शनिवार, 2 जुलाई 2011

'ज्योतिष और जीवन के विभिन्न आयामों का सम्बन्ध'



यह सर्वविदित है कि ज्योतिषशास्त्र का सम्बन्ध प्राचीनकालीन वेदों से है परन्तु इसका यह तात्पर्य यह नहीं कि ज्योतिषशास्त्र केवल एक ग्रन्थ मात्र है । अपितु यह एक विज्ञान है जो अपने गणितीय समीकरणों के ज़रिये आकाशीय ग्रह नक्षत्रों की चाल बताने के साथ - साथ सूर्य - चन्द्र ग्रहण, तिथि, व्रत - त्यौहार, ऋतु परिवर्तन, आदि का भी इसी के माध्यम से पता लगता है । ज्योतिषीय गणना‌ओं के आधार पर ही एक भविष्यवक्‍ता मानव जीवन से जुड़े अनेक पहलु‌ओं के विषय में हमें इसके विविध प्रकारों के माध्यम से बताता है । आज बदलते वातावरण के साथ हम जितना आधुनिक होते जा रहे हैं उतना ही ज़्यादा हम अपने भविष्य को जानने के लि‌ऐ भी आतुर रहने लगे हैं । यही वजह है कि आज ज्योतिष विद्या को अनेक भ्रान्तियों ने आ घेरा है जिस कारण ज्योतिष के सन्दर्भ में भ्रम और धोखाधडी का खतरा भी बढ़ने लगा है । प्रस्तुत आलेख के माध्यम से मेरा यह प्रयास है कि साधारण जन तक ज्योतिष और जीवन के विभिन्न लक्षणों का सम्बन्ध विभिन्न आयामों के माध्यम से पहुंचे और इसके सन्दर्भ में निरंतर फ़ैल रहे भ्रम दूर हो सकें | 

चिकित्सा-विज्ञान और जीव-विज्ञान के अनुसार मनुष्य के अंगों में स्फुरण एक प्राकृतिक क्रिया है लेकिन  ज्योतिषीय दृष्टिकोण के अनुसार अंगों में स्फुरण भविष्य के संकेतों के रूप में लेता है । अंगों में होने वाले स्फुरण से भी हम भविष्य की घटनाओं का अनुमान लगा सकते हैं । कुछ अंगों के फड़कने का शुभ और कुछ का अशुभ फल होता है :-- 
(१)-यदि किसी के सिर का पिछला हिस्सा फड़के तो उसकी मन की इच्छाएं पूरी होने की सूचना मानना चाहिए ।
(२)-दोनों भौंहों के बीच फड़के तो यह निकट भविष्य में प्रेम मिलने का संकेत है। दाहिना गाल फड़के तो सम्मान मिलता है ।
(३)-दाहिनी भौंह फड़के तो आर्थिक लाभ और पुत्र प्राप्ति की सूचना है। दाहिना कान फड़के तो आपका पद बढ़ सकता है यानी कि प्रमोशन के योग बनते हैं ।
(४)-गर्दन फड़के तो आर्थिक लाभ तो मिलता ही है साथ ही स्त्री से भी सुख मिलता है ।
(५)-ऊपरी होंठ का फड़कना भी कार्यस्थल पर प्रमोशन के योग का संकेत है ।
(६)-माथे पर फड़कन हो तो समझिए आप धनवान बनने वाले हैं ।
(७)-दाहिना बगल फड़के तो आपका ऐश्वर्य बढ़ता है ।
(८)-दाहिनी हथेली के फड़कने से आर्थिक लाभ मिलता है ।
(९)-पैर का अंगूठा भी फड़के तो आर्थिक लाभ की प्राप्ति होती है ।

