सोमवार, 4 जुलाई 2011

'अन्ना हजारे का परिचय व जीवन-दर्शन'





अपने पूर्व-प्रकाशित निम्नलिखित आलेखों में आम व्यक्ति का प्रतिनिधित्व करने वाले समाजवादी और गांधीवादी अन्ना(अण्णा) हजारे का उल्लेख विस्तार से कर चुका हूँ, 

(१) 'वर्तमान भ्रष्टाचार, कालेधन और व्यवस्था परिवर्तन पर संघर्ष' 
(२) एक आदर्श 'लोकपाल विधेयक' 
(३) 'स्थापित और मान्य भ्रष्टाचार की समस्या'


अनेक मित्रों को इनके जीवन का परिचय और जीवन-आदर्श जानने की उत्सुकता है, अतएव यह आलेख प्रस्तुत कटे हुए अपार हर्ष है......

आम व्यक्ति का प्रतिनिधित्व करने वाले समाजवादी और गांधीवादी अन्ना(अण्णा) हजारे का जन्म १५जनवरी, सन १९४० को महाराष्ट्र के अहमदनगर के भिंगर क़स्बे में हुआ था | अन्ना हज़ारे का बचपन बहुत ग़रीबी और अभावों में गुज़रा | श्री अन्ना  हजारे का वास्‍तविक नाम किशन बाबूराव हजारे है | पिता मजदूर थे, दादा फौज में थे और दादा की पोस्टिंग भिंगनगर में थी | अन्ना का पुश्‍तैनी गाँव अहमदनगर ज़िले में स्थित रालेगन सिद्धि में था | अपने दादा की मौत के सात साल बाद अन्ना का परिवार रालेगन आ गया परन्तु उनके परिवार की ग़रीबी और तंगी देखकर अन्ना हज़ारे की बुआ उन्हें अपने साथ मुंबई ले गईं | कुछ समय बाद उनका परिवार भी भिंगर से उनके पुरखों के गाँव रालेगन सिद्धि चला आया था |
श्री अन्ना  हजारे के अलावा उनके परिवार में उनके छः और भाई थे | श्री अन्ना हजारे ने मुंबई में अपनी बुआ के साथ रहते हुए सातवीं तक पढ़ाई की | परिवार की आर्थिक स्थिति देखकर वह दादर स्टेशन के बाहर एक फूल बेचनेवाले की दुकान में मात्र ४० रुपये की पगार पर काम करना प्रारम्भ किया | इसके बाद उन्होंने फूलों की अपनी दुकान खोल ली और अपने दो भाइयों को भी रालेगन से बुला लिया |
श्री अन्ना हजारे वर्ष 1962 में चीन के खिलाफ जंग के बाद सेना में शामिल हुए थे। सेना में एक ट्रक चालक के तौर पर उन्हें नौकरी मिली और उनकी तैनाती पंजाब में की गई  और उनकी पहली पोस्टिंग बतौर ड्राइवर हुई | सन १९६५ ईस्वी के भारत – पाक युद्ध भी उन्होंने खेमकरण सेक्टर पर लड़ा था | यहीं से उनका जीवन परिवर्तन का समय शुरू हुआ, इस पाकिस्तानी हमले में वह मौत को धता बता कर बाल-बाल बचे थे | इसी दौरान नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से उन्होंने विवेकानंद की एक पुस्‍तक ‘कॉल टु दि यूथ फॉर नेशन’ खरीदी और उसको पढ़ने के बाद उन्होंने अपनी जिंदगी समाज को समर्पित कर दी | उन्होंने महात्मा गांधी और विनोबा भावे को भी पढ़ा और उनके विचारों को अपने जीवन में ढ़ाल लिया और समाज की सेवा को ही अपने जीवन का ध्येय बना लिया |
सन १९७० में उन्होंने आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प किया | अपनी मुम्बई पोस्टिंग के दौरान वह अपने गांव रालेगन आते-जाते रहे | जम्मू पोस्टिंग के दौरान १५ साल फौज में पूरे होने पर १९७५ में उन्होंने वीआरएस ले लिया और गांव में आकर बस गए | उन्होंने गांव की तस्वीर ही बदल दी और साथ ही अन्ना भ्रष्ट्राचार के ख़िलाफ़ आंदोलन में कूद पड़े. उन्होंने अपनी जमीन बच्चों के हॉस्टल के लिए दान कर दी |
