मंगलवार, 26 अप्रैल 2011

'ज्योतिष और इंसान की सेहत'


हमारे जीवन में अनुकूल-प्रतिकूल, उत्थान-पतन, हर्ष-विषाद जैसी स्थितियाँ आती ही रहती हैं। ये जीवन के लक्षण हैं और हमारी विवशताऎं। सामान्यत: इन स्थितियों पर विचार करने का अभ्यास एक आम आदमी को नहीं होता। परिस्थितिजन्य विवशता उसे इतना गहरे जकडे रहती हैं कि वो इनसे छिन्न होकर इनका विश्लेषण कर ही नहीं पाता और यदि करना चाहे तो शायद तब भी न कर पाये। लेकिन ज्योतिष विद्या इन्सान की इन्ही परिस्थितियों के विश्लेषण का ही दूसरा नाम है। इस विद्या का उदेश्य ही यही है कि इसके प्रकाश में उसके जीवन की इन वर्तमान परिस्थितियों का जो हेतु है, उस मूल कारण से उसे अवगत कराना और आगामी भविष्य हेतु उसका मार्गप्रशस्त करना।
ज्योतिषशास्त्र में जन्म कुंडली, वर्ष कुंडली, प्रश्न कुंडली, गोचर तथा सामूहिक शास्त्र की विधाएँ व्यक्ति के प्रारब्ध का विचार करती हैं, उसके आधार पर उसके भविष्य के सुख-दु:ख का आंकलन किया जा सकता है। चिकित्सा ज्योतिष में इन्हीं विधाओं के सहारे रोग निर्णय करते हैं तथा उसके आधार पर उसके ज्योतिषीय कारण को दूर करने के उपाय भी किये जाते हैं। इसलिए चिकित्सा ज्योतिष को ज्योतिष द्वारा रोग निदान की विद्या भी कहा जाता है। अंग्रेजी में इसे मेडिकल ऍस्ट्रॉलॉजी (Medical Astrology) कहते हैं। इसे नैदानिक ज्योतिषशास्त्र (Clinical Astrology) तथा ज्योतिषीय विकृतिविज्ञान (Astropathology) भी कहा जा सकता है।
     दिल्ली के लाल बहादुर शास्त्री संस्कृत विद्यापीठ का मेडिकल एस्ट्रोलॉजी विभाग पिछले पांच साल से इस बात की खोजबीन में जुटा है कि आखिर ग्रहों की चाल का इंसान की सेहत पर क्या असर पड़ता है। रिसर्च से जो बातें सामने आई हैं, वो हैरान करने वाली हैं। अगर इस रिसर्च पर भरोसा करें तो आने वाले दिनों में आपको बीमारी के इलाज के लिए डॉक्टर के साथ-साथ ज्योतिषियों के पास भी जाना पड़ेगा। मेडिकल एस्ट्रोलॉजी विभाग के अध्ययन के दौरान करीब एक हजार कुंडलियों को परखा गया। 75 फीसदी मामलों में पाया गया की कई बीमारियों और किसी ग्रह के खास जगह पर होने के बीच रिश्ता है। कुंडली में मौजूद कौन-सा ग्रह, कौन-सी स्थिति में है। इससे तय होता है कि उस शख्स का स्वास्थ्य कैसा होगा। अलग-अलग ग्रहों का असर भी अलग-अलग होता है। विभाग अपनी इस रिसर्च से बेहद खुश है।
ऋग्वेद में राशियों से जुड़ी जो बातें लिखी हुई हैं। कहीं न कहीं उन्हीं की पुष्टि हो रही है। दरअसल विभाग ने ग्रहों का असर जानने के लिए दिल्ली के कई बड़े डॉक्टरों की मदद ली है। ये डॉक्टर एम्स, मूलचंद अस्पताल, गुरु तेग बहादुर अस्पतालों से जुड़े हैं। इतना ही नहीं रिसर्च के दौरान ग्रहों से जुड़ी बीमारियां, डायबिटीज और मानसिक रोग पर ध्यान देने की कोशिश की गई है।
ग्रहों और राशियों का असर सेहत पर-
सूर्य-
ज्योतिष के मुताबिक सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह सूर्य है। सूर्य का सीधा असर इंसान की आंखों, हड्डियों और आत्मविश्वास पर होता है। अगर सूर्य की दशा और दिशा आपके पक्ष में नहीं है तो हो सकता है कि आप आंखों और हड्डियों से जुड़ी किसी समस्या से परेशान रहें।
चंद्रमा-
चंद्रमा को शांति का प्रतीक माना जाता है। ज्योतिषियों के मुताबिक दिमाग और खून से जुड़ी बीमारियों का संबंध चंद्रमा की दशा से है। चंद्रमा कर्क राशि का स्वामी है।
मंगल-
मंगल ग्रह इंसान की ताकत और हिम्मत पर सीधा असर करता है। ज्योतिषियों के मुताबिक मंगल की दशा बिगड़ने पर इंसान की ताकत और प्रभाव में कमी आ सकती है। मंगल ग्रह वृश्चिक और मेष राशि का स्वामी है।
बुध-
अगर आपकी बोलचाल की क्षमता पर असर पड़े तो मतलब बुध की दशा ठीक नहीं है। ज्योतिषियों की मानें तो त्वचा से जुड़ी बीमारियां भी बुध की दशा पर निर्भर करती हैं। बुध कन्या और मिथुन राशि का स्वामी है।
बृहस्पति-