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार मनुष्य के शरीर पर तिल का अंगानुसार प्रभाव इस प्रकार समझना चाहिए :--
(१) जिस व्‍यक्ति के माथे पर तिल हो तो जातक बलवान होता है।
(२) जिस व्‍यक्ति के ललाट पर दायीं तरफ तिल हो, उसे प्रतिभा का धनी माना जाता है और बायीं तरफ होने पर उसे फिजूलखर्च करने वाला माना जाता है। जिसके ललाट के मध्य में तिल हो, उस व्‍यक्ति को अच्छा प्रेमी माना जाता है।
(३) जिस व्‍यक्ति (स्त्री/पुरुष) के ठुड्डी पर तिल हो तो अपने विपरीत लिंगी साथी (स्त्री/पुरुष) से प्रेम नहीं रहता है पर व्यक्ति सफल और संतुष्ट होता है।
(४) जिस व्‍यक्ति के दोनों भौहों के बीच तिल हो तो यात्रा बहुत करनी पड़ती है। दायीं भौं पर तिल वाले व्यक्ति का वैवाहिक जीवन सफल रहता है।
(५) जिस व्‍यक्ति के दाहिनी आंख पर तिल हो तो स्त्री से प्रेम होता है और बायीं आंख पर तिल हो तो स्‍त्री से विवाद या कलह होती है। किन्‍तु आंख पर तिल कंजूस प्रवृत्ति बनाता है। जिसके आंख के अंदर तिल हो, वह व्यक्ति कोमल हृदय अर्थात भावुक होता है।
(६) जिस व्‍यक्ति के पलकों पर तिल जातक को संवेदनशील और एकांतप्रिय बनाता है।
(७) जिस व्‍यक्ति के दाएं गाल पर तिल हो तो जातक धनी होता है और वैवाहिक जीवन सफल रहता है। यदि बाएं गाल पर तिल हो तो जातक का खर्च बहुत होता है और संघर्षपूर्ण जीवन का द्योतक है।
(८) जिस व्‍यक्ति के होंठ पर तिल हो तो विषय-वासना में रत रहे या अधिक रुचि रहे। ऐसा व्यक्ति विलासी प्रवृत्ति का माना जाता है।
(९) जिस व्‍यक्ति के मुंह के पास तिल होता है, वह एक न एक दिन धन प्राप्त करता है ।
(१०) जिस व्‍यक्ति के  नाक पर तिल होने पर माना जाता है कि व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल होगा ।
(११) जिस व्‍यक्ति के कान पर तिल हो तो जातक अल्‍पायु होता है, परन्‍तु वह धीर, गंभीर और विचारशील होता  है ।
(१२) जिस व्‍यक्ति के गर्दन पर तिल हो तो बहुत आराम मिलता है और व्यक्ति अच्छा मित्र होता है ।
(१३) जिस व्‍यक्ति के दायें कंधे पर तिल होता है, वे दृढ संकल्पित होते हैं ।
(१४) जिस व्‍यक्ति के दाहिनी भुजा पर तिल हो तो मान-सम्‍मान मिले और यदि बायीं भुजा पर तिल हो तो जातक झगड़ालू होता है।
(१५) जिस व्‍यक्ति के नाक पर तिल हो तो भी यात्रा बहुत करनी पड़ती है ।
