रविवार, 16 अक्तूबर 2011

दिल की अभिव्यक्तियाँ



किसी ने पूछा दोस्त क्या है ?
मैने काँटो पर चल कर बता दिया.....
कितना चाहोगे दोस्त को ?
मैने पूरा आसमान दिखा दिया.....
कैसे रखोगे अपनी दोस्ती को ?
मैने हल्के से फूलों को सहला दिया....
किसी की नज़र लग गयी तो ?
मैने अपने टूटे दिल में उस को छुपा लिया...
पूरे जहाँ से भी प्यारा दोस्त किसे कहते हो ?
मैने आपका नाम बता दिया .........,
*
अरे हमें तो अपनों ने लूटा,गैरों में कहाँ दम था |
मेरी हड्डी वहाँ टूटी,जहाँ हॉस्पिटल बन्द था |
मुझे जिस एम्बुलेन्स में डाला,उसका पेट्रोल ख़त्म था |
मुझे रिक्शे में इसलिए बैठाया,
क्योंकि उसका किराया कम था |
मुझे डॉक्टरों ने उठाया,नर्सों में कहाँ दम था |
मुझे जिस बेड पर लेटाया,उसके नीचे बम था |
मुझे तो बम से उड़ाया,गोली में कहाँ दम था |
और मुझे सड़क में दफनाया,
क्योंकि कब्रिस्तान में फंक्शन था |
*
हमे अपनी दोस्ती का हिसाब नही आता,
उनका पलट कर कोई जवाब नही आता,
हम तो उनकी याद मे सोते तक नही और उनको सो कर भी हमारा ख्वाब तक नही आता।
*
मुस्कुराहट आपके होठो से जाए ना,
आंसू आपकी पलको मे कभी आए ना,
दुआ है आपका हर ख्वाब पुरा हो जाए,
जो पूरा ना हो वो ख्वाब कभी आए ना।
*
आंसुओ को लाया मत करो,दिल की बात बताया मत करो,
लोग मुठ्ठी मे नमक लिये फिरते है,अपने जख्म किसी को दिखाया मत करो।
*
प्यासे को इक कतरा पानी काफी है, दोस्ती मे चार पल की जिंदगी काफी है,
डूबने को समँदर मे जायेँ क्यो, उनकी पलको से टपका वो आँसू ही काफी है |
हकीकत जान लो जुदा होने से पहले, मेरी सुन लो अपनी सुनाने से पहले,
ये सोच लेना भुलाने से पहले, बहुत रोई है ये आँखे मुस्कुराने से पहले ||
*
पत्थरों पर है टिकी है आस्था,उन पर पाँव मत रखना,
वरना टूट जाएंगी,
धरती को चाहे जितना रौंदते रहो,मगर पर्दे पर चमकने वाली,
खुशियों पर से नज़र मत हटाना,
वरना खुशियां रूठ जाएंगी।
सुना रहे हैं रोज,एक नया आसमानी सच,
बाज़ार के सौदागरों के भौपू |
उन पर ही कान धरना,वरना तरक्की की उम्मीदें रूठ जाएंगी।
*
गुनाह करके सज़ा से डरते हैं,
जहर पी के दवा से डरते हैं,
दुश्मनों के सितम का खौफ नहीं,
हम तो दोस्तों की वफ़ा से डरते हैं |
कोई अच्छी सी सज़ा दो मुझको,
चलो ऐसा करो भूला दो मुझको,
तुमसे बिछडु तो मौत आ जाये
दिल की गहराई से ऐसी दुआ दो मुझको |
ना पूछ मेरे सब्र की इंतेहा कहाँ तक हैं,
तू सितम कर ले, तेरी हसरत जहाँ तक हैं,
वफ़ा की उम्मीद, जिन्हें होगी उन्हें होगी,
हमें तो देखना है, तू बेवफ़ा कहाँ तक हैं |



*दीपावली की अनेकानेक शुभकामनायें.....
तमाम  जहाँ  जगमगाया , फिर  से  त्यौहार  रौशनी  का  आया ,
कोई  तुम्हे  हमसे  पहले  बधाइयाँ  न  दे  दे  इसीलिए ,
यह पैगाम-ए-मुबारक  सबसे  पहले  हमने  है  भिजवाया.....

(साभार)

1 टिप्पणी:

  1. ख़ूबसूरत प्रस्तुति के लिए बधाई .


    कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारें /

    जवाब देंहटाएं