मंगलवार, 30 अगस्त 2011

'अन्ना हज़ारे द्वारा किये गए जनहित-अनशन'


गांधीवादी कार्यकर्ता अन्ना हज़ारे ने करीब पंद्रह वर्ष पहले भी भ्रष्टाचार के आरोपी मंत्रियों के खिलाफ बारह दिन का अनशन किया था | वह पांच बार १० दिन या उससे अधिक अवधि तक अनशन कर चुके हैं | गांधीवादी अन्ना हज़ारे वर्ष १९८० से अनशन कर रहे हैं, वह आज खत्म हुए अनशन सहित अब तक कुल सोलह बार अनशन कर चुके हैं, उनके अधिकतर अनशन भ्रष्टाचार के खिलाफ ही रहे हैं |
पहला अनशन:- गांधीवादी कार्यकर्ता अन्ना हज़ारे ने अपना पहला अनशन वर्ष १९८० में अहमदनगर में किया था | उन्होंने श्रीसंत निकोलबाराई विद्यालय की स्थापना की थी लेकिन जिला परिषद ने इसे मान्यता देने से इनकार कर दिया | इसके विरोध मेंहज़ारे ने एक दिन का अनशन किया और प्रशासन ने उनके स्कूल को मान्यता दे दी |
दूसरा अनशन:- गांधीवादी कार्यकर्ता अन्ना का दूसरा अनशन जून,१९८३ में महज दो दिन का रहा. उन्होंने यह अनशन अपने गांव रालेगण सिद्धी के यादवबाबा मंदिर में किया | हज़ारे ने गांव की योजनाओं के प्रति प्रशासन के भेदभाव के विरोध में यहअनशन किया |
तीसरा अनशन:- अन्ना हज़ारे ने तीसरा अनशन फरवरी,१९८९ में किसानों की सब्सिडी के मुद्दे पर किया | हज़ारे खेती में नए प्रयोग के लिए किसानों की सिंचाई सुविधाओं में सब्सिडी चाहते थे, लेकिन जब राज्य सरकार नहीं मानी तो उन्होंने अनशन किया | अन्ना का यह पांच दिन चला |
चौथा अनशन:- नवंबर,१९८९ में ही अन्ना हज़ारे ने अपना चौथा अनशन अपने गांव के उसी मंदिर में किया | इस बार उनकी मांग किसानों के लिये बिजली आपूर्ति को लेकर थी | उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री को पत्र लिखा लेकिन प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर नौ दिन अनशन किया, आखिरकार राज्य सरकार ने उनके गांव के लिए चार करोड़ रुपए मंजूर कर दिए |
पाँचवा अनशन:- मई,१९९४ में अन्ना हज़ारे ने आलंदी स्थित संत ज्ञानेर समाधि के समक्ष छह दिन अनशन किया | यह भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर था | अन्ना ने वन और पर्यावरण विभाग के १७ अधिकारियों के खिलाफ गड़बड़ियों के आरोपों की जांच और कार्रवाई की मांग को लेकर था | इस मुद्दे पर अन्ना ने उन्हें मिला पद्मश्री पुरस्कार लौटा दिया, बाद में सरकार ने हज़ारे को अनशन तोड़ने के लिये मनाया |
छठवाँ अनशन:- नवंबर,१९९६ में अन्ना ने भ्रष्टाचार के आरोपी महाराष्ट्र के मंत्रियों के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए अनशन शुरू कर दिया जो लोकपाल के मुद्दे पर आज खत्म हुए अनशन की ही तरह १२ दिन चला | अन्ना हज़ारे ने महाराष्ट्र की तत्कालीन भाजपा-शिवसेना सरकार में भ्रष्टाचार होने के कुल २५३ मामलों का खुलासा होने का दावा किया था | हज़ारे ने रालेगण सिद्धी में बारह दिन अनशन किया और अपनी मां के अनुरोध पर उसे तोड़ा. बाद में सरकार ने समितियों का गठन कर मामले की जांच कराई |
सातवाँ अनशन:- मई,१९९७ में अपने ही ट्रस्ट के खिलाफ लगे आरोपों की जांच को लेकर अन्ना हज़ारे ने अपने गांव में अनशन किया जो १० दिन चला | राज्य के एक मंत्री ने हज़ारे के हिंद स्वराज ट्रस्ट पर २२ करोड़ रुपए की अनियमितता के आरोप लगाए थे | इसकी जांच में पाया गया कि ट्रस्ट को सरकार से ६० लाख मिले जिसमें से १५ लाख ट्रस्ट ने सरकार को लौटा दिए |
