बुधवार, 30 नवंबर 2011

'आज का इतिहास,दशम-भाग'


(नवम्बर माह की १६ से ३० नवम्बर तक विभिन्न तिथियों का ऐतिहासिक महत्त्व)

 
'१६ नवम्बर का ऐतिहासिक महत्व'
१६ नवम्बर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३२०वॉ (लीप वर्ष मे ३२१वॉ) दिन है। वर्ष मे अभी और ४५ दिन बाकी है।
१६ नवम्बर का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं--
(१) सन् १५२४- पुर्तगाल को विश्व विख्यात नाविक वास्को डी गामा का निधन हुआ। उनका जन्म सन् १९४६ ईसवी में हुआ था उनकी उपलब्धियों योरोप से एशिया और भारत के जलमार्ग की खोज है। उन्होंने यह कारनामा वर्ष सन् १४९८ में किया था। उनकी यह खोज इस लिए महत्वपूर्ण है कि वर्ष सन् १४५३ में उसमानी शासन ने योरोप से एशिया के जर्मनी रास्ते को बंद कर दिया था। वास्को डी गामा ने अफ़्रीक़ा महाद्वीप का चक्कर काट कर भारत तक पहुचंना में सफलता प्राप्त की। तथा स्थानीय लोगों को व्यापक जनसंहार के बाद इस देश को पुर्तगाल का उपनिवेश बना लिया।
(२) सन् १६३२- स्वीडन के महाराजा एडल्फ़ की हत्या हुई। उनका जन्म सन् १५९४ ईसवी को हुआ । १७ वर्ष की आयु में उन्होंने सत्ता संभाली। उनका नाम गतस्टाव द्वितीय था किंतु वे एडल्फ़ का नाम से प्रसिद्ध हुए। उनकी ख्याति का मुख्य कारण सन् १६१८ से सन् १६४८ ईसवी के बीच कैथेलिक और प्रोटेस्टियंट ईसाइयों बीच धार्मिक युद्ध के दजरान उनकी सफलताएं हैं। उन्होंने जर्मनी के प्रोटेस्टियंटों के पक्ष में फ़्रांस के समर्थन के साथ रोम साम्राज्य तथा उसके घटको से लड़ाइयां लडीं। एडल्फ़ जो स्वेडन की सेना के कमांडर भी थे। दो युद्धों में विजय प्राप्त की। तीसरे युद्ध में भी वे आगे ही बढ़ते जा रहे थे कि शत्रु को आक्रमण में उनकी मौत हो गयी किंतु इसके बावजूद स्वेडन की सेना को इस युद्ध में विजय प्राप्त हुई।
(३) सन् १८७०- ओकलाहोमा अमेरिका का ४६वां प्रांत बना।
(४) सन् १९१४- अमरीका में फेडरल रिजर्व व्यवस्था का औपचारिक रूप से शुभारंभ हुआ।
(५) सन् १९१६- सोवियत संघ के ला सेतेन्नाया में बारूद के एक कारखाने में हुए भयंकर विस्फोट में १,००० लोगों की मौत।
(६) सन् १९४५- वियतनाम पर फ़्रांसीसी सेना के आक्रमण के पश्चात वियतनामी जनता द्वारा पूर्ण स्वतंत्रता के लिए एक लम्बा तथा भयानक युद्ध आरंभ हुआ। वियतनाम पर फ़्रांस का एक शताब्दी तक नियंत्रण रहा किंतु द्वितीय विश्च युद्ध के हंगामे में जापान ने इस देश पर नियंत्रण कर लिया विश्व यद्ध में जापान की पराजय और वियतनाम से उसकी सेना के वापस जाने के बाद फ़्रांस ने दोबारा इस देश पर अधिकार कर लिया किंतु इस देश की जनता ने फ़्रांस की सना से कड़ा संघर्ष किया और (सन् १९५४ में उसे पराजित किया।
(७) सन् १९४६ ईसवी को संसार में पहली बार कृत्रिम वर्षा की गयी इस वर्षा के अविष्कारक एक प्रसिद्ध अमरीकी वैज्ञानिक डॉक्टर फ़्रेंक थे। उन्होंने एक अमरीकी रसायनशास्त्री लां सेर की सहायता से वायु में कारबोनिक गैस के तत्व छोडकर कृत्रिम वर्षा करने में सफलता पराप्त की। कृत्रित वर्षार उन क्षेत्रों में प्रयोग किया जाता है जहॉ वर्षा कम होती है परंतु इस पर आने वाले भारी खर्चे के कारण यह वर्षा संसार के शुष्क क्षेत्रों में प्रचलित नहीं हो पायी हैं।
(८) सन् १९६५- वॉल्ट डिज्नी वर्ल्ड के बारे में पहली सार्वजनिक घोषणा हुई।
(९) सन् १९७३- स्काईलैब-4 को पृथ्वी की कक्षा में प्रक्षेपित किया गया।
(१०) सन् १९८२- अमेरिका का पांचवां अंतरिक्ष यान कोलंबिया-5 एडवर्ड सैन्य अड्डे पर उतरा।
(११) सन् १९८८- बेनजीर भुट्टो ने पाकिस्तान में ११ वर्षो में हुआ पहला आम चुनाव जीता।
(१२) सन् २०११- पूर्व मिस वर्ल्ड ऐश्वर्या राय बच्चन ने एक प्यारी सी बेटी को बुधवार की सुबह जन्म दिया। सुबह 5.30 पर सिजेरियन ऑपरेशन से बच्चे का जन्म हुआ।


१६ नवम्बर को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों के जन्मदिन हैं:- 
(१) सन् १९२२- सिडनी मिंत्ज़, अमेरिकी मानव विज्ञानी
(२) सन् १९२२- जोसे सरामैगो, पुर्तगाली लेखक, नोबल पुरस्कार विजेता
(३) सन् १९२२- होन्ग मिन्ह चिन्ह, वियतनामी राजनितिज्ञ (निधन- सन् २००८)
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'१७ नवम्बर का ऐतिहासिक महत्व'
१७ नवम्बर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३२१वॉ (लीप वर्ष मे ३२२वॉ) दिन है। वर्ष मे अभी और ४४ दिन बाकी है।
१७ नवम्बर का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं--
(१) सन् १८६९- स्वेज़ नहर का उदघाटन हुआ यह नहर एक फ़्रांसीसी इंजीनियर फर्डिनेंड डोलेस्पस के निरीक्षण में दस वर्षों में तैयार हुई। इसकी लम्बाई १६८ किलोमीटर तथा चोड़ाई १२० से २०० मीटर है। ये एशिया व अफ़रीक़ा महाद्वीपों को आपस में जीड़ती है। इसी कारण योरोपीय साम्राज्यवादियों ने इस पर नियंत्रण के लिए प्रतिस्पर्धा आरंभ कर दी परंतु सन् १९५४ में मिस्र ने स्वेज नहर के राष्ट्रीयकरण की घोषणा कर दी जिसके कारण ब्रिटेन फ़्रांस तथा ज़ायोनी शासन ने उस पर आक्रमण कर दिया परंतु अंतत: अतिग्रहणकारियों की सेना वहॉ से वापस जाना पड़ा और मिस्र ने उसे अपने नियंत्रण में ले लिया।
(२) सन् १८७०- डेनमार्क आस्ट्रिया तथा फ़्रांस पर विजय के पश्चात संयुक्त जर्मनी साम्राज्य का गठन हुआ। इससे पूर्व जर्मनी में राजाओं का अलग अलग राज हुआ करता था जर्मनी को एक साम्राज्य बनाने का श्रेय बिस्मार्क को जाता है जिन्हें लोहपुरुष का नाम दिया गया है। सन्  १९१८ ईसवी को प्रथम विश्व युद्ध में पराजय के पश्चात जर्मन साम्राज्य समाप्त हो गया और वहॉ लोकतंत्र लागू हो गया।
(३) सन् १९२२- पूर्व तुर्क सुल्तान महमूद छः को इटली में निर्वासित जीवन बिताने के लिए छोड़ दिया गया।
(४) सन् १९२२- रानी लक्ष्मीबाई का एक महत्वपूर्ण पत्र जो की उन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी के गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौज़ी को लिखा था लन्दन में ब्रिटिश लाइब्रेरी के आर्काइव्स में मिला हैं |
(५) सन् १९४३- मिस्र की राजधानी क़ाहेरा में इसी नाम की कॉन्फ़्रेन्स आरंभ हुई। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाने वाले इस सम्मेलन में अमरीका व चीन के राष्ट्रपतियों और ब्रिटेन के प्रधान मंत्री ने भाग लिया और कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण निर्णय लिये जिनमें से एक कोरिया की स्वतंत्रता है।
(६) सन् १९८२- इराक़ में सद्दाम हुसैन की अत्याचारी सरकार से जनता को छुटकारा दिलाने के लिए इस्लामी क्रान्ति के उच्च संगठन का गठन हुआ। जिसमें सद्दाम विरोधी दल और गुट शामिल थे। इसका उद्देश्य इराक़ में एक प्रजातांत्रिक सरकार लाना था। इराक़ पर जायोनी शासन के आक्रमण के दौरान अवसर का लाभ उठाते हुए इस संगठन ने इराक़ी सरकार पर प्रहार आरंभ कर।
१७ नवम्बर को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों के जन्मदिन हैं:- 
(१) सन् १९२२- स्टैनली कोहेन - अमेरिकी चिकित्सक, शरीर विज्ञान या चिकित्सा के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित
(२) सन् १९४२- मार्टिन स्कोर्सीस - अमरीकी फ़िल्मों के प्रसिद्ध एवं बेहतरीन निर्देशक |

१७ नवम्बर को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों का निधन हुआ:-
(१) सन् १९२८- लाला लाजपत राय; आजीवन ब्रिटिश राजशक्ति का सामना करते हुए अपने प्राणों की परवाह न करने वाले लाला लाजपत राय 'पंजाब केसरी' कहे जाते हैं। लाला लाजपत राय भारत के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे। ये भारतीय 'राष्ट्रीय कांग्रेस' के 'गरम दल' के प्रमुख नेता थे। वह पूरे पंजाब के प्रतिनिधि थे। उनकी अपने भारत की देशसेवा विख्यात है।(जन्म- २८ जनवरी, सन् १८६५) |
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'१८ नवम्बर का ऐतिहासिक महत्व'
१८ नवम्बर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३२२वॉ (लीप वर्ष मे ३२३वॉ) दिन है। वर्ष मे अभी और ४३ दिन बाकी है।
१८ नवम्बर का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं--
(१) सन् १८३९- फ़्रांस के सम्राज्य के विरुद्ध अलजीरिया की जनता का दूसरा आंदोलन आरंभ हुआ इसका नेतृत्व अब्दुल क़ादिर बिन मोहयुद्दीन कर रहे थे। फ़्रांस ने इस देश पर नियंत्रण करने के लिए सन् १८३० ईसवी से आक्रमण आरंभ किया था। अब्दुल क़ादिर ने ५० हजार सैनिकों के साथ सन् १८४७ ईसवी तक फ़्रांसीसी आक्रमणकारियों का मुक़ाबला किया किंतु अंतत: फ़्रांस ने उन्हें गिरफ़्तार कर लिया। लगभग एक शताब्दी के पश्चात द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति पर अलजीरिया वासियों द्वारा फ़्रांस के विरुद्ध पुन: संघर्ष आरंभ हो गया और सन् १९६२ ईसवी में इस देश को स्वतंत्रता मिल गयी।
(२) सन् १९०३- संयुक्त राज्य अमरीका तथा पनामा गणराज्य के बीच पनामा नहर नामक समझौता हुआ। इस समझौते के अनुसार पनामा नहर पर अमरीका का नियंत्रण हो गया परंतु बाद में सन् १९७८ ईसवी को दोनों पक्षों ने दोबारा समझौता किया जिसमें यह तै किया गया था कि सन् १९९९ तक पनामा नहर पनामा गणराज्य को दे दी जाए।
(३) सन् १९५६- मोरक्को को स्वतंत्रता मिली। १४६ वर्ष ईसा पूर्व यह देश रोम के नियंत्रण में चला गया था परंतु इस्लाम धर्म के उदय तथा विस्तार के पश्चात यह देश इस्लामी सरकार के अधिकार में चला गया और सन् १९२१ में फ़्रांस ने इस क्षेत्र पर अपना क़ब्ज़ा जमा लिया मोरक्को सन् १९५६ में स्वतंत्रता प्राप्त करने से पहले तक फ़्रांस के अधिकार में रहा।
(४) सन् १९६३- जनरल अब्दुस्सलाम आरिफ़ ने इराक़ की सत्ता अपने हाथ में ले ली एक रक्तरंजित सैनिक विद्रोह द्वारा वे तत्कालीन इराक़ी शासक अब्दुल करीम कासिम को सत्ता से हटा कर स्वयं शासक बन गये। अब्दुल करीम कासिम भी इसी प्रकार के विद्रोह के माध्यम से सत्ता में पहुँचे थे। जनरल अब्दुस्सलाम आरिफ़ तीन साल बाद एक विमान दुर्घटना में मारे गये और उनके भाई अब्दुर्रहमान आरिफ़ ने उनका स्थान लिया।

१८ नवम्बर को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों के जन्मदिन हैं:- 
(१) सन् १९०८- इमोजेन कोका |
(२) सन् १९०९- जॉनी मर्सर |
(३) सन् १९१८- कैमरून मिशेल |
(४) सन् १९२३- एलन शेपर्ड |
(५) सन् १९२३- एलन शेपर्ड जूनियर |


१८ नवम्बर को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों का निधन हुआ:-
(१) सन् २००६- डॉ.तपेश चतुर्वेदी, कवि-लेखक-शिक्षाविद-भाषाविद और साहित्यकार का चिड़ावा((राजस्थान) में निधन हुआ ।(जन्म- १८ सितम्बर, सन् १९२७ को मँझोली रियासत में जन्म हुआ ।)
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'१९ नवम्बर का ऐतिहासिक महत्व'
१९ नवम्बर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३२३वॉ (लीप वर्ष मे ३२४वॉ) दिन है। वर्ष मे अभी और ४२ दिन बाकी है।
१९ नवम्बर का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं--
(१) सन् १९२२- तुर्की के युवराज अब्दुल मजीद द्वितीय को खलीफा चुन लिया गया।
(२) सन् १९७७- मिस्र के तत्कालीन राष्ट्रपति अनवर सादात अवैध अधिकृत बैतुल मुक़द्दस के लिए रवाना हुए। किसी अरब देश के राष्ट्राध्यक्ष की अतिग्रहित फिलिस्तीन की यह पहली यात्रा थी। इस यात्रा का उद्देश्य मिस्र को ज़ायोंनी शासन के निकट लाना और इस अवैध शासन के साथ एक तथाकथित शांति समझौते पर हस्ताक्षर करना था। यही कारण था कि इस्लामी देशों विशेषकर फिलिस्तीनी जनमत ने इस पर आक्रोष व्यक्त किया। इसके बावजूद सादात ने सन् १९७८ ईसवी में अमरीका की मध्यस्थता से जायोनी शासन के साथ कैम्प डेविड नामक समझौते पर हस्ताक्षर किए। बहुत से अरब देशों ने इससे अप्रस्न्न होकर मिस्र के साथ अपने संबंध तोड़ लिए तथा सादात की इस कार्रवाई को अरबों और मिस्र की जनता के साथ विश्वासघात समझा गया जिसके बाद मिस्र में अशांति फैल गयी इसके अगले ही सन् १९८१ में औपचारिक सैनिक परेड के दौरान खालिद इस्लामबूली नामक सैनिक अधिकारी ने सादात की गोलीमार कर हत्या कर दी।
(३) सन् १९९०- नाटो और वारसा संधि के सदस्य देशों के नेताओं ने पेरिस में एक समझौते पर हस्ताक्षर करके पूर्वी और पश्चिमी ब्लॉकों के बीच शीत युद्ध का अंत कर दिया। इन नेताओं ने इसी प्रकार इन दोनों संगठनों के हथियारों को कम करने तथा प्रचारिक युद्ध को रोकने पर सहमति जताई। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमरीका और रुस के दो बड़ी परमाणु शक्तियों के रुप में उभरने के बाद शीत युद्ध आरंभ हुआ था। रुस परमाणु शस्त्र प्राप्त करके विश्व शांति के लिए ख़तरनाक साबित हो रहा था जिसके दृष्टिगत रुस और अमरीका को परमाणु युद्ध को रोकने के उद्देश्य से एक समझौता करने पर विवश होना पड़ा। इसके बावजूद पूर्वी और पश्चिमी ब्लॉकों में राजनैतिक, अर्थिक, प्रचारिक और जासूसी मंच पर युद्ध जारी रहा। इसी को शीत युद्ध कहा जाता है। १९८० के दशक में पूर्व सोवियत संघ और पूर्वी योरोपीय देशों में होने वाले परिवर्तनों से शीत युद्ध के समापन की भूमिका समतल हुई और अंतत: पूर्वी ब्लॉक के देशों में रुस का प्रभाव कम हो गया जिससे सोवियत संघ टूट गया और शीत युद्ध समाप्त हो गया। इसके कुछ समय बाद वारसा संधि भी समाप्त हो गयी।

