहले 150 मिलीलीटर बिना मलाई का दूध या 1कप जूस 150 मिलीलीटर बिना मलाई का दूध या 1कप जूस

दोपहर का भोजन 4 छोटी रोटी या 100 ग्राम चावल 4 छोटी रोटी या 100 ग्राम चावल लगभग 25 ग्राम दाल लगभग 25 ग्राम दाल 100 ग्राम बिना मलाई का दही 100 ग्राम दही, 50 ग्राम मीट या मछ्ली हरी सब्जी जितनी खानी हो हरी सब्जी जितनी खानी हो1 टुकड़ा किसी भी फल का 1 टुकड़ा किसी भी फल का

शाम के समय 1 कप बिना मलाई का दूध 1 कप बिना मलाई का दूध बिना चीनी की चाय या कॉफी बिना चीनी की चाय या कॉफी

रात का भोजन 100 ग्राम चावल या आटा 100 ग्राम चावल या आटा 50 ग्राम बिना मलाई के दूध का पनीर 50 ग्राम बिना मलाई के दूध का पनीर 1 कटोरी बिना मलाई के दूध का दही 1 कटोरी बिना मलाई के दूध का दही बहुत सारी हरी सब्जियां बहुत सारी हरी सब्जियां 2 छोटे चम्मच घी या तेल 2 छोटे चम्मच घी या तेल 1 फल का टुकड़ा 1 फल का टुकड़ा

रात का सोते समय 225 मिलीलीटर बिना मलाई का दूध 225 मिलीलीटर बिना मलाई का दूध

वैज्ञानिकों ने मधुमेह के खिलाफ लड़ाई में एक जीन की खोज कर बड़ी सफलता पाने का दावा किया है। यह जीन इंसुलिन के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया को नियंत्रित करता है। ब्रिटेन के एक दल ने पाया कि जीन के डीएनए में बदलाव से हार्मोन इंसुलिन प्रतिरोध बढ़ता है जो टाइप-2 डायबिटीज का प्रमुख कारण है। टाइप-2 डायबिटीज इस बीमारी का आम स्वरूप है। द डेली टेलीग्राफ में प्रकाशित खबर में वैज्ञानिकों के हवाले से कहा गया कि इस खोज की बदौलत जल्द ही दवाओं के जरिए नया उपचार आ सकता है। इस दवा का लक्ष्य जैनेटिक त्रुटि को दूर कर उस शरीर की रक्षा करना है जो इंसुलीन पर प्रतिक्रिया नहीं कर पाता। शरीर में हर्मोन रक्त से ग्लूकोज को अवशोषित करने वाली कोशिशाओं को नियंत्रित करते हैं और इसी के जरिए ऊर्जा उत्पन्न होती है।

मधुमेह के मरीजों के लिए होम्योपैथिक उपचार:

निम्नलिखित उपचार का प्रयोग मधुमेह में लाभ मिलता है !
Insulinum30, पानी में 1 बूँदें  दैनिकएक बार  -सुबह 
Pancreatinum Syzygium Jambo क्यू , पानी में 10 बूँदें  दैनिकदो बार -भोजन केपहले

