आंखें देखकर पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति स्वस्थ है या बीमार। तनाव में है या खुश है। आंखें देखकर अपराधी का भी पता लगाया जा सकता है। आंखों की नजाकत को गजलों में भी बड़ी खूबसूरती से प्रस्तुत किया गया है। यहां तक कि डॉक्टर भी रोगी को बता देते हैं कि उसे क्या बीमारी है। विशेषज्ञों का मानना है कि आंखों का रंग ही रोगों की जानकारी देता है। विशेषज्ञों के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की आंखें उभरी तथा खिंची हुई दिखाई देती हैं तो उसे अनिद्रा, थायराइड तथा ट्यूमर की शिकायत हो सकती है।
अवटुग्रंथि (थायराइड) एक छोटी सी ग्रंथि होती है जो तितली के आकार की निचले गर्दन के बीच में होती है। इसका मूल काम होता है कि शरीर के उपापचय (मेटाबोलिज्म) (कोशिकाओं की दर जिससे वह जीवित रहने के लिए आवश्यक कार्य कर सकता हो) को नियंत्रित करे। उपापचय (मेटाबोलिज़्म) को नियंत्रित करने के लिए अवटुग्रंथि (थायराइड) हार्मोन बनाता है जो शरीर के कोशिकाओं को यह बताता है कि कितनी उर्जा का उपयोग किया जाना है। यदि अवटुग्रंथि (थायराइड) सही तरीके से काम करे तो संतोषजनक दर पर शरीर के उपापचय (मेटाबोलिज़म) के कार्य के लिए आवश्यक हार्मोन की सही मात्रा बनी रहेगी। जैसे-जैसे हार्मोन का उपयोग होता रहता है, अवटुग्रंथि (थायराइड) उसकी प्रतिस्थापना करता रहता है। अवटुग्रंथि, रक्त की धारा में हार्मोन की मात्रा को पिट्यूटरी ग्रंथि को संचालित करके नियंत्रित करता है। जब मस्तिष्क के नीचे खोपड़ी के बीच में स्थित पिट्यूटरी ग्रंथि को यह पता चलता है कि अवटुग्रंथि हार्मोन की कमी हुई है या उसकी मात्रा अधिक है तो वह अपने हार्मोन (टीएसएच) को समायोजित करता है और अवटुग्रंथि को बताता है कि क्या करना है ।

"अवटुग्रंथि की बीमारी क्या है और यह किसे प्रभावित करता है ?"--
जब अवटुग्रंथि बहुत अधिक मात्रा में हार्मोन बनाने लगता है तो शरीर, उर्जा का उपयोग मात्रा से अधिक करने लगता है। इसे हाइपर थाइराडिज़्म कहते हैं। जब अवटुग्रंथि पर्याप्त मात्रा में हार्मोन नहीं बना पाता तो शरीर, उर्जा का उपयोग मात्रा से कम करने लगता है। इस अवस्था को हाइपोथायराडिज़्म कहते हैं।यह बीमारी किसी भी आयु वाले व्यक्तियों को हो सकती है तथापि महिला में पुरुष के अनुपात में यह बीमारी पांच से आठ गुणा अधिक है ।