(१६) जिस व्‍यक्ति के बायें कंधे पर तिल होता है, वह व्यक्ति क्रोधी स्वभाव का होता है।
(१७) जिस व्‍यक्ति के कंधे और कोहनी के मध्य तिल होने पर माना जाता है कि व्यक्ति में उत्सुक प्रवृत्ति का है।
(१८) जिस व्‍यक्ति के कोहनी पर तिल होना विद्वान होने का संकेत है।
(१९) जिस व्‍यक्ति के दाहिनी छाती पर तिल हो तो स्‍त्री से बहुत प्रेम हो और यदि बायीं छाती पर तिल हो तो ऐसे व्यक्ति का स्‍त्री से बहुत झगड़ा होता है।
(२०) जिस व्‍यक्ति के कमर पर तिल हो तो जीवन परेशानियो से व्‍यतीत होता है। कमर पर दायीं ओर तिल होना यह दर्शाता है कि व्यक्ति अपनी बात पर अटल रहने वाला और सच्चाई पसंद करने वाला है।
(२१) जिस व्‍यक्ति के दोनों छाती के मध्‍य में तिल हो तो जीवन सुख से बीतता है।
(२२) जिस व्‍यक्ति के पेट पर तिल हो तो जातक अच्‍छा भोजन खाने में रुचि रखता है।
(२३) जिस व्‍यक्ति के पीठ पर तिल हो तो जातक यात्रा बहुत करता है।
(२४) जिस व्‍यक्ति के नाभि पर तिल मनमौजी प्रवृत्ति का संकेत है।
(२५) जिस व्‍यक्ति के टखना पर तिल हो यह इस बात का सूचक है कि आदमी खुले विचारों वाला है।
(२६) जिस व्‍यक्ति के कूल्हे पर तिल होने पर माना जाता है कि व्यक्ति शारिरिक व मानसिक दोनों स्तर पर परिश्रमी होता है।
(२७) जिस व्‍यक्ति के दायीं हथेली पर तिल हो तो जातक शक्तिशाली होता है और बायीं हथेली पर तिल हो तो जातक बहुत खर्चीला होता है।
(२८) जिस व्‍यक्ति के दायें हाथ के ऊपर तिल हो तो जातक धनी होता है और बाएं हाथ के ऊपर तिल हो तो बहुत कम खर्च करता है।
(२९) जिस व्‍यक्ति के कोहनी और पोंहचे के मध्य कहीं तिल होता है, वह रोमांटिक प्रवृत्ति का होता है।
(३०) जिसके घुटने पर तिल हो, वह व्यक्ति सफल वैवाहिक जीवन जीता है।
(३१) जिस व्‍यक्ति के दाएं पैर में तिल हो तो जातक बुद्धिमान होता है और बाएं पैर पर तिल हो तो जातक बहुत खर्चीला होता है। पांव पर तिल लापरवाही का द्योतक है।
(३२) जिस व्‍यक्ति के जोड़ों पर तिल हो, तो यह शारिरिक दुर्बलता की निशानी माना जाता है।
मनुष्य के किसी भी अंग तिल यदि बड़ा हो, तो शुभ होने के साथ अच्‍छा शकुन बढ़ाता है।  हल्के रंग का तिल शुभ होता है । यदि तिल पर लाल हो, तो वो शुभ नहीं माना जाता और न ही अच्छा भी लगता है । तिल गहरे रंग का हो, तो माना जाता है कि बड़ी बाधाएं सामने आएंगी और जिस अंग पर जो फल होगा वह अधिक मिलेगा ।