लीवर और कान से जुड़ी समस्या का सीधा संबंध बृहस्पति ग्रह से होता है। अगर बृहस्पति की दशा और दिशा आपके माकूल नहीं है तो लीवर और सुनने की क्षमता पर असर पड़ सकता है। बृहस्पति, धनु और मीन राशि का स्वामी है।
शुक्र-
इंसान के काम करने की क्षमता पर सीधा असर डाल सकता है। शुक्र की दशा ठीक न होने पर यौन रोगों से जुड़ी समस्या भी हो सकती है। शुक्र तुला और वृषभ राशि का स्वामी है।
शनि-
ज्योतिषियों के मुताबिक शनि की ग्रह दशा इंसान के जीवन पर खासा असर डालती है लेकिन सेहत के हिसाब से शनि नाड़ी तंत्र को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। नसों से जुड़ी़ बीमारी शनि ग्रह की दशा ठीक नहीं होने पर हो सकती हैं। शनि मकर और कुंभ राशि का स्वामी है ।
ग्रहों के दुष्‍प्रभाव को दूर करने में पेड़-पौधों की भूमिका:
हमारे ऋषि मुनियों को ग्रहों के दुष्‍प्रभाव को दूर करने के लिए पेड़-पौधों की भूमिका का भी पता था। अन्‍य बातों की तरह ही जब गंभीरतापूर्वक काफी दिनों तक ग्रहों के प्रभाव को दूर करने में पेड पौधों की भूमिका का भी परीक्षण किया गया तो निम्न बातें दृष्टिगोचर हुई -
1. यदि जातक का चंद्रमा कमजोर हो , तो उन्हें तुलसी या अन्‍य छोटे-छोटे औषधीय पौधे अपने अहाते में लगाकर उसमें प्रतिदिन पानी देना चाहिए।
2. यदि जातक का बुध कमजोर हो तो उसे बिना फल फूलवाले या छोटे छोटे हरे फलवाले पौधे लगाने से लाभ पहुंच सकता है।
3. इसी प्रकार जातक का मंगल कमजोर हो तो उन्हें लाल फल-फूलवाले बड़े-बड़े पेड़ लगा़ने से लाभ होगा।
4. इसी प्रकार जातक का शुक्र कमजोर हो तो उन्हें सफेद फल-फूलवाले बड़े-बड़े पेड़ लगा़ने से लाभ होगा।
5. इसी प्रकार जातक का सूर्य कमजोर हो तो उन्हें तप्‍त लाल रंग के फल-फूलवाले बड़े-बड़े पेड़ लगा़ने से लाभ होगा।
6. इसी प्रकार जातक का बृहस्पति कमजोर हो तो उन्हें पीले फल-फूलवाले बड़े-बड़े पेड़ लगा़ने से लाभ होगा।
7. इसी प्रकार जातक का शनि कमजोर हो तो उन्हें बिना फल-फूल वाले या काले फल-फूलवाले बड़े-बड़े पेड़ लगा़ने से लाभ होगा।
ध्यान रहे , ये सभी छोटे-बड़े पेड़-पौधे पूरब की दिशा में लगे हुए हों , इसके अतिरिक्‍त ग्रह के बुरे प्रभाव से बचने के लिए पश्चिमोत्‍तर दिशा में भी कुछ बड़े पेड़ लगाए जा सकते हैं , किन्तु अन्य सभी दिशाओं में आप शौकिया तौर पर कोई भी पेड़ पौधे लगा सकते हैं। उपरोक्त समाधानों के द्वारा जहॉ ग्रहों के बुरे प्रभावों को कम किया जा सकता है , वहीं अच्छे प्रभावों को बढा़ पाने में भी सफलता मिल सकती है।
ज्योतिष में रंगों का विशेष महत्व --
यह तथ्‍य सर्वविदित ही है कि विभिन्न पदार्थों में रंगों की विभिन्नता का कारण किरणों को अवशोषित और उत्सर्जित करने की शक्ति है। जिन रंगों को वे अवशोषित करती हैं , वे हमें दिखाई नहीं देती , परंतु जिन रंगों को वे परावर्तित करती हैं , वे हमें दिखाई देती हैं। यदि ये नियम सही हैं तो चंद्र के द्वारा दूधिया सफेद , बुध के द्वारा हरे , मंगल के द्वारा लाल , शुक्र के द्वारा चमकीले सफेद , सूर्य के द्वारा तप्‍त लाल , बृहस्पति के द्वारा पीले और शनि के द्वारा काले रंग का परावर्तन भी एक सच्‍चाई होनी चाहिए।
ज्योतिष में रंगों का विशेष महत्व बताया गया है। राशि अनुसार अनुकूल रंगों के प्रयोग से संबंधित ग्रह की अनुकूलता में वृद्धि होती है। चीनी ज्योतिष के अनुसार भी अलग-अलग रंगों की प्रवृत्ति अलग-अलग होने के कारण मानव की प्रवृत्ति पर असर करते हैं। शरीर के लिए भी अनुकूल रंगों के प्रयोग करने से सकारात्मक ऊर्जा “ची” को संतुलित कर समन्वय किया जा सकता है। इससे सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। इसी क्रम में महिलाओं द्वारा प्रयोग की जाने वाली नाखून पॉलिश का रंग यदि उनकी राशि के अनुरूप हो तो संबंधित राशि स्वामी के कारक में वृद्धि तथा शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

