बुधवार, 28 सितंबर 2011

शहीद भगतसिंह सदैव हमारे ह्रदय में हैं...



आज महान शहीदे-आजम शहीद भगतसिंह  का १०५वाँ जन्मदिन है || 
शहीद भगतसिंह के जन्मदिन पर जरूरत है कि हम महज रस्मी श्रद्धान्जलियों से हटकर अपने सच्चे शहीद की याद को सच्चे दिल से ताजा करें | यह ज़रुरत सिर्फ इसलिए नहीं है कि वे विदेशी गुलामी से देश को आजाद करवाने के लिए भरी जवानी में अपनी जान तक की बाजी लगा गए, हम सच्चे के लिए शहीद भगतसिंह को याद करना आज इससे भी गहरे अर्थ रखता है |
शहीद भगतसिंह  असेम्बली में बम फेंकने के बाद, तत्कालीन अदालत ने जब भगतसिंह से पूछा कि क्रांति क्या है, तब शहीद भगतसिंह ने इस कविता के ज़रिये क्रांति को परिभाषित किया था----
"जब गतिरोध की स्थिति
लोगों को अपने शिकंजे में जकड़ लेती है,
तो वे किसी भी प्रकार की
तब्दीली से हिचकते हैं,
इस जड़ता और निष्क्रियता को तोडऩे के लिए
एक क्रांतिकारी स्पिरिट की जरूरत होती है,
इस परिस्थिति को बदलने के लिए
यह जरूरी हैकि क्रांति की स्पिरिट
ताजा की जाए ताकि
इंसानियत की रूह में हरकत पैदा हो।"


भगत सिंह का जन्म २८ सितंबर, सन १९०७,शनिवार सुबह ९ बजे लायलपुर ज़िले के बंगा गाँव (चक नम्बर १०५ जो अब पाकिस्तान में है) में हुआ था। हालांकि उनका पैतृक निवास आज भी भारतीय पंजाब के नवाँशहर ज़िले के खटकड़कलाँ गाँव में स्थित है। उनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती कौर था। यह एक सिख परिवार था जिसने आर्य समाज के विचार को अपना लिया था। अमृतसर में १३ अप्रैल, सन १९१९ को हुए जलियाँवाला बाग हत्याकांड ने भगत सिंह की सोच पर गहरा प्रभाव डाला था। लाहौर के नेशनल कॉलेज़ की पढ़ाई छोड़कर भगत सिंह हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन ऐसोसिएशन नाम के एक क्रान्तिकारी संगठन से जुड़ गए थे। भगत सिंह ने भारत की आज़ादी के लिए नौजवान भारत सभा की स्थापना की थी। इस संगठन का उद्देश्य ‘सेवा,त्याग और पीड़ा झेल सकने वाले’ नवयुवक तैयार करना था। भगत सिंह ने राजगुरु के साथ मिलकर १७ दिसम्बर, सन १९२८ को लाहौर में सहायक पुलिस अधीक्षक रहे अंग्रेज़ अधिकारी जे०पी० सांडर्स को मारा था। इस कार्रवाई में क्रान्तिकारी चन्द्रशेखर आज़ाद ने भी उनकी सहायता की थी। क्रान्तिकारी साथी बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर भगत सिंह ने अलीपुर रोड पर स्थित दिल्ली की तत्कालीन सेण्ट्रल एसेम्बली के सभागार में ८ अप्रैल, सन १९२९ को 'अंग्रेज़ सरकार को जगाने के लिये' बम और पर्चे फेंके थे। बम फेंकने के बाद वहीं पर दोनों ने अपनी गिरफ्तारी भी दी ।
शहीद भगत सिंह को हिन्दी, उर्दू, पंजाबी तथा अंग्रेजी के अलावा बांग्ला भी आती थी जो उन्होंने बटुकेश्वर दत्त से सीखी थी । उनका विश्वास था कि उनकी शहादत से भारतीय जनता और उद्विग्न हो जायेगी और ऐसा उनके जिन्दा रहने से शायद ही हो पाये । इसी कारण उन्होंने मौत की सजा सुनाने के बाद भी माफ़ीनामालिखने से साफ मना कर दिया । पं० रामप्रसाद 'बिस्मिल' ने अपनी आत्मकथा में जो-जो दिशा-निर्देश दिये थे उनका भगत सिंह ने अक्षरश: पालन किया। उन्होंने अंग्रेज सरकार को एक पत्र भी लिखा, जिसमें कहा गया था कि उन्हें अंग्रेज़ी सरकार के ख़िलाफ़ भारतीयों के युद्ध का प्रतीक एक युद्धबन्दी समझा जाए तथा फ़ाँसी देने के बदले गोली से उड़ा दिया जाये ।

फ़ाँसी के पहले ३ मार्च को अपने भाई कुलतार को भेजे एक पत्र में 
शहीद भगत सिंह ने लिखा था -
उन्हें यह फ़िक्र है हरदम नयी तर्ज़-ए-ज़फ़ा क्या है,
हमें यह शौक है देखें, सितम की इन्तहा क्या है |
दहर से क्यों ख़फ़ा रहें,चर्ख से क्यों ग़िला करें,
सारा जहाँ अदू सही,आओ! मुक़ाबला करें ।
शहीद भगत सिंह की जोशीली पंक्तियों से उनके शौर्य का अनुमान लगाया जा सकता है। शहीद भगत सिंह सदा ही शेर की तरह जिए और एक सच्चे शेर की तरह ही फाँसी पर चढ़ गए। चन्द्रशेखर आजा़द से पहली मुलाकात के समय जलती हुई मोमबती पर हाथ रखकर उन्होंने कसम खायी थी कि उनकी जिन्दगी देश पर ही कुर्बान होगी और उन्होंने अपनी वह कसम पूरी कर दिखायी ।


बहुत कम लोग जानते हैं कि भगतसिंह बीसवीं शताब्दी के राजनैतिक कार्यकर्ताओं के बीच एक प्रमुख बुद्धिजीवी भी थे। आज उन्हें इसी रूप में याद करने की आवश्यकता है। लगभग २ साल वे जेल में रहे। इस बीच उन्होंने बहुत सी पुस्तकें पढीं। इनमें यूरोप-अमेरिका के विद्वान, चिंतक, बुद्धिजीवी साहित्यकारों की पुस्तकें हैं। उनका पूर्ण राजनीतिक जीवन १८ साल का रहा और कुल उम्र २५ साल। अजीब संयोग है कि रानी लक्ष्मीबाई भी २३ साल की उम्र में अंग्रेजों से लडते हुए शहीद हो गयीं। भगतसिंह के अन्य साथी यतीन्द्रनाथ ने ६५ दिन तक आमरण अनशन किया-जेल सुधार तथा मानवाधिकारों के लिए। इसके बाद वह भी २३ वर्ष की आयु में शहीद हो गये। उनकी शहादत ने पूरे देश को झकझोर दिया। ब्रिटिश सरकार भी मजबूर हो गयी। क्रान्तिकारियों का यह प्रभाव भी पडा कि वहाँ पढने लिखने की सामग्री दी जाने लगी। यह सुधार कुछ मामूली परिवर्तनों के साथ, लगभग उसी रूप में आज भी मौजूद है।
भगत सिंह लाहौर जेल में १९२९ से २३ मार्च, १९३१ तक, फाँसी पर चढाए जाने से पूर्व नोटबुक लिखते रहे। २०वीं सदी के किसी भी लेखक या बुद्धिजीवी में इतनी वैचारिक प्रगति नहीं दीखती, जितनी भगत सिंह में। १९१८ से उनका आंदोलनकारी सफल आरंभ हुआ। तब वे आर्य समाजी थे, फिर सुधारवादी फिर अराजकतावादी होते हुए अंत में वैज्ञानिक समाजवाद के साये में आये। आतंकवाद को वे गलत समझते थे। उनका विचार था कि बिना संगठन और पार्टी के कोई परिवर्तन संभव नहीं है, क्रांतिकारी के रूप में ये दोनों बहुत आवश्यक हैं। लेनिन उनके आदर्श थे। कहना प्रासंगिक होगा कि फाँसी का बुलावा आया तो भगत सिंह लेनिन की जीवनी पढ रहे थे, तब उन्होंने एक हाथ उठाकर कहा कि रुको, एक क्रांतिकारी दूसरे क्रांतिकारी से मिल रहा है। उन्होंने नौजवानों से अपील की कि ’’व्यवस्थित ढंग से आगे बढने के लिए आपको जिसकी सबसे अधिक आवश्यकता है। भगतसिंह ने इस देश की जनता को तीन नारे दिये-

१. इंकलाब- जिन्दाबाद ||, 
२. किसान-मजदूर जिन्दाबाद || 
३. साम्राज्यवाद का नाश हो।| 
ये तीनों नारे आज हमारी श्रमिक एवं संघर्षशील जनता के कंठहार हैं। भगतसिंह ने महत्वपूर्ण कार्य यह किया कि अपने समय के क्रान्तिकारी आंदोलन को पुराने क्रांतिकारी आंदोलन की रूढवादी परम्परा से विमुक्त किया। पुराने क्रांतिकारी किसी न किसी देवी-देवता के उपासक थे और दृढ ईश्वर विश्वासी थे। वे इस सबको नियति का खेल मानते थे। भगतसिंह ने कहा कि इस प्रकार के क्रांतिकारी अंत में साधु-सन्यासी बन जाते हैं। उन्होंने धर्म को राजनीति से अलग रखने का सबसे अधिक प्रयास किया। राजनीति और धर्म के मेल में देशभक्ति की भावना मर जाती है, अपने इसी विचार को नौजवानों तक पहुँचाने के लिए भगतसिंह ने एक लेख लिखा-’मैं नास्तिक क्यों हूँ‘ जो आज भी बहुत चाव से पढा जाता है। भगत सिंह ने यह भी कहा कि ’’हमें धर्मनिरपेक्ष राजनीति की जष्रूरत है। हमें ऐसी राजनीति की जरूरत नहीं जो किसी भी धर्म को महत्व दे।‘‘ भगत सिंह की यह बात बहुत सही ठहरती है क्यों कि पिछले अनेक वर्षों से धर्म की राजनीति हो रही है और दंगे कराये जा रहे हैं। आज तो इस में जाति का भी समावेश हो गया है। धर्म की राजनीति करने वाले लोग हर समस्या का हल अतीत में देखते हैं। उनके लिए हर समस्या का हल उनके धार्मिक ग्रंथों में निहित है। ऐसे दिवास्वप्न देखने वाले लोग देश का क्या भला करेंगे ।

 'भगत सिंह तुम जिंदा हो, हम सबके दिलों में'
शहीद भगत सिंह को हमारा शत-शत नमन...............