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार घर में छिपकली किसी के ऊपर छिपकली गिर जाती है तो इसके फल निम्नलिखित रूप से प्राप्त होते हैं-
(१)-यदि आंखों पर छिपकली गिर जाए तो समझ लें कि निकट भविष्य में आपको धन प्राप्त होता है।
(२)-यदि कंधों पर छिपकली गिर जाती है तो कई समस्याओं से मुक्ति मिलने की संभावनाएं बनती हैं।
(३)-हाथों पर छिपकली गिरने पर समझ लें कि आपको नई ड्रेसेस मिलने के योग बनेंगे।
(४)-दाहिने कान पर छिपकली गिरने का मतलब है आपकी आयु लंबी है।
(५)-कमर पर छिपकली गिरती है तो निश्चित ही धन लाभ होगा।


ज्योतिषशास्त्र के अनुसार मनुष्य के हाथों की रेखाएं हमारा भूत, भविष्य और वर्तमान बता देती है। हाथों की रेखाओं में ही आपकी उम्र भी छिपी हुई है। आपके कितने वर्ष जीवित रहेंगे इसका एक संकेत हमारे हाथों में ही है। जहां से आपका पंजा शुरू होता है, वहां कुछ रेखाएं जाली के समान देती है। इन रेखाओं को मणिबंध कहा जाता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार मणिबंध की रेखाएं भी हमारी आयु की ओर संकेत करती है। यह रेखाएं सभी के हाथों में अलग-अलग प्रकार की होती है। वैसे तो पूरे हाथ की लकीरों का अवलोकन करके ही सही-सही आयु पता की जाती है परंतु मणिबंध से आप खुद मालुम कर सकते हैं कि आपका जीवन लगभग कितने वर्ष का है :--
(१)-यदि मणिबंध में चार रेखाएं दिखाई दे तो आपकी आयु लगभग १२० वर्ष की होगी ।
(२)-यदि मणिबंध में 3 रेखाएं हैं तो आपकी आयु लगभग ९० वर्ष होगी ।
(३)- यदि मणिबंध में 2 रेखाएं हैं तो आपकी आयु लगभग ६० वर्ष होगी ।
(४)- यदि मणिबंध में 3 रेखाएं हैं तो आपकी आयु लगभग ३० वर्ष होगी ।
(५)- यदि मणिबंध में कोई रेखा नहीं हैं तो आपकी अल्पायु में मृत्यु होगी । शेष ईश्वर कल्याण करे.......

वास्तुशास्त्र के दृष्टिकोण से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने के उपाय :--
यदि आप वर्तमान समय की मानसिक-तनाव से भरी ज़िंदगी से मुक्ति चाहते हैं तो निम्नलिखित वास्तुशास्त्र के दृष्टिकोण से प्रयोग अवश्य अपनाएं, इनको अपनाने से आप खुद को सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर महसूस करेंगे।
(१) रसोईघर में  अग्रि और पानी साथ न रखें।
(२) रसोईघर का पत्थर काला नहीं रखें।
(३) रसोईघर में बैठकर ही भोजन करें।
(४) रसोईघर में रात में झूठे बर्तन न रखें।
(५) दिन में एक बार चांदी के गिलास का पानी पीएं। इससे क्रोध पर नियंत्रण होता है।
(६) संध्या के समय  पर खाना न खाएं और नही स्नान करें।
(७) संध्या के समय घर में सुगंधित एवं पवित्र धुआ करें।
(८) घर में शयन कक्ष में मदिरापान नहीं करें। अन्यथा रोगी होने तथा डरावने सपनों का भय होता है।
(९) घर में कंटीले पौधे नहीं लगाएं।
(१०) अपने घर में चटकीले रंग का प्रयोग यथासंभव नहीं कराये।
(११) घर में जाले न लगने दें, इससे मानसिक तनाव कम होता है।
(१२) घर में कोई रोगी हो तो एक कटोरी में केसर घोलकर उसके कमरे में रखे दें। वह जल्दी स्वस्थ हो जाएगा।
(१३) घर में ऐसी व्यवस्था करें कि वातावरण सुगंधित रहे। सुगंधित वातावरण से मन प्रसन्न रहता है ।


वास्तुशास्त्र के दृष्टिकोण से भवन का निर्माण अनुरूप होने पर मनुष्य को अपने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में कामयाबी मिलती है | इसके लिए अपने घर का निर्माण कराते समय निम्नलिखित बिन्दुओं का ध्यान अवश्य रखना चाहिए :--

(१) यदि  घर  में पूर्व से पश्चिम की तरफ चढ़ने वाली सीढ़ियाँ हों तो भवन मालिक को लोकप्रियता और यश की प्राप्ति होती है ।
(२) यदि घर  में उत्तर से दक्षिण की तरफ चढ़ने वाली सीढ़ियाँ हों तो  घर के मालिक को धन की प्राप्ति होती है ।
(३) घर की दक्षिण दीवार के सहारे सीढ़ियाँ धनदायक होती हैं ।
(४) घर की सीढ़ियाँ प्रकाशमान और चौड़ी होनी चाहिए। सीढ़ियों की विषम संख्या शुभ मानी जाती है। सामान्यतः एक मंजिल पर सत्रह सीढ़ियाँ शुभ मानी जाती हैं ।
(५) घर की घुमावदार सीढ़ियाँ श्रेष्ठ मानी जाती हैं। सीढ़ियों का घुमाव घड़ी की परिक्रमा-गति के अनुसार होना चाहिए ।
(६) यदि घर की सीढ़ियाँ सीधी हों तो दाहिनी ओर ऊपर जाना चाहिए ।
(७) घर के मध्य भाग में  भूलकर भी सीढ़ी न बनाएँ अन्यथा बड़ी हानि हो सकती है ।
(८) घर के पूर्व दिशा में सीढ़ियाँ हों, तो हृदय रोग बनाती हैं ।
(९) यदि घर की सीढ़ियाँ चक्राकार सर्पिल हों, तो 'ची' ऊर्जा, ऊपर की ओर प्रवाहित नहीं हो पातीं, जिससे भवन मालिक को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है ।
(१०) घर के ईशान कोण में बनी सीढ़ी पुत्र संतान के विकास में बाधक होती है ।
(११) घर के मुख्य दरवाजे के सामने बनी सीढ़ी आर्थिक अवसरों को समाप्त कर देती है ।
(१२)घर की सीढ़ियों के नीचे पूजाघर का निर्माण नहीं करना चाहिए।
(१३) घर को बनाते समय इस बात का ध्यान रखें कि मुख्य दरवाजे पर खड़े व्यक्ति को घर की सीढ़ियाँ दिखाई नहीं देना चाहिए |