मेष राशि-मेष राशि की महिलाएं लालिमायुक्त, सफेद, क्रीमी तथा मेहरून रंग की नेल पॉलिश प्रयोग में लाएं।
वृष राशि-लाल, सफेद, गेहूंआ या गुलाबी रंग या इनसे मिश्रित रंगों की नेल पॉलिश लगाएं।
मिथुन- आपके लिए हरी, फिरोजी, सुनहरा सफेद या सफेद रंग की नेल पॉलिश उपयुक्त रहेगी।
कर्क- श्वेत व लाल या इनसे मिश्रित रंग अथवा लालिमायुक्त सफेद रंग की नेल पॉलिश का प्रयोग उपयोगी रहेगा।
सिंह- गुलाबी, सफेद, गेरूआ, फिरोजी तथा लालिमायुक्त सफेद रंग उपयुक्त है।
कन्या- आप हरे, फिरोजी व सफेद रंग की नेल पॉलिश लगाएं।
तुला- जामुनी, सफेद, गुलाबी, नीली, ऑफ व्हाइट एवं आसमानी रंग की नेल पॉलिश अनुकूल रहेगी।
वृश्चिक- सुनहरी सफेद, मेहरून, गेरूआ, लाल, चमकीली गुलाबी या इन रंगों से मिश्रित रंग की नेल पॉलिश लगाएं।
धनु- पीला, सुनहरा, चमकदार सफेद, गुलाबी या लालिमायुक्त पीले रंग की पॉलिश लगाएं।
मकर- सफेद, चमकीला सफेद, हल्का सुनहरी, मोरपंखी, बैंगनी तथा आसमानी रंग की नेल पॉलिश उपयुक्त है।
कुंभ- जामुनी, नीला, बैंगनी, आसमानी तथा चमकीला सफेद रंग उत्तम रहेगा।
मीन- पीला, सुनहरा, सफेद, बसंती रंगों का प्रयोग करें। सदा अनुकूल प्रभाव देंगे। ऊपर बताए गए रंग राशि स्वामी तथा उनके मित्र ग्रहों के रंगों के अनुकूल हैं ।