निश्चित रूप से मधुमेह के मरीज को टहलने से काफी लाभ होता है। टहलने का मतलब है तेज गति से चलना। व्यक्ति अधिक से अधिक तेजी से सांस ले और उसके शरीर में आक्सीजन की मात्रा ज्यादा से ज्यादा जाये। व्यक्ति को इतनी तेजी से जरूर टहलना चाहिए ताकि शरीर से पसीना निकल जाये। प्रतिदिन मधुमेह के मरीजों को एक घंटे में पांच किलोमीटर टहलना चाहिए। व्यायाम भी काफी लाभकारी होता है।
बरसात के दिनों में मधुमेह के मरीजों को काफी सावधान रहने की जरूरत होती है। बरसात में संक्रमण फैलने की आशंका रहती है। अगर किसी तरह का संक्रमण फैलता है तो चिकित्सक की सलाह से ही दवा का इस्तेमाल करनी चाहिए।
लोगों के जीवन शैली में आये बदलाव के कारण मधुमेह की बीमारी काफी तेजी से पैर पसार रही है। इसके लिए लोगों को जागरूक करना बहुत जरूरी है।
प्रकृति कभी बीमारी पैदा नहीं करती। मुनष्य अपनी गलत जीवन शैली, गलत भोजन, गलत आदत, गलत स्वभाव के कारण बीमार होता है। प्राकृतिक रूप में रहने वाले कोई भी जानवर कभी बीमार नहीं होते। जैसी जीवन शैली पशु पक्षिओ की होती है वैसा भोजन और जीवन बनाने की अगर हम कोशिश करेंगे तो हम भी स्वस्थ रहेंगे।
मधुमेह में पाँव की रक्षा हेतु  ध्यान रखना:
मधुमेह के रोगियों को अपने पाँव की रक्षा हेतु निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिये —
(१) पैरों को नियमित रूप से धो कर साफ़ रखें।
(२) केवल गुनगुने पानी का प्रयोग करें---गर्म पानी,आयोडीन, अल्कहौल या गर्म पानी की बोतल का प्रयोग न करें।
(३) पैरों को सूखा रखें---विशेषकर उँगलियों के बीच के स्थान को. सुगंधहीन क्रीम /लोशन के प्रयोग से त्वचा को मुलायम रखें।
(4) पैरों के नाखून उचित प्रकार से काटें---किनारों पर गहरा न काटें।
(५) गुख्रू को हटाने के लिए ब्लेड, चाकू , ‘कॉर्न कैप' का प्रयोग न करें।
(६) नंगे पाँव कभी न चलें, घर के अन्दर भी नहीं. हमेशा जूता/चप्पल पहन कर ही चलें।
(७) कसे हुए या फटे पुराने जूते/चप्पल न पहनें. आरामदेह जूते/चप्पल ही पहनें।
(८) स्वयं ही अपने पाँव की जांच नियमित रूप से करें और कोई भी परेशानी होने पर तुंरत अपने चिकित्सक से संपर्क करें।
(९) केवल चिकित्सक द्वारा बताई गयी औषधि का ही प्रयोग करें —घरेलू इलाज न करें।

जागरूकता के माध्यम से ही मधुमेह को नियंत्रित किया जा सकता है। मधुमेह के मरीजों के लिए टहलना, नियमित व्यायाम, संतुलित भोजन बहुत जरूरी है। अगर इससे बीमारी नियंत्रित नहीं रहती है तो मरीज को चिकित्सक से फौरन सम्पर्क कर इलाज करना चाहिए।हम सभी को यह आशा करनी चाहिए की मधुमेह के प्रति जनसाधारण मे जागरूकता बढ़ने से इस बीमारी की रोकथाम मे सहायता मिलेगी।

{विशेष आभार व्यक्त….प्रियभाई व मित्र डॉ.राजेंद्र प्रसाद पारीकजी , बिरला प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान[बिट्स पिलानी] के प्रति आभार व्यक्त करता हूं।}


मुनष्य अपनी गलत जीवन शैली, गलत भोजन, गलत आदत, गलत स्वभाव के कारण बीमार होता है।
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  • You, Vinod SharmaAmit KukrejaAnil Kumar Jha and 5 others like this.

    • Rajeev Kumar upyogi prastuti....bahut hi sundar....!
      August 18, 2010 at 4:11pm · 

    • Anupama Pathak informative....!
      yet again a wonderful note,
      thanks for tagging...

      August 18, 2010 at 5:34pm · 

    • Vikram Sharma अति उपयोगी जानकारी. साधुवाद मनोज जी!
      August 18, 2010 at 5:40pm · 

    • Manoj Chaturvedi ‎***
      प्रियभाई राजीव जी, प्रिय अनुपमाजी , प्रिय विक्रमजी , प्रिय शाल्मलीजी ,प्रिय मंजुला सक्सेना जी,
      आपने मुझे अपना स्नेह खुशी दी, मेरे लेखन को अपना आशीष दिया इसके लिए मै आप सभी का आभार व्यक्त करता हूँ तथा धन्यवाद देता हूँ !
      "जय हिंद ,जय हिंदी”

      August 18, 2010 at 7:30pm · 

    • Dinesh Kumar YOU HAVE POURED A LOT OF GUD LITERATURE. PLZ DO D SAME .
      THNX

      August 18, 2010 at 8:06pm · 

    • Anil Kumar Jha Sarvpratham Manoj ji aapka vishesh dhanyavaad aisi durlabh tippani ke liye ; roggrast vyaktiyon ke liye vaidyaraaj Manoj Chaturvedi ji ek anupam prastuti , dil baag baag ho gaya ; maitri ke liye aapka aabhaari rahunga sadaiv , shubh din ki mangal kaamnaye .
      August 19, 2010 at 9:03am ·  ·  2 people

    • Rajesh Mishra आदरणीय भाई साहब,
      अत्यंत उपयोगी एवं कल्याणकारी जानकारी... कोटिशः धन्यवाद.