अन्ना हज़ारे का विचार है कि भारत की असली ताकत गाँवों में है और इसीलिए उन्होंने गाँवों में विकास की लहर लाने के लिए मोर्चा खोला. अन्ना हज़ारे ने सेना से रिटायरमेंट के तुरंत बाद सन १९७५ से सूखा प्रभावित रालेगाँव सिद्धि में काम शुरू किया. जहाँ औसतन सालाना वर्षा ४०० से ५०० मिलीमीटर ही होती थी, गाँव में जल संचय के लिए कोई तालाब नहीं थे. उनका गाँव पानी के टैंकरों और पड़ोसी गाँवों से मिले खाद्यान्न पर निर्भर रहता था, उन्होंने अपने बलबूते वर्षा जल संग्रह, सौर ऊर्जा, बायोगैस का प्रयोग और पवन ऊर्जा के उपयोग से गाँव को स्वावलंबी और समृद्ध बना दिया. यह गाँव विश्व के अन्य समुदायों के लिए आदर्श बन गया है.
श्री अन्ना हजारे ने अपनी पुस्तैनी ज़मीन बच्चों के हॉस्टल के लिए दान कर दी, आज भी उनकी पेंशन का सारा पैसा गाँव के विकास में ख़र्च होता है | संपत्ति के नाम पर उनके पास कपड़ों की कुछ जोड़ियाँ हैं | अन्ना हज़ारे का कोई बैंक बैलेंस नही हैं | वह गाँव के मंदिर में रहते हैं और हॉस्टल में रहने वाले बच्चों के लिए बनने वाला खाना ही खाते हैं | आज गाँव का हर शख़्स आत्मनिर्भर है, आस-पड़ोस के गाँवों के लिए भी यहाँ से चारा, दूध आदि जाता है | 
अन्ना हज़ारे सन १९९८ में उस समय चर्चा में आ गए थे, जब उन्होंने तत्कालीन सरकार के दो नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर उन्हें गिरफ्तार करने के लिए आवाज़ उठाई थी | सरकार में मंत्री शशिकांत सुतार को अपनी कुर्सी छोडनी पड़ी | उसी समय के रोज़गार मंत्री महादेव शिवणकर को भी सरकार से बाहर होना पड़ा | मंत्री रही शोभाताई फडणविस को भी भ्रष्ट्राचार के आरोप के चलते अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा. | सन १९९८ में सामजिक न्यायमंत्री बबनराव घोलप को ज़मीन घोटाले के चलते इस्तीफ़ा देना पड़ा | वहीं एनसीपी के नबाब मलिक, सुरेश दादा जैन को भी आघाडी सरकार में भ्रष्ट्राचार के आरोपों के चलते ही अपना पद छोडना पड़ा | शराब बंदी अभियान, कॉऑपरेटिव घोटाला जैसे कई अहम भ्रष्टाचार के मुद्दे सामने लाने का श्रेय अन्ना हज़ारे को जाता है और इसी तरह सन २००५ में अन्ना हज़ारे ने तत्कालीन सरकार को उसके चार भ्रष्ट नेताओं के ख़िलाफ़ कार्यवाही करने के लिए दबाव डाला था |
अन्ना हज़ारे की समाजसेवा और समाज कल्याण के कार्य को देखते हुए सरकार ने उन्हें समय-समय पर अनेक पुरस्कारों, जिनमे सन १९९० में पद्मश्री और सन १९९२ में पदम् विभूषण शामिल है, दिये गये |  अन्ना हज़ारे ने अपने राज्य महाराष्ट्र में विषम परिस्थितियों में भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ अनेक लडाईयाँ लड़ीं और सफल भी हुए और अब इस ७१ वर्ष की उम्र में भी उनका एक ही सपना है – 'भ्रष्टाचार रहित भारत का निर्माण' करना, हम सभी को उनके इस पुनीत प्रयास में भागीदार अवश्य बनना है | 