१९ नवम्बर को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों के जन्मदिन हैं:- 
(१) सन् १९१५ - अनीता लिज़ाना - ग्रैंड स्लैम जीतने वाली पहली दक्षिणी अमेरिकी |
(२) सन् १९१७ - इन्दिरा गांधी - सन् १९६६ से सन् १९७७ तक लगातार ३ पारी के लिए भारत गणराज्य कीप्रधानमन्त्री रहीं और उसके बाद चौथी पारी में सन् १९८० से लेकर सन् १९८४ में उनकी राजनैतिक हत्या तक भारत की प्रधानमंत्री रहीं। वे भारत की प्रथम और अब तक एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रहीं। (निधन-३१ अक्टूबर, सन् १९८४)
(३) सन् १९२२- यूरी नोरोजोव, रूसी भाषाविद् और महाकवी(निधन-सन् १९९९)
(४) सन् १९२८ - दारा सिंह, १९६०-१९७० दशक के प्रसिद्द पहलवान, राज्यसभा के सांसद एवं प्रसिद्ध भारतीय फ़िल्मी अभिनेता हैं |
(५) सन् १९५१ - ज़ीनत अमान - हिन्दी फ़िल्मों की प्रसिद्ध अभिनेत्री |

१९ नवम्बर को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों का निधन हुआ:-
(१) सन् १९९८- टेड फुजिता, जापान में पैदा हुआ अमेरिकन मेटरोलोजिस्ट (सन् जन्म- १९२०)
(२) सन् २००१- मार्सल्ले फ़ररों, कुएबेक पेंटर और स्तैनेद ग्लास कलाकार (सन् जन्म-१९२४)
(३) सन् २००३- इअन गेओघेगन, ऑस्ट्रलियन रेसिंग ड्राईवर (सन् जन्म-१९४०)
(४) सन् २००४ - पिएट एस्सेर, डच स्कुल्प्टर (जन्म-सन् १९१४)
(५) सन् २००४ - हेलमुट ग्रिएम, ज़र्मन एक्टर (जन्म-सन् १९३२)
(६) सन् २००४ - तेर्री मेल्चेर, अमेरिकन संगीत और रिकॉर्ड प्रोडूसर (जन्म-सन् १९४२)
(७) सन् २००४ - जॉन रोबेर्ट वने, ब्रिटिश फर्मकोलोज़िस्ट, नोबेल लौरेअटे (जन्म-सन् १९२७)
(८) सन् २००५ - एरिक बल्लिंग, डेनिश टीवी और फिल्म डिरेक्टर (जन्म-सन् १९२४)
(९) सन् २००७ - केविन दूबरो, अमेरिकन सिंगर (Quiet Riot) (जन्म-सन् १९५५)
(१०) सन् २००७ - मइके ग्रेगोरी, इंग्लिश रग्बी लीग फुटबॉलर (जन्म-सन् १९६४)
(११) सन् २००७ - डिस्क विल्सन, अमेरिकन एक्टर (जन्म-सन् १९१६)
(१२) सन् २०१०- पेट बर्न्स, कनाडियन होकी कोच (जन्म-सन् १९५२)
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'२० नवम्बर का ऐतिहासिक महत्व'
२० नवम्बर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३२४वॉ (लीप वर्ष मे ३२५वॉ) दिन है। वर्ष मे अभी और ४१ दिन बाकी है।
२० नवम्बर का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं--
(१) सन् २८४ - डिओक्लेतिअन को रोमन सम्राट के रूप में चुना गया |
(२) सन् ७६२- चीनी साम्राज्य की राजधानी के लिए जय पाए लो यांग की घोषणा की गयी |
(३) सन् १९२०- ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध इराक़ी जनता का आंदोलन विफल हुआ। प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति और उसमानी शासन के पतन के बाद ब्रिटेन और फ़्रांस ने मध्यपूर्वी एशिया के क्षेत्रों को आपस में बॉट लिया किंतु आरंभ से उन्हें जनविरोध का सामना करना पड़ा। सन् १९२० का इराक़ी जनता का आंदोलन विदेशियों को बाहर निकालने और प्रजांतात्रिक व्यवस्था की स्थापना के लिए आरंभ हुआ था। यद्यपि इस आंदोलन में जनता ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया और बलि दी किंतु ब्रिटेन ने उस समय के आधुनिक हथियारों के प्रयोग से लोगों का जनसंहार किया और इस आंदोलन को कुचल दिया।
(४) सन् १९४५- जर्मनी में बीस से अधिक नात्सी अफ़सरों पर युद्धापराधों को लेकर मुकदमा शुरु ।
(५) सन् १९५०- कोरिया युद्ध में पहली बार अमरीका और चीन की सेनाओं का आमना सामना हुआ। उत्तरी और दक्षिणी कोरिया के बीच मतभेद उत्पन्न हो गया था जिसे अमरीका, रुस और चीन ने और भी व्यापक कर दिया। अमरीका दक्षिणी कोरिया और पूर्व सोवियत संघ तथा चीन उत्तरी कोरिया का समर्थन कर रहे थे। कोरिया युद्ध में दोनों पक्षों को भारी क्षति हुई। अंतत: संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्था से यह युद्ध रुका और कोरिया द्वीप दो देशों उत्तरी कोरिया और दक्षिणी कोरिया में बॅट गया।
(६) सन् १९६०- स्वीडन में योरोपीय देशों के सातवें कँन्वेन्शन में स्वतंत्र योरोपीय व्यापार संगठन एफ़टा के गठन के प्रस्ताव पर सहमति हुई। इस संगठन में ऑस्ट्रिया फिनलैंड, नार्वे और स्वीडन सहित सात योरोपीय देश शामिल थे। उक्त चारों देश पश्चिमी ब्लॉक में शामिल थे किंतु वे योरोप के संयुक्त बाजार से नहीं जुड़ना चाह रहे थे। इसी लिए इन देशों ने स्वतंत्र व्यापार के समझौते पर हस्ताक्षर किये किंतु योरोप में कुछ परिवर्तन होने तथा योरोपीय संघ में ब्रिटेन और डेनमार्क के शामिल होने के बाद एफ़टा ने योरोप के संयुक्त बाजार के साथ समझौता कर लिया।
(७) सन् १९९५- वेल्स की राजकुमारी डायना ने वेल्स के राजकुमार से अलगाव और अपने विवाहेत्तर संबंधों के बारे में बीबीसी टेलीविज़न पर खुल कर बात की ।
(८) सन् १९८५- माइक्रोसॉफ्ट विंडोज 1.0 जारी की है |
(९) सन् १९८६- संयुक्त राष्ट्र डब्ल्यूएचओ 1 वैश्विक एड्स का मुकाबला करने के प्रयास की घोषणा |
(१०) सन् २००३- इस्तांबुल में बम-विस्फोट के परिणामस्वरुप तुर्की के एचएसबीसी बैंक के मुख्य-कार्यालय और ब्रिटिश वाणिज्य दूतावास को नष्ट हो गए |
(११) सन् २००८- अमेरिका की वित्तीय प्रणाली में महत्वपूर्ण विफलताओं के मध्य डो जोन्स औद्योगिक औसत के बाद सन् १९९७ के बाद से अपने निम्नतम स्तर तक पहुँचा |
(१२) सन् २०११- लीबिया की अंतरिम सरकार ने देश के पूर्व प्रशासक कर्नल गद्दाफी के पुत्र सैफ अल-इस्लाम को गिरफ्तार कर लिया |


२० नवम्बर को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों के जन्मदिन हैं:- 
(१) सन् १९३२- रिचर्ड डावसन |
(२) सन् १९३९- डिक स्मोथेर्स _
(३) सन् १९४३- वेरोनिका हमेल |
(४) सन् १९४६- दुआने ऑलमैन |
(५) सन् १९४६- जुडी वूद्रुफ्फ़ |
(६) सन् १९५६- बो डेरेक |
(७) सन् १९६५- माइक हीरा |
(८) सन् १९८३- मिस्चा मेंडल |


२० नवम्बर को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों का निधन हुआ:-
(१) सन् १९६२- डेनमार्क के प्रसिद्ध वैज्ञानिक नील बोहर का ८२ वर्ष की आयु में निधन हुआ। वे भौतिक शास्त्री थे। उनका जन्म सन् १८८० में हुआ था। बचपन में उन्हें गणित से विशेष लगाव था। उन्होंने इस विषय में व्यापक अध्ययन और शोधकार्य किया। इसके अतिरिक्त उन्होंने अणु के बारे में भी बहुत अध्ययन और कुछ अविष्कार किये जिसके कारण उन्हें नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
(२) सन् १९७१- स्पेन के तानाशाह जनरल फ़्रैंको का निधन ।
(३) सन् २००४- डेविड ग्रिएरसों, कनाडा के रेडियो मेजबान (जन्म- सन् १,९५५ ) 
(४) सन् २००४- जेनी रॉस, अंग्रेजी संगीतकार (धारा 25) (जन्म- सन् १,९६२) 
(५) सन् २००५- मनोचहर आतशी, ईरानी कवि (जन्म- सन् १९३१) 
(६) सन् २००५- शेल्डन गार्डनर, अमेरिकी मनोवैज्ञानिक (जन्म- सन् १९३४) 
(७) सन् २००५- क्रिस व्हिटली, अमेरिकी संगीतकार (जन्म- सन् १९६०) 
(८) सन् २००५- जेम्स किंग, अमेरिकी गायक(जन्म- सन् १९२५) 
(९) सन् २००६- रॉबर्ट अल्त्मन, अमेरिकी फिल्म निर्देशक (जन्म- सन् १९२५) 
(१०) सन् २००६- ज़िया Ceauş इस्कू, रोमानियाई गणितज्ञ (जन्म- सन् १९५०) 
(११) सन् २००६- आंद्रे वाटर्स, अमेरिकी फुटबॉल खिलाड़ी (जन्म- सन् १९६२) 
(१२) सन् २००७- इयान स्मिथ, र्होदेसिया के प्रधानमंत्री (जन्म- सन् १९१९) 
(१३) सन् २००८- स्वेन इंगे, स्वीडिश चित्रकार और आधुनिक कलाकार(जन्म- सन् १९३५) 
(१४) सन् २००९ - लिनो लासदेल्ली, इतालवी पर्वतारोही(जन्म- सन् १९२५) 
(१५) सन् २००९- मैक्स रॉबर्टसन, ब्रिटिश स्पोर्ट्स कमेंटेटर, रेडियो, और टेलीविजन प्रस्तुतकर्ता और लेखक (जन्म- सन् १,९१५) 
(१६) सन् २०१०- रोब ल्य्तले, अमेरिकी फुटबॉल खिलाड़ी (जन्म- सन् १९५४) 
(१७) सन् २०१०- लॉरी बेम्बेनेक, अमेरिकी दोषी करार कातिल और भगोड़ा (जन्म- सन् १,९५८) 
(१८) सन् २०१०- डैनी म्च्देवित्त, अमेरिकी बेसबॉल खिलाड़ी (जन्म- सन् १९३२) 
(१९) सन् २०१०- चल्मेर्स जॉनसन, अमेरिका के राजनीतिक विद्वान और लेखक (जन्म- सन् १९३१)
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'२१ नवम्बर का ऐतिहासिक महत्व'
२१ नवम्बर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३२५वॉ (लीप वर्ष मे ३२६वॉ) दिन है। वर्ष मे अभी और ४० दिन बाकी है।
२१ नवम्बर का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं--
(१) सन् १२७२- हेनरी III, अपने बेटे प्रिंस एडवर्ड, (१६ नवंबर को मृत्यु) के बाद इंग्लैंड का राजा बना |
(२) सन् १७८३- पहली बार आकाश में गुब्बारे द्वारा मनुष्य ने उड़ने का प्रयास किया इस गुब्बारे में दो लोग सवार थे इनमें एक फ़्रांस के भौतिक शास्त्री डयूरेज़ थे। डयूरेज़ ने शिक्षा प्राप्ति के काल से ही उड़ने की योजना बनाई थी। जिसे बाद में उन्होंने व्यवहारिक किया। एक उड़ान के दौरान वे ब्रिटेन और फ़्रांस के मध्य पानी में डूबकर मर गये।
(३) सन् १७९१- कर्नल नेपोलियन बोनापार्ट को फ्रेंच गणराज्य की सेनाओं के कमांडर-चीफ के रूप में नियुक्त किया गया और यहीं से उसके सम्राट बनने का मार्ग खुला |
(४) सन् १७९४- होनोलूलू हार्बर की खोज |
(५) सन् १८७१ - मोजे़स गेल द्वारा सिगार लाइटर को पेटेण्ट कराया गया।
(६) सन् १८०६- नेपोलियन बोनापार्ट की ओर से बर्लिन आदेश जारी हुआ। जिसके अनुसार फ़्रांस के प्रभाव वाले स्मस्त योरोपीय देशों के ब्रिटेन के साथ व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया गया। ब्रिटेन द्वारा फ़्रांस की समुद्री घेराबंदी की प्रतिक्रिया स्वरुप नेपोलियन ने यह आदेश जारी किया था।
(७) सन् १८६७- लक्ज़मबर्ग को एक स्वतंत्र राष्ट घोषित किया गया। किंतु इसके बाद भी यह देश हॉलैड से जुड़ा रहा। सन् १८९० में लक्ज़मबर्ग हालैंड से भी अलग हो गया। सन् १९४८ में इस दश ने नेटो की सदस्यता ली। यह छोटा सा यारोपीय देश इस महाद्वीप के पश्चिमी भाग में जर्मनी फ़्रांस तथा बेल्जियम के पड़ोस में स्थित है।
(८) सन् १९६२ - चीन की जनवादी मुक्ति सेना ने भारत-चीन सीमा पर एकपक्षीय युद्ध विराम की घोषणा की।
(९) सन् १९७१ - मुक्ति वाहिनी वारा समर्थित भारतीय सेना ने गरीबपुर की लडा़ई में पाकिस्तानी सेना को परास्त किया।
(१०) सन् २००६- सीरिया विरोधी लेबनानी मंत्री और सांसद पियरे गेमायेल उपनगरीय बेरूत में हत्या कर दी |


२१ नवम्बर को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों के जन्मदिन हैं:- 
(१) सन् १६९४- फ़्रांस के प्रसिद्ध दार्शनिक तथा लेखक फ्रान्कोइस मैरी आरोए का जन्म हुआ वे वाल्टर के नाम से प्रसिद्ध हुए। वाल्टर को जीवन में दो बार कारवास और एक बार तीन वर्ष के लिए ब्रिटेन की ओर देशनिकाला दिया गया। जिसके कारण उनके मन में फ़्रांस की सरकार के प्रति द्वेष उत्पन्न हो गया जिसे उनकी रचनाओं में देखा जा सकता है। वाल्टर ने विभिन्न विषय में ५० पुस्तकें लिखीं।
(२) सन् १९३५ - स्कन्द गुप्त
(३) सन् १९६८ - एण्डी कैडिक
(४) सन् १९७० - जस्टिन लैंगर
(५) सन् १९७६ - सलीम इलाही
(६) सन् १९८२ - आरती छाबरिया

२१ नवम्बर को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों का निधन हुआ:-
(१) सन् १९७० - सी वी रमन, प्रसिद्ध भौतिकी नोबल पुरस्कार।
(२) सन् २००९- हिंदी के लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार व जोधपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफ़ेसर कल्याण मल लोढ़ा का रात लगभग २.३० बजे जयपुर में निधन हो गया |