अवटुग्रंथि बीमारी के कई कारण हैं।हाइपोथाइराडिज़्म के कारण निम्नलिखित हैं-
थाइरोडिटिस में अवटुग्रंथि सूज जाती है। इससे हार्मोन आवश्यकता से कम बनता है।
हशिमोटो का थाइरोडिटिस असंक्राम्य (इम्यून) प्रणाली की बीमारी है जिसमें दर्द नहीं होता। यह वंशानुगत बीमारी है।
पोस्टपरटम थाइरोडिटिस प्रसव के बाद 5 से 9 प्रतिशत महिलाओं को होती है।
आयोडीन की कमी एक ऐसी समस्या है जो विश्व में लगभग एक करोड़ लोगों को है। अवटुग्रंथि आयोडिन का उपयोग हार्मोन बनाने के लिए करता है।
अकार्य अवटुग्रंथि 4000 में एक नवजात शिशु को होता है। यदि इस समस्या का समाधान न किया गया हो तो बच्चा शारीरिक और मानसिक रूप से पिछड़ सकता है।
हाइपरथाइराडिज़्म के कारण निम्नलिखित हैं-
ग्रेव बीमारी में पूरा अवटुग्रंथि अति सक्रिय हो जाता है और अधिक हार्मोन बनाने लगता है।
नोड्यूल्स अवटुग्रंथि में भी अति सक्रिय हो जाता है।
थाइरोडिटिस एक ऐसी बीमारी है जिसमें दर्द हो भी सकता है या नहीं भी हो सकता है। ऐसा भी हो सकता है कि अवटुग्रंथि(थाइराड) में ही रखे गए हार्मोन निर्मुक्त हो जाए जिससे कुछ सप्ताह या महीनों के लिए हाइपरथारोडिज़्म की बीमारी हो जाए। दर्दरहित थाईरोडिटिस अक्सर प्रसव के बाद महिला में पाया जाता है।
अत्यधिक आयोडिन कई औषधियों में पाया जाता है जिससे किसी-किसी में अवटुग्रंथि या तो बहुत अधिक या फिर बहुत कम हार्मोन बनाने लगता है ।
हाइपोथायरोडिज़्म के निम्नलिखित लक्षण है:
थकावट
अक्सर और अधिक मासिक-धर्म
स्मरणशक्ति में कमी
वजन बढ़ना
सूखी और रूखी त्वचा और बाल
कर्कश वाणी
सर्दी को सह नहीं पाना

हाइपरथायरोडिज़्म के निम्नलिखित लक्षण है:
चिड़-चिड़ापन/अधैर्यता
मांस-पेशियों में कमजोरी/कंपकपीं
मासिक-धर्म अक्सर न होना या बहुत कम होना
वजन घटना
नींद ठीक से न आना
अवटुग्रंथि का बढ़ जाना
आंख की समस्या या आंख में जलन
गर्मी के प्रति संवेदनशीलता

अनियंत्रित रूप से वजन बढ़ना स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर समस्या है। थायराइड ग्रंथि का ठीक से काम न करना इस बीमारी के होने का एक प्रमुख कारण है। हालांकि इसके कई इलाज मौजूद हैं लेकिन शोधकर्ताओं ने जलीय वनस्पति (फाइटोप्लेंकटन) को थायराइड की समस्या दूर करने में कारगर बताया है।   आमतौर पर थायराइड की समस्या उपापचय (मेटाबोलिज्म) में गड़बड़ी के चलते पैदा होती है। अध्ययन के मुताबिक जलीय वनस्पति में पाए जाने वाले क्लोरोफिल, फाइटोबिलीप्रोटीन और जेंथोफिल्स उपापचय को ठीक रखने में काफी हद तक मददगार होते हैं। यही नहीं इस वनस्पति में मौजूद माइक्रोन्यूट्रिएंट्स जैसे नाइट्रेट, फास्फेट व सेलीसिलिक एसिड भी उपापचय की प्रक्रिया को दुरुस्त रखते हैं।  क्या होती है थायराइड की समस्या  थायराइड ग्रंथि के कम सक्रिय होने को हाइपोथायराडिज्म व ज्यादा सक्रिय होने को हाइपरथायराडिज्म कहा जाता है। हाइपोथायराडिज्म में मेटाबोलिज्म के कम सक्रिय होने के कारण जहां वजन बढ़ने लगता है वहीं हाइपरथायराडिज्म में उपापचय में तेजी के चलते वजन में गिरावट आने लगती है।   और भी हैं उपापचय को सही रखने के तरीके : शोधकर्ताओं की राय में उपापचय की दर को सही बनाए रखने के लिए गोजी बेरी का जूस भी काफी फायदेमंद हो सकता है।   इसके अलावा विटामिन ए व सी की उचित मात्रा का लिया जाना हाइपोथायराडिज्म में कारगर साबित होता है ।
एक बड़ी आबादी काम-धंधे के उतार-चढ़ाव को लेकर चिंतित है। ब़ड़ी आयु के लोग आने वाले बुढ़ापे से चिंतित हैं। कई लोग स्वास्थ्य और भविष्य के प्रति चिंतित हैं। ये सब लोग मानसिक स्तर पर चिंतित हैं तो कुछ इनके विपरीत मिलाजुला वर्ग है, जो आलस्यप्रेमी है। शारीरिक परिश्रम के प्रति केवल आधा-एक घंटा योग व जिम करने के बाद संपूर्ण दिन आराम और आलस्य की भेंट चढ़ जाता है। ऊँचे तकिए लगाकर सोने या टीवी देखने, किताब पढ़ने से भी पीनियल और पिट्यूटरी ग्रंथियों के कार्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, जो थायराइड पर परोक्ष रूप से दिखाई देता है। इन स्थितियों में हाइपोथायराइड रोग होने की आशंका है। 
 हाइपोथायराइड के लक्षणों में अनावश्यक वजन बढ़ना, आवाज भारी होना, थकान, अधिक नींद आना, गर्दन का दर्द, सिरदर्द, पेट का अफारा, भूख कम हो जाना, बच्चों में ऊँचाई की जगह चौड़ाई बढ़ना, चेहरे और आँखों पर सूजन रहना, ठंड का अधिक अनुभव करना, सूखी त्वचा, कब्जियत, जोड़ों में दर्द आदि लक्षणों को व्यक्ति तब अनुभव करता है, जब उसकी थायराइड ग्रंथि का थायरोक्सीन संप्रेरक (हार्मोन) कम बनने लगता है। यह समस्या स्त्री-पुरुषों में एक समान आती है, परंतु महिलाओं में अधिक पाई जाती है। इसका कोलेस्ट्रॉल, मासिक रक्तस्राव, हृदय की धड़कन आदि पर भी प्रभाव पड़ता है। थाइराडड की दूसरी समस्या है हायपरथायराइड अर्थात थायराइड ग्रंथि के अधिक कार्य करने की प्रवृत्ति। यह जीवन के लिए अधिक खतरनाक होती है। थायराइड ग्रंथि की अधिक संप्रेरक (हर्मोन) निर्माण करने की स्‍थिति से चयापचय (बीएमआर) बढ़ने से भूख लगती है। व्यक्ति भोजन भी भरपूर करता है फिर भी वजन घटता ही जाता है। व्यक्ति का भावनात्मक या मानसिक तनाव ही प्रमुख कारण होता है। कोलेष्ट्रॉल की मात्र रक्त में कम हो जाती है। हृदय की धड़कनें बढ़कर एकांत में सुनाई पड़ती है। पसीना अधिक आना, आँखों का चौड़ापन, गहराई बढ़ना, नाड़ी स्पंदन 70 से 140 तक बढ़ जाता है । 