गंजापन तथा गंजरोग बीमारी की वजह:(ज्योतिष में गंजेपन से बचने के उपाय)--

सिर पर बाल झडऩा युवाओं में एक आम समस्या हैं। यह आजकल की अनियमित दिनचर्या का नतीजा तो है ही साथ ही इसमें जन्म पत्रिका में स्थित सूर्य महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
सूर्य लग्र में द्वितीय स्थान में, द्वादश में कैसी भी स्थिति में हो वह जातक को गंजापन देता है।
सूर्य लग्र का होने पर यदि नीच का हो तो जातक छोटी उम्र में ही गंजा हो जाता है।
सूर्य यदि द्वितीय या द्वादश भाव में शत्रु राशि का या नीच का हो तो जातक को किसी बीमारी की वजह से गंजापन आता है।
यदि पत्नी की पत्रिका में सप्तम स्थान पर सूर्य स्थित हो तो पति को गंजरोग होता है।
यदि स्त्री की पत्रिका में सूर्य सप्तम स्थान पर हो तो उसको चश्मेवाला तथा गंजे सिर वाला पति प्राप्त होता है।

गंजेपन से बचने का उपाय -
सूर्य उपासना करें। 
घोड़े या गधे के खुर की राख को खोपरे के तेल में मिलाकर सिर पर लगाने से गंजपन रोग समाप्त हो जाता है। 
घोड़े की लीद को पीसकर छानकर खोपरे के तेल में मिलाकर लगाने से गंजपन रोग का नाश होकर बाल उग आते हैं।
काले तिल, भृंगराज, हरड़, बहड़, आवंला का चूर्ण रोजाना रात को फांकने से बाल जल्दी आ जाते हंै। 