प्रमुख विश्व-दिवस:-
(१)विश्व हेलो डे
(२)विश्व टेलीविज़न डे
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'२२ नवम्बर का ऐतिहासिक महत्व'
२२ नवम्बर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३२६वॉ (लीप वर्ष मे ३२७वॉ) दिन है। वर्ष मे अभी और ३९ दिन बाकी है।
२२ नवम्बर का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं--
(१) सन् १८७७- थॉमस एडिसन ने ग्रामोफ़ोन का अविष्कार किया। एडिसन बहुत दिनों पहले से ही ऐसी मशीन बनाने के प्रयास में थे जो आवाज़ को रिकॉर्ड करके आवश्यक समय पर उसे प्रसारित करे। इसके लिए उन्होंने ७ वर्ष परिश्रम किया। सन् १९३१ में एडिसन का निधन हुआ।
(२) सन् १९४३- द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापान को हराने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रेंकलिन थियोडोर रूज्वेल्ट, ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल और चीनी शासक च्यांग काई शेक के बीच मंत्रणा हुई।
(३) सन् १९४३- द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान लेबनान स्वतंत्र हुआ। सन् १९१८ में यह देश उसमानी शासन के नियंत्रण से निकलकर फ़्रांस के अधिकार में चला गया था। फ़्रांस की भेदभाव पूर्ण नीति के कारण लेबनान में अशांति फैल गयी जो सन् १९४३ में इस देश की स्वतंत्रता के बाद समाप्त हुई। यह देश मध्यपूर्वी एशिया के पश्चिमी भाग में भूमध्यसागर के तट पर स्थित है। सीरिया और फ़्रिलिस्तीन इसके पड़ोसी देश हैं।
(४) सन् १९५०- अमेरिका के रिचमंड हिल्स में रेल दुर्घटना में ७९ लोगों की मृत्यु हो गई।
(५) सन् १९६३- अमरीका के तत्कालीन राष्ट्रपति जान एक कैनेडी की टेक्सास राज्य के एक नगर का दौरा करते समय हत्या कर दी गयी। उन्हें एक अमरीकी ने मारा। कैनैडी का जन्म सन् १९१७ में हुआ और सन् १९४६ से वे तीन बार अमरीकी कॉग्रेस और एक बार सेनेट के सदस्य चुने गये। कैनेडी के हत्यारे ली हारवी इसवाल्ड की कुछ ही दिनों बार जैक रुबी नामक व्यक्ति ने हत्या के दी। और जैक रुबी भी पुलिस के दावे के अनुसार जेल में कैंसर के रोग से मर गया। इस प्रकार से इस हत्या कांड के योजनाकार का पता नहीं चल सका।
(६) सन् १९६७- संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद ने फ़िलिस्तीन के बार में प्रस्ताव २४२ पारित किया। जिसमें फ़िलिस्तीन क्षेत्रों से ज़ायोनी शासन के सैनिकों की वापसी, विवश होकर पलायन करने वाले फ़िलिस्तीनियों की स्वदेश वापसी क्षेत्र के देशों की अखंडता और प्रभुसत्ता के सम्मान पर बल दिया गया था। किंतु ज़ायोनी शासन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय नियमों के साथ खिलवाड़ के कारण इस प्रस्ताव का वही भाग लागू हुआ जो इस्राईल के हित में था।
(७) सन् १९६७- संयुक्त राष्ट्र ने २४२वां प्रस्ताव पारित करके इजरायल को जमीन वापस करने का निर्देश दिया।
(८) सन् १९६८- मद्रास राज्य का नाम बदलकर तमिलनाडु करने के प्रस्ताव को लोकसभा से स्वीकृति मिली।
(९) सन् १९७१- भारत और पाकिस्तान ने एक दूसरे की हवाई सीमाओं का उल्लंघन किया और दोनों देशों के बीच हवाई संघर्ष शुरू हुआ।
(१०) सन् १९८९- मंगल, शुक्र, शनि, यूरेनस, नेप्च्यून और चंद्रमा एक ही सीध में आये।
(११) सन् १९९०- ब्रिटिश प्रधानमंत्री मारग्रेट थैचर ने अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा की।
(१२) सन् १९९७- भारत की डायना हेडेन विश्व सुंदरी बनी।


२२ नवम्बर को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों के जन्मदिन हैं:- 
(१) सन् १८३०- बुंदेलखंड के वीर रस के लोकगीतों की प्रणेता झलकारी बाई का जन्म झांसी के भोजला गांव में हुआ। झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की नियमित सेना में, महिला शाखा दुर्गा दल की सेनापति थीं। वे लक्ष्मीबाई की हमशक्ल भी थीं इस कारण शत्रु को धोखा देने के लिए वे रानी के वेश में भी युद्ध करती थीं ।(निधन- ४ अप्रैल १८५७)
(२) सन् १८९९ - शहीद लक्ष्मण नायक, वरिष्ठ भारतीय स्वतंत्रता सेनानी |
(३) सन् १९१६- शांति घोष, वरिष्ठ भारतीय स्वतंत्रता सेनानी |


२२ नवम्बर को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों का निधन हुआ:-
(१) सन् १५४०- इटली के राजनीतिज्ञ और इतिहासकार गे शोरडन का ५८ वर्ष की आयु में निधन हुआ। वे फ़रवरी सन् १४८२ में फलोरेंन्स नगर में पैदा हुए। उन्हें इतिहास और साहित्य के विषयों में दक्षता प्राप्त थी साथ ही वे कुशल राजनीतिज्ञ थे। वे योरोप में पुनर्जागरण के काल के लेखकों में से एक थे।
(२) सन् १९४६- मिर्ज़ा ज़ाकिर हुसेन ‘साक़िब’ (जन्म- २ जनवरी, सन् १८६९ को आगरा में हुआ।)
(३) सन् २००८- प्रमुख हिन्दी सेवी जी.आर.नरसिम्हा राव जी का निधन दोपहर १.१५ बजे हृदय की गति रुक जाने से हो गया । आप हिन्दी प्रचार सभा,हैदराबाद के परीक्षा मंत्री,भारत अभ्युदय उच्च विद्यालय ट्रस्ट बोर्ड,जियागुड़ा के सभापति एवं अभ्युदय प्राच्य महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य रह चुके थे ।
(४) सन् २००९- रूस के पहले असैन्य अंतरिक्ष यात्री और मशहूर विमान डिजाइनर प्रो. कांस्टांटिन फेयोक्तिस्तोव का निधन हो गया ।
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'२३ नवम्बर का ऐतिहासिक महत्व'
२३ नवम्बर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३२७वॉ (लीप वर्ष मे ३२८वॉ) दिन है। वर्ष मे अभी और ३८ दिन बाकी है।
२३ नवम्बर का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं--
(१) सन् ९६०- जर्मनी के नरेश ऑटन प्रथम ने बूहम देश के सैनिकों को पराजित किया। और इस देश पर क़ब्ज़ा कर लिया। बूहम जो वर्तमान चेक गणराज्य बन गया है, 16वीं शताब्दी के मध्य तक जर्मनी के अधिकार में रहा। ऑटन ने बूहम के बाद पोलैंड और डेनमार्क को भी अपने अधिकार में कर लिया था।
(२) सन् १५२१- फरानान्डो माज़लान नामक पुर्तग़ाली नाविक की हत्या हुई। सन् १४७० में उनका जन्म हुआ था। उन्होंने सन् १५१९ से पॉच जहाज़ों के साथ अपनी समुद्री यात्रा आरंभ की। दक्षिणी अमरीका के तट पर पहुँचने के बाद माज़लान ने एक खाड़ी का पता लगाया जिसका नाम भी उन्हीं के नाम पर माज़लान खाड़ी रख दिया गया। माज़लान और उनके साथी इसी मार्ग से प्रशांत महासागर तक पहुँच गये जहॉ उन्हें कई दिनों तक भूखा रहकर भटकना पड़ा यहॉ तक कि ये लोग फिलिपीन द्वीप समूह तक पहुँचे।फ़िलिपीन के स्थानीय लोगों ने माज़लान को अपने आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करते देखकर मार डाला। उनके १६० साथियों में केवल १८ ही जान बचाकर स्पेन पहुँचने में सफल हुए।
(३) सन् १८७३ ईसवी को वियतनाम की राजधानी हनोई पर फ़्रांस के सैनिकों का अधिकार हो गया। चीन और भारत में फ़्रांस की वर्चस्ववादी लड़ाइयों के दौरान यह घटना हुई। १९वीं शताब्दी के मध्य से फ़्रांस ने इस क्षेत्र के अधिकांश भागों को अपना उपनिवेश बनाने का प्रयास किया। फ़्रांसीसी सैनिकों ने सन् १८८५ तक वियतनाम और तोनकन का अतिग्रहण कर लिया था। सन् १९५४ में फ़्रांसीसी सैनिकों को वियतनामी सैनिकों के हाथों भारी पराजय का सामना करना पड़ा जिसके बाद वे यह देश छोड़ने पर विवश हो गये।
(४) सन् १९२३- जर्मनी की गुस्ताव स्ट्रेसीमैन की गठबंधन सरकार का पतन हो गया।

२३ नवम्बर को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों के जन्मदिन हैं:- 
(१) सन् १९२२- डोनाल्ड टेनंट, अमेरिकी विज्ञापन एजेंसी के कार्यकारी (निधन- सन् २००१)
(१) सन् १९२६- सत्यनारायण राजू उर्फ सत्य साईं बाबा का जन्म आन्ध्र प्रदेश के पुट्टापर्थी में हुआ था, जिस घर में सत्य साईं का जन्म हुआ वह घर अब एक मन्दिर बन गया है ।

२३ नवम्बर को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों का निधन हुआ:-
(१) सन् १९३७- आधुनिक भारत का प्रथम भौतिक विज्ञानी जगदीश चन्द्र बोस का निधन ३० नवम्बर, १८५८ को गिरिडी, बिहार में हुआ।(जन्म:- ३० नवम्बर, सन् १८५८ )
(१) सन् १९८०- हिन्दी फिल्मों के संगीतकार श्यामबाबू पाठक 
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'२४ नवम्बर का ऐतिहासिक महत्व'
२४ नवम्बर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३२८वॉ (लीप वर्ष मे ३२९वॉ) दिन है। वर्ष मे अभी और ३७ दिन बाकी है।
२४ नवम्बर का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं--
(१) सन् १८३१- ब्रिटेन के भौतिकशास्त्री माइकल फेरेडे ने बिजली की खोज की। उनके इस कारनामे से भैतिकशास्त्र विशेषकर इलेक्ट्रिसिटी के क्षेत्र में बहुत बड़ी प्रगति हुई फेरेडे सन् १७९१ ईसवी में जन्मे थे। उन्होंने पहले एक पुस्तकालय में काम किया और वहीं वे अध्ययन भी करते रहे। कुछ वर्षों बाद वे प्रयोगशाला में ब्रिटिश भौतिक शास्त्री हम्फरे के सहयोगी बन गए। उन्होंने अपने अनेक प्रयोगों में बिजली का बल्ब बनाया और रसायनशास्र के क्षेत्र में भी कई उपलब्धियॉ अर्जित कीं। उनकी एक अन्य सफलता बिजली के मोटर का निर्माण है भौतिकशास्त्र का एक महत्वपूर्ण नियम फेरेडे के नाम पर है । फेरेडे गोसों को तरल पदार्थ में परिर्तित करने वाले अग्रिणी वैज्ञानिकों में गिने जाते हैं।
(२) सन् १९२२- लोकप्रिय लेखक और आयरिश जनवादी सेना के सदस्य रॉबर्ट अर्स्काइन चिल्डेर्स को स्वतंत्र राज्य फायरिंग दस्ता द्वारा अवैध रूप से एक रिवॉल्वर ले जाने के लिए मार डाला गया।

२४ नवम्बर को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों के जन्मदिन हैं:- 
(१) सन् १६३२- हॉलैंड के समाजशास्त्री और भौतिक शास्त्री बैरोख डो इस्पीनूज़ा का जन्म हुआ। उन्हें उच्चस्तरीय शिक्षा के दौरान प्रसिद्ध दार्शनिक डेकार्ट के विचारों से रुसि पैदा हो गयी। उन्होंने यहूदी धर्म पर कई टिप्पणियां कीं इसी कारण इस धर्म के लोग उनके दुशमन हो गये और वे कुछ समय बाद सबसे कट कर रहने लगे। इस्पीनूज़ा के विचार सूफीइज़्म से मिलते हैं। उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं।
(२) सन् १८६४- फ़्रांसीसी चित्रकार हेनरी तोलोज़ लूत्रोक का जन्म हुआ। उनका संबंध मध्यवर्गीय परिवार से था। बहुत सी आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने अपनी कला दक्षता को विकसित किया और फ़्रांस के वरिष्ठ चित्रकारों में गिने जाने लगे। सन् १९०१ में उनका निधन हुआ।


२४ नवम्बर को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों का निधन हुआ:-
(१) सन् १९१६- सर हीराम स्टीवंस मैक्सिम, अमेरिकी-बन्दूक का आविष्कारक (जन्म- सन् १८४०) 
(२) सन् १९२३- मिशेल डी क्लार्क, वास्तुकार (एम्स्टर्डम स्कूल), ३९ वर्ष की आयु में निधन |
(३) सन् १९२९- जार्ज क्लिमेंस्यु, फ्रांसीसी पत्रकार / प्रमुख (सन् १९१७-सन् १९२०), ८८ वर्ष की आयु में निधन |
(४) सन् १९४३- मार्टिन रसच्के, जर्मन संवाददाता / लेखक, सन् १९३८ के युद्ध में निधन |
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'२५ नवम्बर का ऐतिहासिक महत्व'
२५ नवम्बर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३२९वॉ (लीप वर्ष मे ३३०वॉ) दिन है। वर्ष मे अभी और ३६ दिन बाकी है।
२५ नवम्बर का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं--
(१) सन् १७१६- अमेरिका में पहली बार किसी शेर को प्रदर्शनी में रखा गया।
(२) सन् १९४१- लेबनान को फ्रां से आजादी मिली।
(३) सन् १९४५- अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी में वर्फीले तूफान के कारण हुई स्कूल बस दुर्घटना में १५ बच्चों की मौत हो गई।
(४) सन् १९४८- भारत में राष्ट्रीय कैडेट कोर की स्थापना हुई।
(५) सन् १९४९- स्वतंत्र भारत के संविधान पर संवैधानिक समिति के अध्यक्ष ने हस्ताक्षर किये तथा इसे तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया।
(६) सन् १९५०- चीन कोरिया विवाद में कूदा। उसकी सेनाओं ने यालू नदी को पार किया।
(७) सन् १९६०- टेलीफोन की एसटीी व्यवस्था का भारत में पहली बार कानपुर और लखनऊ के बीच प्रयोग किया गया।
(८) सन् १९६५- फ्रांस ने अपना पहला सेटेलाइट लांच किया।
(९) सन् १९७४- नेपाल में एक पुल के ढहने से लगभग १४० लोग मरे।

२५ नवम्बर को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों के जन्मदिन हैं:- 
(१) सन् १९२२- शेला फ़्रेजर, ब्रिटिश अभिनेत्री (निधन-सन् २०००)
(२) सन् १९४१- रियाद अहमद गौहर शाही, मुस्लिम सूफी, लेखक , आध्यात्मिक नेता (निधन-२००१)


२५ नवम्बर को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों का निधन हुआ:-
(१) सन् २००१- रियाद अहमद गौहर शाही, मुस्लिम सूफी, लेखक, इंटरनेशनल के संस्थापक और आध्यात्मिक नेता आध्यात्मिक आंदोलन के सेर्फ़रोषण अंजुमन ए इस्लाम (जन्म- सन् १९४१)
(२) सन् २००६- फिलिस फ्रेजर, अमेरिकी अभिनेत्री और बच्चों की किताब प्रकाशन की मालकिन (जन्म- सन् १,९१६) 
(३) सन् २०१०- बर्नार्ड मैथ्यू, ब्रिटिश पोल्ट्री उद्योग आंकड़ा ((जन्म- सन् १९३०) 
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'२६ नवम्बर का ऐतिहासिक महत्व'
२६ नवम्बर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३३०वॉ (लीप वर्ष मे ३३१वॉ) दिन है। वर्ष मे अभी और ३५ दिन बाकी है।
२६ नवम्बर का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं--
(१) सन् १६८८- फ्रांस के राजा लुई XIV  द्वारा नीदरलैंड के विरुद्ध युद्ध की घोषणा |
(२) सन् १९२२- हावर्ड कार्टर और यहोवा कार्नार्वन २००० वर्ष पुराने पिरामीड में घुसने वाले पहले व्यक्ति बने। उन्होंने फराओ तूतनखामन के मकवरे में प्रवेश किया।
(३) सन् २००८- भारत के मुंबई नगर में आत्मघाती आतंकवादी हमला हुआ। आतंकवादियों ने ताज होटल में घुसकर अनेक अतिथियों को बंधक बना लिया। इसे भारतीय सेना ने तीन दिनों की कार्यवाई के पश्चात मुक्त करा लिया।

२६ नवम्बर को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों के जन्मदिन हैं:- 
(१) सन् १४७७- इटली के विख्यात नाविक सेबैस्टियन कैबो का फलोरंस नगर में जन्म हुआ। उनके पिता जॉन, मंझे हुए नाविक थे और सिबैसिटयन ने अपने पिता के साथ रहकर समुद्र यात्रा के गुण और रहस्य सीखे। वे अपने पिता की अधिकाश यात्राओं में उनके साथ रहे। सन् १५५५ में उनका निधन हुआ।
(२) सन् १९२२- चार्ल्स एम. शल्ज़, अमेरिकी कार्टूनिस्ट (पीनट्स) (निधन-सन् २०००)