थायराइड के रोग और योग--
 नाड़ीशोधन प्राणायाम : कमर-गर्दन सीधी रखकर एक नाक से धीरे-धीरे लंबी गहरी श्वास लेकर दूसरे स्वर से निकालें, फिर उसी स्वर से श्वास लेकर दूसरी नाक से छोड़ें। 10 बार यह प्रक्रिया करें। 
ध्यान : आँखें बंद कर मन को सामान्य श्वास-प्रश्वास पर ध्यान करते हुए मन में श्वास भीतर आने पर 'सो' और श्वास बाहर निकालते समय 'हम' का विचार 5 से 10 मिनट करें। 
ब्रह्ममुद्रा : वज्रासन में या कमर सीधी रखकर बैठें और गर्दन को 10 बार ऊपर-नीचे चलाएँ। दाएँ-बाएँ 10 बार चलाएँ और 10 बार सीधे-उल्टे घुमाएँ। 
मांजरासन : चौपाये की तरह होकर गर्दन, कमर ऊपर-नीचे 10 बार चलाना चाहिए। 
उष्ट्रासन : घुटनों पर खड़े होकर पीछे झुकते हुए एड़ियों को दोनों हाथों से पकड़कर गर्दन पीछे झुकाएँ और पेट को आगे की तरफ उठाएँ। 10-15 श्वास-प्रश्वास करें। 
शशकासन : वज्रासन में बैठकर सामने झुककर 10-15 बार श्वास -प्रश्वास करें। 
मत्स्यासन : वज्रासन या पद्मासन में बैठकर कोहनियों की मदद से पीछे झुककर गर्दन लटकाते हुए सिर के ऊपरी हिस्से को जमीन से स्पर्श करें और 10-15 श्वास-प्रश्वास करें। 
सर्वांगासन : पीठ के बल लेटकर हाथों की मदद से पैर उठाते हुए शरीर को काँधों पर रोकें। 10-15 श्वास-प्रश्वास करें। 
भुजंगासन : पीठ के बल लेटकर हथेलियाँ कंधों के नीचे जमाकर नाभि तक उठाकर 10- 15 श्वास-प्रश्वास करें। 
धनुरासन : पेट के बल लेटकर दोनों टखनों को पकड़कर गर्दन, सिर, छाती और घुटनों को ऊपर उठाकर 10-15 श्वास-प्रश्वास करें। 
शवासन : पीठ के बल लेटकर, शरीर ढीला छोड़कर 10-15 श्वास-प्रश्वास लंबी-गहरी श्वास लेकर छोड़ें तथा 30 साधारण श्वास करें और आँखें बंद रखें ।
( ध्यान रहे इन आसनों को योग विशेषज्ञ की देखरेख में करें ।)
विशेष आभार:-- (संस्थान में मेरे सहयोगी मित्र एवं जीवविज्ञान विभाग के अध्यक्ष राकेश गौतम{Rakesh Gautam} के अमूल्य सहयोग से यह लिखना संभव हो सका है, अतएव भ्रातासम राकेश गौतम को अनेकानेक हार्दिक धन्यवाद) 
अभी इस विशिष्ट क्षेत्र में शोध की बहुत संभावनाएं हैं,क्षेत्र से सम्बंधित वैज्ञानिकों और शोधार्थियों से निवेदन है वोह समर्पित भाव से शोध कार्य करें और रोगमुक्ति के अग्रदूत बनें
"तनावग्रस्त जीवनशैली से थायराइड रोग बढ़ रहा है"

