रविवार, 1 मई 2011

--विचार-प्रधान लोक-कथा-- (भाग-एक)

प्रियमित्रों जीवन में लोक-कथाओं का अत्यंत प्रभावशाली प्रभाव होता है, मेरा जीवन भी इस प्रभाव से अनेक कमज़ोर क्षणों में प्रभावित होकर मुझे पुन: जीवन शक्ति प्रदान कर गया.....,आपको भी इन लोक कथाओं से प्रेरणादायक जीवन-शक्ति मिले,इस कारण के साथ लोक-कथाओं का एक क्रम प्राम्भ कर रहा हूँ, आप भी उदारता से इस क्रम में अपना योगदान अवश्य प्रदान करें.....
                                                            (भाग-एक)
कौशल  राज्य के राजा बिम्बसार ने  एक रात विचित्र सपने देखे। उन सपनों का अर्थ उन्हें समझ में नहीं आया। उन्हें डर लगा कि कहीं इन सपनों का अर्थ अनर्थकारी न हो। इसलिए प्रातःकाल होते ही उन्होंने अपने राज्य के विद्वान दरबारियों को बुलाकर
सपनों का रहस्य जानना चाहा।
दरबारी सुनकर बड़्रे खुश हुए,उन्होंने सोचा कि यह राजा से अधिक से अधिक धन ऐंठने का सुनहला मौक़ा है। यह सोचकर दरबारियों  ने निश्चय कर लिया कि राजा को इन सपनों का ऐसा अर्थ बता दें जिस से उनका पूरा लाभ हो। इसलिए सब ने एक मत होकर राजा से निवेदन किया, ‘‘महाराज, इन सपनों का अर्थ तुरन्त बताया नहीं जा सकता। हम सपनों से सम्बन्धित ग्रन्थों को पढ़ कर इनका सही अर्थ निकालेंगे। इसलिए आप कृपया हमें दो-चार दिन का समय दे दीजिए।''
राजा बिम्बसार ने दरबारियों को एक सप्ताह की मोहलत दी। उस अवधि के बाद दरबारी राजा के पास जाकर बोले, ‘‘हम सब ने आप के सपनों पर कई ग्रन्थों की सहायता से शोध किया। अन्त में इस निर्णय पर पहुँचे हैं कि ये सपने किसी विपत्ति के सूचक हैं। आप के परिवार और राज्य में कोई अनर्थ होनेवाला है।'' राजा यह सुनकर बैचैन हो उठे! चिंतित होकर बोले, ‘‘इस अनर्थ को रोकने का कोई उपाय तो होगा? आप लोग पुनः विचार करके हमारा उचित मार्गदर्शन कीजिए!''
दरबारियों ने राजा को सलाह दी ‘‘हाँ महाराज! इस विपत्ति को टालने का बस एक ही उपाय है! आप को देश के हर चौराहे पर यज्ञ कराना होगा और यज्ञ की समाप्ति पर दरबारियों को भोज और मुँहमाँगा पुरुस्कार एवं पदवी  देनी होगी। इस प्रकार करने से आनेवाली आपत्ति टल जायेगी और सारे देश का कल्याण होगा।''।
राजा बिम्बसार ने दरबारियों के अनुसार कोषाध्यक्ष को यज्ञ कराने का आदेश दे दिया।
महारानी बड़ी बुद्धिमती थीं। उन्होंने राजा से निवेदन किया, ‘‘आप जल्दी में इन सपनों के बारे में कोई निर्णय नहीं लें। वास्तव में ये दरबारी विद्वान नहीं लगते। समस्त विद्याओं के ज्ञाता भगवान बुद्ध आजकल जेठवन में ठहरे हुए हैं। आप कृपया उनकी सेवा में पहुँचकर अपने सपनों का हाल बताइए और वे जैसा आदेश दें, वैसा ही कीजिए।''महाराजा ने महारानी की सलाह मान ली। वे स्वयं अधिकारियों के साथ जेठवन पहुँचे और भगवान बुद्ध को भिक्षा एवं आशीर्वाद के लिए अपने महल में निमंत्रित किया।भगवान बुद्ध के पधारते ही राजा ने निवेदन किया, ‘‘भगवान! आप सर्वज्ञ हैं। मैंने कुछ अनर्थकारी सपने देखे हैं और इस कारण मैं बहुत चिंतित हूँ। कृपया इन सपनों का अर्थ बताकर आने वाली विपत्ति से मेरी और प्रजा की रक्षा करें प्रभु!''