      August 19, 2010 at 9:33am ·  ·  1 person

    • Ashok Tiwari saraahneeya..
      August 19, 2010 at 1:52pm 

7 टिप्‍पणियां:

  1. मधुमेह नियंत्रण के लिए रामबाण निवारण:--
    मधुमेह से बचाए मैग्नीशियमभोजन में मैग्नीशियम की पर्याप्त मात्रा लेने से डायबिटीज को बहुत हद तक रोका जा सकता है। ताजा शोधों से यह बात पता चली है कि जिन लोगों के भोजन में मैग्नीशियम की मात्रा अधिक होती है, उनकी कम मैग्नीशियम लेने वालों की तुलना में अगले 20 सालों में डायबिटिज होने की आशंका आधी रह जाती है। 18 से 30 की उम्र के 4,497 महिला और पुरुषों में यह अध्ययन किया गया कि उनकी मैग्नीशियम की खुराक और डायबिटीज होने की संभावना में क्या संबंध है। शोध की शुरुआत में इनमें से किसी को भी डायबिटीज नहीं थी, लेकिन 20 वर्ष बाद इनमें 330 डायबिटीज के शिकार हो गए। मैग्नीशियम हरी पत्तेदार सब्जियों, साबुत अनाज, अखरोट, मूँगफली, बादाम, काजू, सोयाबीन, केले, खुबानी, कद्दू, दही, दूध, चॉकलेट, पुडिंग और तुलसी में भी पाया जाता है।
    मधुमेह यानि डायबिटीज अब उम्र, देश व परिस्थिति की सीमाओं को लाँघ चुका है। दुनिया भर में मधुमेह के मरीजों का तेजी से बढ़ता आँकड़ा एक चिंता का विषय बना हुआ है। इस लेख में मधुमेह के रोगियों के लिए कुछ देसी नुस्खे पेश किए गए हैं। लेकिन इनमें से किसी भी नुस्‍खे को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक की राय जरूर ले लें।
    नींबू से प्यास बुझाइए :मधुमेह के मरीजों को प्यास ज्‍यादा लगती है। अतः बार-बार प्यास लगने पर पानी में नींबू निचोड़कर पीने से प्यास कम लगती है और वह स्‍थाई रूप से शांत होती है।
    भूख मिटाने के लिए खाएँ खीरा : मधुमेह के मरीजों को भूख से थोड़ा कम तथा हल्का भोजन खाने की सलाह दी जाती है। ऐसा करने से बार-बार भूख लगती है। ऐसी स्थिति में खीरा खाकर अपनी भूख मिटानी चाहिए।
    गाजर और पालक की औषधि : मधुमेह के रोगियों को गाजर और पालक का रस पीना चाहिए। इससे आँखों की कमजोरी दूर होती है।रामबाण इलाज है |
    शलजम :मधुमेह के रोगी को तरोई, लौकी, परवल, पालक, पपीता आदि का सेवन अधिक करना चाहिए। शलजम के प्रयोग से भी रक्त में स्थित शर्करा की मात्रा कम हो जाती है। अतः शलजम की सब्जी और विभिन्‍न रूपों में शलजम का सेवन करना चाहिए।
    जमकर खाएँ जामुन : मधुमेह के उपचार में जामुन एक पारंपरिक औषधि है। यदि कहा जाए कि जामुन मधुमेह के रोगी का ही फल है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी, क्योंकि इसकी गुठली, छाल, रस और गूदा सभी मधुमेह में अत्‍यंत लाभकारी हैं। मौसम के अनुरूप जामुन का सेवन करना चाहिए। जामुन की गुठली भी बहुत फायदेमंद होती है। इसके बीजों में जाम्बोलिन नामक तत्व पाया जाता है, जो स्टार्च को शर्करा में बदलने से रोकता है। गुठली का बारीक चूर्ण बनाकर रख लेना चाहिए। दिन में दो-तीन बार तीन ग्राम चूर्ण का पानी के साथ सेवन करने से मूत्र में शर्करा की मात्रा कम होती है।
    करेले का इस्तेमाल करें : प्राचीन काल से करेले मधुमेह के इलाज में रामबाण माना जाता रहा है। इसके कड़वे रस के सेवन से रक्‍त में शर्करा की मात्रा कम होती है। मधुमेह के रोगी को प्रतिदिन करेले के रस का सेवन करने की सलाह दी जाती है। इससे आश्चर्यजनक लाभ प्राप्‍त होता है। नवीन शोधों के अनुसार उबले करेले का पानी मधुमेह को शीघ्र और स्थाई रूप से खत्‍म करने की क्षमता रखता है।
    मेथी से मधुमेह का इलाज : मधुमेह के उपचार के लिए मेथी के दानों का प्रयोग भी किया जाता है। अब तो बाजार में दवा कंपनियों की बनाई मेथी भी उपलब्‍ध है। मधुमेह का पुराना से पुराना रोग भी मेथी के सेवन से दुरुस्‍त हो जाता है। प्रतिदिन प्रात:काल खाली पेट दो-तीन चम्‍मच मेथी के चूर्ण को पानी के साथ निगल लेना चाहिए।चमत्कारी है गेहूँ के जवारे : गेहूँ के पौधों में रोगनाशक गुण होते हैं। गेहूँ के छोटे-छोटे पौधों का रस असाध्य बीमारियों को भी जड़ से मिटा डालता है। इसका रस मनुष्य के रक्त से चालीस फीसदी मेल खाता है। इसे ग्रीन ब्लड भी कहते हैं। रोगी को प्रतिदिन सुबह और शाम में आधा कप जवारे का ताजा रस दिया जाना चाहिए।

