अंक ज्योतिष में अंकों और ब्रह्मांडीय योजना के अंतर्गत अंकों के गुप्त रुझान और प्रवृत्ति का अध्ययन है । प्रत्येक अक्षर की भी अपनी आंकिक उपयोगिता होती है, जोकि ब्रह्मांडीय कंपन से संबंधित होता है । जिस नाम से हम पुकारे जाते हैं उसका अपना अनूठा कंपन होता है, जिसे कुछ अंक तक कम किया जा सकता है । सभी कंपन एक लय में नहीं होते हैं । अंक ज्योतिष के हिसाब से हम इसी प्रकार एक-दूसरे से संबंधित हैं ।
भारतीय ज्योतिषी आर्यभट्ट ने 498 ईसा पूर्व में कहा था, ‘स्थानम स्थानम दस गुणम’ जिसका अर्थ है अंकों को 10 से गुणा करने पर वे 10 गुने अधिक हो जाते हैं । इसे दशमलव पर आधारित आधुनिक अंक प्रणाली की उत्पत्ति कहा जा सकता है। अथर्ववेद में अंक प्रणाली और ज्योतिषशास्त्र में इसके उपयोग का उल्लेख किया गया है ।
भारतीय अंकज्योतिष में नौ ग्रहों सूर्य, चन्द्र, गुरू, यूरेनस, बुध, शुक्र, वरूण, शनि और मंगल की विशेषताओं के आधार पर गणना की जाती है। इन में से प्रत्येक ग्रह के लिए 1 से लेकर 9 तक कोई एक अंक निर्धारित किया गया है, जो कि इस बात पर निर्भर करता है कि कौन से ग्रह पर किस अंक का असर होता है ।
अंकज्योतिष में गणित के नियमों का व्यवहारिक उपयोग करके मनुष्य के अस्तित्व के विभिन्न पहलुओं पर नजर डाली जा सकती है । व्यक्ति के जन्म के समय ग्रहों की जो स्थिति होती है, उसी के अनुसार उस व्यक्ति का व्यक्तित्व निर्धारित हो जाता है। एक प्राथमिक तथा एक द्वितीयक ग्रह प्रत्येक व्यक्ति के जन्म के समय उस पर शासन करता है। इसलिए, जन्म के पश्चात जातक पर उसी अंक का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है, जो कि जातक का स्वामी होता है। इस व्यक्ति के सभी गुण चाहे वे उसकी सोच, तर्क-शक्ति, भाव, दर्शन, इच्छाएँ, द्वेष, सेहत या कैरियर हो, इस अंक से या इसके संयोग वाले साथी ग्रह से प्रभावित होते हैं । यदि किसी एक व्यक्ति का अंक किसी दूसरे व्यक्ति के अंक के साथ मेल खा रहा हो तो दोनों व्यक्तियों के बीच अच्छा ताल-मेल बनता है ।
अंक ज्योतिष में आपके मूलांक का बहुत अधिक महत्व होता है | आपका मूलांक आपके जन्म की तारीख का योग है। यह अंक यह प्रदर्शित करता है कि आप जन्म के समय क्या थे और आप अपने पूर्वजों के किन गुणों को पूरे जीवन भर साथ ले जाएंगे। जिस नाम से आपको अन्य लोग पुकारते हैं, उससे आप पर बहुत प्रभाव पड़ता है। यदि यह अंकीय रूप से आपके मूलांक से मेल खा जाता है, तो आप अपने और अपने आसपास के लोंगों के लिए ज्यादा खुशी का माहौल बना सकते हैं। जो अंक आपके नाम से उत्पन्न होता है, उसे भाग्य अंक कहा जाता है ।
अंक ज्योतिष के अनुसार जिस प्रकार से आप स्वयं के बारे में अंक ज्योतिष द्वारा जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, उसी प्रकर आप यह भी समझ सकते हैं कि आप अन्य लोगों से किस तरह संबंधित हैं । इसके साथ ही आप यह भी जान सकते हैं कि आप दूसरे लोगों के कितने अनुरूप हैं ।इसका मित्र और शत्रु के आधार पर विभाजन किया जाता है |
आधुनिक अंक ज्योतिष के अनुसार आपके पास अपने शिशु के लिए उसके जीवन पथ अंक के साथ अच्छी तरह से कंपन करने वाले नाम को चुनने की क्षमता होती है । इसी प्रकार, आप अपने नाम को भी बिना उच्चारण और अर्थ बदले हुए, उसे मूलांक के अनुरूप कर सकते हैं ।
आंग्ल-भाषा की वर्णमाला के अनुसार प्रतेक वर्ण का अंक अलग-अलग होता है, जो निम्न सारिणी के अनुसार है:--
1 2 3 4 5 6 7 8 A B C D E U O F I K G M H V Z P J R L T N W Q S X Y
अंकज्योतिष शास्त्र के व्यवहारिक-नियमों के अनुसार केवल एक ही नाम व अंक किसी एक व्यक्ति का स्वामी हो सकता है । जातकजीवन में अपने अंकों के प्रभाव के अनुसार ही अवसर व कठिनाइयों का सामना करता है। अंकज्योतिष शास्त्र में कोई भी अंक भाग्यशाली या दुर्भाग्यपूर्ण नहीं हो सकता, जैसे कि अंक ७(सात) को भाग्यशाली व अंक १३(तेरह) को दुर्भाग्यपूर्ण समझा जाता है । हम अपने व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में सुख-दुख का सामना करते ही रहते हैं। इन सुख-दुख के लिए कोई मजबूत कारण भी दिखाई नहीं देता है। अंक ज्योतिष में गणनाओं के द्वारा इस पर कुछ हद तक प्रकाश डाला जा सकता है। अंक ज्योतिष की यह गणनायें हमारे जीवन में आवश्यक बदलाव ला सकती हैं और हमारे जीवन को आशावादी दिशा प्रदान कर सकते है । इनके द्वारा हमें सफलता की दिशा भी मिलती है ।
अंक ज्योतिष की यह गणनायें हमारे जीवन में आवश्यक बदलाव ला सकती हैं और हमारे जीवन को आशावादी दिशा प्रदान कर सकते है । इनके द्वारा हमें सफलता की दिशा भी मिलती है ।
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