२६ नवम्बर को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों का निधन हुआ:-
(१) सन् १८५५- एडम मिसकिए विच नामक पोलैंड के कवि और लेखक का उसमानी शासन की राजधानी इस्तांबूल में निधन हुआ। वे सन् १७९८ ईसवी में जन्मे थे और अपने पिता की भॉति एक स्वतंत्रता प्रेमी संघर्षकर्ता थे। मिसकिए विच ने उस समय जीवन बिताया जब पोलैंड। रूस ऑस्ट्रिया और प्रॉस के बीच बंटा हुआ था। उन्होंने अपने देश को पुन: एक करने के लिए प्रयास किए। इसी कारण सन् १८२३ में उनहें देश निकाला देकर रुस भेज दिया गया किंतु ६ वर्ष बाद वे इस देश से भाग निकले और फ़्रांस जाकर साहित्य की शिक्षा देने लगे फिर वे इस्तांबूल चले गये तथा एक सैनिक इकाई तैयार करके रूस से लड़ने की तैयारी में जुट गये किंतु इसी नगर में उनका निधन हो गया।
(२) सन् १८९४- जर्मनी के गणितज्ञ और भौतिकशास्त्री हेनरी रोडल्क हर्टज़ का ३७ वर्ष की आयु में निधन हुआ। वे सन् १८५७ ईसवी में हैमबँग मे जन्में थे। उन्हें युवाकाल से ही भौतिकशास्त्र और मैकेनिकल कामों से लगाव था। इस लिए उन्होंने इसी क्षेत्र में अपनी शिक्षा आगे बढ़ाई। उन्होंने विद्युताकर्षण की लहरों का पता लगाकर भौतिक शास्त्र और गणित के क्षेत्र में अनेक नये अविषकारों और खोजों की नींव डाली। यह लहरें इस समय हर्टज़ के नाम से जानी जाती हैं।
(३ ) सन् १९९५- शंकर दयाल सिंह - भारत के राजनेता तथा हिन्दी साहित्यकार (जन्म- सन् १९३७)
(४) सन् २००८- डे' अन्गेलो विल्सन, अमेरिकी अभिनेता (जन्म- १९७९) 
(५) सन् २०१०- पाल्ले हुल्ड, डैनिश अभिनेता (जन्म- १९१२)
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'२७ नवम्बर का ऐतिहासिक महत्व'
२७ नवम्बर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३३१वॉ (लीप वर्ष मे ३३२वॉ) दिन है। वर्ष मे अभी और ३४ दिन बाकी है।
२७ नवम्बर का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं--
(१) सन् १९४१- जर्मनी और सोवियत संघ के बीच द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान टैंक लड़ाई हुई। इसमें जर्मनी की पराजय होने के बाद लड़ाई बंद हुई। इस युद्ध में जर्मन सेनाओं ने रूस की राजधानी मास्को पर अधिकार करना चाहा जिसका उन्होंने एक महीने से परिवेष्टन कर रखा था। जर्मनी की यह पराजय द्वितीय विश्व युद्ध की महत्वपूर्ण घटना थी और यहीं से सोवियत संघ के मोर्चों पर जर्मनी की पराजय का क्रम आरंभ हुआ। मॉस्को के निकट होने वाली इस लड़ाई में रुस और जर्मनी ने भारी संख्या में टैंकों का प्रयोग किया इसी लिए इसे टैंकों की लड़ाई का नाम दे दिया गया।
(२) सन् १९४७- पेरिस में पुलिस ने कम्युनिस्ट समाचार-पत्र के कार्यालय पर कब्जा कर लिया।
(३) सन् २००५- एमियेन्ज़, फ्रांस में पहला आंशिक मानवीय चेहरा प्रत्यारोपण पूर्ण सफल हुआ |


२७ नवम्बर को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों के जन्मदिन हैं:- 
(१) सन् १८१७- जर्मनी के विख्यात इतिहासकार और अध्ययनकर्ता थयुडर मोमज़न का जन्म हुआ। उन्होंने शिक्षा प्राप्ति के बाद शोधकार्य आरंभ कर दिया। उन्होंने प्राचीन सभ्यताओं से संबंधित शिलालेखों का अध्ययन विशेष रुप से किया। प्राचीन रोम का विस्तृत इतिहास उनकी प्रसिद्ध पुस्तक है जो रोम के बारे में इतिहास की अत्यंत महत्वपूर्ण पुस्तक है। उन्हें सन् १९०२ में नोबल पुरस्कार मिला और इसके एक वर्ष बाद ८६ वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। वे राजनैतिक क्षेत्र में भी सक्रिय रहे और जर्मनी की संसद के सदस्य भी चुने गये। वे तत्कालीन जर्मन चान्सलर बिसमार्क के कट्टर विरोधियों में समझे जाते थे।
(२) सन् १९२१- ओले सर्विग, डैनिश लेखक / आलोचक (Limbo, Glem Ikke) 
(३) सन् १९२३- रॉबर्ट ए यंग, (प्रतिनिधि - डी - एमओ, सन् १९७७-सन् १९८६) 
(४) सन् १९२४- थेरेसा आर वान डेर पंत, मूर्तिकार 


२७ नवम्बर को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों का निधन हुआ:-
(१) सन् १९५३- अमरीका के विख्यात नाटक लेखक बूजीन ओनील का ६५ वर्ष की आयु में निधन हुआ। वे सन् १८८८ में जन्में थे। उनका जीवन उतार चढ़ाव से भरा हुआ है। उन्हें ड्रामे से बड़ा लगाव था। सन् १९३६ में उन्हें नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनकी एक पुस्तक जोन्ज़ एम्पेरर है जबकि कुछ दूसरी पुस्तकों के नामों का अनुवाद विचित्र क्षण तथा जंगल की आवाज़ है।
(२) सन् २००८- विश्वनाथ प्रताप सिंह भारत के आठवें प्रधानमंत्री ।(जन्म- २५ जून, सन् १९३१)
(३) सन् २०११- मशहूर सारंगी वादक एवं एलबम 'पिया बसंती' के गायक व कम्पोजर उस्ताद सुल्तान खां का निधन हो गया। ७१ वर्षीय खां पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। उनकी तबीयत ज्यादा बिगडऩे पर उन्हें रविवार को बॉम्बे हॉस्पिटल ले जाया जा रहा था, लेकिन रास्ते में ही उनकी मृत्यु हो गई।
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'२८ नवम्बर का ऐतिहासिक महत्व'
२८ नवम्बर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३३२वॉ (लीप वर्ष मे ३३३वॉ) दिन है। वर्ष मे अभी और ३३ दिन बाकी है।
२८ नवम्बर का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं--
(१) सन् १९१९- अमेरिका में जन्मी लेडी ऐस्टोर हाउस ऑफ कामर्स की प्रथम महिला सदस्य चुनी गई।
(२) सन् १९८७- दक्षिण अफ्रीका के हिंद महासागर, में एयरवेज बोइंग 747 दुर्घटना के दौरान १५९ यात्रियों की मृत्यु हो गयी |
(३) सन् १९८८- पिकासो की पेंटिंग "एक्रोबेट और मसखरा" 38.46 करोड़ डॉलर में बिकी |


२८ नवम्बर को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों के जन्मदिन हैं:-
(१) सन् १९६२- जॉन स्टीवर्ट, अमेरिकी हास्य अभिनेता |
(२) सन् १९६५- डेविड एकोब, सिडनी एनएसडब्ल्यू आस्ट्रेलिया गोल्फर |
(३) सन् १९७१- रोब कोनवे, अमेरिकी पेशेवर पहलवान |
(४) सन् १९७७- फैबियो ग्रोसो, इतालवी फुटबॉलर |


२८ नवम्बर को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों का निधन हुआ:-
(१) सन् १६७८- अफगानिस्तान के जमरूद नामक सैनिक ठिकाने पर जोधपुर के महाराजा जसवंतसिंह का निधन हो गया था
(२) सन् १८९०- भारतीय सामाजिक क्रान्ति के जनक कहे जाने वाले महात्मा ज्योतिबा फुले । वे एक महान विचारक, कार्यकर्ता, समाज सुधारक, लेखक, दार्शनिक, संपादक और क्रान्तिकारी थे। उन्होंने जीवन भर निम्न जाति, महिलाओं और दलितों के उद्धार के लिए कार्य किया। इस कार्य में उनकी धर्मपत्नी सावित्रीबाई फुले ने भी पूरा योगदान दिया।(जन्म- ११ अप्रैल, सन् १८२७ को महाराष्ट्र के सातारा जिले में माली जाति के एक परिवार में हुआ था।)
(३) सन् २०१०- प्रसिद्ध नृत्यांगना गुलबर्धन, (जन्म:-१९ नवम्बर,सन् १९२८ को मुंबई में हुआ)
***
'२९ नवम्बर का ऐतिहासिक महत्व'
२९ नवम्बर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३३३वॉ (लीप वर्ष मे ३३४वॉ) दिन है। वर्ष मे अभी और ३२ दिन बाकी है।
२९ नवम्बर का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं--
(१) सन् १७५९- दिल्ली के बादशाह आलमगीर द्वितीय की हत्या
(२) सन् १७८२- ब्रिटेन ने अमरीकी स्वतंत्रता को मान्यता दी।
(३) सन् १८८९- बेंगलूर के लालबाग गार्डन में 'ग्लास हाउस' की आधारशिला रखी गई।
(४) सन् १९१६- अमेरिका डोमिनिकन गणराज्य में मार्शल लॉ की घोषणा की |
(५) सन् १९४८- तत्कालीन सोवियत संघ ने पूर्वी बर्लिन में पृथक सरकार बनाई।
(६) सन् १९४७- संयुक्तराष्ट्रसंघ की महासभा ने फिलिस्तीन के अरबों और यहूदियों के विभाजन पर मतदान किया। जिसके फलस्वरूप इजरायल का निर्माण हुआ।
(७) सन् १९९०- अमरीकी राष्ट्रपति जार्ज ने युद्ध टालने के लिए अमरीकी-इराक बैठक का प्रस्ताव रखा।
(८) सन् १९९९- महाराष्ट्र के नारायणगांव में विश्व का सबसे बडा मीटरवेव रेडियो टेलीस्कोप खुला।

२९ नवम्बर को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों के जन्मदिन हैं:-
(१) सन् १३३८- एंटवर्प लायनेल, क्लेरेंस के 1 ड्यूक, इंग्लैंड के एडवर्ड III के बेटे (निधन-सन् १३६८)
(२) सन् १४२७- ज्हेंग्तोंग, चीन के सम्राट (निधन-सन् १४६४)
(३) सन् १४८४- जोआचिम वदियन, स्विस मानवतावादी (निधन-सन् १५५१)
(४) सन् १६२७- जॉन रे, अंग्रेजी प्रकृतिवादी साहित्यकार(निधन-सन् १७०५)
(५) सन् १९१५- अर्ल डब्ल्यू सदरलैंड, अमेरिकी औषध अन्वेषक (सन् १,९७१ में नोबेल-पुरस्कार)
(६) सन् १९६४- कॉर्क ग्राहम अमेरिकी पत्रकार, अभिनेता और लेखक
(७) सन् १९७२- ब्रायन बॉमगार्टनर, अमेरिकी अभिनेता


२९ नवम्बर को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों का निधन हुआ:-
(१) सन् १६४३- इटली के विख्यात संगीतकार क्लोडियों मोंट वोर्डी |
(२) सन् १९०९- प्रसिद्ध बंगला इतिहासकार रोमेश चन्द्र दत्त |
(३) सन् १९९३- जहाँगीर रतनजी दादाभाई टाटा की मृत्यु जिनेवा, स्विट्ज़रलैण्ड में हो गयी | जे. आर. डी. टाटा भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति थे। आधुनिक भारत की बुनियाद रखने वाली औद्योगिक हस्तियों में जे. आर. डी. टाटा का नाम सर्वोपरि है। इन्होंने ही देश की पहली वाणिज्यिक विमान सेना टाटा एयरलाइंस शुरू की थी जो आगे चलकर भारत की राष्ट्रीय विमानसेवा एयर इंडिया बन गई। इस कारण जे. आर. डी. टाटा को भारत के नागरिक उड्डयन का पिता भी कहा जाता है।(जन्म- २९ जुलाई, सन् १९०३, पेरिस, फ़्राँस)
***
'३० नवम्बर का ऐतिहासिक महत्व'
३० नवम्बर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३३४वॉ (लीप वर्ष मे ३३५वॉ) दिन है। वर्ष मे अभी और ३१ दिन बाकी है।
३० नवम्बर का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं--
(१) सन् १९३१- लंदन के हाइड पार्क में क्रिस्टल पैलेस आग से नष्ट |
(२) सन् १९६६- बारबाडोस यूनाइटेड किंगडम से स्वतंत्र हो जाता है |
(३) सन् १९९३- राष्ट्रपति बिल क्लिंटन संकेत ब्रैडी गन नियंत्रण विधेयक |

३० नवम्बर को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों के जन्मदिन हैं:-
(१) सन् १८५८- आधुनिक भारत का प्रथम भौतिक विज्ञानी जगदीश चन्द्र बोस का जन्म मेमनसिंह में अपने ननिहाल में उसी वर्ष हुआ जिसमें भारत सीधे ब्रिटिश प्रशासन के अधीन हो गया |(निधन २३ नवम्बर, सन् १९३७ को गिरिडी, बिहार में हुआ।)


३० नवम्बर को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों का निधन हुआ:-
(१) सन् १७१८- चार्ल्स बारहवीं, स्वीडन के राजा (सन् १६९७-सन् १७१८), ३६ की आयु में लड़ाई में मृत्यु |
(२) सन् १९९६- टिनी टिम, [हरबर्ट खौरी], अमेरिकी अभिनेता, ७१ वर्ष की आयु में मृत्यु |
(३) सन् १९९७- क्लारे लुसी मेडेलीन इवांस, इतिहासकार, ३७ वर्ष की आयु में मृत्यु |
(४) सन् २००४- पियरे बर्टन, कनाडा के लेखक (जन्म-१९२०)
(५) सन् २००५- जीन पार्कर, अमेरिकी अभिनेत्री (जन्म-१,९१५)
(६) सन् २००६- एल्हादी एडम, सूडानी कवि और गीतकार (जन्म-१,९२७)
(७) सन् २०१०- भाई राजीव दीक्षित; स्वदेशी के प्रखर प्रवक्ता, चिंतक, जुझारू, निर्भीक व सत्य को दृढ़ता से रखने के लिए पहचाने जाने वाले |(जन्म;- तीस नवम्बर, सन १९६७ को उ.प्र. के अलीगढ़ जनपद के अनरौली तहलीस के नाह गांव में)

इतिहास की संपूर्णता असाध्य सी है, फिर भी यदि हमारा अनुभव और ज्ञान प्रचुर हो, ऐतिहासिक सामग्री की जाँच-पड़ताल को हमारी कला तर्कप्रतिष्ठत हो तथा कल्पना संयत और विकसित हो तो अतीत का हमारा चित्र अधिक मानवीय और प्रामाणिक हो सकता है। सारांश यह है कि इतिहास की रचना में पर्याप्त सामग्री, वैज्ञानिक ढंग से उसकी जाँच, उससे प्राप्त ज्ञान का महत्व समझने के विवेक के साथ ही साथ ऐतिहासक कल्पना की शक्ति तथा सजीव चित्रण की क्षमता की आवश्यकता है । स्मरण रखना चाहिए कि इतिहास न तो साधारण परिभाषा के अनुसार विज्ञान है और न केवल काल्पनिक दर्शन अथवा साहित्यिक रचना है । इन सबके यथोचित संमिश्रण से इतिहास का स्वरूप रचा जाता है ।
यदि आपको भी नवम्बर माह की १६ से ३० नवम्बर तक विभिन्न तिथियों का ऐतिहासिक महत्त्व इसी प्रकार ऐतिहासिक महत्व के सन्दर्भ में कुछ ज्ञात हो तो आप भी हमारा ज्ञानवर्द्धन अवश्य करें....
'जय हिंद,जय हिंदी'

शनिवार, 19 नवंबर 2011

'वर्तमान भारत में भ्रष्टाचार का निदान'


प्रस्तुत आलेख 'फेसबुक' पर लगभग एक वर्ष पूर्व प्रस्तुत किया था, आज पुन: प्रस्तुत कर रहा हूँ |आप सभी से निवेदन है कि आप अपने विचार अवश्य प्रदान करें.....