अन्ना हज़ारे एक बार पद्मश्री महाराष्ट्र के रालेगाँव में ग्राम स्वराज के अपने अनुभव बांटने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में आमंत्रित थे वहाँ उन्होंने गांधीजी की इस सोच को पूरी मजबूती से उठाया कि ‘बलशाली भारत के लिए गाँवों को अपने पैरों पर खड़ा करना होगा’ | उनके अनुसार विकास का लाभ समान रूप से वितरित न हो पाने का कारण रहा, गाँवों को केन्द्र में न रखना | व्यक्ति निर्माण से ग्राम निर्माण और तब स्वाभाविक ही देश निर्माण के गांधीजी के मन्त्र को उन्होंने हकीकत में उतार कर दिखाया, और एक गाँव से आरम्भ उनका यह अभियान आज ८५ गावों तक सफलतापूर्वक जारी है.व्यक्ति निर्माण के लिए मूल मन्त्र देते हुए उन्होंने युवाओं में उत्तम चरित्र, शुद्ध आचार-विचार, निष्कलंक जीवन व त्याग की भावना विकसित करने व निर्भयता को आत्मसात कर आम आदमी की सेवा को आदर्श के रूप में स्वीकार करने का आह्वान किया |
वर्तमान सरकार के समक्ष अप्रैल,२०११ में केवल पांच दिनों में ही उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ एक क्रांति का सूत्रपात कर दिया । अन्ना हजारे ने अपने पूर्व घोषित निर्णय के अनुसार जन लोकपाल विधेयक लाने हेतु सरकार पर दबाव बनाने और जन समर्थन को जुटाने के लिए ५ अप्रैल,२०११ से दिल्ली के जंतर मंतर पर आमरण अनशन शुरू कर दिया था और उनके बैनरों पर लिखा हुआ था- 'भ्रष्टाचार के विरुद्ध जनयुद्ध' | अन्ना हजारे द्वारा उठाया गया कदम जनता के मन में तेजी से असर कर गया और वह उनके पीछे खड़ी होती नजर आ रही है और जन-समर्थन बढ़ता जा रहा है। 
इस तरह स्पष्ट है कि अन्ना हजारे ने सरकार के उपर इतना नैतिक बल स्वयं का और जनता के बल का पैदा कर दिया कि अंतत: सरकार को उनके सामने झुकना पड़ा और उनकी पांच में तीन महत्वपूर्ण मांगे स्वीकार करने से ‘जन लोकपाल विधेयक’ को कानून बनाने का रास्ता खुलने का मार्ग प्रशस्त होता जा रहा है । यद्यपि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर समस्त राजनैतिक पार्टिया, संस्थायें और आम नागरिक एकमत है कि हमारा राजनैतिक, सामाजिक व व्यक्तिगत जीवनभ्रष्टाचार विहीन होना चाहिए । अन्ना हजारे को इस बात का बहुत बड़ा श्रेय अवश्य दिया जाना चाहिए कि स्वाधीन भारत में यह प्रथम बार हुआ है जब चुनी हुई सरकार ने अपने ही कानून बनाने का अधिकार, जो  संविधान ने दिया है में उन लोगो की भागीदारी जिन्हे संविधान कोई अधिकार प्रदत्त नहीं करता है, देना स्वीकार किया है । 
अन्ना हजारे ने इससे पहले भी महाराष्ट्र राज्य में भ्रष्टाचार के विरोध में इस गान्धीवादी तरीके का सफल प्रयोग किया है और उस राज्य के कई मंत्रियों को उनके पद से हटने के लिए मजबूर किया है | इस बार भी अन्ना हज़ारे को सफलता मिली. सरकार ने उनकी मांगें मानी और जनता के सामने मजबूरन झुकी |  अन्ना हज़ारे सत्ता की राजनीति नहीं करते और उनका साफ सुथरा जीवन इतिहास उनको गांधीवाद का सच्चा प्रतिनिधि दर्शाता है | अन्ना हज़ारे की छोटी कद-काठी के पीछे एक दृढ़ इच्छाशक्ति वाला इंसान छिपा हुआ है। वह महात्मा गांधी की तरह ही अहिंसा को अपने हथियार के तौर पर इस्तेमाल करते हैं । महात्मा गांधी की तरह अन्ना हजारे भी एक दम सादा जीवन जीते हैं। वह अब भी महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में यादव बाबा मंदिर से सटे एक दो कमरे वाले मकान में ही रहते हैं ।
'जय हिन्द,जय हिन्दी'