रविवार, 18 सितंबर 2011

"मेरे प्रेरणास्त्रोत,आदर्श,मार्गदर्शक,दार्शनिक, पिताश्री डॉ. तपेश चतुर्वेदी"



प्रात:स्मरणीय,परमश्रद्धेय ब्रह्मलीन पिताश्री डॉ.तपेश चतुर्वेदीजी की आज ८४वीं जन्मतिथि पर सादर नमन सहित................,
उनकी गोद में इस जगत के प्रथम साक्षात्कार किये थे और उनकी ही ऊँगली पकड़कर प्रथम बार इस पावन भूमि पर कदम रखा था !
उनके सानिंध्य में और उनके परमस्नेही आशीर्वाद की छाया में ज्ञान प्राप्त किया था, उन परम पावन महान आत्मा को मेरा सादर शत-शत नमन..........
मेरे प्रेरणास्त्रोत, आदर्श, मार्गदर्शक, दार्शनिक, पिताश्री डॉ. तपेश चतुर्वेदी का एक संक्षिप्त परिचय :---

जन्मतिथि: 

१८ सितम्बर, १९२७
जन्मस्थान: 

मंझोली(जिला- गोरखपुर)
योग्यता: एम.ए.( अंग्रेजी, हिन्दी
, समाजशास्त्र) ; पीएच.डी.
व्यवसाय: 
विश्विद्यालय के अंतर्गत स्नातकोत्तर महाविद्यालयों में १८ वर्ष अंग्रेज़ी तथा २० वर्षों तक हिन्दी साहित्य का कुल ३८ वर्षों का अध्यापन, 
अनेक शिक्षण संस्थाओ में प्राचार्य पद का निर्वहन,
सन १९८९ में सेवानिवृति पश्चात् मुंबई फिल्मक्षेत्र में लेखन कार्य

प्रकाशन: 

विनयपत्रिका-दर्शन (विस्तृत समीक्षा)
सुगम भाषा-विज्ञान,
हिन्दी भाषा का इतिहास,
उपन्यासकार वृन्दावनलाल वर्मा(झाँसी की रानी संदर्भित),
उपन्यासकार यशपाल(झूठा सच 
संदर्भित),
षोडश ग्रन्थ(अनूदित),
संगीत-वेद(अनूदित),
अनुभूतियाँ बोलती है (काव्य संग्रह),
इनके अतिरिक्त अनेक राष्ट्रीय प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओ में कविताये, लेख, निबंध, समीक्षायें प्रकाशित !

सामाजिक-कार्य: 
लोक कल्याण समिति के महासचिव पद पर २० वर्षो तक जनसेवा-कार्य |
जिला-कारागार,मथुरा के वीक्षक
भारतीय रेलवे की हिन्दी-परामर्श समिति के सदस्य
अखिल भारतीय महाविद्यालीय पत्रिका समिति के अध्यक्ष
अनेक शिक्षा प्रबंध समितियों के अध्यक्ष

महानिर्वाण: 
१८ नवम्बर, २००६ को प्रात: काल ब्रह्म मुहूर्त में शांतिपूर्वक ब्रह्मलीन |||

"एक ऐसा जलाएं दीया आज हम,मावसी रात को भी जो पूनम करे !
रोशनी का जो केवल दिखावा करें,उन सितारों की हमको ज़रूरत नहीं !!
करने वालों ने वादे किये हैं बहुत,किन्तु पूरा करेंगे ये वादा नहीं !
जिनके कन्धों से ताकत विदा ले गयी,उन सहारों की हमको ज़रूरत नहीं !!
यों समन्दर में पानी की सीमा नहीं,किन्तु पीने के काबिल नहीं बूंद भी !
जिनसे प्यासों को जीवन नहीं मिल सके,उन फुहारों की हमको ज़रूरत नहीं !!
कुछ बदलने से मौसम ख़ुशी तो मिली,चाहता हूँ यह मौसम ना बदले कभी !
जिनके आने से बगिया में रौनक ना हो,उन बहारों की हमको ज़रूरत नहीं !!
हम भयानक भंवर से तो बचते रहे,पर तटों ने हमेशा छलावा किया !
जो लहर के थपेड़ों से खुद मिट गए,उन किनारों की हमको ज़रूरत नहीं !!"
(रचयिता-डॉ.तपेश चतुर्वेदी)

बुधवार, 14 सितंबर 2011

'आज का इतिहास,षष्ठम-भाग'

(सितम्बर माह की १६ से ३० सितम्बर तक विभिन्न तिथियों का ऐतिहासिक महत्त्व)



'१६ सितम्बर का ऐतिहासिक महत्व'
१६ सितम्बर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २५९वॉ (लीप वर्ष मे २६०वॉ) दिन है। साल मे अभी और १०६ दिन बाकी है।
१६ सितम्बर का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं---
(१)सन् १८१०- निगवेल हिदाल्गो ने स्पेन से मैक्सिको की आजादी के लिए संघर्ष शुरु किया। सन् १८२१ में मैक्सिको की स्वतंत्रता को मान्यता मिली और 
सन् १८२५ में वह संस्थापित हो गया।

 (२)सन् १८८२- इटली के प्रख्यात सैनिक नेता जोज़फ़ गेरी बॉल्डी का ७५ वर्ष की आयु में निधन हुआ। उनका जन्म सन् १८०७ ईसवी में हुआ था युवावस्था में वे विभिन्न काम करने के पश्चात सेना में भर्ती हो गये। सेना में उन्होंने बड़ी तेज़ी से प्रगति की अंतत: इटली के स्वतंत्रता प्रेमियों के कमांडर बन गये। इस पद पर रहते हुए गेरीबॉल्डी ने अखंड इटली के गठन में बहुत अधिक प्रयास किया इसी कारण उन्हें राष्ट्रीय नायक के रुप में पहचाना गया।
(३)सन् १९३१- इटली के साम्राज्यवाद के विरुद्ध लीबिया राष्ट्र के संघर्ष के नेता अमर मुख्तार को फांसी दे दी गयी। उनका जन्म सन् १८५९ ईसवी में हुआ। और वे एक धर्मगुरु थे, सन् १८९५ ईसवी में वे सूडान चले गये उन्होंने ब्रिटिश साम्रात्यवाद के विरुद्ध मेहदी सूडानी के आंदोलन में भाग लिया परंतु इस आंदोलन की विफलता के पश्चात वे पुन: लीबिया लौट गये, सन् १९११ में इटली ने उस्मानी शासन से युद्ध करके लीबिया को अपने नियंत्रण में ले लिया उमर मुख्तार ने लीबियाई कबीलों के योद्धाओं की सहायता से इटली के अतिग्रहणकारियों के विरुद्ध सशस्त्र आंदोलन आरंभ किया और उन्हें भारी क्षति पहुँचाई परंतु इटली के सैनिकों ने अंतत: उन्हें गिरफ़तार कर लिया और आज ही के दिन उन्हें फांसी दे दी।
(४)सन् १९३९- पोलैंड की राजधानी वर्शो को जर्मनी के सैनिकों ने द्वितीय विश्व युद्ध के पहले महीनें में अपने घेरे में ले लिया। नाजी जर्मनी के सैनिकों ने इससे १५ दिन पूर्व पोलैंड पर आक्रमण किया जर्मनी और सोवियत संघ की सेनाओं द्वारा दो ओर से घेरे जाने के बावजूद पोलैंड की सेना ने वर्शों की सुरक्षा के लिए कड़ा प्रतिरोध किया किंतु ११ दिनों के संघर्ष और बड़ी संख्या में लोगों के मारे जाने के बाद वर्शों पर जर्मनी का नियंत्रण हो गया इस आक्रमण से पूर्व ही जर्मनी और सोवियत संघ के बीच हस्ताक्षरित होने वाले एक गुप्त समझौते के आधार पर पोलैंड को इन दौनो देशों ने आपस में बॉट लिया था।
(५)सन् १९५५- युवान पेरॉन अर्जेंटिना से विदा।
(६)सन् १९६३- मलया सिंगापुर ब्रिटिश नार्दन वौनियो से मलेशिया का गठन।
(७)सन् १९७५- पापुआ न्यु गिनि ने आस्ट्रेलिया से स्वतंत्रता हासिल की।

१६ सितम्बर को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों के जन्मदिन हैं:-

 (१)सन् १९१६- एम.एस.सुब्बालक्ष्मी, प्रसिद्ध भारतीय गायिका और अभिनेत्री
 (२)सन् १९३१- आर. रामचंद्र राव, क्रिकेट अंपायर।
***
'१७ सितम्बर का ऐतिहासिक महत्व'१७ सितम्बर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २६०वॉ (लीप वर्ष मे २६१वॉ) दिन है। साल मे अभी और १०५ दिन बाकी है।१७ सितम्बर का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं---
(१)सन् १९२२- डच साइकिल चालक पीट मोस्कप्स विश्व चैंपियन बना।
(२)सन् १९२३- बर्कले में भड़की आग ने कैलिफोर्निया में भीषण तबाही मचायी। इसमें कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के परिसर के उत्तर पड़ोस में सघन रूप से बनाए गए ५८४ घरों सहित कोई ६४० भवन आग की चपेट में आ गए।
(३)सन् १९४८-जर्मनी के लेखक एमिल लॉडविग का निधन हुआ। वे सन् १८८१ में पैदा हुए थे। वे जर्मनी के राष्ट्रपति बिसमार्क की जीवनी लिखकर १९वीं शताब्दी में प्रसिद्धि प्राप्त की।
(४)सन् १९४८-फिलिस्तीन के मामलों तथा अरबों और जायोनी शासन के बीच होने वाले प्रथम युद्ध में संयुक्त राष्ट्र संघ के मध्यस्थ केंट बेरनाडोट की बैतुल मुक़ददस के यहुदी बाहुल्य वाले क्षेत्र में हत्या कर दी गयी। उन्हें फ़िलिस्तीन समस्या तथा अरबों इज़्राईल के बीच होने वाले युद्ध की समाप्ति के लिए समाधान खोजने का उत्तरदायित्व सौंपा गया था।
 (५)सन् १९८२-लेबनान के सबरा व शतीला नामक शिविरों में रहने वाले असैनिक फिलिस्तीनियों का ज़ायोनी शासन समर्थित फलान्जिस्टों ने निर्मन जनसंहार किया।


१७ सितम्बर को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों के जन्मदिन हैं:-
(१)सन् १९२२-वंस बॉर्जैली, अमेरिकी लेखक, उपन्यासकार, नाटककार, पत्रकार, और निबंधकार
(२)सन् १९५०-नरेन्द्र दामोदरदास मोदी (गुजराती: નરેંદ્ર દામોદરદાસ મોદી) अक्टुबर ७, सन् २००१ से गुजरात राज्य के १४वें मुख्यमंत्री, हैं। अक्टूबर सन् २००१ में केशुभाई पटेल के इस्तीफे के बाद नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे।
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'१८ सितम्बर का ऐतिहासिक महत्व'१८ सितम्बर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २६१वॉ (लीप वर्ष मे २६२वॉ) दिन है। साल मे अभी और १०४ दिन बाकी है।१८ सितम्बर का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं---
(१)सन् १५०२ - क्रिस्टोफर कोलंबस कोस्टारिका पहुँचे। यह उनकी यात्रा का पाँचवाँ और आखिरी पडाव था।
(२)सन् १८०९- लंदन में रॉयल औवेरा हाउस खुला।
(३)सन् १८५१- द न्युयार्क डेली टाइम्स अख़बार का पहला संस्करण निकला था।
(४)सन् १८१८- चिली को स्पेन से स्वतंत्रता प्राप्त हुई। सन् १५३६ में स्पेन ने चिली पर क़ब्ज़ा कर लिया था। सन् १८१४ में चिली में स्वतंत्रता संग्राम आरंभ हुआ।
(५)सन् १९१९- हॉलैंड में महिलाओं को मतदान का अधिकार मिला।
 (६)सन् १९२२- हंगरी का राष्ट्रसंघ में प्रवेश।
 (७)सन् १९२३- न्यूयार्क में समाचारपत्र प्रकाशकों की हड़ताल हुई जो २३ सितंबर तक चली।
 (८)सन् १९३१- जापान की सेना ने उत्तरपूर्वी चीन में स्थित मन्चूरी के क्षेत्र पर क़ब्ज़ा कर लिया। यह क़ब्ज़ा चीन और जापान के बीच दूसरे युद्ध का कारण बना। जापानियों ने मन्चूरी पर नियंत्रण के पश्चात वहॉ मेन्टको की पिटठू सरकार स्थापित कर दी।
(९)सन् १९४७- राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम द्वारा अमेरिका में केन्द्रिय गुप्तचर संस्था का गठन हुआ।
 (१०)सन् १९६१- स्वीडन के प्रख्यात नेता व संयुक्त राष्ट्र संघ के दूसरे महासचिव डेग हेमरशोल्ड का कांगो की झड़पों को समाप्त कराने के प्रायास में एक वायु दुर्घटना में निधन हुआ।
(११)सन् १९६७- नागालैंड ने कामकाज के लिए अंगरेजी भाषा को मान्यता दी।
(१२)सन् १९८६- मुम्बइ से पहली बार महिला चालकों ने जेट विमान उड़ाया।