भगवान बुद्ध ने मुस्कुराते हुए कहा‘‘राजन, आप सपनों का वृत्तान्त बताइए। फिर मैं उनका रहस्य बताऊँगा।''
राजा बिम्बसार ने अपना सपना सुना कर निवेदन किया ‘‘सबसे पहले मैंने चार भैंसें देखे। वे रंभाते और लड़ते हुए राजमहल में घुस आये। कई लोग उन भैसों की लड़ाई देखने के लिए वहाँ पर एकत्र हो गये। परन्तु उसके बाद भैंसें लड़ना छोड़कर अपने-अपने रास्ते चले गये। इसका क्या अर्थ हुआ भगवान!'' ।
बुद्ध ने सपने का अर्थ समझाया ‘‘इस सपने का अर्थ यह है कि आप के वंश के बाद के राजा पापी हो जायेंगे। उनके राज्य काल में आसमान के बादल बिना वर्षा किये लौट जायेंगे, जिससे जनता को निराशा होगी।''
राजा ने दूसरा सपना बुद्ध को बताया ‘‘भगवान! मैंने एक और विचित्र सपना देखा। मैंने छोटे पौधों में पूरी ऊँचाई तक बढ़े बिना मंजरी और फल भी लगे देखे। क्या इसका भी कोई रहस्य है प्रभु?''
बुद्ध ने बड़े सहज भाव से बताया ‘‘यह स्वप्न भी उसी युग से सम्बन्धित है। उस युग में लड़कियों के बाल विवाह होंगे और वयस्क होने के पूर्व ही वे माता बन जायेंगी।''।
राजा ने एक और सपना बताया, ‘‘भगवान, मैंने बछड़ों से गायों को दूध पीते देखा।''
भगवान बुद्ध ने स्पष्ट किया ‘‘आने वाले युग में बूढ़े लोग अपना पेट भरने के लिए अपने छोटों पर निर्भर करेंगे।'' ।
राजा ने अपना अगला सपना बताया, ‘‘मैंने देखा कि किसान हलों में बैलों की जगह बछड़ों को बाँध रहे हैं।''
भगवान बुद्ध ने स्पष्ट बताया ‘‘उस युग में राजा योग्य मंत्रियों को हटा कर अनुभवहीन और अयोग्य व्यक्तियों को उनके स्थान पर नियुक्त करेंगे।''।
राजा ने पूछा ‘‘इसके बाद मैंने खुली जगह पर एक विचित्र घोड़ा को देखा। उसके दोनों तरफ़ मुँह थे। वह दोनों मुँहों से दाना खा रहा था। इस विचित्र सपने का भी क्या कोई रहस्य है प्रभु! ज़रा मुझे बताइये'' ।
बुद्ध ने कहा ‘‘यह स्वप्न भी बड़ा अर्थपूर्ण है राजन! इस सपने का मर्म यह है कि आनेवाले युग में न्यायाधीश निष्पक्ष न्याय नहीं करेंगे और दोनों पक्षों से रिश्वत लेंगे। फिर भी वे किसी के प्रति भी न्याय नहीं करेंगे।'' ।
राजा ने इसका रहस्य पूछा ‘‘एक आदमी एक रस्सा बाँट रहा था। रस्सा बाँटने के बाद बँटे हुए हिस्से को नीचे गिराता जा रहा था। उस आदमी की आँख बचा कर एक मादा सियार नीचे पड़्रे बँटे रस्से को चबाती जा रही थी।'' ।
महात्मा बुद्ध ने सपने का अर्थ स्पष्ट करते हुए कहा ‘‘आनेवाले युग में पाप बढ़ जाने से अधिक लोग दरिद्र हो जायेंगे। पति का कड़ी मेहनत का धन, उनकी पत्नियाँ तुरन्त खर्च कर देंगी ।''
राजा बिम्बसार ने सन्तुष्ट होकर एक अन्य सपने के बारे में बताते हुए कहा- ‘‘मैंने राजमहल के पास जल से भरा हुआ एक घड़ा देखा। उसके चारों तरफ़ कई खाली घड़्रे थे। वहाँ पर सभी जाति और वर्ण के लोग पानी भर कर ला रहे थे और भरे हुए घड़े में ही डाल रहे थे, जब कि भरा हुआ घड़ा छलक रहा था। खाली घड़े में कोई पानी नहीं डाल रहा था। आ़खिर ऐसा क्यों?''