आठवाँ अनशन:- अगस्त,१९९९ में भी अन्ना हज़ारे ने १० दिन का अनशन किया | यह अनशन ‘भ्रष्ट’ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने के विरोध में था | अन्ना ने संत ज्ञानेश्वर की समाधि के समक्ष अनशन शुरू किया | लेकिन उद्योगपति अभय फिरौदिया और विजय कुवलेकर के अनुरोध पर उन्होंने अनशन तोड़ दिया |
नवाँ अनशन:- अगस्त,२००३ में अन्ना हज़ारे ने मुंबई के आजाद मैदान पर नौ दिन अनशन किया | यह अनशन भी मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच की मांग को लेकर था | अन्ना हज़ारे के निशाने पर राकांपा के चार तत्कालीन मंत्री थे | सरकार ने पी बी सावंत आयोग का गठन किया, इसके बाद ही अन्ना ने अनशन तोड़ा |
दसवाँ अनशन:- फरवरी,२००४ में हज़ारे ने सूचना का अधिकार कानून के प्रभावी कार्यान्वयन की मांग को लेकर अपने गांव रालेगण सिद्धी में नौ दिन अनशन किया |
ग्यारहवाँ अनशन:- दिसम्बर,२००५ में अन्ना हज़ारे ने फिर अपने गांव में १० दिन अनशन किया |  इस बार उनकी मांग सावंत आयोग की रिपोर्ट में दोषी पाए गए लोगों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर थी |
बारहवाँ अनशन:- अगस्त,२००६ में अन्ना हज़ारे ने सरकारी अधिकारियों की फाइल नोटिंग को आरटीआई के दायरे से बाहर करने के लिये कानून में प्रस्तावित संशोधन के खिलाफ ११ दिन अनशन किया, सरकार द्वारा फैसला निरस्त कर देने पर सहमत होने के बाद ही अन्ना ने अनशन तोड़ा |
तेरहवाँ अनशन:- अन्ना हज़ारे ने उनकी हत्या करने की कथित तौर पर साजिश रचने वाले कांग्रेस नेता पद्मसिंह पाटिल के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर अक्तूबर,२००९  में नौ दिन अनशन किया, सरकार के कार्रवाई के आश्वासन के बाद उन्होंने अनशन तोड़ा |
चौदहवाँ अनशन:- इसी तरह अन्ना हज़ारे ने मार्च,२०१० में सहकारिता घोटाले की जांच की मांग को लेकर पांच दिन अनशन किया |
पंद्रहवाँ अनशन:- इसके बाद अप्रैल,२०११ में उन्होंने महाराष्ट्र से बाहर निकलकर दिल्ली में लोकपाल विधेयक के मुद्दे पर पांच दिन का अनशन किया, सरकार ने उनकी मांगें मानते हुए संयुक्त मसौदा समिति का गठन किया |
सोलहवाँ अनशन:- बहरहाल, हज़ारे का १६ अगस्त से २८ अगस्त,२०११ तक चला उपवास उनका सबसे सफल अनशन है क्योंकि यह महाराष्ट्र के बाहर हुआ और इसे अभूतपूर्व जनसमर्थन मिला |रामलीला मैदान में 12 दिनों से अनशन कर रहे अन्ना हज़ारे ने नारियल पानी और शहद के साथ अनशन तोड़ दिया है | उन्हें दो छोटी बच्चियों सिमरन और इकरा ने नारियल पानी पिलाया और शहद खिलाया. इन बच्चियों में से एक मुस्लिम और एक दलित परिवार की हैं |
अन्ना ने कहा, ''संसद से बड़ी जनसंसद है | संसद को ये फ़ैसला जनसंसद के दबाव में लेना पडा है | इस आंदोलन ने ये विश्वास बना दिया है कि हम भ्रष्टाचार मुक्त देश बना सकेंगे, सत्ता का विकेंद्रीकरण करना होगा तभी सही ताकत आ सकेगी लोगों के हाथों में,जनलोकपाल को लेकर तीन मुद्दों पर हुई जीत लोगों की जीत है | लोगों ने जो प्रयास 13 दिन से किया ये उसी का फल मिला है देश को, ये मीडिया की भी जीत है’’
'जय हिंद,जय हिन्दी'

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