१८ सितम्बर को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों के जन्मदिन हैं:-
(१)सन् १७०९ ईसवी को ब्रिटेन के प्रख्यात लेखक कवि और साहित्यकार सेमोइल जॉन्सन का लिचफील्ड नगर में जन्म हुआ।(सन् १७८४ में उनका निधन हुआ)
(२)सन् १९२७- डॉ.तपेश चतुर्वेदी, कवि-लेखक-शिक्षाविद-भाषाविद और साहित्यकार का मँझोली रियासत में जन्म हुआ ।(१८ नवम्बर, सन् २००६ को निधन हुआ)
(३)सन् १९५०- शबाना आज़मी, हिंदी फिल्म की प्रसिद्ध अभिनेत्री
 (४)सन् १९७६- रोनाल्डो, ब्राजील का महान फुटबॉल खिलाड़ी
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'१९ सितम्बर का ऐतिहासिक महत्व'१९ सितम्बर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २६२वॉ (लीप वर्ष मे २६३वॉ) दिन है। साल मे अभी और १०३ दिन बाकी है।१९ सितम्बर का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं---
(१)सन् १९५६- 20वीं शताब्दी के अविष्कारक रिचर्ड लेज़ी बीर्ड का निधन हुआ। उनका जन्म सन् १८८९ में रकॉटलैंड में हुआ था। जेली बीर्ड ने सन् १९२६ में टलीवीजन का अविष्कार किया।
 (२)सन् १९९१- कुवैत ने एक सामरिक समझौते पर हस्ताक्षर किये। यह समझौता इराक़ द्वारा कुवैत पर अतिग्रहण की समाप्ति के छ महीने पश्चात हुआ। कुवैत के अधिकारियों के अनुसार यह समझौता कुवैत पर इराक़ के पुन: सैनिक आक्रमण को रोकने के उददेश्य से किया गया था।
 (३)सन् १८९३- संसार में पहली बार महिलाओं को मत देने का अधिकार प्राप्त हुआ। ये निर्णय न्यूजीलैंड में लिया गया।
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'२० सितम्बर का ऐतिहासिक महत्व'२० सितम्बर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २६३वॉ (लीप वर्ष मे २६४वॉ) दिन है। साल मे अभी और १०२ दिन बाकी है।२० सितम्बर का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं---
(१)सन् १८३१- भाप से चलने वाली पहली बस बनाई गयी। 30 लोगों की क्षमता तथा अत्यंत धीमी गति से चलने वाली इस बस के विष्कारक गोर्दन ब्रान्ज़ थे। जिनका संबंध ब्रिटेन से था।
 (२)सन् १८६७- ऑस्ट्रिया में हंग्री के विलय के पश्चात फ्रासवा जोज़फ औपचरिक रुप से ऑस्ट्रिया हंगरी के सम्राट बने। कई बार ऑस्ट्रिया व उस्मानी शासनी के नियंत्रण के में आने वाले देश हंगरी को अंतत: सन् १९१८ में प्रथम विश्व युद्ध में ऑस्ट्रिया की पराजय के पश्चात स्वतंत्रता मिली और इस देश में लोकतंत्र स्थापित हुआ। 
(३)सन् १८७८- अंग्रेजी दैनिक द हिंदू के साप्ताहिक अंक का प्रकाशन शुरु।
 (४)सन् १९४६- पहला कांत फिल्म समारोह आयोजित।
(५)सन् १९७९- केंद्रीय अफ़्रीक़ा के अत्याचारी शासक जॉन बदल बोकसा का निधन हुआ। उन्होंने सन् १९६५ में विद्रोह द्वारा राष्ट्रपति डेविड दाको की सरकार का तख्या पलट दिया था और स्वयं को केंद्रीय अफ़्रीक़ा का आजीवन राष्ट्रपति घोषित किया। अंतत: सन् १९७९ में जनता के भारी विरोध के कारण उन्हे सत्ता से हटना पड़ा और डेविड दोबारा राष्ट्रपति बने।



२० सितम्बर को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों के जन्मदिन हैं:-
 (१)सन् १८९७- नाना साहब परुलेकर, मराठी पत्रकार।
 (२)सन् १९३५- इतालवी अभिनेत्री सोफिया लोरेन , प्रसिद्ध अभिनेत्री
(३)सन् १९४९- महेश भट्ट, अर्थ, सारांश, नाम जैसी हिंदी कला फिल्में देने वाले निर्माता निर्देशक।


२० सितम्बर को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों का निधन हुआ:-
 (१)सन् १८१०- उर्दू भाषा के प्रख्यात कवि मीर का तक़ी मीर निधन हुआ। (जन्म सन् १७२२ में आगरा में हुआ था)
(२)सन् १९३३- एनी बेसेंट, भारत में होमरुल लीग की संस्थापिका।
 (३)सन् १९९६- दया पवार, प्रसिद्ध साहित्यकार(४)सन् १९९९- राजकुमारी, तमिल सिनेमा की स्वप्न सुंदरी नाम से विख्यात अभिनेत्री। उनकी फिल्म हरिदास ११४ सप्ताह तक चेन्नई के सिनेमाघर में चलती रही थी।
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'२१ सितम्बर का ऐतिहासिक महत्व'२१ सितम्बर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २६४वॉ (लीप वर्ष मे २६५वॉ) दिन है। साल मे अभी और १०१ दिन बाकी है।२१ सितम्बर का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं---
(१)सन् १८६६- ब्रिटेन के प्रख्यात लेखक व इतिहासकार हर्बर्ट जॉर्ज वेल्ज़ का जन्म हुआ। उन्होंने लंदन विश्व विद्यालय में शिक्षा प्राप्त की और फिर अध्ययन से जुड़ गये। एच जी वेल्ज़ ने कुछ समय तक पत्रकारिता भी की। परंतु जिस चीज ने उन्हें विश्व स्तर पर ख्याति दिलाई वो उनकी वैज्ञानिक व काल्पनिक कहानियां हैं। (वेल्ज़ का निधन सन् १९४६ में हुआ।)
 (२)सन् १९०९- घाना के प्रख्यात राजनीतिज्ञ क़ेवाम नकरुमा का जन्म हुआ। उन्होंने अपना अचपन व जवानी बड़ी कठिन परिस्थितियों में बिताया किंतु आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने अपनी शिक्षा जारी रखी। और समाजशास्त्र में पी एच डी की डग्री प्राप्त की। उन्होंने ब्रिटेन की विरुद्ध घाना के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रुप से भाग लिया। सन् १९५१ में घाना में होने वाले पहले चुनावों के बाद वे प्रधान मंत्री बने (देहांत सन् १९७२ में हुआ।)
 (३)सन् १९६४- माल्टा को स्वतंत्रता मिली। यह देश सन् १७९८ ईसवी में फ़्रांसीसी साम्राज्य के नियंत्रण में चला गया था। और कुछ समय बाद ब्रिटेन ने इस द्वीप पर अधिकार कर लिया। सन् १९२१ में ब्रिटेन ने इस देश को स्वायत्तता दी किंतु इस देश की जनता पूर्ण स्वतंत्रता चाहती थी।
(४)सन् १८३२- ब्रिटेन के इतिहासकार और कवि वाल्टर स्काट का निधन हुआ। वे सन् १७७१ में जन्में थे क़ानुन के विषय की शिक्षा लेने के बाद वे १४ वर्ष तक वकालत करते रहे। किंतु उन्हें साहित्य से अधिक लगाव था और वे आयु के अंतिम दिनों तक लिखते रहे।
 (५)सन् १९८०- करीना कपूर, बॉलीवुड फिल्मों में काम करने वाली एक भारतीय फ़िल्म अभिनेत्री हैं, कपूर फ़िल्म परिवार में जन्मी करीना ने अभिनय की शुरुआत साल २००० में रिलीज़ हुई फ़िल्म रिफ्यूजी (Refugee) के साथ की |
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'२२ सितम्बर का ऐतिहासिक महत्व'२२ सितम्बर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २६५वॉ (लीप वर्ष मे २६६वॉ) दिन है। साल मे अभी और १०० दिन बाकी है।२२ सितम्बर का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं---
(१)गुरु नानकदेव ने २२ सितम्बर,सन् १५३९ को ६९ वर्ष की आयु में अपनी भौतिक देह का त्याग किया। (जन्म सन् १४६९ को १५ अप्रैल को पंजाब के तलवंड़ी नामक एक गांव में हुआ)
(२ )सन् १८२८- वर्तमान दक्षिणी अफ़्रीक़ा में ज़ोलो शासन श्रृंखला के संस्थापक शाका को उनके दो सौतेले भाइयों ने मार डाला। और उनमें से एक शासक बन गया। शाका के काल में ज़ोलो क़बीला किसी भी इन्य काल से बधिक शक्तिशाली था। अंतत: सन् १८८० ईसवी में ज़ोलो शासन काल का अंत हुआ।
 (३)सन् १८६०- ब्रिटेन व फ़्रांस और चीन की सेनाओ के मध्य पेइचिंग युद्ध आरंभ हुआ। इस युद्ध में हथियारों के अभाव का शिकार चीनी सेना को पराजय हुई और ब्रिटेन व फ़्रांस ने पेइचिंग को लूट लिया।
 (४)सन् १८६२- अमरीकी राष्ट्रपति, अब्राहाम लिंकन ने घोषणा की कि पहली जनवरी सन् १८६३ से अवज्ञाकारी राज्य के सभी दास स्वतंत्र हो जाएंगे।
(५)सन् १९२२- फिलिस्तीन के जनादेश को राष्ट्रसंघ परिषद द्वारा मंजूरी दे दी गई।
(६)सन् १९६०- उत्तर पश्चिमी अफ़्रीक़ा महाद्वीप के माली देश को स्वाधीनता मिली। माली में लगभग दो हज़ार वर्ष पूर्व एक बड़ी सभ्यता का पता चलता है। कितु इस क्षेत्र पर आठवीं शताब्दी से सोलहवीं शताब्दी तक सूडान का अधिकार रहा १९वीं शताब्दी से इस देश पर फ़्रास का वर्चस्व स्थापित हुआ। 
(७)सन् १९५५- पूर्वी ब्रिटेन में पहली बार टीवी पर विज्ञापन प्रसारित किया गया। टीवी का सर्वप्रथम विज्ञापन टूथपेस्ट के लिए था।

 (८)सन् १९८०- इराक़ द्वारा ईरान पर अचानका आक्रमण के बाद दोनों देशों के बीच आठ वर्षीय युद्ध आरंभ हुआ