सच है कि कर्मस्वातंत्र्य मनुष्य देह की विशेषता है और इसी स्वतन्त्रता के कारण ही वह कर्मफलस्वरूप भाग्य को स्थगित या परिवर्तित भी कर सकता है। विभिन्न प्रकार के पूजा,पाठ, दान-पुण्य, अनुष्ठान, व्रत उपवास, मन्त्र जाप, गाय/कुत्ते/पक्षियों इत्यादि की सेवा, बुजुर्गों के चरण स्पर्श, रत्न धारण, औषधी स्नान जैसे उपचार उसी कर्म के प्रतिप्रसव हैं, जो भाग्य के रूप में हमारे पर लद गया है। हम हारते क्यों हैं? नियतिप्रदत स्थितियों के आगे हम विवश क्यों हो जाते हैं? सिर्फ इसलिए कि अपने द्वारा किए गए जिस कर्म के परिणाम के रूप में हम भाग्य को भोग रहे हैं, उसे स्थगित करने योग्य कर्मबल हमारे पास नहीं होता। किन्तु भाग्यजनित इन परिस्थितियों से मुक्ति हेतु ज्योतिष में जो उपरोक्त विभिन्न प्रकार के उपाय बताए गए हैं, वो एक प्रकार से हमारे लिए उस योग्य कर्मबल अर्जन का एक साधन मात्र ही बनते हैं।जन्म कुंडली में भावगत ग्रह शुभ स्थिति में है, तो व्यक्ति को परिणाम भी अच्छे मिलते हैं। यदि अशुभ स्थिति में है, तो बनते हुए काम भी बिगड़ जाएंगे। प्रतिकूल ग्रहों को अनुकूल बनाने के लिए ग्रह संबंधी मंत्र का जप या व्रत करें अथवा ग्रह संबंधी वस्तुओं का दान करें। यह उपाय इतने सरल और सुगम हैं, जिन्हें कोई भी साधारण व्यक्ति बडी आसानी से कर सकता है ।
प्राचीन वैद्य रोग निदान एवं साध्यासाध्यता के लिए पदे-पदे ज्योतिषशास्त्र की सहायता लेते थे। योग-रत्नाकर में कहा है कि- ‘‘औषधं मंगलं मंत्रो, हयन्याश्च विविधा: क्रिया। यस्यायुस्तस्य सिध्यन्ति न सिध्यन्ति गतायुषि।। अर्थात औषध, अनुष्ठान, मंत्र यंत्र तंत्रादि उसी रोगी के लिये सिद्ध होते हैं जिसकी आयु शेष होती है। जिसकी आयु शेष नहीं है; उसके लिए इन क्रियाओं से कोई सफलता की आशा नहीं की जा सकती। यद्यपि रोगी तथा रोग को देख-परखकर रोग की साध्या-साध्यता तथा आसन्न मृत्यु आदि के ज्ञान हेतु चरस संहिता, सुश्रुत संहिता, भेल संहिता, अष्टांग संग्रह, अष्टांग हृदय, चक्रदत्त, शारंगधर, भाव प्रकाश, माधव निदान, योगरत्नाकर तथा कश्यपसंहिता आदि आयुर्वेदीय ग्रन्थों में अनेक सूत्र दिये गए हैं परन्तु रोगी या किसी भी व्यक्ति की आयु का निर्णय यथार्थ रूप में बिना ज्योतिष की सहायता के संभव नहीं है।
आधुनिक समय में हम प्रतिदिन देख रहे हैं कि महँगे नैदानिक उपकरणों एवं तकनीकों की सहायता से मानव शरीर के अंगों-प्रत्यंगों तथा धातुओं-उपधातुओं के परीक्षणोपरान्त भी डॉक्टर (Doctor) किसी निर्णय पर नहीं पहुँच पाते हैं। ऐसे में समझदार आस्तिक लोग ज्योतिषशास्त्र के द्वारा रोग निदान में सहयोग लेकर रूग्विनिश्चय (Diagnosis) कर निश्चित निष्कर्ष पर पहुँचते हैं और तद्नुसार औषधोपचार तथा अनुष्ठान का सहारा लेकर व्याधि से छुटकारा प्राप्त कर सुखी होते हैं।
महर्षि चरक अपने ग्रंथ चरक संहिता में दैव तथा तथा कर्मज व्याधियों की व्याख्या करते हुए शारीस्थान में समझाते हैं-
‘‘नहिकर्म महत् किंचित् फलं यस्य न भुञ्जते।
क्रियाध्ना कर्म जारोगा: प्रशमंयान्ति तत्क्षयात्।।
निर्दिष्टं दैव शब्देन कर्मं यत् पौर्व दैहिकम्।
हेतु स्तदपि कालेन रोगाणामुपलभ्यते।।
उपचारों का विकास तो इसपर विश्‍वास होने या इस क्षेत्र में बहुत अधिक अनुसंधान करने के बाद ही हो सकता है। अभी तो परंपरागत ज्ञानों की तरह ही ज्‍योतिष के द्वारा किए जाने वाले उपचारो को बहुत मान्‍यता नहीं दी जा सकती , पर ग्रहों के प्रभाव के तरीके को जानकर अपना बचाव कर पाने में हमें बहुत सहायता मिल सकती है।
[समय मिला तो फिर कभी इस विषय पर विस्तारपूर्वक लिखने का प्रयास करूंगा।]


'ज्योतिष और इंसान की सेहत'
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  • You, Richa VatsRajeev KumarPoonam Singh and 4 others like this.