( on Saturday, December 11, 2010 at 11:19am)
हमारे सपनों के प्यारे देश भारत में वैसे तो अनेक समस्याएं विद्यमान हैं जिसके कारण देश की प्रगति धीमी है। उनमें प्रमुख है बेरोजगारी, गरीबी, अशिक्षा, आदि लेकिन उन सबमें वर्तमान मेंसबसे ज्यादा यदि कोई देश के विकास को बाधित कर रहा है तो वह है भ्रष्टाचार की समस्या। आज इससे सारा देश संत्रस्त है। लोकतंत्र की जड़ो को खोखला करने काकार्य काफी समय से इसके द्वारा हो रहा है।आज जबकि कदम-कदम पर लोगों के मान-सम्मान को बेरहमी से कुचला जा रहा है। अधिकतर लोगों के कानूनी, संवैधानिक, प्राकृतिक एवं मानव अधिकारों का खुलेआम हनन एवं अतिक्रमण हो रहा है। हर व्यक्ति को मनमानी, गैर-बराबरी, भेदभाव एवं भ्रष्टाचार का सामना करना पड रहा है।
यह दयनीय स्थिति सिर्फ एक दिन में ही नहीं बनी है। भारत को जैसे ही अंग्रेजी दासता से मुक्ति मिलने वाली थी उसे खुली हवां में सांस लेने का मौका मिलने वाला था उसी समय सत्तालोलुप नेताओं ने देश का विभाजन कर दिया और उसी समय स्पष्ट हो गया था कि कुछ विशिष्ट वर्ग अपनी राजनैतिक भूख को शांत करने के लिए देश हित को ताक मे रखने के लिए तैयार हो गये हैं। खैर बीती ताहि बिसार दे। उस समय की बात को छोड वर्तमान स्थिति में दृष्टि डालें तो काफी भयावह मंजर सामने आता है। भ्रष्टाचार ने पूरे राष्ट्र को अपने आगोश में ले लिया है। वास्तव में भ्रष्टाचारके लिए आज सारा तंत्र जिम्मेदार है।ऐसी अनेकों प्रकार की नाइंसाफी, मनमानी एवं गैर-कानूनी गतिविधियाँ केवल इसलिये ही नहीं चल रही हैं कि सरकार एवं प्रशासन में बैठे लोग निकम्मे, निष्क्रिय और भ्रष्ट हो चुके हैं, बल्कि ये सब इसलिये भी तेजी से फल-फूल रहे हैं, क्योंकि हम आजादी एवं स्वाभिमान के मायने भूल चुके हैं। सच तो यह है कि हम इतने कायर, स्वार्थी और खुदगर्ज हो गये हैं कि जब तक हमारे सिर पर नहीं आ पडती, तब तक हम इनके बारे में सोचते ही नहीं! इस बात में भी कोई दो राय नहीं कि गैर-कानूनी कार्यों में लिप्त लोगों के राजनैतिक एवं आपराधिक गठजोड की ताकत के कारण आम व्यक्ति इनसे बुरी तरह से भयभीत हैं और इनका सामना करने की सोचते हुए भी डरने लगता हैं। यह जानते हुए भी कि सर्प चूहों को अक्सर उनके बिलों में ही दबोचते हैं। फिर भीहम चूहों की तरह अपने घरों में, स्वयं को पूरी तरह सुरक्षित समझ कर दुबके हुए हैं ।
यदि हम इसी प्रकार से केवल आत्म केन्द्रित होकर स्वार्थपूर्ण सोच रखे रहे , तो हमारे सामने भी भ्रष्टाचार अनेक रूप में सामने आएगा ,
यथा----
(1.)हम या हमारा कोई अपना, बीमार हो और उसे केवल इसलिये नहीं बचाया जा सके, क्योंकि उसे दी जाने वाली दवायें उन अपराधी लोगों ने नकली बनायी हों, जिनका हम विरोध नहीं कर पा रहे हैं?
(2.)हम कोई अपना, किसी भोज में खाना, खाने जाये और खा वस्तुओं में मिलावट के चलते, वह असमय ही तडप-तडप कर बेमौत...!
(3.)हम कोई अपना, बस यात्रा में हो और बस मरम्मत करने वाले मिस्त्री द्वारा उस बस में नकली पुर्जे लगा दिये जाने के कारण, वह बस बीच रास्ते में दुर्घटना हो जाये और...?
(4.)हम अपने वाहन में पेट्रोल या डीजल में घातक जहरीले कैमीकल द्रव्यों की मिलावट के कारण बीच रास्ते में वाहन के इंजन में आग लग जाये और...?
(5.)जब हम या हमारा कोई आत्मीय किसी बीमारी या दुर्घटना के कारण किसी अस्पताल में भर्ती हो और भ्रष्ट डॉक्टर बिना रिश्वत लिये तत्काल उपचार या ऑपरेशन करने से मना करे दे या लापरवाही, अनियमितता या विलम्ब बरते और...?
(6.)जब हम या कोई आत्मीय रेल यात्रा करे और रेल की दुर्घटना हो जाये, क्योंकि रेल मरम्मत कार्य करने के लिये जिम्मेदार लोग मरम्मत कार्य किये एवं संरक्षा सुनिश्चित किये बिना ही वेतन उठाते हों! और दुर्घटना में...!
सर्वे में सामने आया कि रिश्वत विभिन्न मकसदों को पूरा करने के लिहाज से मांगी जाती है। करीब 70 प्रतिशत बार रिश्वत लेने के मामले ऐसे होते हैं जब इन्हें किसी भी तरह का नुकसान न हो उसके एवज में लिया जाता है। 12 प्रतिशत रिश्वत के मामले व्यक्तिगत और व्यावसायिक फायदे के लिए किया जाता है। जबकि चीन में 54 प्रतिशत मामले ऐसे होते हैं जिसमें 54 प्रतिशत मामले किसी भी तरह के नुकसान से बचाने के लिए होते हैं ।
अभी अक्तूबर,२०१० में देहली में सम्पन्न हुए कॉमनवेल्थ गेम्स से ‘हे प्रभु’ नित्य-प्रतिदिन इतने झोल,भ्रष्टाचार और इतने घोटाले उजागर हो रहे है....मन करने लगा है कि इन प्रतिनिधियों से जा कर कहे “जब जिगर में नही था बूता , तो फिर लंका में क्यों कूदा?" जिस क्षेत्र में जो योग्य हो वही पैर रखा करे वरना अपनी क्षमता के अनुसार दूसरे क्षेत्र में जाया करे ! कॉमनवेल्थ गेम्स से तो ये बात सर्वविदित हो ही गयी है की ज़िम्मेदार पदों पर कितने गैर ज़िम्मेदार लोग बैठे है ! एक दूसरा रूप यह भी देखने को मिलता है की भ्रष्टाचार कितने उच्च स्तर तक है ! गेम्स की योजना बनने से पहले ही टेंडर फिक्स हो गये तैयारिया अभी तक पूरी नही हुई वो भी तब जब की यह देश की प्रतिष्टा का विषय है ! हमारे देश में कमी किस चीज़ की है?- धन की या जनबल की ? हमारे देश का ब्रेन दूसरे देशो में फल-फूल रहा है और अपने यहाँ ही प्रयोग नही होता अगर ऐसे समय में प्रशासनिक अधिकारी नही मिलते है तो पद रिक्तियां दो आज बहुत सा ऐसा युवा है जिसे आज बस मोहर (सिलेकशन रुपी) नही मिली वरना वो भी I.A.S. या I.P.S .ही है ! भ्रष्टाचार का जो खुल्लम-खुल्ला रूप इस बहाने दिख रहा है उसे हमारी माननीय सरकार नही देख रही है, तो हर कोई समझ सकता है की एक विभाग में होने वाले भ्रष्टाचार भला कैसे उजागर हो पाते होंगे !
भ्रष्टाचार के निरंतर बढ़ते हुए प्रभाव के बावजूद यदि हम नाइंसाफी के विरुद्ध, पूरी ताकत के साथ और दिल से बोलना शुरू करें, अपनी बात कहने में हिचकें नहीं, तो अभी भी बहुत कुछ ऐसा बचा हुआ है,जिसे बचाया जा सकता है, लेकिन हम इसी तरह से आत्मकेंद्रित होकर विचार करते रहें कि मुझे झंझट में पड़कर क्या करना है तो वह दिन दूर नहीं जबकि स्थितियां भयावह रूप में हमारे समक्ष होंगी:-
(1.)आपको अपने मुकमदे की शीघ्र सुनवायी या शीघ्र फैसला करवाने के लिये भी शुल्क देना पडेगा !
(2.)अस्मत लुटने पर भी पुलिस वाले रिपोर्ट लिखने से साफ इनकार कर दें और कहें कि पहले रिशवत दो, तब ही मुकदमा दर्ज होगा?
(3.)राशन की दुकान वाला गरीबों को मिलने वाले सारे के सारे राशन को ही काला बाजारियों के हवाले कर दे और गरीब लोग भूख से तडत-तडप कर मर जायें?
(4.)किसी साधारण या बीपीएल परिवार के व्यक्ति के बीमार होने पर, बिना रिश्वत दिये सरकारी अस्पताल में भी इलाज करने से साफ इनकार कर दिया जावे?
(5.)आवासीय विद्यालयों में पढने जाने वाली छाताओं की, उनके विद्यालय संरक्षक स्वयं ही अस्मत लूटने और बेचने लगें ?
(6.)सीमा पर तैनात सेना अधिकारी या कोई सेना अध्यक्ष पडौसी दुश्मन देश से रिश्वत लेकर, देश की सीमाओं को उस देश की सेनाओं के हवाले कर दें?
मशहूर वकील राम जेठमलानी का कहना है कि भारतीय सरकार स्विस बैंकमें जमा 1500 बिलियन डॉलर की रकम को लाने को लेकर अधिक गंभीर नहीं है। जेठमलानी का कहना है कि अगर ये रकम भारत आ जाती है तो देश तीस साल तक कर के बोझ से मुक्त हो जाएगा। यही नहीं सरकार इस बात का भी खुलासा नहीं कर रही है कि किन लोगों ने स्विस बैंक में अपनी रकम छिपा रखी है। जेठमलानी ने इस बात को लेकर एक जनहित याचिका दायर कर रखी है कि सरकार उन नामों का खुलासा करें जिन्होंने स्विस बैंक में अपने पैसे जमा कर रखे है। जेठमलानी ने पूरे वकील समुदाय से इस बात की अपील की कि सभी साथ मिलकर स्विस बैंक से काले धन को लाने में सहयोग करें ।
भ्रष्टाचार के इस रोग के कारण हमारे देश का कितना नुकसान हो रहा है, इसका अनुमान लगाना भी मुश्किल है. पर इतना तो साफ़ दिखता है कि सरकार द्वारा चलाई गयी अनेक योजनाओं का लाभ लक्षित समूह तक नहीं पहुँच पाता है ! इसके लिये सरकारी मशीनरी के साथ ही साथ जनता भी दोषी है ! सूचना के अधिकार का कानून बनने के बाद कुछ संवेदनशील लोग भ्रष्टाचार के विरुद्ध सामने आये हैं, जिससे पहले स्थिति सुधरी है. पर कितने प्रतिशत? यह कहना मुश्किल है ! जिस देश में लोगों द्वारा चुने गये प्रतिनिधि ही लोगों का पैसा खाने के लिये तैयार बैठे हों, वहाँ इससे अधिक सुधार कानून द्वारा नहीं हो सकता है !वास्तव में देश से यदि भ्रष्टाचार मिटाना है तो ने सिर्फ साफ स्वच्छ छवि के नेताओंका चयन करना होगा बल्कि लोकतंत्र के नागरिको को भी सामने आना होगा। उन्हें प्राणपण से यह प्रयत्न करना होगा कि उन्हें भ्रष्ट लोगों को समाज से न सिर्फ बहिष्कृत करना होगा बल्कि उच्चस्तर पर भी भ्रष्टाचार में संलिप्त लोगों काबायकॉट करना होगा। अपनी आम जरूरतों को पूरा करने एवं शीर्ध्रता से निपटाने के लिए बंद लिफाफे की प्रवृत्ति से बचना होगा। कुल मिला जब तब लोकतंत्र में आम नागरिक एवं उनके नेतृत्व दोनों ही मिलकर यह नहीं चाहेंगे तब तक भ्रष्टाचार के जिन्न से बच पाना असंभव ही है।
{प्रस्तुत आलेख का कुछ अंश भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान के पूर्व प्रकाशित लेख से साभार है !}
"कोमनवेल्थ गेम्स की आड़ मैं भ्रष्टाचार का नंगा खेल खेला गया वो भी पूरी बेशर्मी के साथ"




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      • Sheetal Jangir बेशक, डॉ.मनोज चतुर्वेदी एक विचारक,चिन्तक और साहित्यकारऐसे हैं; जिनकी रचनाओं में समय और इतिहास की धड़कनों को सुना जा सकता है। विगत पचास-साठ वर्षों में भारत और सम्पूर्ण विश्व में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं। बीसवीं शताब्दी उपलब्धियों और हलचलों से भरी शताब्दी रही है। अकेले भारत में अनेकानेक परिवर्तन हुए हैं। इनका इतिहास रोचक और दिलचस्प है। हिन्दी में बहुत कम ऐसे विचारक,चिन्तक और साहित्यकार हैं; जिनकी कृतियों के माध्यम से स्वाधीनता-पूर्व और बाद के राजनीतिक तथा सांस्कृतिक घटनाओं का जायज़ा लिया जा सकता है।
        December 11, 2010 at 11:50am ·  ·  15

      • Anil Kumar Patil प्यारे देश भारत में व्याप्त अंधेरगर्दी और उससे उत्पन्न आमजन की लाचारी को स्वर देतीडॉ.मनोज चतुर्वेदी की रचनाओं आमजन के पक्ष में खड़ी है। उनका मानना था कि जनता का भय ही उसकी विषम परिस्थितियों के लिए जिम्मेदार है, वरना व्यवस्था इतनी ताकतवर नहीं है कि उसे बदला न जा सके। उनका मानना है कि जनता की भूल गलती ही दिल के तख्त पर विराजमान है !
        December 11, 2010 at 11:57am ·  ·  11

      • Raghuveer Saini डॉ.मनोज चतुर्वेदी की रचनाओ में प्राचीन के प्रति आस्था,इतिहास के प्रति गौरव और वर्तमान के प्रति सधी हुई दृष्टि का समन्वय देखने को मिलता है। यह केवल डॉ.मनोज चतुर्वेदी जी है,जिन्होंने प्राचीन और वर्तमान भारतीय साहित्य चिंतन को पूर्ण रूप से आत्मसात् कर मौलिक दृष्टि देने का प्रयास किया है।
        December 11, 2010 at 12:09pm ·  ·  12

      • Rahul Sultania Oh Yes !!!!
        I agree witu you, respected dr.manoj chatuvedi is a great thinker & writer.

        December 11, 2010 at 12:13pm ·  ·  8

      • Anupama Pathak sateek lekh nidaan ki baatein karta hua!!!
        shubhkamnayein!
        aise hi prakhar chintan ka maarg prasasht hota rahe!!

        December 11, 2010 at 1:44pm ·  ·  9

      • Peridon Don Its a great thoughtfull expression,Congrates with so many regards.
        December 11, 2010 at 2:27pm ·  ·  6

      • Kan Singh Panwar Ostra dhanyavad es lekh ke jariye aaj ke bharat ka sabse javlant mudda uthane ke liye , eske saath aapne esse chhutkara pane ke upay bhi bataye hai vo bhi bilkul sahi hai , aam janata ko aapne hako ke liye jagruk hona padega , r t i jaise hathiyaro ka upyog kar bhasta char ko samapt karne ka prayas karna chahiye
        December 11, 2010 at 4:33pm ·  ·  6

      • Rajesh Mishra आदरणीय भाई साहब, गहन चिंतन और क्रांतिकारी विचार! भारतवर्ष के इस गुलशन में पुनर्जागरण की बयार एक बार फिर बह चली है. हमें मिलकर इसकी तीव्रता को बढ़ाना चाहिए और दीमक लगे खोखले पेड़ों को धराशायी कर देना चाहिए. प्रासंगिक एवं प्रेरक लेख के लिए साधुवाद!
        December 12, 2010 at 9:58am ·  ·  8

      • Mahipal Singh Negi bharat men bhrastachar ki jade bahut majbut ho chuki hai unko jad seukhdna bahut muskil hai
        December 12, 2010 at 11:18am ·  ·  5

      • डॉ.मनोज चतुर्वेदी (विचारक,चिन्तक और साहित्यकार) ‎*
        आदरणीय मित्रों ,
        इस रचना पर आपकी टिपण्णी का बहुत ही आभारी हूँ, आपकी इस रचना पर की हुई स्तुति और मेरी ओर आपकी भावना पढ़कर मुझे मानो सबकुछ मिल गया !

