परम जागरूक देशभक्त मित्रों,
आइये अब आप देशभक्ति का आडम्बर करने के लिए घर से निकलिये हाथ में मोमबत्तियां लेकर और चौराहे पर जलाकर विरोध प्रदर्शित कीजिये | सभी अखबारों और टीवी में बयान पढ़िये कि फलां-फलां लोग हमारी सहनशक्ति की परीक्षा न ले वरना हम आर-पार की लड़ाई लड़ने की कोरी धमकीयां देते रहेगें...इन आतंकियों का कोई धर्म नहीं होता और आतंकवादियों से सख्ती से निपटा जायेगा | शायद मरने वालों और घायलों को मुआवजे की घोषणा भी हो गयी होगी और कुछ राजनीतिबाज, कुछ तथाकथित धर्मनिरपेक्षता के बयान का इन्तजार कीजिये कि इसमें आतंकवादियों का हाथ हो सकता है, क्योंकि उत्तर प्रदेश में चुनाव होने वाले हैं और उसके बाद फिर लोकसभा के भी २०१४ में चुनाव होंगे, इसलिये साम्प्रदायिक ताकतें ऐसा कर रही हैं और इसकी न्यायिक जांच होना चाहिये |इन राजनीतिबाजों, सोते हुये असहाय लोगों पर डन्डा चलाने के आदेश देने वालों के सगे-सम्बन्धी इन हमलों के दायरे में नहीं आते इसलिये इनके सीने में दर्द नहीं होता और यहां का आम आदमी विलक्षण है और मरता रहेगा लेकिन घर से बाहर नहीं निकलेगा और निकलेगा तो इस डर के साथ कि वह किसी बम-धमाके से मर ना जाये | वह यह भूल जाता है कि जो बम मुम्बई में फट रहा है, वह उसके शहर में, उसकी गली में, उसके घर के बाहर भी फट सकता है और उसके सगे-सम्बन्धी भी ऐसे ही किसी बम का शिकार हो सकते हैं |आइये अब आप कीजिये इन्तजार ऐसे बम-ब्लास्ट में अपने मरने का या अपने किसी सगे के मरने का | अमेरिका को कोसने वाले देखें कि अमेरिका में ९/११ के बाद कितनी सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गयी और भारत में क्या किया गया है | वैसे एक और सुझाव है कि आइये अब आप घर से निकलिये हाथ में एक शुद्ध दूध से भरी कटोरी लेकर और देश के राजनीतिबाज धूर्त नेतागणों को दूध पिलाने के लिए ,क्योंकि यह आस्तीन के सांप हमने ही तो पाले हुए हैं | राजनीतिबाज देश के धूर्त नेता तो अपनी कुर्सी के लिये देश की हर चीज दांव पर लगाये बैठे हैं, उनको कटघरे में तो हम ही खड़ा कर सकते हैं | यह याद रखिये कि बाहर से कोई नहीं आयेगा मदद के लिये और अगर ऐसे ही सोते रहने का दिखावा करते रहे तो अपने मां-बाप, भाई-बहन, पुत्र-पुत्री के नाम की भी मोमबत्ती ज़रूर तैयार रखियेगा |
'जय हिंद,जय हिंदी'
ज्ञात हो कि मुम्बई पर नवम्बर 2008 में पाकिस्तानी आतंकवादियों के हमले के बाद यह पहला आतंकवादी हमला है। नवम्बर में हुए इस हमले में विदेशी नागरिकों सहित 166 लोग मारे गए थे ।
जवाब देंहटाएंपहला विस्फोट मध्य मुम्बई के दादर में हुआ और अन्य विस्फोट ओपेरा हाउस और झावेरी बाजार इलाके में हुए। मुम्बई में ओपेरा हाउस और झावेरी बाजार की पहचान आभूषण केंद्रों के रूप में है ।
ये तीनों व्यस्त वाणिज्यिक और रिहायशी इलाके हैं। शाम के व्यस्त समय के दौरान इन इलाकों में लोगों और वाहनों की आवाजाही काफी बढ़ गई थी तभी ये विस्फोट हुए।