    • Dr.Ramaraju Bala Krishna Murthy Thank You .
      August 16, 2010 at 8:23pm ·  ·  2 people

    • Preeti Pateria lekin manoj ji jis tarah is vidya ko vyavsay bana liya gaya hai....kis tarah pata kiya jaye ki apni samasyayon ko lekar kis jyotish k paas jaya jaye...i mean maine apni samasyaon ko lekar kaafi sare jyotishiyon ko consult kiya hai lekin koi result nahi nikalne se ab to in sab se vishvas hi uth gaya hai.....
      August 16, 2010 at 8:30pm ·  ·  3 people

    • Manoj Chaturvedi 
      ‎***
      प्रिय प्रीतिजी,
      ज्योतिष ऐसा दिलचस्प विज्ञान है, जो जीवन की अनजान राहों में मित्रों और शुभचिन्तकों की श्रृंखला खड़ी कर देता है। इतना ही नहीं इसके अध्ययन से व्यक्ति को धन, यश व प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। इस शास्त्र के अध्ययन से शूद्र व्यक्ति भी परम पूजनीय पद को प्राप्त कर जाता है। वृहदसंहिता में वराहमिहिर ने तो यहां तक कहा है कि यदि व्यक्ति अपवित्र, शूद्र या मलेच्छ हो अथवा यवन भी हो, तो इस शास्त्र के विधिवत अध्ययन से ऋषि के समान पूज्य, आदर व श्रद्धा का पात्र बन जाता है।

      ज्योतिष सूचना व संभावनाओं का शास्त्र है। ज्योतिष गणना के अनुसार अष्टमी व पूर्णिमा को समुद्र में ज्वार-भाटे का समय निश्चित किया जाता है। वैज्ञानिक चन्द्र तिथियों व नक्षत्रों का प्रयोग अब कृषि में करने लगे हैं। ज्योतिष शास्त्र भविष्य में होने वाली दुर्घटनाओं व कठिनाइयों के प्रति मनुष्य को सावधान कर देता है। रोग निदान में भी ज्योतिष का बड़ा योगदान है।

      दैनिक जीवन में हम देखते हैं कि जहां बड़े-बड़े चिकित्सक असफल हो जाते हैं, डॉक्टर थककर बीमारी व मरीज से निराश हो जाते हैं वही मन्त्र-आशीर्वाद, प्रार्थनाएँ, टोटके व अनुष्ठान काम कर जाते हैं।

      ढेर सारी शुभकामना,
      सादर,
      आपका स्नेहाकांक्षी
      डॉ. मनोज चतुर्वेदी

      August 16, 2010 at 9:35pm ·  ·  3 people

    • Poonam Singh परम उपकारी होते हैं गुरु ...
      August 16, 2010 at 10:41pm ·  ·  1 person

    • Manjula Saxena मनोज जी मैं पूरी तरह सहमत हूँ आपसे ...ज्योतिष एक ऐसा क्षेत्र है जिसमे जितना जानो , लगता है अभी शुरुआत हुई है ....जानकारी के लिए धन्यवाद् 
      August 16, 2010 at 11:11pm ·  ·  3 people

    • Rajesh Mishra आदरणीय भाई साहब,
      सर्वप्रथम तो मैं आपको धन्यवाद् ज्ञापित करना चाहता हूँ और कहना चाहता हूँ कि आपकी भाषा-शैली इतनी सुगम, स्पष्ट और विवेचनात्मक होती है कि कठिन से कठिन विषय भी बड़ी सुग्राह्य हो जाता है. विषय से अनजान व्यक्ति को भी उसे समझने में कठिनाई नहीं होती है और उसे अध्ययन का लाभ अवश्य मिलता है.
      जय हिंद, जय भारत!