        December 12, 2010 at 1:34pm ·  ·  10

      • डॉ.मनोज चतुर्वेदी (विचारक,चिन्तक और साहित्यकार) ‎*
        यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे सपनों के प्यारे देश भारत में भ्रष्टाचार पर कोई नियंत्रण नहीं है। राजनीति सेवा की बजाय व्यापार बन गयी है। और यह स्पष्ट है कि जहां व्यापार होगा, वहां भ्रष्टाचार भी होगा। इसीलिए आज नेता शब्द गाली और भ्रष्टाचार का पर्याय बन गया है।इसलिए राजनीति से अवकाश के साथ ही राजनीति में प्रवेश की भी सीमा निर्धारित होनी चाहिए।

        December 12, 2010 at 7:40pm ·  ·  10

      • डॉ.मनोज चतुर्वेदी (विचारक,चिन्तक और साहित्यकार) ‎-
        देश के सर्वोच्च न्यायालय की यह टिप्पणी देश में मौजूद वर्तमान तंत्र के चेहरे पर एक कालिख है जिसे चाहने पर भी साफ नहीं किया जा सकेगा। हो सकता है यह टिप्पणी न्यायालय के रिकॉर्ड का भाग न बने, लेकिन माध्यमों ने इसे स्थाई रूप से रिकॉर्ड का भाग बना दिया है। इस टिप्पणी ने स्पष्ट कर दिया है कि भ्रष्टाचार के विरुद्ध जितने भी उपाय सरकार द्वारा आज तक किए गए हैं वे सिर्फ दिखावा मात्र हैं। उन से भ्रष्टाचार के दैत्य का बाल भी बांका नहीं हो सका है। हाँ दिखावे के नाम पर हर वर्ष कुछ व्यक्तियों को सजाएँ दी जाती हैं। भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए जो-जो भी उपाय किए गये वे सभी स्वयं भ्रष्टाचार की गंगा में स्नान करते दिखाई दिए।

        December 12, 2010 at 8:17pm ·  ·  11

      • Poonam Singh ‎-
        भ्रष्टाचार के विरुद्ध जन-अभियान भी चले लेकिन उन की परिणति ने यह सिद्ध कर दिया कि मौजूदा व्यवस्था के चलते भ्रष्टाचार का कुछ भी नहीं बिगाड़ा जा सकता है। अब तो यदि भ्रष्टाचार मिटाने के लिए कोई जन-अभियान की आरंभ करता दिखाई पड़े तो लोग उस की मजाक उड़ाते हैं। खुद न्यायपालिका भ्रष्टाचार से मुक्त नहीं है, अपितु वहाँ भी इस की मात्रा में वृद्धि ही हो रही है।

        December 12, 2010 at 8:22pm ·  ·  11

    • Poonam Singh ‎-
      भ्रष्टाचार के दैत्य का बाल भी बांका नहीं हो सका है। हाँ दिखावे के नाम पर हर वर्ष कुछ व्यक्तियों को सजाएँ दी जाती हैं। भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए जो-जो भी उपाय किए गये वे सभी स्वयं भ्रष्टाचार की गंगा में स्नान करते दिखाई दिए।

      December 12, 2010 at 8:27pm ·  ·  11

    • Poonam Singh 
      ‎-
      हे प्रभु, भ्रष्टाचार का अंत कब होगा !!
      चलती भ्रष्टाचार-पथ लोकतंत्र की रेल-
      मजलूमों की चीख से कसती नहीं नकेल।।
      आसमान छूने लगे, सब चीजों के दाम-
      प्रजा नहीं कस पा रही, ढ़ीली भ्रष्ट लगाम।।
      मल्टीनेशनल बुद्ध का लाया धन-पैगाम,
      आमार सोनार बांग्ला रक्तिम नंदीग्राम।।
      सात समंदर क्या यथा- दुखियारों के नैन,
      मनमोहन की बंसरी छीन रही है चैन।।
      राजनीति की नीचता, सभी एक ही रंग-
      टप्पा खाती गिर रही, जनता कटी पतंग।।
      यदि कोई भी चाहता, पूरा दाम वसूल-
      जोधा अकबर की तरह दे दो फिल्मी तूल।।
      संसद बहसों के लिए, रोजाना तैयार-
      मगर एक को छोड़कर, मुद्दा 'भ्रष्टाचार'।।
      हे प्रभु, भ्रष्टाचार का अंत कब होगा !!

      December 12, 2010 at 9:31pm ·  ·  11

    • डॉ.मनोज चतुर्वेदी (विचारक,चिन्तक और साहित्यकार) ‎*
      प्रिय पूनम,
      बहुत सटीक और सारगर्भित व्याख्या करती हो.....,
      तुम्हारे उज्जवल और अर्थपूर्ण भविष्य हेतु मेरा बहुत सारा आशीर्वाद.....
      लोकतंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार के उन्मूलन के बिना गौरवशाली भारत का निर्माण संभव नहीं है। वर्तमान में इलेक्ट्रानिक मीडिया के मजबूत कन्धों की जरुरत है। उसे अन्तर्कलह से बचना होगा। कीचड़ उछालने से कीचड़ की सफाई नहीं हो पाएगी।

      December 12, 2010 at 9:46pm ·  ·  10

    • Sheetal Jangir 
      परम पूजनीय सर और प्रिय पूनम दीदी,
      नमस्ते !
      सर ने सही कहा है, पूनम दीदी बहुत सटीक और सारगर्भित व्याख्या करती हो.....,
      भ्रष्टाचार एक बार फिर गर्म बहस का मुद्दा बन गया है। लेकिन जहां तक राजनीति में भ्रष्टाचार का सवाल है, कोड़ा न पहले हैं और न आखिरी। ऐसा भी नहीं है कि जिनके मामले सामने नहीं आए हैं उनके ईमानदार होने की कोई गारंटी दी जा सकती हो। उच्च व तकनीकी शिक्षण संस्थानों की बात की जाये तो स्पष्ट होता है कि शिक्षण संस्थान अब शिक्षा के मंदिर न रह कर शिक्षा की दुकानों में तबदील हो चुके हैं। आई0आई0एम0 जैसे संस्थानों की सालाना फीस लगभग ढ़ाई लाख रुपया सालाना पहुँच चुकी है, जो दिखाता है कि सामान्य जनता इन संस्थानों में अपने बच्चों के दाखिले का सपना भी नहीं देख सकती, चाहे फिर उनका बच्चा कितना भी मेधावी क्यों न हो। भ्रष्टाचार हटाने के नारे देने वाले ही सबसे ज्यादा भ्रष्ट हैं, समता और समाजवाद का नारा देने वालों ने ही सबसे ज्यादा संपत्ति अर्जित की है वह भी अनैतिक तरीकों से। उनके लिये कोई कानून नहीं है, पहले तो उनके विरुद्ध कोई मामला ही दर्ज नहीं पाता, यदि हो भी जाता है तो सालों लग जाते हैं चार्जशीट आने में, फिर कई वर्षों तक मामला लम्बी न्यायिक प्रक्रिया में रह जाता है और तब तक जनता को न्याय मिलना न मिलना एक बराबर हो जाता है ।

      December 12, 2010 at 9:57pm ·  ·  10

    • Sheetal Jangir 
      गुरुदेव डॉ.मनोज चतुर्वेदी के सुविचार-
      "हमारे सपनों के प्यारे देश भारत की निरीह जनता का दुर्भाग्य यह है कि उसके सामने कोई विकल्प नहीं है, सभी कमीजें गन्दी हैं, बस सबसे कम गन्दी कमीज का चयन किया जा सकता है और फिर उसका भी कोई भरोसा नहीं, गर्द भरे इस वातावरण में उसके और भी गन्दी हो जाने की सम्भावना बनी रहती है। क्या आप आत्म-चिंतन और आत्मावलोकन करना पसंद करेंगे और फिर कुछ ठोस कदम उठाना चाहेंगे भारत को एक नई दिशा प्रदान करने के लिये ? भ्रष्टाचार के लिये हम सभी दोषी हैं, जिसे भी मौका मिलता है वह अपने पद, अपनी स्थिति का पूरा फायदा उठाता है, किन्तु इस स्थिति में समानता होते हुये भी वह ज्यादा बड़ा दोषी है, जिसके कन्धों पर ज्यादा बड़ी जिम्मेदारी है, अर्थात सत्ता पर काबिज नेता और बड़े अधिकारी। और यह भी निश्चित है कि भ्रष्टाचार की गंगा ऊपर से नीचे की ओर बहती है।"

      December 12, 2010 at 10:04pm ·  ·  10

    • Manoj Chaturvedi 
      ‎***
      प्रिय मित्रों,
      नमस्कार !
      हम इन 63 वर्षों में आखिर कहाँ आ गये हैं, आम जनता की गरीबी तो नहीं हट सकी, लेकिन जनता के प्रतिनिधियों की अवश्य हट गयी। नौजवान आपस में लड़ना सीख गये, नशे और अश्लीलता के जाल में फँस गये, राष्ट्रवाद, देश के प्रति कर्तव्य निर्वहन, सामाजिक दायित्वों की पूर्ति, नैतिकता जैसी चीजों से वे विमुख हो चुके हैं, आत्म-सम्मान, राष्ट्र-गौरव, अपनी समृद्ध परंपरा से हम कोसों दूर पहुँच गये हैं !
      "जय हिंद ,जय हिंदी”

      December 12, 2010 at 10:30pm ·  ·  10

    • Poonam Singh ‎-
      मंत्रियों और उनसे संबद्ध वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के भ्रष्टाचार के किस्से आम तौर पर सुर्खियों में आते रहते है। कामचलाऊ बहुमत का बहाना बनाकर मंत्रिमंडल भ्रष्टाचार के विरुद्ध संग्राम का तेजस्वी रूप प्रदर्शित नहीं कर पाता। इसीलिए लोकजीवन में व्याप्त भ्रष्टाचार के विरुद्ध न्यायपालिका नि:संकोच भाव से खड़ी होती है। भ्रष्टाचार संबंधी आरोपों की जांच करने वाली एजेंसी न तो निष्पक्ष है और न उसका आचरण पारदर्शी है।

      December 13, 2010 at 3:54pm ·  ·  10

    • Poonam Singh 
      ‎-
      हमारा आह्वान है भारतीयों से कि आइए समस्त भारतीय व्यवस्था को निर्भीक देशभक्ति से तृप्त करें हमें राष्ट्रवाद, देशभक्ति, संस्कार तथा दिव्यता को यथार्थ प्रदान करना है, और इसके लिए जिनकी आवश्यकता है, वे हैं : प्रेम और नियम इनके बिना देश-भक्ति इत्यादि मात्र थोथे शब्द ही रह जाते हैं हम पहले स्वयं जागें और यह न समझें कि हमारे सिवाय जो भी लोग हैं, वे सब धरा पर बोझ हैं, हम अपने अन्दर प्रेम को बीज प्रदान करें, और स्वयं में मानें कि ये जो सो रहे हैं, वो सब मेरे अपने भाई हैं और यह मेरी जिम्मेदारी है कि मैं उनको जगाऊं यह श्रेष्ठ विचार रखते हुए अपने भारत-सुत होने के कर्तव्यों का तथा नियमों का पालन करें !

      December 13, 2010 at 3:57pm ·  ·  10

    • Sheetal Jangir 
      लोग सोचते हैं कि मेरे नियम पालन करने से क्या हो जाएगा, पर एक बार सोचें कि इस प्रकृति में जो भी तत्व हैं, सभी अपने नियम-कर्तव्य का पालन करने में आलस्य नहीं दिखाते, तो हम क्यों दिखाएं शरीर में बहुत से अंग हैं, कोशिकाएं हैं, पर यदि एक भी अंग कार्य करना छोड़ दे तो सारा शरीर पीडा़ सहता है, यदि हृदय सोचे कि मुझे क्या मिल रहा है लगातार धड़कने से और ६० सेकण्ड भी रुक जाए, तो पूरा जीवन समाप्त हो सकता है यदि सूर्य आलस्य कर जाए, तो संसार नष्ट हो जाएगा, यदि वृक्ष आक्सीजन देना बंद कर दें, तो कोई जीवित नहीं बचेगा इसी प्रकार हर किसी को समझना चाहिए कि उसका नियम-कर्तव्य क्या है और दृढता पूर्वक पालन करना चाहिए हम समझ रहे हैं कि आज की परिस्थितियों में हमें क्या करना चाहिए और कम नियम पूर्वक करेंगे आप विश्वास रखें कि हमारी शक्ति व साधना व्यर्थ नहीं जाएगी जिस प्रकार प्रलयकाल में भी मनु ने पृथ्वी पर जीवन की रक्षा का सफल प्रयास किया, उसी प्रकार हम मनु के वंशज इस समाज में जीवन मूल्यों की रक्षा के लिए अग्रसर हों !

      December 13, 2010 at 4:00pm ·  ·  10

    • Sheetal Jangir पूनम दीदी,
      "यूनान मिश्र रोमन, सब मिट गए जहां से,
      बाकी मगर है अब तक, नामोनिशां हमारा,
      कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी,
      सदियों रहा है दुश्मन, दौर ए जहां हमारा "
      देश के यदि कुछ कुपुत्र हैं तो आप जैसे सपूत भी तो हैं और भले ही आज आप कुछ अपनी निजी समस्याओं में उलझे सामाजिक कार्य नहीं कर पा रहे, परन्तु हमें आपकी अच्छाई पर कोई संदेह नहीं है तभी तो यह प्रस्ताव आपको दिया गया है तथा मां की सेवा का आग्रह आपसे किया गया है !

      December 13, 2010 at 4:02pm ·  ·  10

    • Poonam Singh 
      ‎-
      प्यारी शीतल,
      तुमने बिलकुल सही कहा है, इसी बारे में हमारे सर डॉ.मनोज चतुर्वेदीज़ी का कथन याद आ गया---
      "एक बार भगवान श्री कृष्ण को भी क्रोध आया था और नारद ऋषि को भी विषयासक्ति हुई थी ( ऐसा शास्त्र कहते हैं ) परन्तु यह केवल बाह्य लीला या भ्रम था वास्तव में वे योगीराज व जितेन्द्रीय रहें हैं सदा और हमारे लिए आराध्य भी हम सभी उनके अनुयायी भी तो उन्हीं की तरह हैं और उनके शिष्य वीर हनुमान जी की तरह अपनी शक्ति भूले हुए हैं तथा आत्मविस्मृति के सागर किनारे हताश टहल रहे हैं और शायद किसी जांबवंत की प्रतिक्षा में हैं कि वे आएं और हमारी शक्ति का अहसास कराएं"

      December 13, 2010 at 4:08pm ·  ·  10

    • Poonam Singh 
      ‎-
      एत देश प्रसूतस्य सकाशादग्र जन्मन:
      स्वं स्वं चरित्र शिक्षेरन् पृथिव्यां सर्व मानवा:
      अर्थात एस देश में उत्पन्न अग्रजन्मा महापुरुषों के पास बैठ कर संसार भर के मानव अपने-अपने चरित्र की शिक्षा ग्रहण करें क्योंकि यह "विश्व-गुरू" हैवह राष्ट्र, जो कभी समस्त संसार के लिए एक मार्ग-दर्शक था, समस्त मानव-जाति जिसकी अनुयायी थी तथा जिसे पृथ्वी पर "पुण्यभूमि" की संज्ञा दी गई, वह विराट आज दयनीय अवस्था से ग्रसित है ! आज "भारत-वर्ष" ही नहीं, बल्कि संपूर्णा संसार प्रदूषण, आर्थिक समस्या, भय, भूख, भ्रष्टाचार, स्वार्थ, अज्ञानता, इंद्रिय-लोलुपता (वासना), व्यसन, बेरोजगारी, परस्पर कटुता अलगाववाद और आतंकवाद जैसे विकृत और जीवन के लिए घातक तत्वों के द्वारा व्यथित है और यह सभी जानते हैं, कि समस्त संसार को प्रत्येक विपदा के समय अभयदान भारत ने ही दिया है इसी देश ने सदा से विश्व को सुमार्ग दिखाया है, पर यही राष्ट्र आज अज्ञानांधकार से बुरी तरह आच्छादित है यदि इस जीवित ग्रह का जीवन बचाना चाहते हैं, तो भारत को पुन: जागृत करना होगा यही समय की मांग है इस घोर काल-रात्रि में, आपद काल में, स्वराष्ट्र-जागरण के लिए एक बदलाव (क्रान्ति) की आवश्यकता है !!!!!!!

      December 13, 2010 at 4:09pm ·  ·  10

    • डॉ.मनोज चतुर्वेदी (विचारक,चिन्तक और साहित्यकार) 
      ‎***
      प्रिय पूनम और प्रिय शीतल.
      तुम दोनों का भ्रष्टाचार के सन्दर्भ में विचार युक्तिसंगत है और किसी क्रांति का विचार भी सही है ! किन्तु.........................
      "जब जब देश पे संकट आए,
      तब तब शर-संधान करें
      एक जन्म ही नहीं देश पर,
      जन्म-जन्म बलिदान करें "
      हम चाहे तो राष्ट्र को एक नई दिशा दे सकते हैं। अपने गौरवमयी इतिहास के आसरे हम अपने वर्तमान और भविष्य को उज्जवल होता हुआ देख सकते हैं। बस आवश्यकता है एक प्रयास की। एक आंदोलन की। देश में एक समान नितियाँ सभी के लिए लागू हो, विकास का पैमाना सभी के लिए एक हो इसके लिए निश्चित तौर पर हमें संघर्ष की आवश्यकता होगी। हमें एक और आजादी की जरुरत है वो है आर्थिक आजादी.सरकार को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि देश के प्रत्येक व्यक्ति का पेट भरा हो एक छोटे से लाभ के लिए लोगों के घरों को न उजाडा जाए.ये सब तभी संभव है जब हम अपने उत्तरदायित्वों को प्राथमिकता दें ! जीव जब सो रहा होता है, तो अपना अस्तित्व भूल जाता है, यही हम भारतवासियों के साथ हुआ है प्राकृतिक रूप से तो जब अन्धेरा होता है, तब लोग सोते हैं, परंतु यह दुर्भाग्य रहा है कि देशवासियों के देश के प्रति उदासीन हो सो जाने के कारण राष्ट्र में अन्धेरे का वर्चस्व बना, और वह भी लम्बे समय तक अंग्रेजों के आने से पहले वैसे तो देश पर १००० वर्षों से आघात होते रहे थे, परन्तु फिर भी देशवासियों का राष्ट्रीय चरित्र उनमें स्थापित रहा था, और यही विषय अंग्रेजों ने समझ लिया गुप-चुप तरीके से राष्ट्रीय चरित्र का ह्रास करने की योजना बनाई पहले तो तक्षशिला-नालंदा जैसे विश्व-विद्यालयों से भारत के बहु-मूल्य ग्रंथ नष्ट किए, फिर भारतीय शिक्षा-व्यवस्था को विकृत किया और भारतीयों का ध्यान मतांधता में लगाए रखा यही देश पर सबसे भयंकर चोट थी !