२२ सितम्बर को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों के जन्मदिन हैं:-
(१)
सन् १७९१- प्रसिद्ध वैज्ञानिक माइकेल फैराडे का जन्म इंगलैंड के नेविंगटन नामक गांव के एक गरीब परिवार में हुआ था।(२५ अगस्त, सन १८६७ को माइकेल फैराडे इस दुनिया से विदा हो गये)
(२)सन् १९२२- चेन निंग यांग, चीनी भौतिकविद, नोबेल पुरस्कार विजेता
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'२३ सितम्बर का ऐतिहासिक महत्व'२३ सितम्बर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २६६वॉ (लीप वर्ष मे २६७वॉ) दिन है। साल मे अभी और ९९ दिन बाकी है।२३ सितम्बर का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं---
(१)सन् १९३२- सउदी अरब देश की स्थापना हुई तथा अब्दुल अज़ीज़ बिन सउद इस देश के नरेश बने। इस देश की आबादी लगभग २१ लाख है तथ क्षेत्रफल २ लाख ४० हज़ार वर्ग किलोमिटर है यह देश दक्षिण पश्चिम एशिया में फ़ार्स खड़ी और लाल सागर के बीच स्थित है।
इसी देश के पवित्र नगर मक्का में पैग़म्बरे इस्लाम का जन्म हुआ था।

 (२)सन् १८६०- जर्मनी के प्रसिद्ध दार्शनिक आर्थर शोपनहावर का निधन हुआ। वे सन् १७८८ ईसवी में पैदा हुए थे। वे गोएटे और हेगल जैसे दर्शनशास्त्रियों के काल के दार्शनिक थे दार्शनिकों में वे अफ़लातून और कैंन्ट से विशोष रुप से प्रभावित थे। विश्व संकल्प और प्रदर्शन उनकी प्रसिद्ध पुस्तकों में हैं।
 (३)सन् १९९१- अरमीनिया ने पूर्व सोवियत संघ से अपनी स्वाधीनता की धोषणा की ।

२३ सितम्बर को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों के जन्मदिन हैं:-
(१)सन् १९०८- रामधारी सिंह 'दिनकर', हिन्दी जगत सुप्रसिद्ध कवि
(२)सन् १९३५- हिन्दी फिल्मों में खलनायकी को नया आयाम देने वाले प्रेम चोपड़ा का जन्म लाहौर में हुआ |
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'२४ सितम्बर का ऐतिहासिक महत्व'२४ सितम्बर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २६७वॉ (लीप वर्ष मे २६८वॉ) दिन है। साल मे अभी और ९८ दिन बाकी है।२४ सितम्बर का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं---
(१)सन् १८०५- फ़्रांस के तानशाह नेपोलियन बोनापार्ट की सैनिक कार्रवाई समाप्त हुई। यह कार्रवाई ऑस्ट्रिया के आक्रमण का सामना करने के लिए की गयी थी। फ़्रांस के २ लाख सैनिकों ने ऑस्ट्रिया की सेना को भारी पराजय का सामना करवाया ऑस्ट्रिया हालॉकि स्वयं को फ्रांस का मित्र बताता था किंतु रुस और ब्रिटेन से गुप्त वार्ताएं करके नेपोलियन को हराने का इरादा रखता था।
(२)सन् १९२३- मौसम का दूसरा तूफान। हिस्पनियोला के उत्तर में एक बड़ा तूफान आया।
 (३)सन् १९३९- जर्मनी के बमवर्षक विमानों ने हॉलैंड की राजधानी वरसा पर आक्रमण आरंभ किया। द्वितीय विश्व युद्ध के आरंभ में होने वाली यह बमबारी तीन दिनों तक जारी रही। इस बमबारी के बाद वारसा की जनता ने ११ दिनों तक कठोर संघर्ष किया किंतु अंतत: उसे जर्मनी की सेना के सामने हथियार डालना पड़ा। हिटलर ने नाज़ी सेना के कमांडरों को आदेश दिया था कि जिस प्रकार से भी संभव हो इस शहर पर क़ब्ज़ा करें।
 (४)सन् १९७४- अफ्रीकी देश गीनी बीसाओ ने पुर्तग़ाल से अपनी स्वाधीनता की घोषणा की, सन् १४४६ ईसवी में पुर्तग़ाल के युवराज प्रिंस हेनरी और उनके साथियों ने इस देश की खोज की जिसके बाद यह देश पुर्तग़ाल का उपनिवेश बन गया। यह देश उत्तर पश्चिमी अफ़्रीक़ा महाद्वीप में अटलॉटिक महासागर के तट पर स्थित है।
(५)सन् २००८- कपिल देव, भारतीय क्रिकेटर को थलसेनाध्यक्ष जनरल दीपक कपूर ने एक समारोह में प्रादेशिक सेना में लेफ़्टिनेंट कर्नल की मानद पदवी प्रदान की |
 (६)सन् २०१०- उर्दू के शायर अख़लाक़ मुहम्मद ख़ान 'शहरयार' को ४४वें (सन् २००८) तथा मलयालम के कवि और साहित्यकार ओ.एन.वी. कुरुप को ४३वें (सन् २००७) ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा की गई।


२४ सितम्बर को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों के जन्मदिन हैं:-
 (१)सन् १९२२- फ्लोयड लेविन, अमेरिकी संगीतशास्त्री (निधन-सन् २००७)
 (२)सन् १९२५ - औतार सिंग पैंटल, भारतीय, चिकित्साशास्त्र के वैज्ञानिक.
 (३)सन् १९५० - मोहिन्दर अमरनाथ, भारतीय, क्रिकेट खिलाड़ी
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'२५ सितम्बर का ऐतिहासिक महत्व'२५ सितम्बर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २६८वॉ (लीप वर्ष मे २६९वॉ) दिन है। साल मे अभी और ९७ दिन बाकी है।२५ सितम्बर का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं---
(१)सन् १२९४- ब्रिटेन के दार्शनिकि और रसायनशास्त्री रोजर बेकन का निधन हुआ। उनका जन्म सन् १२१४ ईसवी को हुआ था। उन्हें हेब्रू ग्रीक और अरबी भाषाओं का पूरा ज्ञान था। साथ ही उन्हें प्रातिक ज्ञानों से विशेष लगाव था। रासायन शास्त्र के क्षेत्र में उन्होंने पुस्तकें लिखी हैं।
 (२)सन् १९९७- इज्राईल या ज़ायोनी शासन की गुप्तचर सेवा मोसाद ने एक अन्य वरिष्ठ फ़िलिस्तीनी नेता पर जानलेवा आक्रमण किया फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हमास के राजनैतिक कार्यालय के अध्यक्ष खालिद मशअल को मोसाद के दो सदस्यों ने ज़ाईन की राजधानी में अपने आक्रमण से घायल कर दिया।

२५ सितम्बर को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों के जन्मदिन हैं:-
(१)सन् १९२२- हैमर डरॉबर्ट, नौरू के प्रथम राष्ट्रपति (निधन-सन् १९९२)
(२)सन् १९४६- संतश्री मोरारी बापू का महुआ के समीप तलगारजा (सौराष्ट्र) में वैष्णव परिवार में मोरारी बापू का जन्म हुआ। पिता प्रभुदास हरियाणी के बजाय दादाजी त्रिभुवनदास का रामायण के प्रति असीम प्रेम था।
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'२६ सितम्बर का ऐतिहासिक महत्व'२६ सितम्बर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २६९वॉ (लीप वर्ष मे २७०वॉ) दिन है। साल मे अभी और ९६ दिन बाकी है।२६ सितम्बर का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं---
(१)सन् १९०७- न्यूज़ीलैंड ने अपनी स्वाधीनता की घोषणा की। द्वीपों पर आधारित देश न्यूज़ीलैंड सन् १७६९ ईसवी में ब्रिटेन का उपनिवेश बन गया १९वीं शताब्दी में ब्रिटेन से बड़ी संख्या में लोगों के न्यूज़ीलैंड पलायन करने से इस देश पर ब्रिटेन की पकड़ अधिक मज़बूत हो गयी। और स्थानीय लोग स्वयं को विदेशियों के पंजे में जकड़ा हुआ आभास करने लगे। सन् १८४० ईसवी में स्थानीय लोगों और ब्रिटिश सरकार के बीच एक समझौता हुआ जिसके आधार पर न्यूज़ीलैंड पर ब्रिटेन के शासन को औपचारिकता मिल गयी किंतु यह शर्त रखी गयी थी कि ब्रिटेन के पलायनकार्ता न्यूज़ीलैंड वालों की भूमियों पर अतिक्रमण नहीं करेंगे।
(२)सन् १९२३- बेयर्न में गुस्ताव रीटर वॉन कारा ने बर्लिन से स्वतंत्रता की घोषणा की।
(३)सन् १९६०- उत्तरी यमन का राजशाही शासन समाप्त कर दिया। आज के दिन सेना कमांडर अब्दुल्ला सल्लाल ने एक सैनिक विद्रोह करके राजशाही शासन व्यवस्था का अंत कर दिया। जिसके बाद वहॉ लोकतंत्र की स्थापना हुई। इस विद्रोह के दौरान सउदी अरबने यमन के अंतिम शाह मोहम्मद बद्र की और मिस्र ने अब्दुल्ला सल्लाल की सहायता की। चार वर्ष तक सशस्त्र संघर्ष के बाद दोनों पक्षो के बीच समझौता हो गया और राजशाही शासन व्यस्था के समर्थकों ने अपनी मांग छोड़ दी।
 (४)सन् १९९०- इटली के उपन्यासकार अलबर्टो मोराविया का निधन हुआ। सन् १९०७ में इटली की राजधानी रोम में उनका जन्म हुआ था। उन्होंने लापरवाह इंसान भाविष्य की ओर हरकत और महिला नाम से प्रसिद्ध उपन्यास लिखे।
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'२७ सितम्बर का ऐतिहासिक महत्व'२७ सितम्बर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २७०वॉ (लीप वर्ष मे २७१वॉ) दिन है। साल मे अभी और ९५ दिन बाकी है।२७ सितम्बर का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं---
(१)सन् १९४०- द्वितीवय विश्व युद्ध की एकजुट सरकारों के बीच पोलाडीन नामक समझौता हुआ। इटली, जर्मनी और जापान के बीच इस समझौते के आधार पर तीन राजधानियां रोम, बरलिन और टोकियो तीन केंद्रों के रुप में एक दूसरे के संपर्क में हो गयीं। इस प्रकार से यह तीनों सरकारों द्वितीय विश्व युद्ध के मुख्य धुव्र के नाम से प्रसिद्ध हुई। जापान का अमरीका पर आक्रमण और अमरीका का द्वितीय विश्व युद्ध में कूद पड़ना इसी समझौते के परिणाम हैं।
(२)सन् १९४१- रुस पर अतिक्रमण करते हुए जर्मनी को एक बड़ी सफलता मिली। दक्षिणी मोर्चों पर सोवियत संघ की सेना पर उस समय जर्मनी की सेना का व्यापक आक्रमण हुआ, जब वो थक चुकी थी तथा उसका अभियान भी समाप्त हो रहा था इस घटना में ६ लाख से अधिक रुसी सैनिक गिरफतार कर लिए गये तथा सोवियत संघ के लगभग १२ सौ टैंक और ५ हज़ार ४ सौ तोपें नष्ट हो गयीं या फिर जर्मन सेना ने हथिया लीं। किंतु कुछ दिनों बाद सोवियत संघ में शीतकाल के आ जाने तथा तीव्र वर्षा के आरंभ हो जाने के बाद जर्मनी की सेना की स्थिति खराब हो गयी। फिर सोवियत संघ की सेना ने उस पर व्यापक आक्रमण आरंभ कर दिया।
 (३)सन् १९४९- चीन का भीड़ भाड वाला शहर पेइचिंग इस देश की राजधानी बन गया। यह ऐतिहासिक नगर पूर्वी चीन में स्थित है। जो चीन के राजनैतिक आर्थिक तथा संस्क्रतिक केंद्रों में गिना जाता है। चीन में माओ सरकार के सत्ता में पहुँने और च्यानकाय चेक की सरकार के चीन से ताइवान स्थानान्तरित हो जाने के बाद पेइचिंग को चीन की राजधानी बना दिया गया।
 (४)सन् १९९६- अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल पर तालेबान ने क़ब्ज़ा कर लिया। यह गुट सन् १९९४ में अस्तित्व में आया। और अमरीका के समर्थन तथा पाकिस्तान के राजनैतिक एवं सैनिक सहयोग से धीरे धीरे इस गुट ने अफ़ग़ानिस्तान के दक्षिणी और पश्चिमी क्षेत्रों पर क़ब्ज़ा कर लिया और फिर पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान में स्थित काबुल की ओर क़दम बढ़ाए।