भगवान बुद्ध ने इस स्वप्न का अर्थ बताते हुए कहा, ‘‘भविष्य में अन्याय और अधर्म बढ़ जायेगा। प्रजा कठिन परिश्रम से धन कमा कर राजा के भय से खज़ाने में डाल देगी जहाँ पहले ही धन भरा होगा। लेकिन प्रजा के घर खाली घड़ों की भाँति एक दम खाली रहेंगे।''
राजा ने एक और स्वप्न सुनाया ‘‘एक अन्य स्वप्न में मैंने एक पात्र में कुछ अनाज पकते देखा। लेकिन अन्न समान रूप में नहीं पक रहा था। पात्र के एक हिस्से में अन्न पक कर गल गया था, जब कि दूसरे हिस्से का अन्न ठीक पका हुआ था । और एक और हिस्से में अन्न कच्चा ही था।'' ।
बुद्ध ने इसका मर्म बताते हुए कहा, ‘‘भविष्य में खेती-बाड़ी कुछ ऐसी ही होगी। कुछ लोग भविष्य में अति वृष्टि से पीड़ित रहेंगे और कुछ हिस्से में सूखा पड़ेगा।''
एक और स्वप्न बताते हुए राजा ने उसका मर्म पूछा, ‘‘कुछ लोगों को गली-गली घूम कर चन्दन बेच कर धन लेते हुए मैं ने देखा।''
‘‘इसका अर्थ यह है कि आनेवाले युग में नीच व्यक्ति धर्मोपदेश देकर तुच्छ भौतिक सुख प्राप्त करेंगे।'' बुद्ध ने सपने का रहस्य बताया।
राजा बिम्बसार ने एक और स्वप्न सुनाया ‘'मैंने एक सपना और देखा। पानी पर पत्थर तैर रहे हैं और राजहंसों का एक झुण्ड कौओं के पीछे रेंगता जा रहा है। एक अन्य स्थान पर कुछ बकरियों को बाघ को मारकर खाते देखा।''
बुद्ध ने उस सपने का अर्थ बताते हुए कहा, ‘‘भविष्य में बड़े-बड़े महात्मा भी समाज में अनादरित होकर समय के प्रवाह में पत्थरों की तरह वह जायेंगे। नीच लोगों के हाथ में शासन होने के कारण राजहंस जैसे सन्त कौओं के समान दुष्ट लोगों के चरण-चिन्हों पर चलेंगे । दुष्ट व्यक्तियों के हाथों में अधिकार आ जाने से सात्विक गुण वाले निर्दोष व्यक्ति भी उनसे भयभीत रहेंगे। इतना ही नहीं, वे नीच व्यक्ति अवसर पाकर उत्तम व्यक्तियों का अन्त भी कर डालेंगे।''
भगवान बुद्ध के प्रवचनों से राजा बिम्बसार के सारे सन्देह दूर हो गये। साथ ही उनकी भय चिन्ता भी दूर हो गई। वे समझ गये कि दरबारियों ने अपने स्वार्थ के कारण उन्हें ऐसा परामर्श दिया था। इसलिए उन्होंने यज्ञ कराने का विचार छोड़ दिया तथा महात्मा बुद्ध को भिक्षा देकर उन्हें आदर-सत्कार के साथ विदा किया।
(साभार)

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