8 टिप्‍पणियां:

  1. *
    आम व्यक्ति का प्रतिनिधित्व करने वाले समाजवादी और गांधीवादी अन्ना(अण्णा) हजारे ने कहा है कि अगर १५ अगस्‍त,२०११ तक लोकपाल बिल पारित नहीं किया गया तो वे १६ अगस्‍त को आंदोलन करेंगे। उन्‍होंने कहा कि हम अपनी मांगों पर अडिग हैं। सरकार की इस तरह की बयानबाजी से हम पीछे हटने वाले नहीं हैं। हमें बस इस बात की सफाई चाहिए कि सरकार किस आधार पर हमें संघ और बीजेपी का मुखौटा बता रही है ।
    'जय हिंद,जय हिंदी'

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  2. *
    समाजवादी और गांधीवादी अन्ना(अण्णा) हजारे नायक तो असली है, लेकिन अच्छाई के दुश्मन ज्यादा है…
    हे प्रभु, देशद्रोही लफ्फाज लोगों से इस देश को बचाना…
    एक बात और है… गांधीजी का एक युग देख चुकें हैं हम… अब गलतियों की गुंजाइश नहीं बचना चाहिये…
    हमारी चिंता अन्ना हजारे नहीं है बल्कि मध्यम वर्ग का वह बुद्धिजीवी है जिसमें किरण बेदी, बाबा रामदेव जस्टिस संतोष हेगड़े, वक़ील प्रशांत भूषण, स्वामी अग्निवेश जैसे बुद्धिजीवी लोग शामिल है | ऐसी बात तो है नहीं कि ये लोग यह न समझते हों कि असल मसला भ्रष्टाचार कानहीं मजदूर वर्ग के अधिशेष की लूट का है ||
    नागनाथ और सांपनाथ अगर बस्ती में आये तो मारे ही जाने चाहिये… बिना लाठी से ना मरे तो लाठी से ही सही…
    अब तो जागो देश के सपूतों |||
    देश के सपूतों, बहुत लंबी नींद ले चुके हो |||
    'जय हिंद,जय हिंदी'

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  3. *
    प्रत्येक देशभक्त भारतवासी जो भी भ्रष्टाचार से दुखी है, उनसे विनम्र अपील है कि देश की आन-बान-शान के लिए समाजसेवी,समाजवादी और गांधीवादी अन्ना(अण्णा) हजारे की मांग "जन लोकपाल बिल" का समर्थन करने हेतु 022-61550789 पर स्वंय भी मिस्ड कॉल करें और अपने दोस्तों को भी करने के लिए कहें.....
    यह केवल श्री हजारे की लड़ाई नहीं है बल्कि प्रत्येक उस नागरिक की लड़ाई है जिसने भारत माता की धरती पर जन्म लिया है |
    'जय हिंद,जय हिंदी'

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  4. समाजसेवी अन्ना हजारे ने अपने आलोचकों और भ्रष्टाचार के विरोध की मुहिम पर उंगली उठाने वाले लोगों को करारा जवाब दिया है | भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे गांधीवादी नेता और समाजसेवी अन्ना हजारे ने अपने आंदोलन में खर्च हुई रकम की पाई-पाई का हिसाब दे दिया है ।
    विख्यात सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने कहा कि संसद सर्वोच्च है और अगर वह विधेयक को खारिज कर देती है तो वह इसे स्वीकार करेंगे। हजारे ने संसद द्वारा लोकपाल विधेयक पारित करने के संबंध में अपनी ओर से निर्धारित १५ अगस्त,२०११ की समय सीमा पर भी लचीलापन दिखाते हुए कहा कि अगर उन्हें लगेगा कि सरकार सही मार्ग पर आगे बढ़ रही है तो इस विषय पर वह चर्चा करने को तैयार हैं। यह पूछे जाने पर कि अगर संसद में संयुक्त समिति की ओर से तैयार लोकपाल विधेयक के मसौदे को नामंजूर कर दिया जाता है तो उनका रूख क्या होगा, हजारे ने कहा कि हम इसे स्वीकार करेंगे। हम लोकतंत्र में विश्वास रखते हैं। हजारे ने भ्रष्टाचार के विषय पर नौ अप्रैल को पाँच दिनों का आमरण अनशन समाप्त करने के बाद कहा था कि अगर सरकार १५ अगस्त तक लोकपाल विधेयक पारित नहीं करती है तो वह फिर से अनशन शुरू करेंगे। हजारे ने कहा कि एक बार हमें लगेगा कि विधेयक ठीक ढंग से आगे बढ़ रहा है तो कुछ लचीलापन दिखाया जा सकता है। बहरहाल, उन्होंने कहा कि वह महसूस करते हैं कि संसद द्वारा एक महीने में विधेयक पर निर्णय किया जाना संभव है । ऐसा विश्वास है कि लोकपाल बिल को लेकर देश की जनता का ६२ साल का इंतजार जल्द ही खत्म होगा ।
    'जय हिंद,जय हिंदी'