२७ सितम्बर को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों के जन्मदिन हैं:-
(१)सन् १९३२ - यश चोपड़ा, भारतीय निर्देशक.
 (२)सन् १९५३ - माता अमृतानंदमयी, भारतीय, धार्मिक नेता.
 (३)सन् १९८१- लक्ष्मीपति बालाजी, भारतीय, क्रिकेट खिलाड़ी

२७ सितम्बर को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों का निधन हुआ:-

 (१)सन् १९७२- एस. आर. रंगनाथन, भारतीय गणितज्ञ
 (२)सन् २००८ - महेन्द्र कपूर, भारत के हिन्दी फ़िल्मों के एक प्रसिद्ध पार्श्वगायक
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'२८ सितम्बर का ऐतिहासिक महत्व'२८ सितम्बर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २७१वॉ (लीप वर्ष मे २७२वॉ) दिन है। साल मे अभी और ९४ दिन बाकी है।२८ सितम्बर का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं---
(१)सन् १८९१- अमरीकी लेखक हरमैन मिलवेल का देहान्त हुआ। उनका जन्म सन् १८१९ में हुआ। उन्हें समुद्र यात्रा से बहुत लगाव था। एक समुद्र यात्रा के दौरान अनका जहाज़ डूब गया और उन्होंने एक ऐसे द्वीप में शरण ली लहॉ के लोग नरभक्षक थे मिलवील ने इस पूरी घटना और इस द्वीप से अपने फ़रार के बाद में एक पुस्तक लिखी जिससे उन्हें बड़ी ख्याति मिली। उन्की एक अन्य महत्वपुर्ण पुस्तक मोबी डेक है। इसके अतिरिक्त भी उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं। 
(२)सन् १९७०- मिस्र के राष्ट्रपति जमाल अब्दुन्नासिर का निधन हुआ। उनका जन्म सन् १९१६ ईसवी को हुआ। वे सन् १९४८ में अरब देशों और इज्राईल के बीच पहले युद्ध में शामिल थे। उन्होंने सन् १९५२ ईसवी में जनरल नजीब के साथ मिलकर मिस्र के राजशाही शासन के विरुद्ध सैनिक विद्रोह करके इस शासन व्यवस्था के यमाप्त कर दिया और इसके दो वर्ष बाद जनरल नजीब को सत्ता से हटाकर स्वंय मिस्र के राष्ट्रपति बन गये।


२८ सितम्बर को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों के जन्मदिन हैं:-
(१)सन् १९०७-भगत सिंह का जन्म, सुबह ९ बजे लायलपुर ज़िले के बंगा गाँव (चक नम्बर १०५ जो अब पाकिस्तान में है) में हुआ था। हालांकि उनका पैतृक निवास आज भी भारतीय पंजाब के नवाँशहर ज़िले के खटकड़कलाँ गाँव में स्थित है। (भगत सिंह को २३ मार्च, सन् १९३१ को इनके साथियों, राजगुरु तथा सुखदेव के साथ फाँसी पर लटका दिया गया)
(२)सन् १९२९- सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर का जन्म इंदौर, मध्यप्रदेश में हुआ। लता मंगेशकर का नाम विश्व के सबसे जानेमाने लोगों में आता है। इनका जन्म संगीत से जुड़े परिवार में हुआ है ।
(३)सन् १९८२- रणबीर कपूर का जन्म मुंबई महाराष्ट्र,भारत में हुआ, यह एक भारतीय अभिनेता हैं जो बॉलीवुड सिनेमा में दिखते हैं। रणबीर के माता पिता अपने समय के लोकप्रिय फिल्म सितारे ऋषि कपूर और नीतू सिंह हैं, रणबीर की एक रिद्धिमा नाम की बहन भी है। यह पृथ्वीराज कपूर के पड़पोते और अभिनेता और फिल्मनिर्माता राज कपूर के पोते हैं।
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'२९ सितम्बर का ऐतिहासिक महत्व'२९ सितम्बर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २७२वॉ (लीप वर्ष मे २७३वॉ) दिन है। साल मे अभी और ९३ दिन बाकी है।२९ सितम्बर का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं---
(१)सन् १९००- फ़्रांसीसी लेखक अमील ज़ोला की मृत्यु हुई। सन् १८४० ईसवी को पैरिस में उनका जन्म हुआ था उन्होंने बहुत सी पुस्तकें लिखीं जिनमें नाना और जर्मनल नामक मुस्तकें बहुत विख्यात हुई। 
(२)सन् १९०१- इटली के भौतिक शास्त्री एन्रिको फ़र्मी का रोम नगर में जन्म हुआ। फ़र्मी ने विभिन्न तत्वों के अणुवों में होने वाले परिवर्तन का अध्ययन किया। और अंतत: अणु को फाड़कर तथा उसकी उर्जा को निकाल कर आणविक बैटरी बनाने में सफलता प्राप्त की। वर्ष १९४५ ईसवी को उनका निधन हो गया।
(३)सन् १९१८- प्रथम विश्व युद्ध के दौरान बुलगारिया ने, फ़्रांस रुस और ब्रिटेन की संयुक्त सेना से हथियार डाल दिए। प्रथम विश्व युद्ध में यह देश जर्मनी आस्ट्रिया हंग्री और उसमानी शासन का घटक था। १५ सितम्बर सन् १९१८ ईसवी के मेसीडोनिया में संयुक्त सेना से पराजित होने के बाद यूनान के सालूनीक नामक नगर में इसी नाम से दोनों पक्षों बीच एक समझौता हुआ जिसके बाद बुलगारिया युद्ध से किनारे हट गया। इसके लगभग डेढ़ महीने बाद जर्मनी ने भी संयुक्त सेना के सामने हथियार डाल दिए इस प्रकार से प्रथम विश्व युद्ध संयुक्त सेना के हित में समाप्त हो गया। सन् १९९२- अफ़्रीका महाद्वीप में दक्षिण भाग में स्थित देश अंगोला में पहली बार स्वतंत्र चुनाव आयोजित हुए। इस चुनाव में एम्पला पार्टी को सफलता मिली जो सन् १९७६ ईसवी से सत्ता में थी।
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'३० सितम्बर का ऐतिहासिक महत्व'३० सितम्बर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २७३वॉ (लीप वर्ष मे २७४वॉ) दिन है। साल मे अभी और ९२ दिन बाकी है।३० सितम्बर का ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं---
(१)सन् १४४४- इटली के वस्तुकला के कलाकार डानैटो ब्रामांन्ट का जन्म हुआ। उन्होंने इटली में वस्तुकला और शिल्पकला की ख्याति के काल में जीवन बिताया। उन्होंने अपने दो साथियों माइकल आन्ज ओर रेफ़ाइल की सहायता से ऐतिहासिक गिरजाघर सेन्ट पीटर्ज़ की इमारत को नये सिरे से बनाया। उन्होंने इसी प्रकार इटली के मीलान नगर में सेंन्ट मैरी गिरजाघर की इमारत की बनाई। सन् १५१४ ईसवी में उनका निधन हो गया।
 (२)सन् १९३८- जर्मनी में मूनीख़ का ऐतिहासिक सम्मेलन आयोजित हुआ। इस सम्मेलन में जर्मनी के नेता हिटलर इटली के नेता मोसोलीनी फ़्रांस के प्रधान मंत्री एडवर्ड डेलाडी और ब्रिटेन के प्रधान मंत्री नोबल चेम्बरलन ने भाग लिया। इस सम्मेलन का उददश्य जर्मनी और चेकसलवाकिया के बच मतभेदों को दूर करने का मार्ग खोजना था। इस सम्मेलन का परिणाम चेकसलवाकिया का कुछ भाग जर्मनी में जुड़ जाने के रुप में निकला।
(३)सन् १९४७- पाकिस्तान और यमन संयुक्त राष्ट्रसंघ के सदस्य बने।
 (४)सन् १९८५- भूकम्प की तीव्रता को ऑकने वाले यंत्र रेक्टर स्केल के अविष्कारक चार्ल्ज़ रेक्टर का अमरीका में निधन हुआ। वे ७५ वर्ष के होकर मरे। उन्होंने अपने एक साथी शोधकर्ता की सहायता से भूकम्प को उस उर्जा के आधार पर जो भूकम्प से निकलती है तथा इसकी लहरों के आधार पर ९ प्रकार में विभाजित किया।
(५)सन् १९९३- भारत के महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद में भूकम्प के कारण दस हजार से अधिक लोग मारे गए एवं लाखों बेघर हो गए |(६)सन् २०१०- भारत में अयोध्या के बाबरी मस्जिद राम मंदिर विवाद पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनउ पीठ ने विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटकर राम लला, निर्मोही अखाड़े और वक्फ बोर्ड को एक एक हिस्सा देने का निर्णय दिया।

३० सितम्बर को निम्नलिखित कुछ प्रसिद्द व्यक्तियों के जन्मदिन हैं:-

 (१)सन् १९०८– डॉ योहाना बुडविज का जन्मदिन, डॉ योहाना विश्व विख्यात जर्मन जीवरसायन विशेषज्ञ व चिकित्सक थीं। उन्होंने भौतिक विज्ञान, जीवरसायन विज्ञान, भेषज विज्ञान में मास्टर की डिग्री हासिल की व प्राकृतिक विज्ञान में पी.एच.ड़ी. की। वे जर्मन व सरकार के खाद्य और भेषज विभाग में सर्वोच्च पद पर कार्यरत थी और सरकार की विशेष सलाहकार थी।(निधन– १९ मई, सन् २००३) 
(२)सन् १९६२- शान, भारतीय गायक

इतिहास की संपूर्णता असाध्य सी है, फिर भी यदि हमारा अनुभव और ज्ञान प्रचुर हो, ऐतिहासिक सामग्री की जाँच-पड़ताल को हमारी कला तर्कप्रतिष्ठत हो तथा कल्पना संयत और विकसित हो तो अतीत का हमारा चित्र अधिक मानवीय और प्रामाणिक हो सकता है। सारांश यह है कि इतिहास की रचना में पर्याप्त सामग्री, वैज्ञानिक ढंग से उसकी जाँच, उससे प्राप्त ज्ञान का महत्व समझने के विवेक के साथ ही साथ ऐतिहासक कल्पना की शक्ति तथा सजीव चित्रण की क्षमता की आवश्यकता है । स्मरण रखना चाहिए कि इतिहास न तो साधारण परिभाषा के अनुसार विज्ञान है और न केवल काल्पनिक दर्शन अथवा साहित्यिक रचना है । इन सबके यथोचित संमिश्रण से इतिहास का स्वरूप रचा जाता है ।
यदि आपको भी सितम्बर माह की १६ से ३० तक विभिन्न तिथियों का ऐतिहासिक महत्त्व इसी प्रकार ऐतिहासिक महत्व के सन्दर्भ में कुछ ज्ञात हो तो आप भी हमारा ज्ञानवर्द्धन अवश्य करें....
'जय हिंद,जय हिंदी'