वास्तुशास्त्र के इन छोटे-छोटे उपायों से आप अवश्य ही शांति का अनुभव करेंगे।

ज्‍योतिषशास्त्र ने बहुत से क्षेत्रों की खोज है तथा उसके बहु आयाम है । सत्य तो यह है कि कोई नहीं जानता कि आने वाले कल क्या होगा । हम दिन-प्रतिदिन  के कामकाज में परिणामों का केवल अनुमान ही लगाते रहते हैं। अनेकों बार हमारा अंदाजा सही भी निकलता है और कई बार उम्मीदों के विपरीत परिणाम आते हैं । यह उसी प्रकार से है जैसे तपती धूप में व्यक्ति स्वयं को धूप से बचाने के लिये छाता तो लगा सकता है, परन्तु सूर्य को नहीं हटा सकता है । इसलिये ज्योतिषशास्त्र पर विश्वास रखने के साथ ही हमें अपने पुरूषार्थ पर भी भरोसा रखना चाहिये ।

आप प्रस्तुत आलेख के सन्दर्भ अपनी प्रतिक्रिया खुल कर दीजिये, जिससे मैं भविष्य में इस दिशा में और सार्थक प्रयास कर सकूँ |
'जय हिंद,जय हिंदी'

3 टिप्‍पणियां:

  1. ज्योतिष के अनुसार व्यक्तित्व को दो भागों मे विभाजित किया है,पहला-बाह्य व्यक्तित्व,और दूसरा-आन्तरिक व्यक्तित्व.सौरमण्डल के सातों ग्रह उपरोक्त दोनों व्यक्तित्वओं को अपने अपने गुण धर्म के अनुसार प्रभावित करते हैं,सूर्य और चन्द्रमा का प्रत्यक्ष प्रभाव सॄष्टि पर द्रष्टिगोचर है,जिस परिस्थति के अनुसार जातक का जन्म होता है,उसी के अनुसार जातक का प्राकॄतिक स्वभाव बन जाता है,सूर्य के प्रभाव से जाडा,गर्मी,वर्षा ॠतुओं का आगमन होता है,और चन्द्र के अनुसार शरीर मे पानी का प्रभाव प्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकता है,समुद्र मे आने वाला ज्वार-भाटा चन्द्रमा के प्रभाव का प्रत्यक्ष कारण है.जीवन के भाव,विचार,रूप,व्यक्तित्व,यादें,प्रवॄत्ति,न्याय,अन्याय,सत्य,असत्य,प्रेम,कला,आदि जितने भी जीवन के कारण हैं,सब के सब ग्रहों के प्रभाव से ही बनते बिगडते रहते हैं,सात ग्रह तो प्रत्यक्ष है और दो छाया ग्रह हैं,इस प्रकार से वैदिक ज्योतिष मे नौ ग्रहों का विवेचन मिलता है|

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    1. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

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  2. kya bae paer pe cipkli gire to kya hta hae kirpya aap jrul btae mail id :sony.anil1255@gmail.com

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