      August 16, 2010 at 11:59pm ·  ·  3 people

    • Anupama Pathak nice note:)
      thanks for tagging in this informative write-up!!!
      regards,

      August 17, 2010 at 2:23am ·  ·  2 people

    • Vikram Sharma अति दिलचस्प एवं अत्यन्त सूचनात्मक. टैग करने के लिए धन्यवाद मनोज जी!
      August 17, 2010 at 11:01am ·  ·  2 people

    • Preeti Pateria bahut bahut dhanyavad is jaankari k liye Manoj ji...
      August 17, 2010 at 1:40pm ·  ·  2 people

    • Sanjay Shintre interesting thoughts
      August 17, 2010 at 6:56pm ·  ·  2 people

    • Poonam Singh अपनी अच्छी रचनाओं से पाठको का ज्ञानवर्द्धन करने के लिए आपको धन्यवाद।
      जय हिंद !!!

      August 17, 2010 at 7:19pm ·  ·  1 person

    • Manoj Chaturvedi 
      ‎***


      परमादरणीय डॉ. रामाराजू बाला मूर्तिजी,प्रिय प्रीति पटेरियाजी,प्रिय मंजुला सक्सेनाजी,प्रियभाई राजेश मिश्रजी,प्रिय अनुपमाजी,प्रिय विक्रमजी,प्रियभाई संजयजी,प्रिय पूनम जी,
      आपने मुझे अपना स्नेह खुशी दी, मेरे लेखन को अपना आशीष दिया इसके लिए मै आप सभी का आभार व्यक्त करता हूँ तथा धन्यवाद देता । हूँ आशा करता हूँ कि इसी तरह आपका सहयोग मिलता रहेगा। अगर गलती से किसी के भी नाम का उल्लेख करना मै भुल गया हूँ तो कृपया मुझे क्षमा करेगें तथा अपना स्नेह बनाए रखेंगें।
      ढेर सारी शुभकामना,
      सादर,
      आपका स्नेहाकांक्षी

2 टिप्‍पणियां:

  1. ज्योतिष ऐसा दिलचस्प विज्ञान है, जो जीवन की अनजान राहों में मित्रों और शुभचिन्तकों की श्रृंखला खड़ी कर देता है। इतना ही नहीं इसके अध्ययन से व्यक्ति को धन, यश व प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। इस शास्त्र के अध्ययन से शूद्र व्यक्ति भी परम पूजनीय पद को प्राप्त कर जाता है। वृहदसंहिता में वराहमिहिर ने तो यहां तक कहा है कि यदि व्यक्ति अपवित्र, शूद्र या मलेच्छ हो अथवा यवन भी हो, तो इस शास्त्र के विधिवत अध्ययन से ऋषि के समान पूज्य, आदर व श्रद्धा का पात्र बन जाता है।

    ज्योतिष सूचना व संभावनाओं का शास्त्र है। ज्योतिष गणना के अनुसार अष्टमी व पूर्णिमा को समुद्र में ज्वार-भाटे का समय निश्चित किया जाता है। वैज्ञानिक चन्द्र तिथियों व नक्षत्रों का प्रयोग अब कृषि में करने लगे हैं। ज्योतिष शास्त्र भविष्य में होने वाली दुर्घटनाओं व कठिनाइयों के प्रति मनुष्य को सावधान कर देता है। रोग निदान में भी ज्योतिष का बड़ा योगदान है।

    दैनिक जीवन में हम देखते हैं कि जहां बड़े-बड़े चिकित्सक असफल हो जाते हैं, डॉक्टर थककर बीमारी व मरीज से निराश हो जाते हैं वही मन्त्र-आशीर्वाद, प्रार्थनाएँ, टोटके व अनुष्ठान काम कर जाते हैं।
    ढेर सारी शुभकामना,
    सादर,
    आपका स्नेहाकांक्षी
    डॉ. मनोज चतुर्वेदी