    • Shamim Farooqui Dhanyavad Manoj ji.bahut hi upyogi aur laabhdaayak.aap ka yeh prayaas saraahniya hai aasha hai log laab,bhanwit honge.
      September 26, 2010 at 4:39pm via Facebook Mobile ·  ·  1 person

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      September 26, 2010 at 4:40pm via Facebook Mobile ·  ·  1 person

    • Shamim Farooqui Dhanyavad Manoj ji.bahut hi upyogi aur laabhdaayak.aap ka yeh prayaas saraahniya hai aasha hai log laab,bhanwit honge.
      September 26, 2010 at 4:40pm via Facebook Mobile ·  ·  1 person

    • Nirmal Paneri 
      हाइपरथायरोडिज़्म के निम्नलिखित लक्षण है......सरकार के


      स्मरणशक्ति में कमी...सब यद् होते हुए भी बहाना बनाना
      सूखी और रूखी जनता
      कर्कश वाणी जनता के साथ
      आम नागरिक को सुविधा न दे पाना

      चिड़-चिड़ापन/अधैर्यता
      मांस-पेशियों में कमजोरी/कंपकपीं --हर राज्य में मोजूद
      खून खराबा
      वजन घटना...जनता में लोकप्रयता घटना
      नींद ठीक से आना-सब नेता को
      अवटुग्रंथि का बढ़ जाना---आतंकवाद वाद बढ जाना
      आंख की समस्या या आंख में जलन---सब कुछ देकता है फिर भी न देखना
      गर्मी के प्रति संवेदनशील--हर प्रकर के मोसम में नोट छपने की मशीन का मिल जाना

      September 26, 2010 at 4:44pm ·  ·  5 people

    • Shaileshwar Pandey bilkul sahi bat hai.
      September 26, 2010 at 4:52pm ·  ·  1 person

    • Anita Prakash very good
      September 26, 2010 at 5:09pm ·  ·  1 person

    • Anupama Pathak informative note!
      thanks for sharing!

      September 26, 2010 at 5:28pm ·  ·  1 person

    • Shailendra Pandey Good Informations !
      September 26, 2010 at 6:04pm ·  ·  1 person

    • Naresh Matia मनोज जी............हिंदी में इतनी ज्यादा और अच्छी जानकारी ...................gr8 work.............
      September 26, 2010 at 6:45pm ·  ·  1 person

    • Asha Bhardwaj thanks manoj ji . I appreciate ur knokege and concern for others.may god bless u.
      September 26, 2010 at 7:05pm ·  ·  1 person

    • Kamlesh Bhagwan मनोज जी....इतनी महत्वपूरण व् उपयोगी जानकारी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया
      September 26, 2010 at 7:06pm ·  ·  1 person

    • Krishna Dhandhania The otherday a doctor specialising in Thyroid was mentioning that immediately after the birth a child's thyroid should be examined as lack of proper functioning can slow down his functioning of the brain.
      September 26, 2010 at 7:24pm ·  ·  1 person