एक विस्फोट मध्य मुम्बई में दादर के एक बस स्टैंड पर एक इलेक्ट्रिक मीटर में हुआ।
पुलिस अधिकारी मधुकर संखे ने बताया, "इस विस्फोट में तीन लोग घायल हुए उन्हें अस्पताल भेजा गया।"
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि विस्फोट में बस स्टैंड का पिछला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया। कुछ घायलों की हालत नाजुक बताई जा रही है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए एनएसजी टीम और फोरेंसिक एक्सपर्ट्स को लेकर बीएसएफ का प्लेन मुंबई रवाना हो गया है।
देश के सबसे व्यस्ततम शहर मुंबई को फिर आतंकवाद की काली नज़र लग गई है। शहर के तीन सबसे भीड़ भरे इलाकों दादर, झवेरी बाजार और ओपेरा हाउस में शृंखलाबद्ध बम धमाके कर आतंकवादियों ने फिर से देश की नब्ज़ को रोक देने की साज़िश रची। इस बम धमाकों में अब तक 21 लोगों की दर्दनाक मौत हुई है और 141 जख़्मी हुए हैं। इन ज़ख़्मियों में से कई बेहद गंभीर हाल में अस्पताल में भर्ती और और ज़िंदगी और मौत के बीच जद्दोजहज कर रहे हैं ।
जवाब देंहटाएं'जय हिंद,जय हिंदी'
*
जवाब देंहटाएंप्रिय जागरूक देशभक्त मित्रों,
आम तौर पर माना जाता है कि आतंकी अपने हमलों की जगह बदलते रहते हैं, तो फिर ये सवाल उठना लाजिमी है कि भारत की वित्तीय राजधानी मुंबई पर बार-बार आतंकी हमले क्यों हो रहे हैं? 26 नवंबर 2008 की रात पाकिस्तान से समुद्री रास्ते से आए महज 10 आतंककारियों ने मुंबई पर जो हमला बोला था, उसके बाद मुंबई में यह आतंकी विस्फोटों की पहली वारदात है। मुंबई में भीड़भाड़ वाली तीन जगह बुधवार शाम करीब 7 बजे लगभग एक साथ किए गए आतंकी बम विस्फोट में कितने लोग मरे और कितने घायल हुए ये आंकड़े अभी स्थिर नहीं हुए हैं, लेकिन लोग यह पूछने लगे हैं कि मुंबई और खासकर झवेरी बाजार पर क्यों होते हैं बार-बार आतंकी हमले? कहीं यहां होने वाला बड़ा वाणिज्यिक कारोबार ही इसकी जान की आफत तो नहीं बन गया है ?
'जय हिंद,जय हिंदी'
प्रिय जागरूक देशभक्त मित्रों,
जवाब देंहटाएंमुंबई में 13 जुलाई 2011 बुधवार शाम 11 मिनट में तीन धमाके कर तबाही मचाने वालों का गुरूवार देर रात तक कोई ठोस सुराग नहीं लग पाया। तमाम बयानबाजियों के बीच केंद्र व राज्य सरकार, गुप्तचर एजेंसियां और पुलिस अघिकारी अंधेरे में तीर चलाते नजर आए। एनआईए, एनएसजी और दिल्ली-पुणे सीएफएसएल टीम जांच में जुटी है। लेकिन कोई यह कहने की स्थिति में नहीं है कि विस्फोट किसने किया, कौन इसके पीछे था और कब तक जांच के नतीजे सामने आ जाएंगे। जहां एक ओर अघिकारी कयास भर ही लगा रहे थे तो 'दिग्गज' नेता बेतुके बयानों से बेबसी जाहिर कर रहे थे |