'हिन्दी-दिवस के अवसर पर अनेकानेक हार्दिक शुभकामनायें'





आज हिन्दी-दिवस 
का दिन स्वभाषा-स्वाभिमानियों के लिये गौरव का दिन है। इस दिन हिन्दी को वह अधिकार प्रदान किया गया जिसकी वह अधिकारिणी थी,और है । 
आज हिन्दी-दिवस के अवसर पर सर्वप्रथम आप सभी हिन्दी राष्ट्रभाषी विद्वतजन को अनेकानेक हार्दिक शुभकामनायें और हमारी अपनी मातृभाषा हिन्दी का सादर अभिनन्दन ||
हिंदी दिवस के अवसर पर एक भावपूर्ण कविता प्रस्तुत है---
"आज हम सब हिंदी दिवस तो मना रहे हैं......
लेकिन ज़रा सोचें किस बात पर इतरा रहें हैं ?
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा तो है, हिंदी सरल-सरस भी है,
वैज्ञानिक और तर्क संगत भी है।
फिर भी. . . अपने ही देश में
अपने ही लोगों के द्वारा उपेक्षित और त्यक्त है......
आप ज़रा सोचकर देखिए कि हम में से कितने लोग,
हिंदी को अपनी मानते हैं ?
कितने लोग सही हिंदी जानते हैं ?
अधिकतर तो. . .विदेशी भाषा का ही लोहा मानते हैं ।
अपनी भाषा को उन्नति का मूल मानते हैं ?
कितने लोग राष्ट्रभाषा हिंदी को पहचानते हैं ?
भाषा तो कोई भी बुरी नहीं, किंतु हम अपनी हिन्दी भाषा से
इतना परहेज़ क्यों मानते हैं?
अपने ही देश में अपनी भाषा हिन्दी की इतनी
उपेक्षा क्यों हो रही है ?
हमारी अस्मिता कहाँ सो रही है ?
व्यावसायिकता और लालच की हद हो रही है ।
इस देश में कोई तो फ्रेंच सीखता है और कोई जापानी,
किंतु हिंदी भाषा बिल्कुल अनजानी समझी जाती,
विदेशी भाषाएँ सम्मान पा रही हैं और
अपनी भाषा हिन्दी ठुकराई जा रही है ।
मेरे भारत के सपूतों ज़रा तो जागो ।
अपनी भाषा हिन्दी की ओर से यों आँखें ना बंद करो ।
विदेशी भाषाएँ आपके ज़रूर काम आएगी ।
किंतु अपनी भाषा हिन्दी तो ममता लुटाएगी।
इसमें अक्षय कोष है, प्यार से उठाओ,
इसकी ज्ञान राशि से जीवन महकाओ ।
आज यदि कुछ राष्ट्रभावना है तो राष्ट्रभाषा हिन्दी को अपनाओ ।"
(साभार)
'जय हिन्द,जय हिन्दी'

मंगलवार, 6 सितंबर 2011

'भारतीय इतिहास और विश्‍व में महत्‍वपूर्ण अवसर'

(ईसा पूर्व ३००० से-१ अगस्त,सन् २०११ तक)


भारतीय इतिहास में महत्‍वपूर्ण तिथियाँ:---
(ईसा पूर्व)
३०००-१५०० सिंधु घाटी सभ्‍यता
५७६ गौतम बुद्ध का जन्‍म
५२७ महावीर स्वामीजी का जन्‍म
३२७-३२६ भारत पर एलेक्‍जेंडर का हमला। इसने भारत और यूरोप के बीच एक भू-मार्ग खोल दिया
३१३ जैन परंपरा के अनुसार चंद्रगुप्‍त का राज्‍याभिषेक
३०५ चंद्रगुप्‍त मौर्य के हाथों सेल्‍युकस की पराजय
२७३-२३२ अशोक का शासन
२६१ कलिंग की विजय
१४५-१०१ एलारा का क्षेत्र, श्रीलंका के चोल राजा
५८ विक्रम संवत् का आरम्‍भ



(सन् ईसवीं के प्रारम्भ से सन् १००० तक ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ )
सन् ७८- शक संवत् का आरम्‍भ
सन् १२०- कनिष्‍क का राज्‍याभिषेक
सन् ३२०- गुप्‍त युग का आरम्‍भ, हिंदू भारत का स्‍वर्णिम काल
सन् ३८०- विक्रमादित्‍या का राज्‍याभिषेक
सन् ४०५ से-सन् ४११ तक- चीनी यात्री फाहयान की यात्रा
सन् ४१५- कुमार गुप्‍त-एक का राज्‍याभि‍षेक
सन् ४५५- स्‍कंदगुप्‍त का राज्‍याभिषेक
सन् ६०६ से-सन् ६४७ तक- हर्षवर्धन का शासन
सन् ७१२- सिंध पर पहला अरब आक्रमण
सन् ८३६- कन्‍नौज के भोज राजा का राज्‍याभिषेक
सन् ९८५- (अ)चोल शासक राजाराज का राज्‍याभिषेक
सन् ९९८- सुल्‍तान महमूद का राज्‍याभिषेक




(सन् १००० से–सन् १४९९ तक ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ 
सन् १००१- महमूद गजनी द्वारा भारत पर पहला आक्रमण, जिसने पंजाब के शासक जयपाल को हराया था
सन् १०२५- महमूद गजनी द्वारा सोमनाथ मंदिर का विध्‍वंस
सन् ११९१- तराई का पहला युद्ध
सन् ११९२- तराई का दूसरा युद्ध
सन् १२०६- दिल्‍ली की गद्दी पर कुतुबुद्दीन ऐबक का राज्‍याभिषेक
सन् १२१०- कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्‍यु
सन् १२२१- भारत पर चंगेज खान का हमला (मंगोल का आक्रमण)
सन् १२३६- दिल्‍ली की गद्दी पर रजिया सुल्‍तान का राज्‍याभिषेकसन् १२४०- रजिया सुल्‍तान की मृत्‍यु
सन् १२९६- अलाउद्दीन खिलजी का हमलासन् १३१६- अलाउद्दीन खिलजी की मृत्‍यु
सन् १३२५- मोहम्‍मद तुगलक का राज्‍याभिषेक
सन् १३२७- तुगलकों द्वारा दिल्‍ली से दौलताबाद और फिर दक्‍कन कोराजधानी बनाया जाना
सन् १३३६- दक्षिण में विजयानगर साम्राज्‍य की स्‍थापना
सन् १३५१- फिरोजशाह का राज्‍याभिषेक
सन् १३९८- तैमूरलंग द्वारा भारत पर हमला
सन् १४६९- गुरुनानक का जन्‍मसन् १४९४- फरघाना में बाबर का राज्‍याभिषेक
सन् १४९७ से-सन् १४९८ तक- वास्‍को-डि-गामा की भारत की पहली यात्रा (केप ऑफ गुड होप के जरिए भारत तक समुद्री रास्‍ते की खोज)

(
सन् १५०० से–सन् १७९९ तक ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ )

सन् १५२६- पानीपत की पहली लड़ाई, बाबर ने इब्राहिम लोदी को हराया- बाबर द्वारा मुगल शासन की स्‍थापना 
सन् १५२७ खानवा की लड़ाई, बाबर ने राणा सांगा को हराया 
सन् १५३०- बाबर की मृत्‍यु और हुमायूं का राज्‍याभिषेक
सन् १५३९- शेरशाह सूरी ने हुमायूं का हराया और भारतीय का सम्राट बन गया
सन् १५४०- कन्‍नौज की लड़ाई
सन् १५५५- हुमायूं ने दिल्‍ली की गद्दी को फिर से हथिया लिया
सन् १५५६- पानीपत की दूसरी लड़ाई
सन् १५६५- तालीकोट की लड़ाई
सन् १५७६- हल्‍दीघाटी की लड़ाई- राणा प्रताप ने अकबर को हराया
सन् १५८२- अकबर द्वारा दीन-ए-इलाही की स्‍थापना
सन् १५९७- राणा प्रताप की मृत्‍यु
सन् १६००- ईस्‍ट इंडिया कंपनी की स्‍थापना
सन् १६०५- अकबर की मृत्‍यु और जहाँगीर का राज्‍याभिषेक
सन् १६०६- गुरु अर्जुन देव का वध
सन् १६११- नूरजहाँ से जहांगीर का विवाह
सन् १६१६- सर थॉमस रो ने जहाँगीर से मुलाकात की
सन् १६२७- शिवाजी का जन्‍म और जहांगीर की मृत्‍यु
सन् १६२८- शाहजहां भारत के सम्राट बने
सन् १६३१- मुमताज महल की मृत्‍यु
सन् १६३४- भारत के बंगाल में अंग्रेजों को व्‍यापार करने की अनुमति दे दी गई
सन् १६५९- औरंगजेब का राज्‍याभिषेक, शाहजहाँ को कैद कर लिया गया
सन् १६६५- औरंगजेब द्वारा शिवाजी को कैद कर लिया गया
सन् १६६६- शिवाजी की मृत्‍यु
सन् १७०७- औरंगजेब की मृत्‍यु
सन् १७०८- गुरु गोबिंद सिंह की मृत्‍यु
सन् १७३९- नादिरशाह का भारत पर हमला
सन् १७५७- प्‍लासी की लड़ाई, लॉर्ड क्‍लाइव के हाथों भारत में अंग्रेजों के राजनीतिक शासन की स्‍थापना
सन् १७६१- पानीपत की तीसरी लड़ाई, शाहआलम द्वितीय भारत के सम्राट बने
सन् १७६४- बक्‍सर की लड़ाई
सन् १७६५- क्‍लाइव को भारत में कंपनी का गर्वनर नियुक्‍त किया गया
सन् १७६७ से-सन् १७६९ तक पहला मैसूर युद्ध
सन् १७७०- बंगाल का महान अकालसन् १७८०- महाराजा रणजीत सिंह का जन्‍मसन् १७८० से-सन् १७८४ तक- दूसरा मैसूर युद्ध
सन् १७८४- पिट्स अधिनियम
सन् १७९३- बंगाल में स्‍थायी बंदोबस्‍त
सन् १७९९- चौथा मैसूर युद्ध- टीपू सुल्‍तान की मृत्‍यु


(सन् १८०० से– सन् १९०० तक ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ )
सन् १८०२- बेसेन की संधि
सन् १८०९- अमृतसर की संधि
सन् १८२९- सती प्रथा को प्रतिबंधित किया गया
सन् १८३०- ब्रह्म समाज के संस्‍थापक राजाराम मोहन राय की इंग्‍लैंड की यात्रा
सन् १८३३- राजाराम मोहन राय की मृत्‍यु
सन् १८३९ महाराजा रणजीत सिंह की मृत्‍यु
सन् १८३९-सन् १८४२--  पहला अफगान युद्ध
सन् १८४५-सन् १८४६  पहला अंग्रेज-सिक्‍ख युद्ध
सन् १८५२ दूसरा अंग्रेज-बर्मा युद्ध
सन् १८५३ बांबे से थाने के बीच पहली रेलवे लाइन और कलकत्‍ता में टेलीग्राफ लाइन खोली गई
सन् १८५७ सिपाही विद्रोह या स्‍वतंत्रता का पहला संग्राम
सन् १८६१ रबीन्‍द्रनाथ टैगोर का जन्‍म
सन् १८६९ महात्‍मा गांधी का जन्‍म
सन् १८८५ भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस की स्‍थापना
सन् १८८९ जवाहरलाल नेहरु का जन्‍म
सन् १८९७ सुभाष चंद्र बोस का जन्‍म