    • Sangeeta Singh print nikalane ki koshish ki par nikal nahi paya.
      September 26, 2010 at 7:50pm ·  ·  1 person

    • Preethi Shanthi Is this true?
      September 26, 2010 at 7:57pm ·  ·  1 person

    • Avinash Rai नजरों के पारखी लगते हैं आप
      September 26, 2010 at 8:04pm ·  ·  1 person

    • Preethi Shanthi very useful information. great work!!!
      September 26, 2010 at 8:09pm ·  ·  1 person

    • Manoj Chaturvedi 
      ‎***
      आप सभी परम उदारमना मित्रों का सर्वप्रथम हार्दिक आभार कि आपने मेरे लेख की सराहना की,आपके प्रोत्साहन देने और मनोबल बढ़ाने से ही मै सार्थक एवं उपयोगी लेख लिखने में सफलता प्राप्त कर पता हूँ !विश्वास है कि निरंतर आपका यह स्नेहसिक्त प्रोत्साहन मिलता रहेगा और मैं आमजन हेतु सार्थक लेख लिखता रहूँगा !!

      September 26, 2010 at 8:22pm ·  ·  3 people

    • Abha Dubey थायराइड रोग आजकल बहुत कॉमन है ,कारण अस्वाभाविक जीवन शैली |आपने बहुत ही उपयोगी,जानकारियाँ दी ..... बहुत-बहुत धन्यवाद !!
      September 26, 2010 at 8:30pm ·  ·  1 person

    • Abhay Kulshrestha Thanks Dear
      September 26, 2010 at 8:35pm ·  ·  1 person

    • Manoj Joshi मनोज जी बेहतरीन जानकारी संकलित करने के लिए साधुवाद एवं धन्यवाद...........
      September 26, 2010 at 8:50pm ·  ·  1 person

    • Dushyant Chopra Bahut Hee Laabhprad Jaankaari Dee Hai Aapne....Manoj Ji...Dhanyawaad....:--)
      September 26, 2010 at 9:51pm ·  ·  1 person

    • Pawan Jain Manoj Bhai, you have given very accurate & useful information on Thyroid. Your knowledge on Thyroid is really Amazing. Thanks!!!
      September 26, 2010 at 11:29pm ·  ·  1 person

    • Hasan Jawed bhut sahi
      September 27, 2010 at 1:27am ·  ·  1 person

    • Ghulam Kundanam स्वास्थ सेवा की ही चीज है, आज के चिकित्शक भूल गए हैं, आप जो सेवा दे रहे हैं, देख कर सतयुग के वैद याद आते हैं. बहुत बहुत धन्यवाद.
      September 27, 2010 at 2:09am ·  ·  3 people

    • चन्दन भारत जानकारी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद|
      बहुत अच्छा लगा की इन विषयों को आपने साझा किया|

      साधुवाद|

      September 27, 2010 at 9:29am ·  ·  2 people

    • Chandra Prakash Sharma मनोज जी, बहुत ही लाभदायक और महत्वपूर्ण जानकारी दी है आपने. वास्तव में शारीर ही डॉक्टर है जो बीमारियों की सूचना देता रहता है और प्रकृति में इसके इलाज़ हैं, लेकिन हमारे पास तो समय ही नहीं है इन दोनों के लिए. हम तो धन के पीछे मतवाले हुए फिरते हैं. धन्यवाद, अओप हमारी आँखे खोल रहे हैं.
      September 27, 2010 at 10:47am ·  ·  2 people

    • Himanshu Pandey ‎@ Sangeeta Singh,select the text, copy the same on new word file and Print, I had done the same thing
      September 27, 2010 at 3:34pm ·  ·  1 person

    • Murari Lal Adukia बहुत सही लिखा है आपने
      September 27, 2010 at 4:17pm ·  ·  1 person

    • Rakesh Gautam great article.
      September 27, 2010 at 4:32pm ·  ·  2 people

    • Chetan Pandey स्वास्थ्योप्योगी आपका यह विस्तृत लेख सराहनीय है..सांझा करने का धन्यवाद
      September 27, 2010 at 11:39pm · 

    • Sitaram Bhargava Really great work,congratulations........
      October 12, 2010 at 12:40pm ·