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  2. मधुमेह नियंत्रण के लिए रामबाणअन्य उपचार:--
    मधुमेह के उपचार के लिए नियमित रूप से दो चम्मच नीम का रस और चार चम्‍मच केले के पत्ते का रस लेना चाहिए। चार चम्मच आँवले का रस, गुडमार की पत्ती का काढ़ा भी मधुमेह नियंत्रण के लिए रामबाण है।डायबिटीज के लिए घरेलू नुस्खेआँवला ज्यूस 10 मिली. की मात्रा में दो ग्राम हल्दी पावडर मिला कर दिन में दो बार लें। यह रक्त में शकर की मात्रा को नियंत्रित करता है। औसत आकार का एक टमाटर, एक खीरा और एक करेला, इन तीनों का ज्यूस निकाल कर रोज खाली पेट सेवन करें। सौंफ के सेवन से भी डायबिटीज पर नियंत्रण संभव है। काले जामुन डायबिटीज के मरीजों के लिए अचूक औषधि मानी जाती है। शतावर रस और दूध समान मात्रा में लेने से डायबिटीज में लाभ होता है। नियमित रूप से दो चम्मच नीम का रस और चार चम्‍मच केले के पत्ते का रस लेना चाहिए। चार चम्मच आँवले का रस, गुडमार की पत्ती का काढ़ा भी मधुमेह नियंत्रण के लिए रामबाण है। गेहूँ के पौधों में रोगनाशक गुण होते हैं। गेहूँ के छोटे-छोटे पौधों का रस असाध्य बीमारियों को भी जड़ से मिटा डालता है। इसका रस मनुष्य के रक्त से चालीस फीसदी मेल खाता है। इसे ग्रीन ब्लड भी कहते हैं। रोगी को प्रतिदिन सुबह और शाम में आधा कप जवारे का ताजा रस दिया जाना चाहिए |

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  3. नमस्ते , आपका ये लेख सराहनिए हे काफी अच्छी जानकारी दी हे आपने , मेने अपने ब्लॉग पर गेहूं के जवारे के बारे में जानकारी दी हे किर्पया मेरी साईट पर भी आयें केंसर में गेहूं के जवारे का प्रयोग

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  5. Thanks for sharing awareness about diabetes. Elderly people are suffering from diabetes problem. Herbal supplement is also both safe and effective.visit http://www.hashmidawakhana.org/diabetes-natural-treatment.html

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  6. Very useful post. Say goodbye to diabetes once and for all with the help of natural diabetes supplement. It has no ill health effects.

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  7. Thanks for sharing a post for diabetes awareness. It is very important step. Always use natural cure for diabetes because there is no side effect and permanent solution.

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