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  5. विख्यात सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने लोकपाल बिल, काले धन की वापसी और भ्रष्टाचार के निर्मूलन की अपनी आर-पार की लड़ाई लड़ने हेतु अपनी नई वेबसाइट के माध्यम से सभी नागरिकों को इस आंदोलन में शामिल होने की अपील की है। उन्होंने अपने गाँव राले-गण सिद्धि में http://www.switchofflights4anticorruption.in नामक वेबसाइट का उद्घाटन किया । अन्ना हजारे ने सभी देशवासियों से अपील की है कि वे इस वेबसाइट के जरिए आंदोलन में शरीक हों और देश को समृद्ध बनाने में सहयोग करें। वेबसाइट का लिंक एक लाख से ज्यादा लोगों तक भेजा जा चुका है तथा यह संख्या हर पल बढ़ रही है। वेबसाइट पर समर्थन देने के लिए अपने नाम, ई-मेल आईडी, मोबाइल या फोन नंबर, अपने राज्य और शहर की जानकारी टाइप करना होगी।
    'जय हिंद,जय हिंदी'

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  6. *
    सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने १६ अगस्त,२०११ की सुबह से शुरू करने जा रहे अपने आमरण अनशन के पूर्व पूरे देश के नागरिकों कासमर्थन प्राप्त करने के लिए आमरण अनशन पूर्व संध्या पर यानी १५ अगस्त,२०११ की शाम ८ से ९ तक देश के सभी नागरिकों से अपने अपने घरों की लाइट बंद करने की अपील की है। अण्णाहजारे का कहना कि यदि देश में प्रकाश फैलाना है, तो इस सरकार को नींद से जगाने के ए १५ अगस्त,२०११ की शाम एक घंटे के लिए अपने घरों की लाइट बुझाकर रखें। अन्ना ने उम्मीद जताई है कि शायद इस एक घंटे के अंधेरे से ही देशमें उजाला आ जाए ।
    १५ अगस्त,२०११ के स्वतंत्रता दिवस समारोह से पहले अपने आंदोलन के लिए समर्थन मांगने और जन - जागृति फैलानेके लिए अन्ना हजारे ने राष्ट्र - व्यापी रा करने का निर्णय लिया है। यह दौरा वे जल्द ही शुरू करेंगे । सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे अपनी योजना के तहत कई राज्यों में जाएंगे और स्थानीय नागरिकों से मिलेंगे। इसी के साथ वे उन सभी स्थानीयनागरिकों से अपने स्थानीय स्तर पर आंदोलन छेड़ने या अनशन करने या उनके अनशन में शामिल होने का आव्हान करेंगे।
    'जय हिंद,जय हिंदी'

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  7. Anna Sahab ki jiwani kabhi rochak aur brabhaw shali hai...yadi hum sare Bharatiy unke raste par chalane ko taiyar ho jai to samasyaye apni naap samapt ho jayegi...Ann Sahab aur unke jajabe ko salam...sath me shradhey bhaiya jee aap ko bhi koti-koti dhanyabad...Maa Saraswati aap ki lekhani me char chand lagaye... Jai Bharat...Jai Bharat Shanti

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  8. Anna aap Hamare aadarsh ho.hum bhi aap ki tarah jina chahate hai....

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