    जवाब देंहटाएं
  2. ग्रहों के दुष्‍प्रभाव को दूर करने में पेड़-पौधों की भूमिका:
    हमारे ऋषि मुनियों को ग्रहों के दुष्‍प्रभाव को दूर करने के लिए पेड़-पौधों की भूमिका का भी पता था। अन्‍य बातों की तरह ही जब गंभीरतापूर्वक काफी दिनों तक ग्रहों के प्रभाव को दूर करने में पेड पौधों की भूमिका का भी परीक्षण किया गया तो निम्न बातें दृष्टिगोचर हुई -
    1. यदि जातक का चंद्रमा कमजोर हो , तो उन्हें तुलसी या अन्‍य छोटे-छोटे औषधीय पौधे अपने अहाते में लगाकर उसमें प्रतिदिन पानी देना चाहिए।
    2. यदि जातक का बुध कमजोर हो तो उसे बिना फल फूलवाले या छोटे छोटे हरे फलवाले पौधे लगाने से लाभ पहुंच सकता है।
    3. इसी प्रकार जातक का मंगल कमजोर हो तो उन्हें लाल फल-फूलवाले बड़े-बड़े पेड़ लगा़ने से लाभ होगा।
    4. इसी प्रकार जातक का शुक्र कमजोर हो तो उन्हें सफेद फल-फूलवाले बड़े-बड़े पेड़ लगा़ने से लाभ होगा।
    5. इसी प्रकार जातक का सूर्य कमजोर हो तो उन्हें तप्‍त लाल रंग के फल-फूलवाले बड़े-बड़े पेड़ लगा़ने से लाभ होगा।
    6. इसी प्रकार जातक का बृहस्पति कमजोर हो तो उन्हें पीले फल-फूलवाले बड़े-बड़े पेड़ लगा़ने से लाभ होगा।
    7. इसी प्रकार जातक का शनि कमजोर हो तो उन्हें बिना फल-फूल वाले या काले फल-फूलवाले बड़े-बड़े पेड़ लगा़ने से लाभ होगा।
    ध्यान रहे , ये सभी छोटे-बड़े पेड़-पौधे पूरब की दिशा में लगे हुए हों , इसके अतिरिक्‍त ग्रह के बुरे प्रभाव से बचने के लिए पश्चिमोत्‍तर दिशा में भी कुछ बड़े पेड़ लगाए जा सकते हैं , किन्तु अन्य सभी दिशाओं में आप शौकिया तौर पर कोई भी पेड़ पौधे लगा सकते हैं। उपरोक्त समाधानों के द्वारा जहॉ ग्रहों के बुरे प्रभावों को कम किया जा सकता है , वहीं अच्छे प्रभावों को बढा़ पाने में भी सफलता मिल सकती है।


    यह तथ्‍य सर्वविदित ही है कि विभिन्न पदार्थों में रंगों की विभिन्नता का कारण किरणों को अवशोषित और उत्सर्जित करने की शक्ति है। जिन रंगों को वे अवशोषित करती हैं , वे हमें दिखाई नहीं देती , परंतु जिन रंगों को वे परावर्तित करती हैं , वे हमें दिखाई देती हैं। यदि ये नियम सही हैं तो चंद्र के द्वारा दूधिया सफेद , बुध के द्वारा हरे , मंगल के द्वारा लाल , शुक्र के द्वारा चमकीले सफेद , सूर्य के द्वारा तप्‍त लाल , बृहस्पति के द्वारा पीले और शनि के द्वारा काले रंग का परावर्तन भी एक सच्‍चाई होनी चाहिए।
    ज्योतिष में रंगों का विशेष महत्व बताया गया है।

    इस लेख की उपरोक्‍त अनुच्‍छेद का एक एक शब्‍द मेरे लेख गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष नामक मेरे ब्‍लॉग से लिया गया है .. पर आश्‍चर्य है कि न तो गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष और न ही मेरे या मेरे पिताजी के नाम की चर्चा कहीं की गयी है ... यह काफी गलत है .. आप जैसे लेखकों को ऐसी चोरी नहीं करनी चाहिए .....प्रमाण यहां दे रही हूं ...
    http://sangeetapuri.blogspot.in/2009/11/7.html

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