(सन् १९०० से - सन् १९७० तक ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ ) 
सन् १९०४ तिब्‍बत की यात्रा
सन् १९०५ लॉर्ड कर्जन द्वारा बंगाल का पहला बंटवारा
सन् १९०६ मुस्लिम लीग की स्‍थापना
सन् १९११ दिल्‍ली दरबार- ब्रिटिश के राजा और रानी की भारत यात्रा- दिल्‍ली भारत की राजधानी बनी
सन् १९१६ पहले विश्‍व युद्ध की शुरुआत
सन् १९१६ मुस्लिम लीग और कांग्रेस द्वारा लखनऊ समझौते पर हस्‍‍ताक्षर
सन् १९१८ पहले विश्‍व युद्ध की समाप्ति
सन् १९१९ मांटेग्‍यू-चेम्‍सफोर्ड सुधार- अमृतसर में जालियाँवाला बाग हत्‍याकांड
सन् १९२० खिलाफत आंदोलन की शुरुआत
सन् १९२७ साइमन कमीशन का बहिष्‍कार, भारत में प्रसारण की शुरुआत
सन् १९२८ लाला लाजपतराय की मृत्‍यु (शेर-ए-पंजाब)
सन् १९२९ लॉर्ड ऑर्वम समझौता, लाहौर कांग्रेस में पूर्ण स्‍वतंत्रता का प्रस्‍ताव पास
सन् १९३० सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत- महात्‍मा गांधी द्वारा दांडी मार्च (अप्रैल ६, सन् १९३०)
सन् १९३१ गांधी-इर्विन समझौता
सन् १९३५ भारत सरकार अधिनियम पारित
सन् १९३७ प्रांतीय स्‍वायतता, कांग्रेस मंत्रियों का पदग्रहण
सन् १९४१ रबीन्‍द्रनाथ टैगोर की मृत्‍यु, भारत से सुभाष चंद्र बोस का पलायन
सन् १९४२ क्रिप्‍स मिशन के भारत आगमन पर भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत
सन् १९४३-सन् १९४४ नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने प्रांतीय आजाद हिंदू हुकूमत, भारतीय राष्‍ट्रीय सेना की स्‍थापना की और बंगाल में अकाल
सन् १९४५ लाल‍ किले में आईएनए का ट्रायल, शिमला समझौता और द्वितीय विश्‍व युद्ध की समाप्ति
सन् १९४६ ब्रिटिश कैबिनेट मिशन की भारत यात्रा- केंद्र में अंतरिम सरकार का गठन
सन् १९४७ भारत का विभाजन
सन् १९४८ महात्‍मा गांधी पर हमला (जनवरी ३०)। देशी रियासतों का भारतीय गणराज्‍य में विलय
सन् १९४९ कश्‍मीर पर युद्ध विराम, भारतीय संविधान पर हस्‍ताक्षर और उसे अपनाया गया
सन् १९५० भारत एक सम्‍प्रभु लोकतांत्रिक गणराज्‍य बना (जनवरी २६) और भारतीय संविधान लागू हुआ।
सन् १९५१ पहली पंचवर्षीय योजना। पहले एशियाई खेल दिल्‍ली में हुए
सन् १९५२ लोकसभा का पहला आम चुनाव
सन् १९५३ ते‍न्जिंग नॉर्ग्‍ये और सर एडमंड हिलेरी की एवरेस्‍ट पर फतह
सन् १९५६ दूसरी पंचवर्षीय योजना की शुरुआत
सन् १९५७ दूसरे आम चुनाव, डेसिमल कॉयनेज की शुरुआत, गोवा की आजादी
सन् १९६२ तीसरे आम चुनाव- भारत पर चीन का आक्रमण
सन् १९६३ नगालैंड सोलहवां भारतीय राज्‍य बना
सन् १९६४ पंडित जवाहरलाल नेहरु की मृत्‍यु
सन् १९६५ पाकिस्‍तान का भारत पर हमला
सन् १९६६ ताशकंद समझौता- लाल बहादुर शास्‍त्री की मृत्‍यु- इंदिरा गाधी भारत की प्रधानमंत्री चुनी गईं
सन् १९६७ चौथा आम चुनाव- डॉ. जाकिर हुसैन भारत के तीसरे राष्‍ट्रपति चुने गए
सन् १९६९ वी वी गिरी को भारत का राष्‍ट्रपति चुना गया, राष्‍ट्रपति अध्‍यादेश द्वारा बड़े बैंकों का राष्‍ट्रीयकरण
सन् १९७० मेघालय को एक अलग राज्‍य का दर्जा मिला


(सन् 1९७१ से - सन् २०११ तक ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने वाली कुछ प्रमुख घटनाएँ ) 
सन् १९७१ हिमाचल प्रदेश राज्‍य बना, भारत-पाकिस्‍तान युद्ध, बांग्‍लादेश का अस्तित्‍व में आना
सन् १९७२ शिमला समझौता, सी राजगोपालाचारी की मृत्‍यु
सन् १९७३ मैसूर रियासत का नाम कर्नाटक रखा गया
सन् १९७४ भारत ने परमाणु परीक्षण किया, फखरुद्दीन अली अहमद पांचवें राष्‍ट्रपति चुने गए, सिक्किम का भारत में विलय
सन् १९७५ भारत ने आर्यभट्ट का प्रक्षेपण किया, सिक्किम भारतीय गणराज्‍य का बाईसवां राज्‍य बना, आपातकाल की घोषणा
सन् १९७६ भारत और चीन ने कूटनीतिक सम्‍बन्‍ध स्‍थापित किए
सन् १९७७ छठवें आम चुनाव, जनता पार्टी को लोकसभा में बहुमत मिला, नीलम संजीव रेड्डी भारत के छठवें राष्‍ट्रपति चुने गए।
सन् १९७९ मोराराजी देसाई ने प्रधानमंत्री पद से इस्‍तीफा दिया, चरन सिंह प्रधानमंत्री बनें, २० अगस्‍त को चरन सिंह ने इस्‍तीफा दिया, छठवीं लोकसभा भंग
सन् १९८० सातवें आम चुनाव, कांग्रेस (आई) सत्‍ता में आई, इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली, संजय गांधी की हवाई दुर्घटना में मृत्‍यु, भारत ने रोहिणी उपग्रह को ले जाने वाले एसएलवी-३ का प्रक्षेपण किया।
सन् १९८२ एशिया का सबसे लंबा पुल खुला (२ मार्च), आचार्य जे.बी. कृपलानी की मृत्‍यु (१९ मार्च), इनसैट 1ए का प्रक्षेपण किया गया, ज्ञानी जैल सिंह भारत के राष्‍ट्रपति चुने गए (१५ जुलाई), गुजरात चक्रवात में ५०० से अधिक लोग मारे गए (नवम्‍बर ५), आचार्य विनोवा भावे की मृत्‍यु (१५ नवम्‍बर), ९वें एशियाई खेलों का उद्घाटन (१० नवम्‍बर)
सन् १९८३ नई दिल्‍ली में चोगम सम्‍मेलन का आयोजन
सन् १९८४ पंजाब में ऑपरेशन ब्‍लू स्‍टार, राकेश शर्मा अंतरिक्ष में गए, इंदिरा गांधी की हत्‍या, राजीव गांधी प्रधानमंत्री बनें
सन् १९८५ राजीव-लाँगोंवाल संधि पर हस्‍ताक्षर, संत एच.एस. लाँगोवाल की पंजाब के चुनाव के दौरान हत्‍या, असम संधि, सातवीं पंचवर्षीय योजना शुरू
सन् १९८६ मिजोरम संधि
सन् १९८७ आर. वेंकटरमन राष्‍ट्रपति चुने गए, शंकर दयाल शर्मा भारत के उपराष्‍ट्रपति चुने गए, बोफोर्स और फेयरफेक्‍स कांड
सन् १९८९- अयोध्‍या में राम शिलान्‍यास पूजा, भारत की पहली आरआरबीएम ‘अग्नि’ का प्रक्षेपण उड़ीसा से २२ मई को हुआ, ५ जूनको त्रिशूल मिसाइल परीक्षण, २७ सितम्‍बर को पृथ्‍वी का दूसरा सफलतापूर्वक प्रक्षेपण, राजीव सरकार को चुनावों में शिकस्‍त मिली और उन्‍होंने २९ नवम्‍बर को इस्‍तीफा दे दिया, २९ नवम्‍बर से जवाहर रोजगार योजना की शुरुआत, २ दिसम्‍बर को नेशनल फ्रंट के नेता वी पी सिंह ने सातवें प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली और नौंवीं लोकसभा के लिए नए कैबिनेट का गठन
सन् १९९०- १४ फरवरी को इंडियन एयरलाइन ए-३२० दुर्घटनाग्रस्‍त, जनता दल विभाजित, भाजपा ने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया, आडवानी ने रथयात्रा निकाली और गिरफ्तार हुए, मंडल आयोग की सिफारिशों को वी पी सिंह द्वारा लागू किए जाने की घोषणा, अयोध्‍या में रामजन्‍म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के चलते हिंसा, २५ मार्च को आईपीकेएफ के बचे हुए सैनिकों की वापसी |
सन् १९९१- १७ जनवरी को खाड़ी युद्ध की शुरुआत, २१ मई को राजीव गांधी की हत्‍या, २० जून को १०वीं लोकसभा का गठन, पी वी न‍रसिंह राव प्रधानमंत्री बनें
सन् १९९२- भारत ने २९ जनवरी को इजरायल के साथ कूटनीतिक सम्‍बन्‍ध स्‍थापित किए,पहली स्‍वदेशी निर्मित पनडुब्‍बी आईएनएस शक्ति का ७ फरवरी को लोकार्पण २३ अप्रैल को भारत रत्‍न और ऑस्‍कर विजेता सत्‍यजीत रे की मृत्‍यु, २५ जुलाई को एस डी शर्मा राष्‍ट्रपति चुने गए |
सन् १९९३- ७ जनवरी को अयोध्‍या में 67.33 एकड़ को अधिग्रहण करने का अध्‍यादेश, भाजपा की रैली में भारी सुरक्षा, बम्‍बई में बम धमाकों में ३०० की मौत, इनसैट-२ बी पूरी तरह काम करने कोतैयार, महाराष्‍ट्र में भूकम्‍प
सन् १९९४- नागरिक विमानन पर सरकार का एकाधिकार खत्‍म, गैट संमझौते पर विवाद, प्‍लेग महामारी, सुष्मिता सेन मिस यूनिवर्स बी, एश्‍वर्या राय मिस वर्ल्‍ड बनीं
सन् १९९५- मायावती उत्‍तर प्रदेश की पहली दलित मुख्‍यमंत्री बनीं, महाराष्‍ट्र, गुजरात में भाजपा, कर्नाटक में जनता दल और उड़ीसा मे कांग्रेस सत्‍ता में आई, भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस (आई) का गठन, मायावती के गिरने के बाद उत्‍तर प्रदेश में राष्‍ट्रपति शासन लागू, इनसैट 2सी और आईआरएसआई-सी का प्रक्षेपण
सन् १९९६- कई केन्‍द्रीय मंत्री और विपक्ष के नेता हवाला कांड में फंसे, २१ मार्च को पीएसएलवी डी3 के साथ आईआरएसपी-3 के प्रक्षेपण से भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के नए युग की शुरुआत, ग्‍यारहवीं लोकसभा के लिए अप्रैल में चुनाव, १२७ सीटों के साथ भाजपा इकलौती बड़ी पार्टी के रूप में सामने आई |
सन् १९९७- १५ अगस्‍त को भारत ने अपनी आजादी की ५०वीं वर्षगांठ मनाई
सन् १९९८- मदर टेरेसा की मृत्‍यु, अटल बिहारी वाजपेयी भारत के प्रधानमंत्री बनें, भारत ने अपना दूसरा परमाणु परीक्षण किया
(सन् १९९९ में घटित --)
जून सन् १९९९ में फ्लाइट लेफ्टिनेंट के. नचिकेता को पाकिस्‍तान द्वारा आठ दिनों की कैद के बाद रिहा किया गया। जम्‍मू-कश्‍मीर के करगिल क्षेत्र में एलओसी के भीतर पाकिस्‍तानी को हटाने के लिए भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन विजय’ अपनाया, भारत लड़ाई में विजयी हुआ।
२४ दिसम्‍बर सन् १९९९ को भारतीय एयरलाइन के हवाई जहाज आईसी-८१४ का आतंकवादियों द्वारा अपहरण कर अफगानिस्‍तार के कंधार ले जाना। यात्रियों को बंधक बना लिए जाने के बाद उनकी रिहाई के लिए भारत सरकार द्वारा तीन आतंकवादियों को छोड़ा जाना।
सन् २००० अमेरिका के राष्‍ट्रपति बिल क्लिंटन मार्च सन् २००० में भारत की यात्रा पर आए, तीन नए राज्‍य छत्‍तीसगढ़, उत्‍तरांचल, झारखंड अस्तित्‍व में आए। 
सन् २००१-- भारत की जनसंख्‍या एक अरब का आंकड़ा पार कर गई।
मार्च २००१ में भारत का छठवीं जनगणना (आजादी से लेकर), अगस्‍त, २००१ में एनरॉन का भारत से जाना,
अप्रैल,२००१ में जीएसएलवी का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण
जुलाई २००१ में भारत और पाकिस्‍मान के बीच ‘आगरा सम्‍मेलन’। गुजरात का भूकम्‍प -भारत की सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा, तहलका.कॉम ने वीडियो टेप जारी किया जिसमें हथियारों की खरीद-फरोख्‍त में भारतीय सेना के अधिकारियों, मंत्रियों और नेताओं की पोल खोली गई,
अगस्‍त, २००१ में एनरॉन का भारत से जाना, अप्रैल,२००१ में जीएसएलवी का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण
अक्‍टूबर सन् २००१ में पीएसएलवी-सी3 का परीक्षण।
सन् २००२- ७१ वर्षीय वैज्ञानिक अवुल पाकिर जैनुलाब्‍दीन अबुल कलाम भारत के राष्‍ट्रपति बनें, गुजरात में २७ फरवरी को हुए गोधरा कांड के बाद सबसे भयंकर साम्‍प्रदायिक दंगे, राष्‍ट्रीय जल नीति की घोषणा जिसका उद्देश्‍य सभी जल संसाधनों का एकीकरण और प्रबंधन है ताकि उनकी क्षमता का अधिकतम सतत उपभोग किया जा सके।
सन् २००३- भारत द्वारा न्‍यूक्लियर कमांड अथॉरिटी (एनसीए) और स्‍ट्रेटेजिक फोर्सेज कमांड (एसएफओ) का गठन, एयर मार्शल तेज मोहन अस्‍थाना एसएफसी के पहले मुख्‍य कमांडर बने, अत्‍याधुनिक बहुद्देशीय उद्देश्‍यों के लिए इनसैट-3ए का फ्रेंच गुयाना के कोरू से अंतरिक्ष में सफल प्रक्षेपण, सफेदपोशों के अपराधों से निपटने के लिए सीबीआई ने जून में इकनॉमिक इंटेलीजेंस शाखा बनाई, दिसम्‍बर में फ्रेंच गुयाना के कोरू के स्‍पेसपोर्ट से भारत की अत्‍याधुनिक संचार सेटेलाइट इनसैट-3ई यूरोपियन रॉकेट से प्रक्षेपित किया गया।
सन् २००४- आम चुनाव में कांग्रेस और उसके सहयोगियों द्वारा एनडीए सरकार की हार, कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्‍व में केन्‍द्र में सरकार बनाई।
सन् २००६- महाराष्ट्र के नासिक जिले में मालेगाँव बम धमाके।
सन् २००८- दिल्ली में तीन स्थानों पर ३० मिनट के अंतराल पर एक के बाद एक चार बम विस्फोट हुए। इनमें १९ लोगों के मृत्यु और ९० से अधिक घायल हुए |
सन् २००९- भारत के पंकज आडवाणी ने विश्व पेशेवर बिलियर्ड्स चैम्पियनशिप जीती ।
सन् २०१०- तेजस्विनी सावंत म्युनिख में आयोजित विश्व निशानेबाजी प्रतियोगिता के 50 मीटर की स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर यह उपलब्धि प्राप्त करने वाली प्रथम भारतीय महिला बनीं।
१ अगस्त,सन् २०११ से पहले आप अपने पुराने इंटरनेट ब्राउज़रों को अपडेट कर लेने का सुझाव दिया है, क्यों कि इसके बाद गूगल महाराज की सेवाएँ पुराने इन्टरनेट ब्राउज़रों को सपोर्ट नहीं करेंगी|इसका मतलब ये हुआ कि इंटरनेट एक्सप्लोरर 7, सफ़ारी 3 या फ़ायरफ़ॉक्स 3.5 ब्राउज़रों की सहायता से इंटरनेट का उपयोग करने वालों को गूगल की जीमेल, गूगल कैलेंडर, गूगल टॉक या गूगल डॉक्स जैसी सेवाएँ आधी-अधूरी ही उपलब्ध होंगी और इतना ही नहीं बल्कि आगे भविष्य में विकसित की जाने वाली गूगल की दूसरी सेवाएँ भी पुराने ब्राउज़र को सपोर्ट नहीं करेंगी| अगर आप को गूगल की जीमेल, गूगल कैलेंडर, गूगल टॉक या गूगल डॉक्स जैसी सेवावो का इस्तेमाल करना हो तो क्रोम, फ़ायरफ़ॉक्स 4, इंटरनेट एक्सप्लोरर9 और सफ़ारी का नया वर्सन डाउनलोड करना होगा |