13 जुलाई 2011 बुधवार को मुंबई में जो तीन बम धमाके हुए, जांच अधिकारियों का मानना है कि ये बम दो साल पहले पुणे में हुए जर्मन बेकरी ब्लास्ट जैसे ही थे। जर्मन बेकरी ब्लास्ट में हालांकि महाराष्ट्र एटीएस ने करीब आधा दर्जन लोगों को गिरफ्तार किया, लेकिन जर्मन बेकरी के अंदर बम रखनेवाले मोहसिन चौधरी और यासीन भटकल देश की किसी भी जांच एजेंसी को आज तक नहीं मिले। शक किया जा रहा है कि बुधवार को मुंबई में हुए बम धमाकों के पीछे ये दोनों भी हो सकते हैं। दोनों ही आरोपी इंडियन मुजाहिदीन से जुड़े हुए हैं और सन् 2005 से आज तक देश भर में हुए ज्यादातर बम धमाकों में उनका नाम सामने आता रहा है। संयोग से तीन साल पहले मुंबई क्राइम ब्रांच ने पुणे में इंडियन मुजाहिदीन के जिस मीडिया सेल का भंडाफोड़ किया था, मोहसिन चौधरी उस सेल का महत्वपूर्ण हिस्सा था। उस दौरान मुंबई क्राइम ब्रांच ने मोहसिन चौधरी के भाई अकबर को भी गिरफ्तार किया था ।
इंडियन मुजाहिदीन के मीडिया सेल का काम मूल रूप से किसी भी ब्लास्ट के बाद या पहले मीडिया को ई-मेल करके धमाकों की जिम्मेदारी लेना होता था। इंडियन मुजाहिदीन ने देश भर में कहीं भी धमाके किए हों, पर ई-मेल हमेशा मुंबई या नवी मुंबई से भेजे गए। पर बुधवार को मुंबई में हुए बम धमाकों के पहले या बाद में ऐसा नहीं किया गया। इसकी एक वजह शायद यह हो सकती है कि इंडियन मुजाहिदीन इन धमाकों में शामिल ही न हो। यदि वह शामिल है, तो शायद उसने पिछले कुछ महीनों में अपनी रणनीति ही बदली दी हो। कुछ महीने पहले दिल्ली में हुए बम ब्लास्ट के दौरान भी इंडियन मुजाहिदीन की तरफ से कोई ई-मेल नहीं भेजा गया था। बीच में इंडियन मुजाहिदीन के संस्थापकों में से एक रियाज भटकल के मारे जाने की अपुष्ट खबरें आई थीं। शायद ई-मेल न आने की एक वजह यह भी हो , क्योंकि अभी तक के ई-मेल में इंडियन मुजाहिदीन की तरफ से इकबाल भटकल के साथ रियाज भटकल के भी दस्तखत रहे हैं ।
मुंबई में इंडियन मुजाहिदीन की उपस्थिति अभी भी बनी हुई है, इसका सबसे ताजा उदाहरण सन् 2008 के गुजरात ब्लास्ट में शामिल दो आरोपियों शेख अमीन शेख उर्फ अयूब राजा और मोहम्मद मोबिन अब्दुल शकूर उर्फ इमरान की मंगलवार को मुंबई में गिरफ्तारी है। इन दोनों द्वारा नवी मुंबई से चुराई गई गाड़ियां गुजरात ब्लास्ट में इस्तेमाल की गई थीं ।
'जय हिंद,जय हिंदी'
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और पूरी दुनिया के नेताओं ने 13 जुलाई 2011 बुधवार शाम मुंबई में हुए श्रृंखलाबद्ध विस्फोटों की निंदा की है। वैश्विक नेताओं ने इन आतंकवादी हमलों को 'आपराधिक और किसी भी तरह से न्यायसंगत नहीं ठहराया जा सकने वाला' बताया है।संयुक्त राष्ट्र प्रमुख बान की मून ने अमेरिका, रूस, फ्रास, दुबई और पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत की व्यावसायिक राजधानी में हुए इस हमले की निंदा की है ।
जवाब देंहटाएं'जय हिंद,जय हिंदी'
यह याद रखिये कि बाहर से कोई नहीं आयेगा मदद के लिये और अगर ऐसे ही सोते रहने का दिखावा करते रहे तो अपने मां-बाप, भाई-बहन, पुत्र-पुत्री के नाम की भी मोमबत्ती ज़रूर तैयार रखियेगा |
जवाब देंहटाएं