      December 13, 2010 at 4:20pm ·  ·  10

    • डॉ.मनोज चतुर्वेदी (विचारक,चिन्तक और साहित्यकार) 
      ‎***
      मनमोहन सिंह सरकार ने भ्रष्ट राजनेताओं और नौकरशाहों के दबाव में सूचना के अधिकार कानून में संशोधन कर फाइलों पर की जाने वाली नोटिंग को सूचना के अधिकार के दायरे से बाहर करने का फैसला किया है । अफसोस की बात यह है कि लोकतंत्र की दुहाइयां देनेवाली यूपीए सरकार ने यह फैसला करने से पहले न तो केन्द्रीय सूचना आयोग से सलाह-मशविरा किया और न ही उन जन संगठनों को विश्वास में लिया जो सूचना के अधिकार को भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकप्रिय हथियार बनाने में सक्रिय हैं।

      December 13, 2010 at 4:24pm ·  ·  9

    • Raghuveer Saini फाइलों पर की गई नोटिंग को सूचना के अधिकार के तहत खोलने से अधिकारियों और मंत्रियों की जवाबदेही तय करना और उस पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना आसान हो जाता। इसके जरिए ही किसी अधिकारी के फैसलों या कोई फैसला न लेने और अनिर्णय की जिम्मेदारी तय की जा सकती है। जाहिर है कि फाइलों पर की गई नोटिंग को सूचना के दायरे से बाहर करके सूचना के अधिकार को एक तरह से बेमानी बना दिया गया है।
      December 13, 2010 at 4:58pm ·  ·  8

    • Anil Kumar Patil 
      सर डॉ.मनोज चतुर्वेदीज़ी का कथन :-
      मुद्दे की बात यह है कि हर साल 200 से अधिक अधिकारियों को हार्वर्ड और अन्य विश्वविद्यालयों में भेजे जाने से उनकी समग्र कार्यकुशलता या ईमानदारी कैसे बढ़ाई जा सकती है या भ्रष्टाचार किस तरह कम या ख़त्म किया जा सकता है। रोमन दार्शनिक काटो ने सदियों पहले कहा था, ‘एक नौकरशाह सबसे घृणित व्यक्ति होता है। हालांकि गिद्धों की तरह उसकी भी जरूरत होती है, पर शायद ही कोई गिद्धों को पसंद करे। गिद्धों और नौकरशाहों में अजीब तरह की समानता है। मैं अभी तक किसी ऐसे नौकरशाह से नहीं मिला हूं, जो क्षुद्र, आलसी, क़रीब-क़रीब पूरा नासमझ, मक्कार या बेवकूफ़, जालिम या चोर न हो। वह ख़ुद को मिले थोड़े-से अधिकार में ही आत्ममुग्ध रहता है, जैसे कोई बच्च गली के कुत्ते को बांधकर ख़ुश हो जाता है। ऐसे व्यक्तियों पर कौन भरोसा कर सकता है ?’ बेशक, ऐसा कहते हुए उनके दिमाग़ में भारतीय नौकरशाही नहीं रही होगी, क्योंकि वे भारत से परिचित नहीं थे। लेकिन उनकी यह व्याख्या हमारे नौकरशाहों के व्यापक बहुमत पर पूरी तरह सटीक बैठती है, जो केंद्र और राज्य सेवाओं को मिलाकर 1.90 करोड़ के क़रीब होते हैं। यह माना जाता है कि भ्रष्टाचार की जड़ें काफ़ी व्यापक और गहरी हैं।

      December 13, 2010 at 5:09pm ·  ·  7

    • Rakesh Gautam 
      सीबीआई ने ऐसे प्रकरणों की सूची सार्वजनिक की है, जो मंजूरी के चक्कर में लटके हुए हैं। इस सूची में हरियाणा के एक पूर्व मुख्यमंत्री के पास 2006 में मिली बेहिसाब संपत्ति का प्रकरण भी शामिल है। सीबीआई ने कुल मिलाकर 132 प्रकरण सूचीबद्ध किए हैं, जिनके लिए मंजूरी लटकी हुई है। एक मामले में 15 तक स्वीकृतियां लेनी पड़ती हैं। सीबीआई के अधिकारी जिन लोगों पर कार्रवाई की प्रतीक्षा कर रहे हैं, उनमें विभिन्न विभागों के आयुक्त, आईएएस अफ़सर, सीएजी, एमसीडी और सीपीडब्ल्यूए के ऑडिटर भी शामिल हैं। भ्रष्टाचार और कुशासन अक्षमता के सहोदर हैं। प्रधानमंत्री लगातार वितरण व्यवस्था की विफलता के बारे में कह रहे हैं, चाहे यह चाहे यह हर्षद मेहता था या तेलगी घोटाला या परियोजनाओं का निर्धारित समय सीमा में निबटारा न होना। भ्रष्टाचार पर नियंत्रण की राह में सबसे बड़ी बाधा असीमित बचाव और अनुमोदन एवं कानूनों की ढेर सारी परते हैं, किसी ब्यूरोक्रेट को छूने से पहले जिनसे पार पाना होता है। यह एक चपरासी से लेकर मुख्य सचिव तक, सब पर लागू होता है।

      December 13, 2010 at 6:23pm ·  ·  6

    • डॉ.मनोज चतुर्वेदी (विचारक,चिन्तक और साहित्यकार) ‎@@@
      यदि कोई व्यक्ति भ्रष्टाचार के मामले में पकड़ा जाए और तकनीकी आधार पर छूट जाए, तो प्रशासन में उसके लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। बहरहाल, यहां यह जोखिम जरूर है कि भ्रष्ट नेता इस ताक़त का दुरुपयोग कर सकते हैं, और इसीलिए बराबर जवाबदेही तय होनी चाहिए। इस सबके अलावा भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा अनुशंसित पुनर्गठन को तत्काल स्वीकृति मिलनी चाहिए, ताकि न केवल आम आदमी, बल्कि अपमानित महसूस करने वाले नौकरशाह भी न्याय पा सकें।

      December 13, 2010 at 6:31pm ·  ·  7

    • Mahipal Singh Negi bharat men bharstachar ki jade bahut majbut hai. unko jad se ukhadne ke liye hame drid sakalp lena chahiye. hame ektrit ho kar mukable karna chahiye. kyonki ekta men hi shakti hai.
      December 13, 2010 at 7:41pm ·  ·  2

    • डॉ.मनोज चतुर्वेदी (विचारक,चिन्तक और साहित्यकार) ‎*
      भाई महिपाल सिंह नेगी,
      आपने सही कहा है कि भ्रष्टाचार की जड़ें बहुत गहरी हैं, इन्हें ख़त्म करने के लिए अनेकानेक प्रयास हर तरफ से धैर्य के साथ करने होंगे.....

      December 13, 2010 at 8:21pm ·  ·  7

    • डॉ.मनोज चतुर्वेदी (विचारक,चिन्तक और साहित्यकार) 
      ‎*
      दुनिया भारतीय लोकतंत्र का, इसके बहुलवादी और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का, स्वतंत्र न्यायपालिका का, स्वतंत्र प्रेस का, आजादी और शांति के लिए प्रतिबद्धता का तथा इसके उचित एवं समावेशी विकास के अनुसरण का सम्मान करती है। लेकिन हमारे देश में व्याप्त भ्रष्टाचार हमारी छवि को धूमिल करता है। यह निवेशकों को भी हतोत्साहित करता है, जो निष्पक्ष और पारदर्शी समझौते चाहते हैं।भ्रष्टाचार से लड़ने का कोई एक इलाज नहीं है, इससे कई स्तरों पर लड़ा जाना है।

      December 13, 2010 at 8:24pm ·  ·  7

    • Mahipal Singh Negi aap jaise karmat or yogya vyakti hee ish karya men saksam ho sakte hai. aapki jo vichardhara hai yadi sabhi uska anusaran kare to kathin karya bhi ashan ho jayega.
      December 13, 2010 at 8:27pm ·  ·  2

    • Mahipal Singh Negi bharat ka loktantr viswa ka mahan loktanr hai phir bhi hamare desh ke logo ko usaka adar karte huai desh men iyeshi viwastha banani chahiye jis se desh men bhrastachar panap na sake.
      December 13, 2010 at 8:31pm ·  ·  4

    • डॉ.मनोज चतुर्वेदी (विचारक,चिन्तक और साहित्यकार) ‎*
      प्रियभाई महिपाल सिंह नेगी,
      आपकी मेरे प्रति शुभभावना और विश्वास से मै अभिभूत हूँ, मैं कोई नेता बनने का इरादा नहीं रखता, परन्तु आप जैसे निष्ठावान साथी मुझे सहयोग करें तो मार्गनिर्देशन हेतु सदैव तैयार रहूँगा, मुझे बहुत ख़ुशी होगी !
      शुभकामना एवम शुभभावना सहित,

      December 13, 2010 at 10:08pm ·  ·  7

    • Sheetal Jangir अज्ञानतिमिरान्धस्य ज्ञानांजनशलाकया |
      चक्षुरुन्मीलितम येन तस्मै श्री गुरुवै नम : ||
      अज्ञान रूपी अंधकार की अन्धता को ज्ञान रूपी काजल की शलाका से हमारे नेत्रों को खोलने वाले श्री गुरु डॉ.मनोज चतुर्वेदी को नमन है

      December 14, 2010 at 2:19pm ·  ·  7

    • Sheetal Jangir हम वर्तमान परिदृश्य पर नजर डालें तो कुछ महिला नेताओं जैसे तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता और बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती, दोनों के मामले में यह कहा जा सकता है कि महिलाएं भी उतना ही भ्रष्टाचार में लिप्त हैं जितना कि पुरुष !
      December 14, 2010 at 2:21pm ·  ·  7

    • Sheetal Jangir भ्रष्टाचार की बढ़ती मांग को देखते हुए शासन को चाहिए कि अब एक "रिश्वत लोन" भी प्रारम्भ करे, जो कि शासन के लिए फायदेमंद होगा। इस ऋण सुविधा के चालू होने से जहां प्रत्येक व्यक्ति का कार्य आसानी से सम्पन्न होगा, वहीं शासन व प्रशासन के कार्यो में टंाग अड़ाने वाला भी कोई नहीं होगा। इसके साथ ही रिश्वत लोन के प्रारम्भ होने से राष्ट्र में भ्रष्टाचार की कुल खपत का सही आकलन भी हो सकेगा।
      December 14, 2010 at 2:23pm ·  ·  7

    • Anil Kumar Patil हम अपनी प्राचीन ईमानदारी की विरासत को तिलांजलि देकर भ्रष्टाचार का दामन पकड़कर नए युग का शंखनाद करते आगे बढ़ रहे हैं। भ्रष्टाचार की दिन दूनी, रात चौगुनी ख्याति देखते हुए इसे राष्ट्रीय कत्तüव्य घोषित कर देना चाहिए। हो सके तो इसके साथ ही देश के बड़े भ्रष्टों को हर साल समारोहपूर्वक भ्रष्ट रत्न, भ्रष्टविभूषण, भ्रष्टभूषण और भ्रष्टश्री की उपाधि देने पर भी विचार शुरू कर देना चाहिए।
      December 14, 2010 at 2:27pm ·  ·  5

    • Raghuveer Saini 
      यहां तक तो ठीक है कि भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई हो लेकिन यह तय करना उससे भी ज्यादा जरूरी है कि भ्रष्टाचार की नाल नाभिग्रंथी हमारी सरकारी व्यवस्था से ही जुड़ी हुई है और इसी के रास्ते यह निजी मंडियों में भी छाई हुई है। कुछ ईमानदार अधिकारियों या पेशेवरों की बात छोड़ दी जाए तो अपनी मासिक या दैनिक आमदनी से इतर उपरी आय के चक्कर में रहने वाला अधिकांश व्यक्ति जो कि अपना जीवनस्तर उफंचा उठाना चाहता है, या तो भ्रष्ट बन रहा है, या फिर दूसरों को बनने के लिए प्रेरित कर रहा है या फिर भ्रष्टाचार की चेन में अपनी रोटेशनल भूमिका का निर्वाह कर रहा है। कहने को तो हमारी प्रशासनिक व्यवस्था बहुत कुशल है, जनोन्मुखी है, लेकिन यह इसके मुंह पर किसी तमाचे से कम नहीं कि विगत सात दशकों में भ्रष्टाचार से लड़ने में यह पूरी तरह से विफल रही है और इसे बढ़ाने का श्रेय भी अब इसको ही दिया जाने लगा है। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि विधयिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और प्रेस जैसे लोकतंत्रा के चारो स्तम्भ मिलकर भ्रष्टाचार का मुकाबला ही नहीं कर सकते बल्कि इसका समूल नाश भी कर सकते हैं।

      December 14, 2010 at 2:33pm ·  ·  4

    • Raghuveer Saini 
      संसदीय राजनीति में बहुमत एक ऐसा खेल है जो नैतिक होने पर तो बहुत कुछ दे सकता है समाज को लेकिन यदि अनैतिक हुआ तो बहुत कुछ लील भी सकता है समाज का। लिहाजा अब आवश्यकता इस बात की है कि लोकतंत्रा को नैतिक बनाया जाए और भ्रष्टाचार रूपी अनैतिकता से उसके वास्ते को खत्म करने के लिए हर संभव पहल की जाए। किसी को भी लिंग, जाति, वर्ग, धर्म क्षेत्रा के आधर पर लाभान्वित करने की कूचेष्टा करते न की जाए और जो अब तक हो चुका है, उसे नियंत्रित करते हुए देश में ‘समान नागरिक संहिता’ लागू करने की कोशिश की जाए।

      December 14, 2010 at 2:35pm ·  ·  4

    • डॉ.मनोज चतुर्वेदी (विचारक,चिन्तक और साहित्यकार) 
      ‎*
      अब यदि देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाना है तो सर्वप्रथम देश की राजनीति से भ्रष्ट राजनीतिज्ञों का संफाया करने की जरूरत है। जनता तथा आम मतदाता यह बहुत अच्छी तरह जानता है कि उसके क्षेत्र की पंचायत से लेकर संसद तक का नुमाईंदा राजनीति के क्षेत्र में अपनी सक्रियता अथवा अपने निर्वाचन से पूर्व क्या आर्थिक हैसियत रखता था और अब कुछ ही समय में अथवा कुछ ही वर्षों में वह आर्थिक रूप से कितना संपन्न हो चुका है। मंहगाई के इस दौर में जबकि एक व्यक्ति का रोटी खाना व साधारण तरींके से उसका परिवार चलाना दूभर हो रहा है ऐसे में जनता के समक्ष चुनाव के समय हाथ जोड़ने वाला तथा स्वयं को समाजसेवी बताने का ढोंग करने वाला कोई राजनैतिक कार्यकर्ता यदि आए दिन अपनी संपत्ति बढ़ाता ही जा रहा है अथवा उसका रहन-सहन असाधारण होता जा रहा है तो जनता को स्वयं समझ लेना चाहिए कि अमुक व्यक्ति,समाजसेवी या नेता नहीं बल्कि हमारे देश में लगी भ्रष्टाचार रूपी दीमकों के झुंड का ही एक प्रमुख हिस्सा है ।
      "हम न सोचें हमें क्या मिला है
      हम ये सोचें किया क्या है अर्पण
      फूल खुशियों के बाँटें सभी को
      सबका जीवन ही बन जाये मधुबन
      अपनी करुणा का जल तू बहाकर
      करदे पावन हरेक मनका कोना"

      December 14, 2010 at 8:26pm ·  ·  4

    • डॉ.मनोज चतुर्वेदी (विचारक,चिन्तक और साहित्यकार) 
      ‎*
      हर तरफ़ ज़ुल्म है, बेबसी है,सहमा सहमा-सा हर आदमी है...
      भ्रष्टाचार के पाप का बोझ बढता ही जाये,जाने कैसे ये धरती थमी है !!
      जो मनुष्य सर्वदा सत्य को धारण किए रहता है, उसके जीवन के सभी कर्मों, वाणी और विचारों में पवित्रता का भाव सदा अक्षुण बना रहता है। सच्चाई से थोड़ा भी हट जाने पर- विचार,वाणी और कर्म में असत् भाव प्रविष्ट हो जाता है। और वैसा हो जाने पर, सच्चाई धीरे धीरे इतनी दूर चली जाती है कि, सच्चरित्रता रूपी स्तम्भ का गगन चुम्बी शिखर ही टूट कर बिखर जाएगा। चरित्र कि चट्टानी नींव पर ही, मनुष्य का जीवन ऐश्वर्य कि गरिमा के खड़ा रह सकता है। वैसा न होने से पग-पग पर मिलने वाली पराजय कि ग्लानी, अन्त में जीवन को एक ऐसे अंधेरे कुँए में गिरा देगी, जहाँ से पुनः 'आलोक के आनन्दमय राज्य में' जाने के लिए पग बढाने का, कोई उपाय ही शेष नही रहेगा।