(भारत में कुछ महत्‍वपूर्ण दिन का परिचय)--


(१)१२ जनवरी- राष्‍ट्रीय युवा दिवस
(२)१५ जनवरी- सेना दिवस
(३)२६ जनवरी- गणतंत्र दिवस
(४)३० जनवरी- शोक दिवस
(५)२४ फरवरी- केन्‍द्रीय शुल्‍क दिवस
(६)२८ फरवरी- राष्‍ट्रीय विज्ञान दिवस
(७)५ अप्रैल- राष्‍ट्रीय नौसेना दिवस
(८)११ मई- राष्‍ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस
(९)९ अगस्‍त- भारत छोड़ो दिवस
(१०)१५ अगस्‍त- स्‍वतंत्रता दिवस
(११)२९ अगस्‍त- राष्‍ट्रीय खेल दिवस
(१२)५ सितम्‍बर- शिक्षक दिवस और संस्‍कृत दिवस
(१३)१४ सितम्बर- हिन्दी दिवस
(१४)८ अक्‍टूबर- भारतीय वायुसेना दिवस
(१५)१० अक्‍टूबर- राष्‍ट्रीय डाक दिवस
(१६)१४ नवम्‍बर- बाल दिवस
(१७)१८ दिसम्‍बर- अल्‍पसंख्‍यक अधिकार दिवस
(१८)२३ दिसम्‍बर- किसान दिवस

विश्‍व के 
कुछ महत्‍वपूर्ण दिन का परिचय)--

(१)१० जनवरी- विश्‍व हंसी दिवस
(२)२६ जनवरी- अंतरराष्‍ट्रीय कस्‍टम दिवस
(३)३० जनवरी- विश्‍व कुष्‍ठ उन्‍मूलन दिवस
(४)८ मार्च- अंतरराष्‍ट्रीय महिला दिवस, अंतरराष्‍ट्रीय साक्षरता दिवस
(५)१५ मार्च- विश्‍व अक्षमता दिवस और विश्‍व उपभोक्‍ता अधिकार दिवस
(६)२१ मार्च- विश्‍व वानिकी दिवस और रंगभेद के उन्‍मूलन के लिए अंतरराष्‍ट्रीय दिवस
(७)२२ मार्च- विश्‍व जल दिवस
(८)२३ मार्च – विश्‍व मौसम विज्ञान दिवस
(९)२४ मार्च- विश्‍व टीबी दिवस
(१०)७ अप्रैल- विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य दिवस
(११)१७ अप्रैल- विश्‍व हिमोफिलिया दिवस
(१२)१८ अप्रैल- विश्‍व विरासत दिवस
(१३)२२ अप्रैल- पृथ्‍वी दिवस
(१४)२३  अप्रैल- विश्‍व पुस्‍तक और कॉपीराइट दिवस
(१५)१ मई- अंतरराष्‍ट्रीय मजदूर दिवस
(१६)३ मई- प्रेस स्‍वतंत्रता दिवस
(१७)८ मई- विश्‍व रेडक्रॉस दिवस
(१८)१२ मई- अंतरराष्‍ट्रीय नर्स दिवस
(१९)१५ मई- अंतरराष्‍ट्रीय परिवार दिवस
(२०)२४ मई- राष्‍ट्रमंडल दिवस
(२१)३१ मई- तंबाकू विरोध दिवस
(२२)५ जून- विश्‍व पर्यावरण दिवस
(२३)२० जून- जून में तीसरा रविवार- फादर्स दिवस
(२४)१ जुलाई- अंतरराष्‍ट्रीय चुटकुला दिवस
(२५)११ जुलाई- विश्‍व जनसंख्‍या दिवस
(२६)जुलाई का तीसरा रविवार - राष्‍ट्रीय आईसक्रीम दिवस
(२७)६ अगस्‍त- हिरोशिमा दिवस
(२८)९ अगस्‍त- नगासाकी दिवस
(२९)८ सितम्‍बर- विश्‍व साक्षरता दिवस
(३०)१६ सितम्‍बर- विश्‍व ओजोन दिवस
(३१)२६ सितम्‍बर- बधिर दिवस
(३२)२७ सितम्‍बर- विश्‍व पर्यटक दिवस
(३३)१ अक्‍टूबर- अंतरराष्‍ट्रीय वृद्ध दिवस
(३४)३ अक्‍टूबर- विश्‍व पर्यावास दिवस
(३५)४ अक्‍टूबर- विश्‍व पशु कल्‍याण दिवस
(३६)१२ अक्‍टूबर- विश्‍व दृष्टि दिवस
(३७)१६ अक्‍टूबर- विश्‍व खाद्य दिवस
(३८)२४ अक्‍टूबर- संयुक्‍त राष्‍ट्र दिवस
(३९)३० अक्‍टूबर- विश्‍व मितव्‍ययता दिवस
(४०)१४ नवम्‍बर- मधुमेह दिवस
(४१)२९ नवम्‍बर- फिलीस्‍तीन के लोगों के साथ अंतरराष्‍ट्री एकजुटता दिवस
(४२)१ दिसम्‍बर- विश्‍व एड्स दिवस
(४३)३ दिसम्‍बर- विश्‍व अक्षमता दिवस
(४४)१० दिसम्‍बर- प्रसारण, मानवाधिकार का अंतररा‍ष्‍ट्रीय दिवस

'जय हिन्द,जय हिन्दी'