      December 14, 2010 at 8:36pm ·  ·  4

    • Sheetal Jangir 
      भारत के स्थानिय निकायो, राज्य सरकारो एवं केन्द्र सरकार का कुल बजट 20 लाख करोड रुपये है। और यह 20 लाख करोड का बजट तो तब है जबकि देश मे चारो तरफ भ्रष्टाचार शिखर पर है। इस देश में भ्रष्टाचार न हो तो भारत देश का कुल बजट 35-40 लाख करोड हो सकता है। आप ही सोचे आप ही निर्णय करे की क्या एक गरीब देश का इतना बजट हो सकता है। जानबुझकर देश के भ्रष्ट एवं बेईमान नेतओ ने देश को गरीब बनायांत्रिक हुआ है। देश से यदि भ्रष्टाचार मिट जाए तो देश मे एक भी व्यक्ति बेरोजगार व गरीब नही रह सकता। एक षड्यंत्र के तहत लोगो को बेरोजगार गरीब एवं अनपढ बनाया हुआ है। जिससे की भ्रष्ट शासक देश के गरीब, बेरोजगार, अनपढ एवं अशिक्षित लोगो पर मनमाने ढंग से शासन कर सके अथवा लोकतन्त्र के नाम पर तानाशाही कर सके।

      December 14, 2010 at 10:54pm ·  ·  4

    • Sheetal Jangir 
      राष्ट्र्वादी, ईमानदार लोग ही देश पर शासन करेंगे भ्रष्टाचारी लोग ही देश पर शासन करेंगे। यह झूठ भी एक साजिश के तहत बोला जा रहा है। जिससे कि ईमानदार, देशभक्त लोग कभी सत्ता मे न राष्ट्र्वादी, ईमानदार लोग ही देश पर शासन करेंगे भ्रष्टाचारी लोग ही देश पर शासन करेंगे। यह झूठ भी एक साजिश के तहत बोला जा रहा है। जिससे कि ईमानदार, देशभक्त लोग कभी सत्ता मे नहीं आ सकते। और एक के बाद दूसरा बेईमान सत्ताओ के सिंहासन पर बैठकर बेरहमी एवं बेदर्दी के साथ देश को लुटेगा। इस देश मे देशभक्त, ईमानदार, पढे-लिखे, चरित्रवान एवं जिम्मेदार लोग भी है, जो देश को - भ्रष्टाचार मुक्त, श्रेष्ठ शासन दे सकते है। तो समस्त देशवासियों के मन मे एक सहज प्रश्न उत्पन्न होता है कि क्या अच्छे व चरित्रवान लोग संगठित हो पायेंगे ? क्या ईमानदार लोग एम एल ए, एम पी नही बन पायेंगे ? इसका सीधा, स्पष्ट एवं यथार्थ उत्तर है कि देश को नेतृत्व देने की क्षमता रखने वाले देशभक्त, चरित्रवान लोग तो है लेकिन देशभक्त, चरित्रवान, ईमानदार लोग संगठित नहीं है।

      December 14, 2010 at 10:55pm ·  ·  4

    • Poonam Singh 
      ‎-
      'भ्रष्टाचार' को राष्ट्र की सबसे बड़ी समस्या और बर्बादी की जड़ बताने वाले, भ्रष्ट-बेईमान लोगों के हाथों में देश की सत्ता सौंपने को देश का अपमान मानने वाले तथा जीवन में सौ प्रतिशत पारदर्शिता के हिमायती योगगुरु बाबा रामदेव क्या अब 'हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे' की राह पर चल पड़े हैं? 'आओ हम सब मिलकर प्रण करें कि...हम देश को भ्रष्ट लोगों के हाथों लुटने नहीं देंगे' जैसे आह्वान तथा 'क्या हम देश की सत्ता भ्रष्ट, बेईमान, कायर, कमजोर बुजदिल और दोहरे चरित्र वाले लोगों के हाथों में सौंप दें?' जैसी एकदम सौ टका टंच ईमानदारी का दम भरने वाली बेबाक बयानियों के बूते जनप्रियता की बुलंदियां छू रहे योगगुरु को अब क्या अपने योग-साम्राज्य के विस्तार के लिए भी महाठग नटवरलाल जैसे चाल-चरित्र वाले लोगों के सहारे की जरूरत आन पड़ी है?

      December 14, 2010 at 10:59pm ·  ·  4

    • Poonam Singh 
      ‎-
      प्रिय शीतल,
      तुमने भ्रष्टाचार को बहुत अच्छा स्पष्ट किया है,अधिकतर लोगों के भ्रष्टाचार की दौ‹ड में शामिल होने की कोशिशों के बावजूद भी उन लोगों को निराश होने की जरूरत नहीं है, जो की भ्रष्टाचार के खिलाफ काम कर रहे हैं या जो भ्रष्टाचार को ठीक नहीं समझते हैं। क्योंकि आम जनता के दबाव में यदि सरकार ‘‘सूचना का अधिकार कानून” बना सकती है, जिसमें सरकार की 90 प्रतिशत से अधिक फाइलों को जनता देख सकती है, तो ‘‘भ्रष्टाचार उन्मूलन कानून” बनाना क्यों असम्भव है? यद्यपि यह सही है कि ‘‘भ्रष्टाचार उन्मूलन कानून” बन जाने मात्र से ही अपने आप किसी प्रकार का जादू तो नहीं हो जाने वाला है, लेकिन ये बात तय है कि यदि ये कानून बन गया तो भ्रष्टाचार को रुकना ही होगा।
      ‘‘भ्रष्टाचार उन्मूलन कानून” बनवाने के लिए उन लोगों को आगे आना होगा जो-
      भ्रष्टाचार से परेशान हैं, भ्रष्टाचार से पीड़ित हैं,
      भ्रष्टाचार से दुखी हैं,
      भ्रष्टाचार ने जिनका जीवन छीन लिया,
      भ्रष्टाचार ने जिनके सपने छीन लिये और
      जो इसके खिलाफ संघर्षरत हैं।

      December 14, 2010 at 11:05pm ·  ·  4

    • डॉ.मनोज चतुर्वेदी (विचारक,चिन्तक और साहित्यकार) 
      ‎*
      मित्रों मेरे प्रिय रचनाकारों में एक पूजनीय शैल चतुर्वेदीज़ी की 'भ्रष्टाचार' पर एक मनोरंज़क कविता प्रस्तुत है.....,
      सादर प्रस्तुति,
      हमारे लाख मना करने पर भी,हमारे घर के चक्कर काटता हुआ
      मिल गया भ्रष्टाचार,हमने डांटा : नहीं मानोगे यार
      तो बोला : चलिए,आपने हमें यार तो कहा
      अब आगे का काम,हम सम्भाल लेंगे
      आप हमको पाल लीजिए,आपके बाल-बच्चों को
      हम पाल लेंगे,हमने कहा : भ्रष्टाचार जी!
      किसी नेता या अफ़सर के,बच्चे को पालना
      और बात है,इन्सान के बच्चे को पालना
      आसान नहीं है,वो बोला : जो वक्त के साथ नहीं चलता
      इंसान नहीं है,मैं आज का वक्त हूँ
      कलयुग की धमनियों में,बहता हुआ रक्त हूँ
      कहने को काला हूँ,मगर मेरे कई रंग हैं
      दहेज़, बेरोज़गारी,हड़ताल और दंगे
      मेरे ही बीस सूत्री कार्यक्रम के अंग हैं
      मेरे ही इशारे पर,रात में हुस्न नाचता है
      और दिन में,पंडित रामायण बांचता है
      मैं जिसके साथ हूँ,वह हर कानून तोड़ सकता है
      अदलत की कुर्सी का चेहरा,चाहे जिस ओर मोड़ सकता है
      उसके आंगन में,अंगड़ाई लेती है
      गुलाबी रात,और दरवाज़े पर दस्तक देती है
      सुनहरी भोर,उसके हाथ में चांदी का जूता है
      जिसके सर पर पड़ता है,वही चिल्लाता है
      वंस मोर,वंस मोर,वंस मोर
      इसलिए कहता हूँ,कि मेरे साथ हो लो
      और बहती गंगा में हाथ धो लो !
      हमने कहा : गटर को गंगा कहते हो?,ये तो वक्त की बात है
      जो भारत वर्ष में रह रहे हो,वो बोला : भारत और भ्रष्टाचार की राशि एक है
      कश्मीर से कन्याकुमारी तक,हमारी ही देख-रेख है
      राजनीति हमारी प्रेमिका,और पार्टी औलाद है
      आज़ादी हमारी आया,और नेता हमारा दामाद है
      हमने कहा : ठीक कहते हो भ्रष्टाचार जी!
      दामाद चुनाव में खड़ा हो जाता है,
      और जीतने के बाद,उसकी अँगुली छोटी,और नाख़ून बड़ा हो जाता है
      मगर याद रखना,दामादों का भविष्य काला है
      बस, तूफ़ान आने ही वाला है
      वो बोला : तूफ़ान आए चाहे आंधी,अपना तो एक ही नारा है
      भरो तिज़ोरी चांदी की,जै बोलो महात्मा गांधी की
      हमने कहा : अपने नापाक मुँह से,गांधी का नाम तो मत लो
      वो बोला : इस ज़माने में,गांधी का नाम
      मेरे सिवाय कौन लेता है,गांधी के सिद्धांतों पर चलने वालों को
      जीने कौन देता है
      मत भूलो,कि भ्रष्टाचार,इस ज़माने की लाचारी है
      हमें मालूम है,कि आप कवि हैं
      और आपने,कविता की कौन-सी लाइन,कहाँ से मारी है।
      सादर साभार---(रचनाकार: शैल चतुर्वेदी)

      December 15, 2010 at 2:51pm ·  ·  6

    • Yashendra Prasad क्या शिक्षा से भ्रष्टाचार मिटेगा ?http://www.bihardays.com/2crrnt/yashendra-ki-batkah/
      December 15, 2010 at 8:18pm ·  ·  3

    • Sheetal Jangir 
      ‎-‘‘भ्रष्टाचार की गंगा का उद्गम गंगोत्री से हुआ अर्थात सर्वोच्च और पूज्य स्थान से।’’इस समय पंड़ित जवाहर लाल नेहरू प्रधानमंत्री थे।‘नेशनल हेराल्ड’ को दिल्ली लाने की योजना नेहरू जी ने बनाई और पाॅंच लाख की धनराशि का इन्तजाम करना तय हुआ।तत्कालीन विमानन मंत्री रफी अहमद किदवाई ने,हिमालयन एयरवे़ज के मालिक दो राणाओं से पच्चीस-पच्चीस हजार रूपये, अपने विभाग में ठेके देने के बदले में वसूल लिए।सरदार वल्लभ भाई पटेल के संज्ञान में यह बात आई तो उन्होनें जवाहर लाल नेहरू से इसकी शिकायत की तथा कड़ा प्रतिवाद किया।नेहरू के ‘नेशनल हेराल्ड’ को धर्मार्थ संस्था कहने पर पटेल ने आश्चर्य प्रकट किया।बाद में नेहरू ने पटेल को पत्र लिखकर रफी अहमद किदवाई द्वारा राणाओं से धनराशि लेने को उचित ठहराया।सरदार पटेल जैसे ईमानदार-दृढ़ संकल्पित व्यक्ति और पण्डित नेहरू जो कि पश्चिमी सभ्यता को तरक्की में सहयोगी मानते थे,के बीच उत्पन्न कटु सम्बन्धों का एक बडा कारण नेहरू जी द्वारा भ्रष्टाचार के आरोपियों को संरक्षण देना था।(मस्तराम कपूर के अनुसार0

      December 15, 2010 at 10:16pm ·  ·  6

    • Poonam Singh 
      ‎-
      जिस देश की आम जनता आज भी हाड़-तोड़ मेहनत के पश्चात् बुनियादी पारिवारिक जरूरतों को पूरा न कर पाने की समस्या से बेजार है,उसी देश के,उसी आम जनता के मतों से निर्वाचित नेताओं की ऐयाशी व जीवन शैली मानवता को शर्मसार करने वाली है।देश का न्यायालय तक इस भ्रष्टाचार से नही बचा है और सर्वोच्च न्यायालय भी इस विषय पर अब मुखरित हो चुका है।लगभग सभी सत्ता में रहे राजनेता भ्रष्टाचार के आरोपी हैं,इस नासूर बन चुके भ्रष्टाचार का उपचार कौन करेगा????

      December 15, 2010 at 10:19pm ·  ·  6

    • Poonam Singh 
      ‎-
      कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम के पास निर्माणाधीन फुटओवर ब्रिज के हिस्से का ढ़हना और स्टेडियम की फॉल्स सीलिंग गिरना भ्रष्टाचार का ही नतीजा है। उन्होंने भ्रष्टाचार के कारण ही तैयारियों में देरी हुई और हर ओर अव्यवस्था फैली हुई है। नए पुल ताश की पत्तों की तरह ढ़ह रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कॉमनवेल्थ के आयोजन में लगभग 70 हजार करोड़ रूपए खर्च किए गए हैं।
      अदालत ने पूछा कि जब हर ओर बदइंतजामी है, तो आखिर 70 हजार करोड़ रूपए कहां खर्च किए गए। कोर्ट ने कॉमनवेल्थ खेलों में भ्रष्टाचार पर चिंता जताते हुए कहा कि यह 70 हजार करोड़ का मामला है और इससे जुड़ी खबरों पर आंख मूंदकर नहीं बैठा जा सकता। जस्टिस सिंघवी ने कहा कि "अब यह जगजाहिर है कि कॉमनवेल्थ में क्या हो रहा है। 15 अक्टूबर तक कॉमनवेल्थ को सार्वजनिक मकसद बताकर लोगों को ठगा जा रहा है और उसके बाद सब निजी हो जाए। गौरतलब है कि यह पहला मौका है जब सुप्रीम कोर्ट ने कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन और उसमें बदइंतजामी पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

      December 15, 2010 at 10:21pm ·  ·  6

    • Asif Rathore प्रासंगिक एवं प्रेरक लेख के लिए साधुवाद!
      December 15, 2010 at 10:38pm ·  ·  2

    • Asif Rathore सर डॉ.मनोज चतुर्वेदीज़ी,
      गहन चिंतन और क्रांतिकारी विचार !!!!!!!!!!!!!!!!!!

      December 15, 2010 at 10:40pm ·  ·  4

    • Raghuveer Saini आपने सौ फीसदी सही, सटीक, और सत्य लिखा है. आपके खोजपरक लेखा के लिए साधुवाद. आपकी लेखनी को नमन. आज-कल के माहौल में ऐसा निर्भीक लेखा लिखना हिम्मत की बात है. आपसे ऐसे ही शोधपरक लेखो की आशा है !
      December 15, 2010 at 10:47pm ·  ·  4

    • Sheetal Jangir हे गुरुदेव !
      आपका प्रत्येक शब्द हमारे ह्रदय पर अंकित हो जाता है, आप पर माँ सरस्वती की पूर्ण अनुकम्पा है !
      सादर आभार

      December 16, 2010 at 11:19pm ·  ·  4

    • Anil Kumar Patil नमस्कार !
      क्या शिक्षा से भ्रष्टाचार मिटेगा ?
      सादर आभार !

      December 16, 2010 at 11:26pm ·  ·  2

    • डॉ.मनोज चतुर्वेदी (विचारक,चिन्तक और साहित्यकार) ‎*
      इस रचना पर आपकी टिपण्णी का बहुत ही आभारी हूँ, आपकी इस रचना पर की हुई स्तुति और मेरी ओर आपकी भावना पढ़कर मुझे मानो सबकुछ मिल गया !
      सादर आभार !

      December 16, 2010 at 11:35pm ·  ·  2

    • Rahul Sultania ॐ श्री सद् गुरु देवाय नम: ....
      December 17, 2010 at 8:06pm ·  ·  1

    • Peridon Don गुरुदेव सर डॉ.मनोज चतुर्वेदीज़ी,
      भ्रष्टाचार को बहुत अच्छा स्पष्ट किया है !
      आभार !

      December 18, 2010 at 10:18pm · 

    • Prem Arya चतुर्वेदीज़ी,
      भ्रष्टाचार को बहुत अच्छा स्पष्ट किया है !Isi prakar Desh men Jatiy Bhedbhaw bhi Hai jo ekiswin sadi men bhi jari hai Kya isse bhi desh ke vikas men avrodh paida hota hai .Apne shodhparak lekho se spasht karen

      October 13 at 10:47am ·